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क्या केजरीवाल जेल से चलाएंगे सरकार ? जानें क्या कहता है कानून

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दिल्ली में सियासी हलचल टरम पर है। गुरूवार शाम ढलते ही राजधानी में सियासी ड्रामा शुरू हो गया। फ्लैग रोड स्थित मुख्यमंत्री निवास पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम पहुंची और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब नीति मामले में पूछताछ शुरू कर दी। रात होते होते ईडी की टीम ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तारी कर लिया। केजरीवाल के अरेस्ट होने के बाद दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, वे जेल से ही सरकार चलाएंगे। केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और रहेंगे। ऐसा कोई कानून नहीं है जो उन्हें जेल से सरकार चलाने से रोक सके।अब सवाल है कि गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे या जेल के भीतर से ही सरकार चलाएंगे। आखिर कानून में इस संबंध में क्या प्रावधान है?

केजरीवाल के जेल जाते ही बड़ा सवाल उठ रहा है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा? आम आदमी पार्टी में यह भी चर्चा आम रही कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। सूत्रों की माने तो मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल में होने की वजह से मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ही कद्दावर नेता बनकर उभरे है। वहीं यह भी कयास लगाया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सत्ता संभाल सकती है। 

क्या है कानूनी प्रावधान

वहीं, कानून की बात कहें तो लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि गिरफ्तारी पर इस्तीफा देने की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो मंत्री को पद से इस्तीफा देना अनिवार्य करता हो। कानून के जानकारों का मानना है कि गिरफ्तारी होने को दोष सिद्धि नहीं माना जा सकता है। इस स्थिति में किसी भी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी होने से तुरंत उनका पद नहीं जा सकता है। दूसरी ओर, एक्सपर्ट यह भी कह रहे हैं कि यह देखना होगा कि जेल से सरकार चलाना कितना प्रैक्टिकल होगा। साथ ही लोकतंत्र की परंपराओं के कितना अनुरूप होगा। इसके लिए जेल के नियमों से लेकर तमाम तरह के पहलुओं पर काफी कुछ डिपेंड करेगा। अगर मुख्यमंत्री जेल से सरकार चलाना चाहेंगे और जेल अथॉरिटी इसके लिए इजाजत देगी तो ऐसा संभव हो सकता है। इसके साथ ही करप्शन केस में गिरफ्तारी के बाद मुकदमा चलाने के लिए गवर्नर की मंजूरी लेनी होती है। ऐसे में जेल से सरकार चलाने प्रैक्टिकली कितना संभव होगा इसको लेकर दुविधा बरकरार है। ऐसे में काफी कुछ कोर्ट पर निर्भर करेगा।

सीएम रहते गिरफ्तार होने वाले पहले नेता

बता दें कि केजरीवाल पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, इससे पहले झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने पद पर रहते हुए हिरासत में लिया था और बाद में राजभवन ले जाकर उन्हें राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने का मौका दिया था। केजरीवाल ने दावा किया है कि वह गिरफ्तार होने के बाद भी सीएम पद नहीं छोड़ेंगे।

आज केजरीवाल को कोर्ट में पेशी करेगी ईडी, गिरफ्तारी के विरोध में आज देशभर में प्रदर्शन

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। केजरीवाल को आज ईडी पीएमएलए कोर्ट में पेश करेगी। ईडी की टीम केजरीवाल को कोर्ट में पेश करके रिमांड की मांग करेगी। वहीं, ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, बीती रात में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था।केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार रात सुप्रीम कोर्ट की कोई विशेष पीठ गठित नहीं की गई। याचिका पर आज सुनवाई होने की संभावना है।

वहीं, केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी देश व्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी। आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, संदीप पाठक और आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया और कहा कि हमारी लड़ाई सड़क से कोर्ट तक चलती रहेगी। दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने कहा कि 2 साल की जांच में एक पैसा न सीबीआई को मिला न ही ईडीको, लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा होती है, अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि दो मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया गया, एक पार्टी के खाते को सीज किया गया। ईडी को हथियार बनाकर राजनीति करना छोड़ें, हमारी लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक में चलेगी।

क्या इंडिया ब्लॉक भी प्रदर्शन में होगा साथ ?

आप नेता गोपाल राय ने कहा कि लंबी कुर्बानी के बाद इस देश को संविधान मिला था और उसने जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया था, लेकिन आज पूरा देश स्तब्ध है कि अदालत में मामला विचाराधीन होने के बावजूद पीएम मोदी ने प्रचंड बहुमत से चुने हुए मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया है। गोपाल राय ने कहा कि आज हमारा ओपन प्रोटेस्ट है, जो भी इस तानाशाही के खिलाफ हैं, सबका स्वागत है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि हम उन्हें सूचित करें, सभी इंडिया ब्लॉक के लोग इस लड़ाई में साथ हैं।

सीएम रहते गिरफ्तार होने वाले पहले नेता

केजरीवाल पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, इससे पहले झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने पद पर रहते हुए हिरासत में लिया था और बाद में राजभवन ले जाकर उन्हें राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने का मौका दिया था। केजरीवाल ने दावा किया है कि वह गिरफ्तार होने के बाद भी सीएम पद नहीं छोड़ेंगे।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार, शराब घोटाला मामले में ईडी का बड़ा एक्शन

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दिल्ली के कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। देर शाम सीएम केजरीवाल के घर पहुंची ईडी की टीम ने उनसे करीब दो घंटे तक पूछताछ की, इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से बयान जारी किया गया है, इसमें कहा गया है कि सीएम केजरीवाल पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हम अपनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे। वहीं केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ अर्जी भी दाखिल कर दी गई है। उधर ईडी मुख्यालय में केजरीवाल का मेडिकल कराए जाने की तैयारी है।

ऐसा तब हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को झटका देते हुए गुरुवार को कहा कि उन्हें गिरफ्तारी से राहत नहीं मिलेगी। क्योंकि वे समन पर पूछताछ के लिए नहीं पहुंच रहे थे। कोर्ट ने साफ कहा था कि ईडी के सामने पेश होना होगा और गिरफ्तारी पर रोक भी नहीं है।

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के घर पूछताछ के लिए पहुंची ईडी की टीम, लटकी गिरफ्तारी की तलवार

#ed_team_reached_delhi_cm_arvind_kejriwal 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास ईडी की टीम पहुंची है। उनके सरकारी आवास के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि आवास के अंदर अरविंद केजरीवाल के आवास पर ईडी के दस अधिकारी पहुंचे हैं। ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि अभी फ़िलहाल केजरीवाल से पूछताछ की जाएगी। इसके साथ ही ईडी अपने साथ सर्च वारंट लेकर भी पहुंची है। जांच एजेंसी पूरे घर की तलाशी भी लेगी। वहीं गुरुवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। 

 ईडी की टीम मुख्यमंत्री को 10वां समन देने पहुंची है। इससे पहले आज दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। जिस पर कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत देने से मना कर दिया।दिल्ली के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट से फौरी राहत की मांग की थी। कोर्ट ने फिलहाल दिल्ली सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा दो सप्ताह में ईडी से जवाब देने को कहा था।

उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कथित शराब नीति मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए इस चरण में दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा हमने दोनों पक्षों को सुना है हालाँकि इस स्तर पर हम किसी भी आदेश को पारित करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।

इंदौर से अक्षय कांति, सिंधिया के खिलाफ अरुण यादव, इस सीट से लड़ेंगे दिग्विजय सिंह! कांग्रेस CEC की बैठक में फैसला

कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक जारी है. सूत्रों के अनुसार जल्द ही कांग्रेस सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है. सूत्रों के अनुसार सामने आया है कि दिग्विजय सिंह को राजगढ़ से टिकट दी जा सकती है. वहीं गुना से सिंधिया के खिलाफ अरुण यादव को उतारे जाने की खबर है. इसी तरह सूत्रों के मुताबिक, सामने आया है कि झाबुआ से कांतिलाल भूरिया चुनावी मैदान में ताल ठोंक सकते हैं. इंदौर से अक्षय कांति बम को शंकर लालवानी के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने ED से कहा- अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबूत हैं तो हमें दिखाएं..

ईडी के समन के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. अब दिल्ली हाई कोर्ट से उन्हें इस मामले में राहत मिलती नजर आ रही है. दरअसल, गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से कहा कि अगर उनके पास सीएम केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत हैं तो उन्हें दिखाएं.

इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नोटिसों के बाद दिल्ली सीएम केजरीवाल ने पूछताछ के लिए आने से पहले गिरफ्तार ना करने की गारंटी मांगी थी. सुनवाई के दौरान सीएम केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल ईडी के सामने पूछताछ के लिए आएंगे, लेकिन कोर्ट में ईडी ये कहे कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

केजरीवाल की तरफ से पेश हुए उनके वकील सिंघवी ने कहा कि वे पहले भी कई बार कोर्ट में पेश हो चुके हैं. केजरीवाल की तरफ से सवाल किया गया कि क्या वह वरिष्ठ जजों की खंडपीठ के सामने अपील नहीं कर सकते कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए. उन्होंने कहा कि इस आश्वासन के बाद उन्हें भी पेश होने में कोई आपत्ति नहीं है.सिंघवी ने कई अदालतों के पुराने आदेशों का हवाला दिया, जिनमें आरोपी या वांछित को किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से अभय दान दिया गया है.

सुनवाई के दौरान केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि जब तक ईडी उनकी याचिका पर जवाब दाखिल ना कर दे, तब तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. इस दौरान एएसजी राजू ने कहा कि इन मामलों को मिसाल के तौर पर कैसे गिनाया जा सकता है? बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 9वीं बार समन भेजते हुए 21 मार्च यानी आज बुलाया था. पूछताछ से पहले उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग की है. बुधवार को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल की तारीख लगाई है. इससे पहले भेजे गए समन पर पेश नहीं होने के मामले में उन्हें शनिवार को ही दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिली है.

बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 9वीं बार समन भेजते हुए 21 मार्च यानी आज बुलाया था. पूछताछ से पहले उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग की है. बुधवार को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल की तारीख लगाई है. इससे पहले भेजे गए समन पर पेश नहीं होने के मामले में उन्हें शनिवार को ही दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिली है.

अरविंद केजरीवाल को लेकर बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कहा कि दिल्ली के सीएम फिर से ईडी के समन से बच रहे हैं. (अरविंद केजरीवाल) आप सरकार से क्यों भाग रहे हैं, यह तो आप ही जानते हैं. आप कानून का अपमान कर रहे हैं. आप नहीं कानून ऊपर है. कृपया कानून और व्यवस्था का सम्मान करें. जिस तरह से आप भाग रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि आप कुछ छिपा रहे हैं.

बीजेपी की तीसरी लिस्ट जारी, तमिलनाडु की नौ सीटों पर प्रत्याशियों का एलान, पूर्व राज्यपाल अन्नामलाई को भी मिला मौका

#lok_sabha_chunav_bjp_third_list_of_candidates 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी है, इसमें तमिलनाडु की 9 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है। इसमें केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन का भी नाम शामिल हैं, जो नीलगिरी से चुनाव लड़ेंगे। अभी ए राजा यहां से सांसद हैं। इसके बाद भाजपा ने कोयंबटूर से ए अन्नामलाई को बीजेपी उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है। सूची में तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन का भी नाम है, जिन्हें साउथ चेन्नई से मैदान में उतारा गया है।

तीसरी लिस्ट में ये नाम

चेन्नई सेंट्रल – तमिलिसाई सौंदर्यराजन

नीलगिरी – एल मुरुगन

कोयंबटूर – ए अन्नामलाई

चेन्नई सेंट्रल – विनोज पी सेल्वम

वेल्लोर- एसी शम्मुगम

कृष्णगिरि- सी नरसिम्हा

पेराम्बलुर – टी आर पारिवेंदर

थुथुक्कुड़ी – नेनार नागेंद्रन

कन्याकुमारी- पोन राधाकृष्णन

भाजपा की पहली सूची में 195 नामों का एलान किया गया था, जिसमें 34 केंद्रीय और राज्य मंत्रियों के नाम सूची में थे। पहली सूची में 28 महिलाओं को भी मौका दिया गया था। दूसरी सूची में 72 नामों को शामिल किया गया था। 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में नागपुर से नितिन गडकरी और हमीरपुर से अनुराग ठाकुर को टिकट दिया गया था।

पीएम मोदी के 'विकसित भारत' मैसेज पर चुनाव आयोग सख्त, आईटी मंत्रालय को दिया ये आदेश

#national_election_commission_strict_on_pm_modi_developed 

देश में आम चुनाव की घोषणा हो गई है। इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा आम लोगों को भेजे जा रहे 'विकसित भारत' टाइटल वाले वॉट्सऐप संदेश पर चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है। निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'विकसित भारत संपर्क' के तहत व्हाट्सएप संदेश भेजना तुरंत बंद करे। दरअसल, बीते दिन बड़ी संख्या में लोगों को 'विकसित भारत संपर्क' के तहत व्हाट्सएप संदेश भेजे गए थे। इसका मकसद सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है। मामले की शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश जारी किए।

चुनाव आयोग ने गुरुवार को तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय यानी आईटी मिनिस्ट्री को वॉट्सऐप पर भेजे जा रहे विकसित भारत मैसेज तुरंत रोकने का निर्देश दिया है। आयोग को शिकायत मिली थी कि लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा और आचार संहिता लागू होने के बावजूद सरकार की योजनाएं बताने वाले मैसेज आम लोगों को भेजे जा रहे हैं।

हालांकि, इसके जवाब में आईटी मंत्रालय ने आयोग को सूचित किया कि यद्यपि पत्र आचार संहिता लागू होने से पहले भेजे गए थे, उनमें से कुछ प्रणालीगत और नेटवर्क सीमाओं के कारण संभवतः देरी से लोगों तक पहुंचे हैं।

चुनाव आयोग ने 16 मार्च को 7 चरणों में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। जिसके तुरंत बाद ही आचार संहिता लागू हो चुकी है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर होना है। आचार संहिता लागू होने के साथ ही इसके उल्लंघन की शिकायतें भी दर्ज होने लगी हैं। पीएम मोदी के खिलाफ तो 24 घंटे में 2 शिकायतें आयोग तक पहुंच चुकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना पर लगाई रोक, कहा-ये अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा

#national_supreme_court_bans_centre_govt_fact_check_unit 

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से जारी फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।सुप्रीम कोर्ट ने आईटी संशोधन नियम 2023 के तहत केंद्र सरकार द्वारा फैक्ट चेक यूनिट की 20 मार्च की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।कोर्ट ने कहा कि यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी का है। 

सरकार ने 20 मार्च को ही आईटी (संशोधन) कानून के तहत फैक्ट चेक यूनिट के नियम लागू किए थे। आईटी संशोधन कानून 2023 के नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले तक फैक्ट चेक यूनिट के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी और झूठी खबरों की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, एक्स या इंस्टाग्राम आदि पर कंटेंट की निगरानी करेगी और ये यूनिट किसी जानकारी को फर्जी या गलत बता सकती है। फैक्ट चेक यूनिट की आपत्ति के बाद उस कंटेंट या पोस्ट को सोशल मीडिया से हटाना होगा और इंटरनेट से उसका यूआरएल भी ब्लॉक करना होगा। फैक्ट चेक यूनिट एक नोडल एजेंसी होगी।

आईटी नियमों में संशोधन के खिलाफ स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में आईटी संशोधन कानून के नियमों को असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया। एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि फर्जी खबरें तय करने की पूरी शक्ति सरकार के हाथ में आ जाएगी, जो कि मीडिया की आजादी के विरोध में है।

सुप्रीम कोर्ट का दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार, कहा- चुनाव नजदीक, ऐसा करने से सिस्टम बिखर जाएगा

#supreme_court_refuses_to_hold_newly_appointed_election_commissioners 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, सुप्रीम कोर्ट से सरकार के लिए राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून पर अभी रोक लगाने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि कारण बाद में बताए जाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा करने से अव्‍यवस्‍था की स्थिति बन सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चुने गए चुनाव आयुक्तों की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा है, बल्कि उस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है, जिसके तहत चयन किया गया। नए कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पीठ ने कहा कि इस समय हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं। इससे अव्यवस्था और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी। हम अंतरिम आदेश के जरिए इस पर रोक नहीं लगा सकते। नए निर्वाचन आयुक्तों पर तो कोई भी आरोप नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि ईसी कार्यपालिका के अधीन है। देश में बहुत अच्छे चुनाव आयुक्त रहे हैं।

मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने की। उन्होंने केंद्र से पूछा कि चयन समिति को उम्मीदवारों के नाम पर विचार करने वक्त क्यों नहीं दिया। कोर्ट ने 2023 अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी

बता दें कि अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद निर्वाचन आयोग में ये पद खाली हो गए थे, जिसके बाद दोनों की नियुक्ति हुई थी।

हालांकि, याचिका खाारिज करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दो घंटे में 200 लोगों की स्क्रीनिंग कैसे हो गई? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने एसजी से पूछा कि क्या नेता प्रतिपक्ष को समय नहीं देना चाहिए था? 200 नामों के लिए उनको सिर्फ दो घंटे क्यों दिए… पारदर्शिता सिर्फ होना ही नहीं दिखना भी चाहिए।