सरायकेला : मछली मरने से मत्स्य किसान मित्रो को सताने लगा चिंता, मत्स्य विभाग भी उदासीन,किसानों में नाराजगी।
सराईकेला : कोल्हान के बहुउद्देशीय परियोजना के तहत मत्स्य जीवी स्वावलंबी सहकारी समिति को नौका बिहार के साथ मछली उत्पादन के लिए जुड़े ह
हैं ,साथ ही चांडिल जलाशय के विभिन्न समितियां को मत्स्य विभाग सरायकेला की तरफ से पंगास मछली का बच्चा दिया जाता है ।
विभागीय लापरवाही के कारण आज चांडिल डैम जलाशय में केज कल्चर से मछली पालन में उत्पादन घटा।दूसरी तरफ लाभुको अपना योजना का बैंक खाता खोलने के लिए कुकडू से 60 किलोमीटर दूरी सरायकेला मत्स्य विभाग जाना पड़ रहा है।
पोषक क्षेत्र में बैंक की कमी है,इस क्षेत्र में सैकडो बैंक पड़े हैं।जिला मत्स्य विभाग के पदाधिकारी किसानों से दूरी बनाकर चल रहे हैं जिससे किसानों में मायूसी है।
विस्थापत किसानो को राज्य के मत्स्य विभाग द्वारा वर्ष 2011 और 2012 से सुचारू रूप से पंगास मछली के साथ तेलेपिया मछली केज कल्चर के माध्यम से पालन हो रहा है। जिसमे डैम जलाश्य में कोई समिति लाभुक जुड़े हुए हैं।
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के चांडिल डेम में 22000 हजार हैक्टर जलाश्य में 2011 ओर 12 बर्ष से पंगास मछली के साथ तेलेपिया मछली का उत्पादन होने जा रहा है।
एक महीना से प्रतिदिन सैकड़ो की तादात से मछली मरने लगा है जिससे मत्स्य मित्रो चिंता में डूबे हुए है। इन लोगो का कहना है कि जिला मत्स्य विभाग सरायकेला द्वारा हम लोगो के कहने पर कुछ भी बातो का अमल नहीं किया जा रहा है जिससे मछली की बीमारी (फंगस बीमारी) जो मछली के शरीर के ऊपर फुल जाते हैं जिसका इलाज पोटेशियम पार्मेग्नेट ,हल्दी,और साफ सफाई कमी बताया जाता है।
मत्स्य विभाग के प्रचार पसार पदाधिकारी कभी भी विजिट करने नही पहुचते ना मत्स्य मित्रो को मछली पर होने वाले बीमारी जानकारी और उपचार के लिए दावा की सुविधा उपलब्ध नहीं कराया गया। जिससे विस्थापित मत्स्य मित्रो विभाग के प्रति नाराजगी जाहिर किया है ।
मत्स्य मित्रों किसान लोगों के निजी स्तर से मछली का उत्पादन करने लगा है और मछली मरते देख कर लोगो के चेहरे में आक्रोशित देखा गया ।
मत्स्य विभाग द्वारा 70 लाभुको सात हजार करके पंगास मछली का फिंगर मछली बच्चा दिया गया। किसान का कहना है कि 15 से 20 दिनो से केज कल्चर में मछली मरने लगा है ।
कारण लाभुको को ठंड के समय किस प्रकार मछली की देख रैक करना चाहिए इस जानकारी और प्रशिक्षण नही दिया गया ।
किसान मत्स्य मित्रो ने बताया की विभाग के कोई भी पदाधिकारी चांडिल जलाश्य क्षेत्र में विजिट नही करते है।
Feb 03 2024, 20:59