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चीन से लौटने के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने फिर दिखाया तेवर, भारत से अपने सैन्यबलों को हटाने की मांग दोहराई, 15 मार्च तक का अल्टीमेटम

#mohamed_muizzu_asked_india_to_withdraw_its_military_by_march_15 

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक बार फिर तेवर दिखाए हैं।चीन से लौटते ही मुइज्जू ने कह दिया है कि भारत 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटा लें।लगभग दो महीने पहले राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने मालदीव में तैनात दूसरे देश के सैनिकों को हटाने का एलान किया था। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में India Out जैसा नारा भी दिया। एक दिन पहले उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा था कि किसी देश के पास मालदीव को धमकाने का अधिकार नहीं है।बता दें कि मुइज्जू शनिवार को चीन के पांच दिवसीय राजकीय दौरे से वापस लौटे हैं। वापस लौटते ही मुइज्जू का यह नया तेवर देखने को मिला है।

पिछले कई साल से भारतीय सेना की एक टुकड़ी मालदीव में तैनात है। इस टुकड़ी को मालदीव की पिछली सरकार के आग्रह पर वहां तैनात किया गया था। भारतीय सेना की ये टुकड़ी समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ आपदा राहत कार्यों में मालदीव की सेना की मदद करती है, लेकिन अब मुइज्जू की सरकार ने भारतीय सेना की टुकड़ी को 15 मार्च तक मालदीव छोड़ने का फरमान सुना दिया है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव में भारतीय सेना के 88 जवान मौजूद हैं। मुइज्जू सरकार करीब दो महीने पहले भारतीय सैनिकों की वापसी का आह्वान किया था, लेकिन अब उन्होंने इसके लिए समय सीमा भी तय कर दी है।

सन ऑनलाइन अखबार की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, राष्ट्रपति कार्यालय में पब्‍ल‍िक पॉल‍िसी सेक्रेटरी अब्दुल्ला नाज़िम इब्राहिम ने प्रेस ब्रीफ‍िंग के दौरान कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक अपने सैन‍िकों को वापस बुलाने को कहा है। उन्‍होंने यह भी साफ क‍िया है क‍ि भारतीय सैन‍िक मालदीव में नहीं रह सकते। नाज‍िम ने मालदीव सरकार की पॉल‍िसी का हवाला देते हुए कहा कि यह राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू और उनकी प्रशासनिक नीति है।

सेक्रेटरी ने इस बात का भी दावा क‍िया है क‍ि दोनों देशों के बीच सैन‍िकों की वापसी के मुद्दे को लेकर एक हाई लेवल कोर ग्रुप का गठन भी क‍िया गया है। माले स्‍थ‍ित व‍िदेश मंत्रालय हेडक्‍वार्टर में कोर ग्रुप की पहली बैठक रव‍िवार को आयोज‍ित की गई। इसमें दोनों देशों के अध‍िकार‍ी भी शाम‍िल हुए। बैठक में भारत की तरफ से मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर उपस्‍थ‍ित रहे। मीट‍िंग एजेंडा की पुष्‍ट‍ि मालदीव के पब्‍ल‍िक पॉल‍िसी सेक्रेटरी नाज‍िम ने की है, ज‍िसमें एक न‍िर्धारित समय सीमा के भीतर सैन‍िकों की वापसी होनी है।

चीन की हाल‍िया यात्रा कर स्‍वदेश लौटे राष्‍ट्रपत‍ि मोहम्मद मुइज्जू अब लगातार भारत को लेकर तीखी बयानबाजी कर रहे हैं। शन‍िवार (13 जनवरी) को भी मुइज्‍जू ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान भारत का नाम ल‍िए बिना परोक्ष रूप से कहा था कि 'हम छोटे हो सकते हैं लेकिन इससे उनको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है।

*‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर निकले राहुल गांधी, शुरूआत से पहले पीएम मोदी पर कसा तंज*

#bharatjodonyay_yatra 

राहुल गांधी के नेतृत्व में मणिपुर से कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' शुरू हो गई है।यात्रा के लिए राहुल गांधी दिल्ली से मणिपुर पहुंचे। यात्रा की शुरुआत से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ध्वजारोहण किया। मणिपुर में संक्षिप्त समारोह में कांग्रेस प्रमुख खरगे ने पार्टी की- भारत जोड़ो न्याय यात्रा को हरी झंड दिखाई। मणिपुर के थौबल में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यात्रा की शुरुआत के प्रतीक रूप में पहले राहुल को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा। इसके बाद दोनों ने संयुक्त रूप से कांग्रेस नेताओं के हाथ में राष्ट्र ध्वज की कमान सौंपी। इसी के साथ यात्रा की शुरुआत हो गई।

पीएम मोदी को मणिपुर का दर्द नहीं दिखता-राहुल गांधी

‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के शुरू होने में हुई देरी को लेकर माफी मांगते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि दिल्ली में मौसम खराब होने की वजह से हमारी फ्लाइट में देरी हुई, इसके लिए माफी मांगना चाहता हूं। वहीं, मणिपुर हिंसा के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी के इस राज्य में नहीं आने की आलोचना करते हुए राहुल ने कहा कि पीएम मोदी को मणिपुर का दर्द नहीं दिखता है। मणिपुर हिंसा को लेकर पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर के कोने-कोने में नफरत फैल गई है। बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा नफरत वाली है। 

बीजेपी और आरएसएस के लिए मणिपुर हिंदुस्तान का भाग नहीं-राहुल गांधी

बीजेपी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा, 29 जून को मैं मणिपुर आया था और उस विजिट में जो मैंने देखा जो मैंने सुना वो पहले कभी नहीं देखा था। मणिपुर में इतने लोग मरे, लोगों को कष्ठ हुआ, लेकिन पीएम मोदी आपका हाथ पकड़ने, आपका आसू पोंछने नहीं आए। शायद बीजेपी और आरएसएस के लिए मणिपुर हिंदुस्तान का भाग नहीं है।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भाजपा का तंज

भाजपा नेता नलिन कोहली ने कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर तंज कसते हुए कहा राहुल गांधी मणिपुर से अपनी यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन बीते 60 सालों को अगर पीएम मोदी के 9-10 सालों से तुलना करें तो कांग्रेस के कितने प्रधानमंत्रियों ने उत्तर पूर्व का दारौ किया? पीएम मोदी बीते नौ सालों में 60 बार वहां जा चुके हैं। मोदी सरकार के मंत्री 400 से ज्यादा दौरे कर चुके हैं। इंटरनेट, हाइवे, एयरपोर्ट, रेलवे का निर्माण तेज रफ्तार से हो रहा है। उत्तर पूर्व में 9 एयरपोर्ट से बढ़कर 17 हो गए हैं। 100 सालों के बाद नगालैंड में दूसरा रेलवे स्टेशन खुला है। 

देश को एक वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने की अपील

इससे पहले ध्वजारोहण करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, हम पहुंचेंगे हर घर तक, न्याय का हक़, मिलने तक! आज थोउबल, मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत होगी। जन-जन के प्रिय राहुल गांधी जी 15 राज्यों से 6700 किमी का सफ़र तय करते हुए, कांग्रेस पार्टी के इस राष्ट्रीय जन-आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने आगे कहा, किसान, मज़दूर, दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, छोटे व्यापारी, दुकानदार, महिला, पूर्व सैनिक, खिलाड़ी, शिक्षक, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी समूह आदि समाज के हर वर्ग से, यात्रा संवाद करेगी। ध्यान भटकाने के शोरगुल में असली मुद्दे कहीं खो गए हैं। पर कांग्रेस पार्टी देश के असली मुद्दों- बेरोज़गारी, महंगाई, राष्ट्रीय सुरक्षा, महिला अधिकार, एसटी/एससी शोषण, जातिगत जनगणना, आर्थिक असमानता आदि पर डटी हुई है। हमारा उद्देश्य है कि हम जनता की बात सुनकर देश को एक वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करे। न्याय की लड़ाई इसी लिए ज़रूरी है।

कांग्रेस को बड़ा झटका, 'हाथ' छोड़ मिलिंद देवड़ा ने थामा तीर-कमान

#milind_deora_joins_shiv_sena 

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद मिलिंद देवड़ा रविवार को शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो गये। रविवार को मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद वह सीएम एकनाथ शिंदे के सरकारी आवास पर पहुंचे थे। उसके बाद वह औपचारिक रूप से शिवसेना शिंदे गुट की सदस्यता ग्रहण की।अपने पिता का अनुसरण करते हुए मिलिंद देवड़ा ने भी कांग्रेस में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन आज यह नाता तोड़ दिया।

शिदे गुट में शामिल होने के बाद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि मकर संक्रांति पर सभी को शुभकामना देता हूं। आपकी सुख समृद्धि बढ़े। यह मेरी कामना है। आज वह भावुक हैं, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और सीएम शिंदे के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। सीएम शिदें की राजनीतिक विकासमूलक रही है। लोगों की सेवा करने आए हैं। सीएम शिंदे अत्यंत मेहनती और सहज ही उपलब्ध होने वाले नेता हैं और जमीन नेता हैं।

वहीं, एकनाथ शिंदे ने कहा है कि अगर मिलिंद देवड़ा शिवसेना में आ रहे हैं तो उनका स्वागत है. एकनाथ शिंदे ने कहा कि लेकिन अगर वे शिवसेना में आ रहे हैं तो उनका स्वागत है।

इससे पहले मिलिंद ने इस्तीफे की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- आज मेरे राजनीतिक सफर का एक महत्वपूर्ण अध्याय खत्म हुआ। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसी के साथ पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया। शनिवार को जब मिलिंद के पार्टी छोड़ने की खबर मीडिया में आई तो उन्होंने कहा था कि वे ऐसा कुछ नहीं कर रहे। मिलिंद देवड़ा के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि इस्तीफे की टाइमिंग पीएम मोदी ने तय की है। 

गौरतलब है कि मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें बीते कई दिनों से चल रहीं थी। हालांकि उन्होंने इसे अफवाह बताकर कांग्रेस छोड़ने की बात से इनकार किया था। मिलिंद देवड़ा ने ये बात स्वीकार की थी कि वह अपने समर्थकों से चर्चा कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। मिलिंद देवड़ा मुंबई की दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार गठबंधन के तहत शिवसेना (यूबीटी) दक्षिण मुंबई सीट पर अपनी दावेदारी कर रही है। ऐसे में देवड़ा को अपना टिकट कटने की आशंका थी।

*प्राण प्रतिष्ठा पर शंकराचार्यों के रुख से नाराज हुए नारायण राणे, हिंदू धर्म में योगदान को लेकर पूछा बड़ा सवाल*

#bjp_leader_narayan_rane_on_shankaracharya 

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शंकराचार्यों को लेकर बड़ा बयान दिया है।केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शनिवार को कहा कि शंकराचार्यों को राम मंदिर के कुछ पहलुओं की आलोचना करने के बजाय अपना आशीर्वाद देना चाहिए। उन्होंने शंकराचार्यों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘राजनीतिक चश्मे' से देखने का आरोप भी लगाया। राणे ने यहां पत्रकारों से कहा कि समाज और हिंदू धर्म को लेकर शंकराचार्यों को अपना योगदान बताना चाहिए। नारायण राणे के इस बयान से साधु-संतों में नाराजगी हो सकती है।

राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी घमासान मचा हुआ है।इसी क्रम में अब केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शंकराचार्यों से बड़ा सवाल किया है।बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी और मोदी जी ने राम मंदिर बनाने का बीड़ा उठाया लिया। राम मंदिर बन रहा है। राम लला विराजमान हो रहे हैं तो उसका स्वागत करना चाहिए न कि इस पर सवाल उठाना चाहिए इसलिए मुझे लगता है की वो राजनीतिक कारणों से बयान दे रहे हैं।

राणे ने शनिवार को कहा कि समाज और हिंदू धर्म को लेकर शंकराचार्यों को अपना योगदान बताना चाहिए। उन्होंने कहा, क्या उन्हें मंदिर को आशीर्वाद देना चाहिए या इसकी आलोचना करनी चाहिए? इसका मतलब है कि शंकराचार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक चश्मे से देखते हैं। यह मंदिर राजनीति के आधार पर नहीं, बल्कि धर्म के आधार पर बना है। राम हमारे भगवान हैं।

बता दें कि चारों शंकराचार्यों ने दो टूक कह दिया है कि वो इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने अयोध्या नहीं जाएंगे।उनका कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रोक्त विधि नहीं है. जहां शास्त्रीय विधि का पालन नहीं हो वहां हमारा रहने का कोई औचित्य नहीं है।ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हाल ही में कहा था कि आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना सही नहीं है। इससे विपत्ति आएगी। विधि विधान ने कुछ नहीं हो रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए मोदी जी जल्दीबाजी कर रहे हैं। अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी नहीं है बल्कि हितैषि हैं इसलिए सलाह दे रहे हैं कि शास्त सम्मत कार्य करें।

इससे पहले पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भी राम मंदिर को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में जो आयोजन हो रहा है वह चुनाव के चलते हो रहा है। राम मंदिर का आयोजन शास्त्रों और विधानों से ना होकर राजनीति के तहत हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा का काम संतो का है। उन्होंने ये भी कहा था कि अगर अयोध्या में पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तो मैं वहां जाकर ताली बजाऊंगा।

*एक-एक कर साथ छोड़ गए राहुल गांधी के करीबी, कैसे बिखर गई कांग्रेस की युवा ब्रिगेड?*

#why_leaders_close_to_rahul_gandhi_leaves_congress 

कांग्रेस पार्टी आज सुबह ही से भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर माहौल बनाने में जुटी थी। न्याय यात्रा शुरू होने से पहले एक ट्वीट ने पार्टी को चिंता में डाल दिया। महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता और राहुल गांधी के करीबी माने जने वाले मिलिंद देवड़ा ने एक ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस पार्टी से उनका 55 साल पुराना रिश्ता आज समाप्त हो रहा है। ये पहली बार नहीं है जब किसी बड़े नेता और राहुल गांधी के करीबी ने पार्टी को झटका दिया है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्र में सरकार आने के बाद कांग्रेस के एक-एक कर बड़े नेता पार्टी से किनारा कर रहे हैं। खासकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा है। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, ग़ुलाम नबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल तक शामिल हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा है राहुल गांधी के करीबी युवा नेताओं ने।

एक दौर था जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को युवाओं की पार्टी कहा जाता था। वजह थे राहुल के साथ जुड़े वे पांच नेता, जो उनकी टीम के अभिन्न अंग माने जाते थे और हर छोटे-बड़े फैसले में गांधी परिवार के साथ रहते थे। हालांकि, 2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने के बाद एक-एक कर के इन युवा नेताओं ने राहुल से दूरी बना ली है। इनमें सबसे ताजा नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के अहम चेहरे और युवा नेता मिलिंद देवड़ा का है, जिन्होंने रविवार को पार्टी से परिवार का 55 साल पुराना नाता खत्म करने का एलान किया। 55 सालों से कांग्रेस के साथ रहे प्रदेश के बड़े नेता मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। अपने इस्तीफे की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए दी। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के संगठन में इस बिखराव को लेकर एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि हाल के दिनों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी का साथ क्यों छोड़ दिया? 

ज्योतिरादित्य सिंधिया हुए जुदा

इनमें सबसे पहला नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया का। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से पार्टी की सूबे में सरकार गिर गई थी और बीजेपी दोबारा सत्ता में लौटी थी। सिंधिया ने कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी का दामन थामा। वह इस समय केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। सिंधिया के बारे में कहा जाता है कि वे राहुल गांधी के बेहद करीबियों में से एक रहे हैं।

जितिन प्रसाद ने छोड़ा साथ

उत्तर प्रदेश में बड़े ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस को किसी व्यक्ति या किसी पद के लिए नहीं बल्कि इसके घटते वोट आधार और पार्टी व उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच बढ़ती दूरी के कारण छोड़ा है। जतिन प्रसाद का परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था। वह खुद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य रहे। वह कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जतिन ब्राह्मण परिवार से आते हैं और यूपीए में एक बड़ा चेहरा राजनीतिक चेहरा हैं। वह राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं। इसके बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस से निकलना बेहतर समझा. वह इस समय यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं।

आरपीएन सिंह ने दिया झटका

जनवरी 2022 में आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को बड़ा झटका लगा था। यहां तक पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया था। पार्टी छोड़ने के बाद आरपीएन सिंह का कहना था कि उन्होंने 32 सालों तक कांग्रेस में ईमानदारी से मेहनत की। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया था कि जहां से उन्होंने शुरुआत की थी वो पार्टी अब बची नहीं और न ही उस तरह की सोच बची है। आरपीएन सिंह कुशीनगर के रहने वाले हैं और सूबे का एक बड़ा राजनीतिक चेहरा माने जाते हैं और उनकी युवाओं में अच्छी पकड़ है. आरपीएन सिंह को भी राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।

राहुल गांधी के बेहद करीबी थे मिलिंद

मिलिंद कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी हुआ करते थे। महाराष्ट्र की राजनीति में देवड़ा परिवार की अलग ही पहचान है। इस परिवार का कोई न कोई सदस्य दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से पिछले चार दशकों से चुनाव लड़ता आ रहा है। मिलिंद देवड़ा दो बार सांसद रह चुके हैं। उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा भी चार बार इसी क्षेत्र के सांसद चुने गए थे। यह सीट देवड़ा परिवार की परंपरागत सीट रही है इसलिए मिलिंद उसे कांग्रेस के कोटे में चाहते हैं। मगर, उद्धव सेना इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे को लेकर मिलिंद देवड़ा कांग्रेस और इंडिया से नाराज हैं। उनकी नाराजगी की अहम वजह यह है कि कांग्रेस नेताओं ने उद्धव के सामने अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा।

कर्नाटक में फिर पैर पसार रहा कोरोना, नए वैरिएंट JN.1 के सबसे अधिक मामले यहीं, जानिए, किस राज्य में कितने मामले सामने आए

 भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के आंकड़ों से पता चला है कि दक्षिणी राज्य कर्नाटक में देश भर में JN.1 मामलों की सबसे अधिक संख्या 214 दर्ज की गई है। जेएन.1 नामक नए उप-संस्करण के फैलने के बाद हाल ही में दुनिया भर में कोविड-19 मामलों में वृद्धि देखी गई है। शुक्रवार को भारत में इसके मामले 1000 का आंकड़ा पार कर गए, 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में कुल 1,104 मामले दर्ज किए गए, जिसमे कर्नाटक सबसे आगे रहा।

वहीं, उत्तर प्रदेश, जो दस दिनों से भी कम समय में पवित्र शहर अयोध्या में भगवान राम मंदिर के भव्य और बहुप्रतीक्षित उद्घाटन का गवाह बनने के लिए तैयार है, ने 7 मामलों के साथ खुद को सूची में शामिल कर लिया है। कर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जहां अब तक 189 JN.1 मामले सामने आए हैं, जबकि महाराष्ट्र में 170 मामले सामने आए हैं। केरल में 154 JN.1 मामले दर्ज किए गए, जबकि गोवा, तमिलनाडु और गुजरात में अब तक क्रमशः 90, 88 और 76 मामले देखे गए हैं। तेलंगाना और राजस्थान में से प्रत्येक में 32 जेएन.1 मामले दर्ज किए गए, जबकि छत्तीसगढ़ में 25, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 16 ऐसे मामले सामने आए हैं।

हरियाणा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में एकल अंक में क्रमशः पांच, तीन, दो और एक मामला दर्ज किया गया। कर्नाटक में गिरावट का रुख देखा गया, शुक्रवार को कोविड-19 के 163 ताजा मामले सामने आए, जो एक दिन पहले दर्ज किए गए 240 मामलों से कम है। कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने एक परिपत्र जारी किया जिसमें कहा गया कि कोविड पीड़ितों का अंतिम संस्कार सभी श्मशान घाटों में किया जाएगा। यह राज्य की राजधानी बेंगलुरु में कुछ श्मशान घाटों द्वारा वायरल संक्रमण से मरने वालों का दाह संस्कार करने से इनकार करने की पृष्ठभूमि में आया है।

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि, 'कर्नाटक में मृत कोरोना वायरस व्यक्तियों के दाह संस्कार के लिए कोई विशिष्ट निर्दिष्ट सुविधाएं नहीं हैं। 11 जनवरी को जारी एक परिपत्र में, यह कहा गया है कि सरकार द्वारा प्रदान किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी श्मशान घाटों में कोविड पीड़ितों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। कोई भी श्मशान ऐसे मृत व्यक्तियों को स्वीकार करने से इनकार नहीं करेगा।

17 जनवरी को भक्तों के लिए खुल जाएगा भगवान जगन्नाथ मंदिर का भव्य कॉरिडोर, सीएम पटनायक करेंगे उद्घाटन

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर 17 जनवरी को 'श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प' या मंदिर विरासत गलियारा परियोजना उद्घाटन के लिए तैयार है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने समारोह के लिए देश भर के 90 धार्मिक मंदिरों और संस्थानों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। अनुष्ठान 12 जनवरी को शुरू हुआ, जिसकी शुरुआत गजपति महाराजा दिब्यसिंघा देब ने की थी। श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना नामक गलियारे का उद्देश्य भक्तों को मंदिर की निर्बाध परिक्रमा की सुविधा प्रदान करना है और इसे ₹943 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है।

अनुष्ठान की शुरुआत 12 जनवरी को गजपति महाराजा देब द्वारा पारंपरिक 'श्री नाहर' निमंत्रण देने के साथ हुई। इसके बाद के कार्यक्रमों में 13 जनवरी को 'अंकुरोपन' और 'अंकुर पूजा', 14 जनवरी को 'यज्ञ अधिबास' और 15 जनवरी को 'अखंड दीपा' और अगले तीन दिनों के लिए यज्ञ की शुरुआत का प्रतीक रखना शामिल है। पूजा अनुष्ठान 17 जनवरी को समाप्त होगा, जब मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आधिकारिक तौर पर भक्तों के लिए गलियारा खोल देंगे। इस परियोजना में कतार प्रबंधन प्रणाली, बैगेज स्क्रीनिंग, क्लोकरूम, पीने के पानी के प्रावधान, टॉयलेट सुविधाएं और बहुत कुछ जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।

गलियारे परियोजना ने नेपाल के राजा सहित दुनिया भर के प्रमुख हिंदू मंदिरों को भी निमंत्रण भेजा। ओडिशा सरकार ने वीआईपी, कॉर्पोरेट नेताओं और मशहूर हस्तियों सहित एक विशेष अतिथि सूची तैयार की। उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक प्रदर्शन, शंखनाद और उत्तरपरस्वा मठ के मंच से मुख्यमंत्री पटनायक का संबोधन शामिल होगा। मंदिर के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने परियोजना की विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जिससे मंदिर के परिवेश को एक समकालीन तीर्थ केंद्र में बदल दिया गया।

लोकार्पण यज्ञ 15 जनवरी से 17 जनवरी तक निर्धारित है, जिसमें मंदिर के चारों द्वारों पर वैदिक पाठ किया जाएगा। पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी द्वार पर क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का पाठ किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य तीर्थयात्रियों के अनुभव को बढ़ाना, आधुनिक सुविधाएं प्रदान करना और पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर की विरासत को संरक्षित करना है।

गरीबी रेखा से नीचे होंगे राम, तभी उन्हें BPL योजना के तहत घर दे रही भाजपा,क्या भाजपा में इतनी शक्ति है, TMC नेता शताब्दी रॉय के बयान पर बवाल

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शताब्दी रॉय ने शुक्रवार को उस समय विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर कटाक्ष करते हुए भगवान राम को 'गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल)' बताया। सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में, लोकसभा सांसद ने टिप्पणी की, “वे (भाजपा) दावा कर रहे हैं कि राम को एक घर दिया जा रहा है। ये सुनकर मैं हैरान रह गई, उनमें इतनी शक्ति है कि राम को घर दे सकें।”

 

उन्होंने कहा कि, “राम को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) होना चाहिए। जैसे जिनके पास बीपीएल कार्ड है उनके लिए घर बनाए जाते हैं, ऐसा लगता है कि वे (भाजपा) राम को बीपीएल योजना के तहत घर दे रहे हैं।” तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा, "अगर राम के बेटों लव कुश को एक-एक घर दिया जा सके, तो काम पूरा हो जाएगा।" उनकी विवादास्पद टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने टिप्पणी की, “प्रभु श्री राम पर शताब्दी रॉय का बयान हिंदू आस्था और गहरी जड़ों वाली मान्यताओं के बारे में के नेतृत्व वाली की मानसिकता को साबित करता है। यह दुनिया के हर हिंदू के लिए अपमानजनक है।”

भगवान राम के बारे में किसी तृणमूल कांग्रेस नेता द्वारा अपमानजनक टिप्पणी करने का यह पहला मामला नहीं है। नवंबर 2020 में, एक कथित टीएमसी राजनेता का एक वीडियो वायरल हुआ, जहां उन्होंने पश्चिम बंगाल में हिंदुओं से कहा कि वे 'जय श्री राम' का नारा नहीं लगा सकते। तृणमूल कांग्रेस पार्टी का 'जय श्री राम' से विरोध स्पष्ट है। मई 2019 में, ममता बनर्जी ने अपना आपा खो दिया जब कुछ लोगों ने सड़क पर 'जय श्री राम' का नारा लगाया। उन्होंने दावा किया कि पवित्र हिंदू मंत्र का जाप करने वाले लोग अपराधी हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएम के सामने नारा लगाने के आरोप में करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

पीएम मोदी ने दिल्ली में मनाया पोंगल, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन के घर पहुंचे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दक्षिण भारतीय लुंगी पहने नजर आए। मौका था पोंगल के उत्सव का। पीएम मोदी ने दिल्ली में अपने मंत्री मुरुगन के सरकारी आवास पर पोंगल का त्योहार मनाया।इस दौरान पीएम मोदी ने पोंगल उत्सव के विधि-विधानों में हिस्सा भी लिया। पीएम मोदी के साथ तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं। 

पोंगल में शामिल होने के लिए पीएम मोदी पूरी तरह से दक्षिण भारतीय पारंपरिक पोशाक में नजर आए। उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। गाय को पूज कर उसे प्रसाद खिलाया और फूलों की एक माला भी पहनाई।

पूजा के बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित भी किया। पीएम ने वणक्कम कह कर लोगों का अभिवादन किया साथ ही पोंगल की बधाई भी दी। अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि पोंगल के पवित्र दिन तमिलनाडु के हर घर से पोंगल धारा का प्रवाह होता है उसी तरह लोगों के जीवन में सुख समृद्धि संतोष की धारा का निरंतर प्रवाह होता रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि वो अपने परिवार और दोस्तों के साथ उत्सव मना रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि पोंगल पर्व में ताज़ी फसल को भगवान के चरणों में समर्पित करने की परंपरा है। इस पूरे उत्सव परंपरा के केंद्र में हमारे अन्नदाता हमारे हैं।वैसे भी भारत का हर त्योहार किसी न किसी रूप में गांव से, किसानी से, फसल से जुड़ा हुआ होता है।पीएम ने कहा कहा कि 3 करोड़ किसान श्री अन्न से जुड़े हुए है, वहीं देश के कई सारे नौजवान श्री अन्न को लेकर स्टार्टअप शुरू कर रहे है. पीएम मोदी ने कहा कि पिछली बार हमने चर्चा की थी कि मिलेट तमिल संस्कृति से जुड़े हैं, इसको लेकर देश दुनिया में जागृति आई है, कई स्टार्टअप शुरू हुए हैं।

पीएम नरेंद्री मोदी ने तय किया गया मिलिंद देवड़ा के इस्तीफा देने का वक्त”, जयराम रमेश का बड़ा दावा

#congress_alleged_timing_of_milind_deora_s_resignation_was_determined_by_pm_modi 

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू होने से कुछ घंटे पहले मिलिंद देवरा ने कांग्रेस छोड़ने का एलान कर दिया। लगातार हार से कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का विश्वास डगमगाया हुआ है। यही वजह है कि हाल के सालों में पार्टी के कई बड़े नामों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। अब इस कड़ी में नया नाम पार्टी के युवा चेहरे मिलिंद देवड़ा का भी जुड़ गया है। देवड़ा के इस्तीफे से सियासी तापमान चढ़ गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसको लेकर बड़ा दावा किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि गत शुक्रवार को ही उनकी देवड़ा के साथ फोन पर बातचीत हुई थी। वह अपनी पूर्व की लोकसभा सीट (दक्षिण मुंबई) को लेकर परेशान थे और राहुल गांधी से बात करना चाहते थे।ऐसे में उनके इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।

जयराम रमेश ने पीटीआई से हुई बातचीत में आरोप लगाया है कि देवरा के पार्टी छोड़ने का समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया है।उन्होंने बताया कि शुक्रवार को देवरा ने उनसे फोन पर कहा कि वे राहुल गांधी से बात करने के इच्छुक हैं। जयराम रमेश ने बताया कि देवरा इस बात को लेकर चिंतित थे कि शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट उनकी मुंबई दक्षिण सीट पर अपना दावा कर रहा है। उन्होंने कहा, "उन्होंने शुक्रवार को सुबह 8.52 बजे मुझे मैसेज किया जिसके जवाब में मैंने दोपहर 2.47 बजे लिखा कि 'क्या आप पार्टी बदलने की सोच रहे हैं?' उसके बाद 2.48 बजे देवरा ने मैसेज किया कि 'क्या आपसे बात करना संभव नहीं है?' इस पर मैंने जवाब दिया कि 'मैं आपको 3.40 बजे के आसपास कॉल करता हूं' और फिर मैंने उनसे बातचीत की।

जयराम रमेश ने दावा किया है कि मिलिंद देवड़ा ने जयराम रमेश से कहा था कि दक्षिण मुंबई लोकसभा की सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है। 2014 और 2019 में मोदी लहर में शिवसेना अरविंद सावंत जीत गए। अब शिवसेना (यूबीटी) के साथ पीएम मोदी नहीं हैं इसलिए वो सीट लेनी चाहिए। मिलिंद ने शुक्रवार को जयराम से संपर्क करके कहा था कि वो राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होंगे और अपना पक्ष भी रखेंगे। उससे पहले आप मेरी बात राहुल तक पहुंचा दीजिए। जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि इस्तीफा देनी की घोषणा का समय प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी की ओर से तय किया गया है।

इससे पहले रविवार को पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा का एक अहम पड़ाव आज खत्म हो रहा है।