तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने दो मिनट से भी कम समय में खत्म किया अपना अभिभाषण, जानें क्या है वजह?
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तमिलनाडु में राज्यपाल और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) सरकार के बीच विवाद फिर सामने आया है। दरअसल, विधानसभा में राज्यपाल आरएन रवि ने सोमवार को अपना अभिभाषण कुछ ही मिनटों के भीतर समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अभिभाषण की सामग्री को लेकर सरकार से सहमत नहीं हैं।उन्होंने 'राष्ट्रगान’ का कथित तौर पर सम्मान न करने के लिए डीएमके शासन की आलोचना भी की।बता दें कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच कई बार तनातनी हो चुकी है।
हर साल जब विधान सभा बुलाई जाती है तो राज्यपाल की ओर से अभिभाषण देने की परंपरा रही है। इसमें राज्य सरकार की नीतियां, कार्ययोजनाएं और उपलब्धियां शामिल होती हैं। लेकिन तमिलनाडु में इसके उलट देखा गया।चूंकि यह चालू वर्ष का पहला सत्र था, इसलिए राज्यपाल को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया था। वे सुबह 10 बजे शुरू हुए। सबसे पहले तमिल थाई अभिवादन गाया गया। उसके बाद राज्यपाल आरएन रवि का संबोधन हुआ। इसकी शुरुआत भी तमिल में हुई। नमस्कार अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्रियों और सदन के सदस्यों।राज्यपाल रवि ने कहा, मेरे बार-बार अनुरोध और सलाह के बाद भी राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान नहीं दिखाया जा रहा है। इसके साथ ही संबोधन की शुरुआत और अंत में इसे बजाने के मेरे अनुरोध को नजरअंदाज भी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा, 'इस अभिभाषण में कई ऐसे अंश हैं जिनसे मैं तथ्यात्मक और नैतिक आधार पर सहमत नहीं हूं। मेरा इसे पढ़ना एक संवैधानिक उपहास होगा। इसलिए सभा के सम्मान में, मैं अपना अभिभाषण यहीं समाप्त करता हूं। लोगों की भलाई के लिए इस सदन में सार्थक और स्वस्थ चर्चा की कामना करता हूं।' इसमें उन्होंने 1 मिनट 19 सेकेंड का समय लिया। राज्यपाल का अभिभाषण तत्काल समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने तमिल में भाषण को पूरा पढ़ा।
इस राज्य के गर्वनर ने ऐसा ही किया था
तमिलनाडु के राज्यपाल रवि ने विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और विधायकों को तमिल में शुभकामनाएं देने के बाद सरकार के साथ अपनी असहमति व्यक्त करने के कुछ ही मिनटों के भीतर अपना भाषण समाप्त कर दिया। हाल ही में, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी अपना पारंपरिक संबोधन कुछ ही मिनटों में समाप्त कर दिया था और केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़ा था।
राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच पहले भी हो चुकी है तनातनी
बता दें कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच कई बार तनातनी हो चुकी है। वह नौकरी के बदलने नकदी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद बिजली व आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी को बिना सीएम की सलाह लिए सीधे बर्खास्त करने का आदेश देकर विवादों में आ गए थे। हालांकि, कुछ घंटों में ही राजभवन ने फैसले पर रोक लगाते हुए अटॉर्नी जनरल से सलाह लेने की बात कही थी। स्टालिन सरकार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस फैसले के कारण आरएन रवि पर लगातार हमलावर रहे हैं।
Feb 12 2024, 13:38