टीएमसी ने अधीर के सामने यूसुफ पठान को मैदान में उतारा, तो क्या बहरामपुर में होने जा रहा है खेला ?
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देश चुनावी रंग में रंगता जा रहा है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं। सभी दल धीरे-धीरे चुनावी दंगाल में अपने-अपने “पहलवानों” को उतारनें में लगी हुई हैं। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। कुल 42 सीटों पर टीएमसी ने एक साथ उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। पहले ही बंगाल में टीएमसी ये कह चुकी है कि वो अकेले चुनाव लड़ेगी और जीत का लक्ष्य लिए उम्मीदवारों के नाम का भी ऐलान कर दिया गया।
टीएमसी की ओर से लिस्ट जारी होने के बाद अगर किसी सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो तो वो है मुर्शिदाबाद जिले की बहरामपुर सीट। टीएमसी की ओर से यहां से क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारे जाने की चर्चा गुजरात तक हो रही है। एक तरफ सियासत के दिग्गज, दूसरी तरफ क्रिकेट के धुरंधर। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की बहरामपुर लोकसभा सीट पर इस बार बेहद जबरदस्त मुकाबला होगा, जहां पांच बार के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज यूसुफ पठान तृणमूल कांग्रेस से चुनौती देंगे।
टीएमसी नेतृत्व ने यूसुफ पठान के तौर पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है। केकेआर के लिए खेलने के कारण यूसुफ राज्य में जाना-पहचाना चेहरा हैं। बंगाल में क्रिकेट बेहद लोकप्रिय है। यूसुफ न सिर्फ क्रिकेट जगत का चर्चित चेहरा हैं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय से भी हैं। मालूम हो कि मुर्शिदाबाद की 65 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या दीदी ने कांग्रेस के इस दिग्गज को उनकी मौजूदा संसदीय सीट पर ही फंसा दिया है?
दरअसल, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी हमेशा से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी में एक्टिव रहे। इंडिया अलायंस के दौरान भी कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश ममता बनर्जी को साथ रखने की थी लेकिन अधीर रंजन का अंदाज बिल्कुल अलग था। उन्होंने इस गठबंधन का लगातार विरोध किया। खुद टीएमसी की ओर से साफ कर दिया गया था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने में बड़ा रोल अधीर रंजन चौधरी का था। अब जिस तरह से 2024 के रण में टीएमसी ने बहरामपुर की सियासी पिच पर पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारा वो किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं लग रहा।
बता दें कि बहरामपुर को बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर का गढ़ माना जाता है। उनका हर बार भारी वोटों से जीतने का रिकॉर्ड रहा है।2014 में केंद्र में कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी कारक और 2019 में मोदी लहर के बावजूद अधीर को कोई हिला नहीं पाया था। अब देखना है कि 2007 में टी-20 विश्वकप व 2011 में वनडे विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे यूसुफ तृणमूल को बहरामपुर सीट जिता पाते हैं या नहीं।
Mar 11 2024, 17:47