म्यूचुअल फंड की 24 स्कीमों में जोखिम, इनमें निवेशकों के 1.7 लाख करोड़ रु., सभी ओपन एंडेड डेट स्कीम्स की स्ट्रेस टेस्टिंग से हुआ खुलासा
देश के 17 म्यूचुअल फंड्स की 24 स्कीम फाइनेंशियल स्ट्रेस से जूझ रही हैं। आरबीआई की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक इन ओपन डेटेड स्कीम में निवेशकों के 1.7 लाख करोड़ रुपए लगे हैं। इनमें आगे नकदी संकट हो सकता है। यानी इन स्कीम में निवेशकों के धन निकालने में जोखिम की आशंका है। ऐसे में फंड हाउस को तत्काल जोखिम दूर करने के लिए कहा गया है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई से सितंबर के बीच तीन माह की स्टडी में यह स्ट्रेस पाया गया। देश में चल रही सभी 299 म्यूचुअल फंड स्कीम की स्ट्रेस टेस्टिंग की गई हैं। इनमें निवेशकों के 12.4 लाख करोड़ रुपए लगे हैं। यानी सिर्फ 8% म्यूचुअल फंड स्कीम में तनाव है। सेबी के नियमों के तहत सभी ओपन एंडेड डेट स्कीम की हर माह स्ट्रेस टेस्टिंग होती है। इसमें सभी तरह की जोखिमों का अध्ययन किया जाता है, जिसमें स्कीम के निवेशकों द्वारा पैसे निकालने के समय पैदा होने वाली जोखिम की स्थिति भी शामिल है।
गाइडलाइंस के मुताबिक सभी म्यूचुअल फंड स्कीम चलाने वाली कंपनियों के लिए एक तयशुदा तरलता अनुपात रखना जरूरी है। पर्सनल लोन से ज्यादा कृषि सेक्टर में एनपीए बढ़ रहा रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के कृषि कर्ज का ग्रॉस एनपीए 7% पर पहुंच गया है। कुल एनपीए में इस सेक्टर की हिस्सेदारी 26.9% है। वहीं, पर्सनल लोन का ग्रॉस एनपीए 1.3% है। कुल एनपीए में इस सेक्टर की हिस्सेदारी 12.9% ही है। 5 करोड़ से ज्यादा कर्ज लेने वाले बड़े कर्जदाताओं की कुल कर्ज में हिस्सेदारी - 44.5% लेकिन ग्रॉस एनपीए में इनकी हिस्सेदारी 51.8% है। वहीं, देश के 100 सबसे बड़े कर्ज लेने वालों की कुल कर्ज में हिस्सेदारी 35.8% है। लेकिन इनकी एनपीए में हिस्सेदारी जीरो है। यानी सबसे बड़े कर्जदार समय पर अदायगी कर रहे हैं।
Jan 12 2024, 13:30