सरायकेला :मां खेलाई चंडी परिसर में उमड़े भक्तो की भीड़ , चढ़ाया प्रसाद
सरायकेला : कोल्हान के यह प्रसिद्ध खेलाई चंडी मेला माघ महीना के आखान यात्रा के दिन लगता है। जहां राज्य के साथ पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि जगहों से श्रद्धालु पहुंचे। मांगे गए मन्नत के अनुसार महिलाए और बच्चे तलाव से तीन बार मिट्टी माथे में उठा तलाव के बेड़ में डाला गया ।
साथ ही महिलाओं श्रद्धालु द्वारा तलाब में डुमकी लगाकर भीगे हुए अवस्था में डंडी देते हुए (मां दुर्गा रूपी) खेलाई चंडी पूजा स्थान पहुंचे ।और सभी भक्तो श्रद्धालुओं द्वारा सिन्नी प्रसाद और बत्तक ,बकरा चढ़ाया गया ।
जमशेदपुर से इंद्रिका चटर्जी
ने। बताया कि हमारे बेटी की तवीयत ठीक नही थी तभी मन्नत मांगे थे मां ने मेरा मन्नत सुनी और मेरी मनोकामनाएं पूरी की जिससे हम लोग सुबह सपरिवार पहुंचकर पूजा अर्चना किये।
मन्नत के अनुसार सुबह से महिलाए श्रद्धालू खेलाई चंडी मेला पहुंचे और तलाब में नहाकर पूजा अर्चना करने लगा ,मन्नत के भक्तो द्वारा मिट्टी उठाना ,डंडी देना ।प्राचीन काल से चला आ रहा है।उसके अनुसार एक उसी गांव के दो ग्रामीण उपवास रहकर , गाटिया से मिट्टी काटने का कार्य करते हैं वे भी आपने माथे में मिट्टी का ढेला लेकर तीन बार आड़ी में डालते है। मांगे गए मन्नत पूरा होने के बाद यह प्रथा चली आ रही है ।
पुजारी तपन गोस्वामी पश्चिम बंगाल ने बताया की आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगो के लिए मां का आश्रीवाद बना रहता है।
नीमडीह थाना क्षेत्र के सामानपुर पंचायत के अधीन बामनी दलमा पर्वत श्रृंखला से जुड़े छोटे बड़े पर्वत की तराई पर यहां वर्षों से मेला लगता आ रहा है।
मां चंडी (दुर्गा) की पूजा शाल पेड़ के नीचे और शिलापट में पूजा अर्चना किया जाता है ।झारखंड राज्य के साथ पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि राज्यों से श्रद्धालू भक्त मां खेलाचंडी की दरबार में पहुंचते हैं।
वहां के एक पेड़ के नीचे दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर का एक महंत ने 200 वर्षों तक तपस्या किया
असित सिंह पातर
ने कहा हमारे जमीदार के कार्यकाल के समय में बामनी गांव के राजा के पूर्वज द्वारा मां दुर्गा देवी का चंडी पूजा कराने के लिए । राणी द्वारा राजा से कहा था मां चंडी का पाठ अनुष्ठान करना है।जो पंडित हमारे मां के घर से बुलाइए।साथ ही इस समय एक दलमा मंदिर से उन मुनि ऋषि को भी आमंत्रण किया गया।
मां चंडी का पाठ से।रानी प्रसन्न होकर ऋषि को बामनी गांव में ठहरने को कहा परंतु उस मुनि द्वारा घर रहना,एक ऋषि मुनि के लिए ठीक नही उसी समय इस स्थान पर रहकर मुनि ने तपस्या करने लगा और इस
समाधि लिया ।
उसके बाद उस स्थान में जो श्रद्धालु मनोकामना करते हैं मां उसके द्वारा मांगे गए मन्नत को पूरा करते हैं।आज यह प्राचीन कथा है ,जो आस्था को लेकर मां की पूजा वार्षिक एक बार ही होता है। इस मेला में ,जहा श्रद्धालू मन्नत मांगे अनुसार ,इस तलाब में नहाकर तीन बार मिट्टी आपने मास्तिक में उठाकर तलाव के आड़ी में डालता है।
और देखते ही देखते यह गढ़ानुमा यह तलाब में परिणत हो गया है।सैकडो की तादात से श्रद्धालु पहुंचे ।
Jan 16 2024, 20:32