क्या सीएए लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर पड़ेगा कोई प्रभाव, मुस्लिम प्रवासियों का क्या होगा ?
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देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।जब भारत में आम चुनाव कुछ ही हफ़्तों बाद होने जा रहे हैं, उसके ठीक पहले गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया।नागरिकता संशोधन नियम लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता बिना वैध पासपोर्ट और भारत के वीज़ा के बिना मिल सकती है। हालांकि जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया है, तब से ही इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है।
सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। इन तमाम तरह की भ्रांतियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरी अफवाह करार देते हुए स्पष्ट किया है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कानून में उनकी भारतीय नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। देश के वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों की नागरिकता और अधिकारों के अधिकार एकदम हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही हैं। नागरिकता कानून का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके। बता दें कि सीएए में तीन देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ये देश हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। जिन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जानी है उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के वो लोग शामिल हैं, जो अपने मुल्क में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बताया, लेकिन सच ये है कि मुस्लिमों को नागरिकता देने का काम पुराने कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।
गृह मंत्रालय ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं। ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। मंत्रालय ने आगे कहा, सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है। इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून में देश में रह रहे अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की यह चिंता की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। पूरी तरह से निराधार है।
Mar 13 2024, 15:09