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मप्र में भाजपा के दिग्गज नेताओं ने संभाली कमान, सिंधिया-शिवराज लगा रहे पूरा दम! CM मोहन यादव का MP की इस सीट पर फोकस

मध्य प्रदेश में पहले चरण में 6 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है, ऐसे में बीजेपी ने इन सीटों पर प्रचार तेज कर दिया है. पीएम मोदी की सभाओं के बाद अब स्थानीय नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है, बुधवार को बीजेपी का धुंआधार प्रचार जारी रहेंगा. सीएम मोहन यादव छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर प्रचार की कमान संभालेंगे. वहीं उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी आज प्रचार में जुटे हैं, इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आज गुना लोकसभा सीट पर प्रचार करेंगे, जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी अब अपनी सीट खजुराहों में पूरी तरह से एक्टिव नजर आ रहे हैं. बीजेपी का इस बार सबसे ज्यादा फोकस छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर बना हुआ है, सीएम मोहन यादव खुद छिंदवाड़ा में आज चार चुनावी संभाएं करेंगे, मुख्यमंत्री आज छिंदवाड़ा के साथ जुन्नारदेवु , परासिया और अहीरवाड़ा में चुनावी सभाएं करेंगे. बीजेपी कमलनाथ के गढ़ में लगातार कांग्रेस को घेरने में जुटी है. खास बात यह है कि एक तरफ बीजेपी छिंदवाड़ा में पूरा जोर लगा रही है तो कांग्रेस ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. नकुलनाथ और कमलनाथ दोनों ही नेता छिंदवाड़ा में एक्टिव बने हुए हैं, जिससे छिंदवाड़ा की सियासी जंग रोचक होती जा रही है. सीएम मोहन यादव के अलावा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद सिंह पटेल भी आज छिंदवाड़ा के दौरे पर रहेंगे. क्योंकि बीजेपी ने छिंदवाड़ा में कैलाश विजयवर्गीय को प्रभारी बनाया है तो प्रहलाद सिंह पटेल का भी यहां फोकस माना जाता है, ऐसे में दोनों सीनियर मंत्री भी छिंदवाड़ा में एक्टिव हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना लोकसभा सीट पर पूरा जोर लगा रहे हैं. सिंधिया आज गुना में अलग-अलग जगहों पर प्रचार करेंगे. सिंधिया के साथ-साथ उनका परिवार भी चुनाव में पूरी तरह से एक्टिव है, बेटा महाआर्यमान सिंधिया और पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया भी गुना-अशोकनगर और शिवपुरी जिले में एक्टिव हैं. बता दें कि यह सीट भी प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट बनी हुई है, कांग्रेस ने इस बार यहां सिंधिया के खिलाफ राव यादवेंद्र सिंह को उतारा है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी आज मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगे, सीएम साय आज मंडला लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के समर्थन में सभा करेंगे. सीएम साय मंडला और डिंडौरी कुलस्ते का मुकाबला यहां कांग्रेस के सीनियर विधायक ओमकार सिंह मरकाम से हैं, यह सीट भी इस बार दिलचस्प मानी जा रही है. क्योंकि बीजेपी ने आदिवासी सीटों पर भी विशेष फोकस कर रखा है, ऐसे में सीएम साय का दौरा भी अहम माना जा रहा है. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी खजुराहो में एक्टिव हो गए हैं, वीडी शर्मा आज कटनी के दौरे पर रहेंगे. इसके अलावा लोकसभा प्रदेश प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह सीहोर में, सह प्रभारी सतीश उपाध्याय शहडोल में पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा राजगढ़ लोकसभा सीट पर प्रचार करेंगे.
लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

लोकसभा चुनाव 2024: फैजाबाद में रामजी कराएंगे “बेड़ा पार” या पिछड़ा वर्ग तय करेगा चुनावी नतीजा ?*
#loksabha_election_faizabad_parliament_constituency * *फैजाबाद में किसे मिलेगी श्रीराम का आशीर्वाद?* *रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय करेगी नतीजा?* *या, जातीय समीकरण साधने से होगा बेड़ा पार* *हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर* *पिछड़ी जाति तय करेंगे सीट का नतीजा* *मंदिर और विकास है अहम मुद्दा* राम मंदिर के मुद्दे ने देश को नई सियासी तासीर दी है। यह देश की राजनीति के लिए बड़ा मुद्दा है। इस बार के आम चुनाव पर अयोध्‍या के नव निर्मित और भव्य राम मंदिर का काफी असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में फैजाबाद लोकसभा सीट इस चुनावी रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहने वाला है। इस मुद्दे के साथ ही अयोध्या के विकास का मुद्दा और यहां के जातीय समीकरण भी सियासत की दिशा तय करते रहे हैं। यही वजह है कि राम मंदिर की लहर के बाद भी यहां सपा और बसपा जीतने में सफल रही हैं। यूं तो यहां कम्युनिस्ट पार्टी भी खाता खोल चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज है। उसके बाद भाजपा यहां से पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी घमासान में भगवान राम किस पार्टी पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे? *मंदिर और विकास अहम मुद्दा* बात फैजाबाद सीट के चुनावी मुद्दों की करें तो यहां पर राम मंदिर के साथ ही अयोध्या और आसपास का विकास अहम मुद्दा रहा है। वर्षों से इस पर राजनीति तो होती रही और सरकारें बनती-बिगड़ती रहीं लेकिन अयोध्या नहीं बदली। इस विकास के नाम पर भी राजनीति हुई लेकिन बदलाव नहीं हुआ। अब राम मंदिर बनने के बाद यह एक बार फिर से बड़ा मुद्दा है। मंदिर के साथ ही सरकार ने जो और योजनाएं शुरू की हैं, उससे लोगों को उम्मीद जागी है। अयोध्या और आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किए जा रहे हैं। हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। नई अयोध्या बस रही है। कई बड़े हाउसिंग प्रॉजेक्ट और होटलों का निर्माण के लिए सैकड़ों प्रस्ताव आए हैं। घाटों की मरम्मत और उसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। *जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम* मंदिर और विकास के साथ ही यहां जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम हैं। यहां करीब 1.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं। हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा यादव हैं। उसके बाद फिर कुर्मी, पाल सहित कई जातियां हैं। एससी वोटरों की संख्या 4.70 लाख है तो सामान्य वोटर भी कम नहीं हैं। इनकी संख्या 5.65 लाख है। ऐसे में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा होने के कारण उन पर सभी दलों की खास निगाह रहती है। फैजाबाद सीट में पांच विधान सभाएं हैं। इनमें से अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर फैजाबाद जिले में आती हैं। वहीं दरियाबाद बाराबंकी जिले में है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से प्रत्याशियों के सामने वोटरों को साधने की चुनौती भी रहती है।
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- हम अंधे नहीं, अगली कार्यवाही के लिए रहें तैयार

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पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाया। शीर्ष अदालत ने दोनों को फटकारते हुए कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं। वहीं, यह भी कहा कि वह केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। 

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। योग गुरु रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी गई माफी से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और उसने फिर से जमकर फटकार लगाई है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं। वकील मुकुल ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक माफी मांगेंगे। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'माफी सिर्फ कागजों के लिए हैं। हम इसे जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हैं। समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कानून जानते हैं। पिछले हलफनामे में हेरफेर किया गया। यह बहुत ही गंभीर है। एक तरफ छूट मांग रहे हैं और वो भी उल्लंघन करके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा समाज में एक संदेश जाना चाहिए

मामले पर जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा कि अदालती उपक्रम को दिखाया गया है? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफी को ठुकराने जा रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि कृपया 10 दिनों के बाद सूचीबद्ध करें, अगर कुछ और है तो मैं कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए।

सरकार की ओर से दर्ज हलफनामे में यह कहा गया?

वहीं मामले को लेकर सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की आलोचना की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान, पतंजलि को कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था। पतंजलि को मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन या किसी भी दवाई के लिए अनिवार्य टेस्ट की जरूरतों की याद दिलाई गई थी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से भी कहा गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह कोविड-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी लपेटे में लिया था। कोर्ट ने पूछा था कि जब पतंजलि ने कोविड के दौरान आधुनिक चिकित्सा को खारिज कर दिया था, तब केंद्र सरकार ने इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की थी।

तेजस्वी यादव के लंच पर बीजेपी को क्यों एतराज?

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पूरे देश के तापमान में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक तरफ सूरज की तपिश ने तापमान बढ़ाया है, तो दूसरी तरफ सियासी हलचल से पारा चढता ही जा रहा है। लोकसभा चुनाव के माहौल में नेता एक दूसरे पर वार करने के लिए मुद्दों की तलाश में हैं। इस बीच, लालू प्रसाद यादव के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक घमासान को न्योता दे दिया है। दरअसल, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इस तस्वीर में तेजस्वी यादव मछली खाते हुए दिखाई दे रहे हैं। तेजस्वी यादव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी वायरल हो रही है। अब, भारतीय जनता पार्टी को बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लंच से एतराज हो रहा है। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना दिया है और आरजेडी नेता पर निशाना साधा है।

लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वो चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं। साथ में उनके नए-नए बने पार्टनर मुकेश सहनी भी हैं। दोनों हेलीकॉप्टर में लंच यानी दोपहर के भोजन का आनंद ले रहे हैं। लेकिन इसी भोजन को लेकर तेजस्वी यादव घिर गए हैं।

दरअसल, तेजस्वी ने नवरात्रि के पहले ही दिन मछली खाने का वीडियो पोस्ट किया है। सनातन धर्म में नवरात्रि के 9 दिन माता के माने जाते हैं और इन दिनों लोग मीट-मछली तो दूर प्याज भी खाना छोड़ देते हैं। ऐसे समय में तेजस्वी यादव के मछली खाने को लेकर बीजेपी हमलावर है।

बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा, कुछ लोग खुद को सनातन का बेटा बताते हैं लेकिन सनातन के मूल्यों को स्वीकार नहीं कर पाते। मुझे खाने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन आप नवरात्रि में मछली खाने का वीडियो पोस्ट करके जो दिखाना चाहते हैं, वह तुष्टिकरण की राजनीति है, किसी को अपने धर्म, मूल्यों, राष्ट्र और समाज पर गर्व होना चाहिए लेकिन उन्हें नीचा दिखाना धर्मनिरपेक्षता का मतलब नहीं है। विजय सिन्हा ने आगे कहा कि तेजस्वी सिर्फ वोट के लिए सावन में मटन और नवरात्रि में मछली खाते हैं। ये लोग धर्म का अपमान करते हैं।

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे सनातन का अपमान बताया और कहा कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा, तेजस्वी यादव ‘चुनावी सनातनी’ हैं। वे सनातन का मुखौटा पहनकर तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं। बता दें कि नवरात्रि के दौरान अधिकांश हिंदू नौ दिनों के त्योहार के दौरान प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन खाने से बचते हैं।

भारत ने चीन को दी बड़ी चोट! ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद म्यांमार के सिटवे में दूसरा विदेशी बंदरगाह करेगा ऑपरेट

#indiasecuresittweportofmyanmarsecondinternationalport 

भारत ने चीन को करारी चोट दी है। पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत को बड़ी सफलता हासिल हुई है। भारत की इस कामयाबी से चीन को मिर्ची लगना तय है। दरअसल, भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद एक और देश के बंदरगाह पर परिचालन का नियंत्रण हासिल किया है। भारत ने अब म्यांमार के सिटवे में अपना दूसरा विदेशी बंदरगाह संचालित करने का अधिकार सुरक्षित कर लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने सिटवे में कलादान नदी पर स्थिति पूरे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।

विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद आईजीपीएल को कलादान नदी पर बंदरगाह संचालन का प्रबंधन मिल गया है। इसे समुद्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। भारत और म्यांमार ने 2008 में सिटवे बंदरगाह समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इस परियोजना को लागू होने में 15 साल लग गए। कुल मिलाकर, इस सौदे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भारत को कई बाधाओं से गुजरना पड़ा है। 

भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी

सितवे बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने म्यांमार को 500 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था औऱ इस बंदरगाह की नींव रखी थी। इस अनुदान के माध्यम से, भारत ने अपने संबंधों को मजबूत किया और व्यापारिक महत्वपूर्णता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, भारत और म्यांमार के बीच भावी व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। इस बंदरगाह से भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी और अपनी स्थिति को म्यामांर में मजबूत कर लिया है।

म्यांमार के सितवे बंदरगाह से भारत को ये फायदा

पोर्ट भारत के मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता से म्यांमार के पश्चिमी तट तक समुद्री रास्ता तैयार किया गया है। भारत को इससे सबसे बड़ा फायदा होगा कनेक्टिविटी को लेकर क्योंकि अब सितवे बंदरगाह को भारत के मिजोरम राज्य से जोड़ दिया जाएगा और ये काम कलादान नदी पर बनने वाली मल्टीमॉडल ट्रांजिट कनेक्टिविटी परियोजना के तहत किया जाएगा। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल), सितवे बंदरगाह के विकास के लिए तमाम संसाधनों को जुटाएगा। सितवे बंदरगाह का विकास करके भारत चारों ओर से घिरे अपने पूर्वोत्तर राज्यों को विकसित करेगा और ये केंद्र की मोदी सरकार की सबसे बड़ी रणनीति है।

मिजोरम तक जोड़ने वाले इस रूट के तैयार होने के बाद भारत के लिए उत्तर पूर्व में मौजूद राज्यों तक सप्लाई पहुंचाने में आसान होगी। इस लिंक के खुलने से न केवल पूर्वोत्तर राज्यों में माल भेजने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान होगा, बल्कि कोलकाता से मिजोरम और उससे आगे तक की लागत और दूरी को भी काफी कम कर देगा। 

वहीं, दूसरी तरफ इससे इससे भूटान और बांग्लादेश के बीच स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता भी कम हो जाएगी। इससे म्यांमार के पलेतवा तक लगभग 158 किलोमीटर का जलमार्ग बनेगा और इसके आगे होते हुए पलेतवा के ही ज़ोरिनपुई तक लगभग 109 किमी का सड़क भी बनाई जाएगी। इस कनेक्टिविटी को जमकर फायदा होगा और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार की संभावना भी बढ़ जाएगी। सितवे बंदरगाह से भारत की सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अभी जो निर्भरता है वो भी काफी हद तक घट जाएगी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकेन नेक के नाम से भी जाना जाता है और ये भारत का महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। जाहिर है, उत्तर पूर्व के लिए एक और रास्ता मिलने से चीन को मिर्ची लगना तय है।

चीन भी म्यांमार के रास्ते हिंद महासागर तक अपनी पहुंच बनाने में जुटा हुआ है। जिसको लेकर चीन-म्यांमार इकॉनमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जारी है। इस इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए चीन की हिंद महासागर तक पहुंच बन जाएगी। चीन ने रखाइन प्रांत के कयोकप्यू में एक बड़े बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण की योजना बनाई है। इस लिहाज से फिलहाल भारत ने बाजी मार ली है।

संजय सिंह और भगवंत मान को नहीं मिली तिहाड़ में बंद केजरीवाल से मिलने की इजाजत, जानें क्या है वजह

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राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने वाले थे। हालांकि, तिहाड़ प्रशासन ने संजय सिंह और भगवंत मान को मिलने की इजाजत नहीं दी है।जेल प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री मान और संजय सिंह को सीएम केजरीवाल से मिलने से मना कर दिया। अब तिहाड़ जेल प्रशासन मुलाकात के लिए नया समय बताएगा।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आज यानी बुधवार को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करना चाहते थे।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कुछ दिन पहले ही तिहाड़ जेल प्रशासन से अरविंद केजरीवाल से मिलने का समय मांगा था। जिसे लेकर तिहाड़ जेल ने बुधवार को स्थिति स्पष्ट कर दी और आज मिलने की इजाजत नहीं दी। हालांकि तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा है कि वो मिलने का नया समय बताएगी। तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि जेल के अपने नियम होते हैं और जेल मैनुअल के हिसाब से जेल प्रशासन चलता है।

दरअसल, जेल नियमावली के तहत अरविंद केजरीवाल को उन 10 लोगों के नाम तिहाड़ प्रशासन को सौंपने थे, जिनसे वह मुलाकात कर सकते हैं।इन 10 लोगों में सबसे पहले उनके परिवार और पार्टी के नेता संदीप पाठक का नाम शामिल था। बाद में केजरीवाल ने इस लिस्ट में भगवंत मान का और संजय सिंह का नाम भी जोड़ दिया है। 

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और हिरासत में भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने ईडी की इस दलील पर गौर किया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत थे। कोर्ट ने कहा, हमारे सामने रखी गई फाइलें और सबूत से पता चलता है कि ईडी ने कानून का पालन किया है। ट्रायल कोर्ट का आदेश दो लाइन का आदेश नहीं है। ईडी के पास हवाला डीलरों के साथ-साथ गोवा चुनाव में आप उम्मीदवारों के बयान भी हैं।

बता दें कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल को ईडी ने कथित शराब घोटाला मामले में लगातार 9 बार समन भेजने के बाद लंबी पूछताछ के बाद उनके आवास से 21 मार्च को हिरासत में ले लिया था। जिस के बाद अब सीएम केजरीवाल फिलहाल 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसी मामले में आप के दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन भी तिहाड़ जेल में बंद हैं। हालांकि 2 अप्रैल को ही सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में सांसद संजय सिंह को जमानत दी है।

हेमा मालिनी पर टिप्पणी करना रणदीप सुरजेवाला को पड़ा भारी, चुनाव आयोग ने बेजा नोटिस

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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने उन्हें बीजेपी की नेता हेमा मालिनी के खिलाफ बयान देने के मामले में मंगलवार (नौ अप्रैल) को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने उनसे 11 अप्रैल शाम 5 बजे तक जवाब मांगा है।निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी जवाब मांगा है।

चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से इस मामले में एक्शन की मांग की है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके नेता महिलाओं के प्रति सम्मान से पेश आएं. मल्लिकार्जुन खरगे को इस मामले में 11 अप्रैल, 2024 तक जवाब देना होगा कि उन्होंने इस बाबत क्या कदम उठाए।ECI ने कांग्रेस अध्यक्ष से पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा महिलाओं के प्रति सम्मानजनक सार्वजनिक चर्चा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की मांग की। ECI ने दोहराया कि चुनाव अभियान को महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार के अपमान का मंच नहीं बनने दिया जा सकता।

क्या है हेमा मालिनी से जुड़ा मामला

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक अप्रैल को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सुशील गुप्ता के समर्थन में जनसभा की थी। इस दौरान उन्होंने मथुरा की भाजपा सांसद और एक्ट्रेस हेमा मालिनी के खिलाफ विवादित बयान दिया था। इसके बाद उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसे लेकर भाजपा ने पटलवार किया।

महिला आयोग की चेयरपर्सन ने जताई थी आपत्ति

हेमा मालिनी उत्तर प्रदेश की मथुरा लोकसभा सीट से इस बार के चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हैं। रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया ने कांग्रेस नेता पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, रणदीप सुरजेवाला ने ऐसा कहकर मानसिकता दिखाई है। ऐसा कहकर उन्‍होंने यह बताया कि उनकी मां ने उन्हें महिलाओं के लिए किस तरह की परवरिश दी है। मुझे इस बात से हैरानी होती है कि दिखने में इतने अच्‍छे लोग मन के काले कैसे हो सकते हैं। ऐसे तो रणदीप सुरजेवाला महिलाओं को कभी आगे नहीं बढ़ने देंगे।

सुरजेवाला ने दी थी सफाई

हालांकि, चौतरफा घिरने के बाद रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हेमा मालिनी का अपमान करना मेरा इरादा नहीं था। हम महिलाओं को सम्मान करते हैं। सुरजेवाला ने एक वीडियो क्लिप शेयर की, जिसमें वह कह रहे हैं कि हेमा मालिनी ने धर्मेंद्र से शादी की, वह हमारी बहू हैं। हम उनका सम्मान करते हैं।

सऊदी अरब ने पाक पीएम शहबाज की उम्मीदों पर फेरा पानी, कश्मीर पर दिया बड़ा झटका

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बड़े अरमान लेकर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) से मिलने पहुंचे थे। हालांकि, उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा। सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए सुलझाना होगा।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने साझा बयान में कश्मीर समेत अन्य लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत के महत्व पर जोर दिया।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी शासक प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच मक्का के अल-सफा पैलेस में हुई एक आधिकारिक बैठक के एक दिन बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया।बयान के मुताबिक, उनकी चर्चा सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच भाईचारे वाले संबंधों को मजबूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाशने पर केंद्रित रही।

सऊदी ने भारत-पाक में बातचीत का किया आह्वान

बयान में कश्मीर सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की बात कही गई है। सऊदी अरब ने संयुक्त बयान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर विवाद को हल करने के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत के महत्व पर जोर दिया।

सऊदी अरब का बयान पाक के लिए बड़ा झटका

सऊदी अरब के कश्मीर को लेकर दिए गए बयान को पाकिस्तान के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है, दरअसल पाकिस्तान यूएन सहित अन्य वैश्विक मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। वह यूएन के तत्वाधान में जनमत संग्रह का राग भी अलापता रहा है, हालांकि भारत ने हमेशा से ही इसका विरोध किया है और इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताया है। नई दिल्ली का लंबे समय से रुख रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दा हम दो देशों का है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता या हस्तक्षेप का कोई सवाल ही नहीं है।

मिशन 2024 के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान, विदेशी निभाएंगे अहम भूमिका

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मदर ऑफ डेमोक्रेसी यानी भारत में लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो चुका है। लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार प्रसार में जुटी हैं। 19 अप्रैल से शुरू होने वाली वोटिंग को इस बार देश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने वाली बनाने की प्लानिंग कर रही है। इसके लिए इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी कई देशों की राजनीतिक पार्टियों को भारत बुलाकर यहां कैसे चुनाव होता है और किस तरह से बीजेपी प्रचार अभियान चलाती है, उसको दिखाने का प्लान कर रही है।इसको लेकर बीजेपी विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने कई देशों के राजनीतिक दलों से संपर्क किया है और उनको भारत आने का निमंत्रण दिया है।

इन देशों को किया आमंत्रित

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने बड़ी पहल की है। दुनिया के कई देशों को भारतीय लोकतंत्र के उत्सव साक्षी बनाएगी बीजेपी। बीजेपी ने अमेरिका ,ब्रिटेन, यूरोपियन देशों और नेपाल समेत इन देशों की करीब दो दर्जन पार्टियों को भारत आकर लोकसभा चुनाव देखने के लिए आमंत्रित किया है। ब्रिटेन की कंजरवेटिव और लेबर पार्टी, जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और द सोशल डेमोक्रेट्स और अमेरिका की डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन जैसी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों को भारत के लोकतंत्र का उत्सव देखने के लिए आमंत्रित किया गया है। पड़ोसी देश नेपाल की सत्ता में शामिल पांचों दलों को बुलावा भेजा गया है।

अब तक 13 विदेशी राजनीतिक दलों न स्वीकार किया न्योता

फिलहाल इजरायल, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपालमॉरीशस, तंजानिया और युगांडा के कुछ दलों की तरफ से शामिल होने का कन्फर्मेशन भी मिल चुका है। बीजेपी के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने बताया की भारत में किस तरह से चुनाव होता है उसको जानने के लिए विदेशों की कई पार्टियां इच्छुक हैं। इसलिए हम पहली बार कई विदेशी पार्टियों को भारत में कैसे चुनाव होता है वो दिखाने का काम करेंगे. बीजेपी किस तरह से प्रचार करती है उसको दिखाएंगे। अब तक 13 राजनीतिक दलों की तरफ से हमको कन्फर्मेशन आया है। पक्ष और विपक्ष दोनों दल शामिल हैं। इन सभी लोगों को पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की रैलियां में ले जाया जाएगा।

तीसरे और चौथे चरण के दौरान दिखेंगे विदेशी मेहमान

विजय चौथाईवाला ने बताया की इन पार्टियों को तीसरे और चौथे चरण के मतदान के समय इस डेलीगेशन को भारत में ले जाया जाएगा। इस डेलीगेशन को 3-4 लोकसभाओं में घुमाया जायेगा और अपना कैंपेन दिखाया जायेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री, अध्यक्ष और गृहमंत्री की रैलियों में ले जाया जाएगा।