फिर क्यों दिल्ली कूच की तैयारी में किसान, जानें किन मांगों के लिए हो रहा आंदोलन?
#why_farmer_agitation_started_again_what_are_their_demands
अपने एक साल के लंबे आंदोलन के बाद कृषि कानूनों को निरस्त करवाने में कामयाब रहे किसान एक बार फिर आंदोलन के लिए तैयारी हो रहे हैं।किसानों के दो बड़े संगठनों, संयुक्त संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनैतिक) और किसान मज़दूर मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को 'दिल्ली कूच' का नारा दिया है। पंजाब-हरियाणा के साथ ही कई और राज्यों के किसान दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को एक दिन का ग्रामीण भारत बंद करने का आह्वान किया है।
किसानों का दिल्ली चलो मार्च काफी हद तक किसान आंदोलन 2020-2021 से मिलता जुलता लग रहा है। पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने वाले हैं।इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर-ट्राली और राशन भी लेकर आने वाले हैं।यानी पिछली बार की तरह इस बार किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है।
दो साल पहले दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का आंदोलन इतना मुखर था कि नरेंद्र मोदी सरकार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून -2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द करना पड़ा था। ऐसे में किसान अपने पहले आंदोलन से सीख लेते हुए अड़े रहने के मूड में आ रहे हैं।किसान अब अपनी नई मांगों को मानने के लिए दबाव बनाने की तैयारी में हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है किसान किन मांगों को लेकर आंदोलन का मूड बना चुके हैं।
ये हैं किसानों की मांगें
1. किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है।
2. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे है।
3. आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं।
4. किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं
5. भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए।
6. कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
7. किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए।
8. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
9. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए।
10. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।
Feb 12 2024, 13:02