सरायकेला : चांडिल प्रखण्ड अंतर्गत हारूडीह गांव में विदु-चांदान ओल इतुन आसड़ा का उद्घाटन
सरायकेला : चांडिल प्रखण्ड अंतर्गत हारूडीह गांव में विदु-चांदान ओल इतुन आसड़ा का उद्घाटन किया गया। आज से यहां प्रति शनिवार और रविवार को ओलचिकी लिपि में संताली भाषा का पठन-पाठन संचालित होगा। शिक्षक के रूप में अखिल भारतीय संताली लेखक संघ झारखंड शाखा के कार्यकारिणी सदस्य सत्यरंजन सोरेन को चयन किया गया है।
ओल इतुन आसड़ा का उद्घाटन संताली लिपि ओलचिकी के देवी-देवता विदु-चांदान की पूजा अर्चना कर और ओलचिकी जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया। सामुहिक हिताल प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया।
इस मौके पर एक सभा का भी आयोजन किया गया। सभी अतिथियों को गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया गया। बारहा दिशम घाट पारगाना बाबा सोमनाथ हांसदा ने कहा संताली भाषा और उसकी लिपि ओलचिकी संताल समाज का पहचान है। समाज के लोगों को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा आइए संताली भाषा के एकमात्र लिपि ओलचिकी लिपि को अपनाएं और संताली भाषा को समृद्ध बनाएं।
अखिल भारतीय संताली लेखक संघ झारखंड शाखा सचिव सुधीर चंद्र मुर्मू ने संताली लिपि ओलचिकी पर जोर देते हुए कहा कि ओलचिकी लिपि का आविष्कार पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा वर्ष 1925 में किया गया था और 2025 में एक-सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। संताल समाज के विभिन्न संगठनों के साथ साथ अखिल भारतीय संताली लेखक संघ के द्वारा भी मिशन के तर्ज पर ओलचिकी लिपि का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
इस सिलसिले में अखिल भारतीय संताली लेखक संघ झारखंड शाखा की ओर से सूपर हांड्रेड पोयेम, स्टोरी, एसे लेखन के माध्यम से एक-सौ संताली लेखकों के लेखनी को संग्रहित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने के लिए विगत वर्ष 2023 से अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा चाहे किसी भी रूप में जाहां भी संताली भाषा को लिखित रूप देने के क्रम में सिर्फ और सिर्फ ओलचिकी लिपि का ही उपयोग में लाया जाय।
संताली भाषा के साथ-साथ दुनिया के किसी भी भाषा को संताली लिपि ओलचिकी से शुद्धता के साथ लिखा और पढ़ा जा सकता है। इसलिए इस तरह के ओलचिकी शिक्षण विद्यालय संचालित कर समाज के लोगों इस एक-सौ वर्षों में घर घर हर घर ओलचिकी लिपि को पंहुचाने का काम करें। डॉ अर्जून टुडू ने रघुनाथ मुर्मू के जीवनी और उनके द्वारा ओलचिकी अविष्कार के बारे में विस्तृत जानकारियां दी। इस अवसर पर डॉ सत्यनारायण मुर्मू ने विदु-चांदान ओल इतुन आसड़ा हारूडीह के 50 (पचास) छात्र-छात्राओं को रघुनाथ मुर्मू द्वारा रचित संताली ओलचिकी लिपि शिक्षण पुस्तक ओल चेमेद और लाकचार सेरेञ पुथि प्रदान किया गया।
उन्होंने आशीर्वचन देते हुए कहा कि संताल समाज का उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। इस मौके पर समाज सेवी अनिमा टुडू, कारणा मुर्मू, बाबुलाल सोरेन, बद्रीनाथ मार्डी, लखी मार्डी, सोनाराम बेसरा, विभूति मार्डी आदि ने भी अपना बातों को रखा। इस मौके पर सांस्कृतिक नाच-गान का भी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन लेदेम मार्डी किया तथा सुनील बेसरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नरेंद्र माझी, रतन मार्डी, सीताराम बेसरा, फुलमनी सोरेन, नेहा मुर्मू, कुलोमनी मुर्मू, शिवानी टुडू, रुपाली मुर्मू, बालिका माझी, संतोष हांसदा, दुःखु बेसरा, पार्वती माझी, लखीमनी सोरेन, मंगल हांसदा, सुसारी मार्डी, लक्ष्मी बेसरा, कमली बेसरा, सनका बेसरा, उर्मिला बेसरा, बिष्टु बेसरा, सुशील बेसरा, होपोन हांसदा, भास्कर हांसदा, करण हांसदा, शिखर हांसदा, कालीचरण हांसदा आदि उपस्थित थे।
Jan 17 2024, 18:13