पुरुलिया जिला का अयोध्या पहाड़ है एक पौराणिक स्थल ,जहाँ राम अपने भाई के साथ वनवास के दौरान ढाई दिन रुके थे
सरायकेला :- पुरुलिया जिले के अयोध्या पहाड़ एक पौराणिक स्थल है,जहाँ पर त्रेतायुग में पहुंचे थे श्री रामचंद्र जी आपने भाई लक्ष्मण और सीता जी के साथ वनवास के दौरान ढाई दिन के लिए रूके थे इस पहाड़ पर, राम जी के आगमन के बाद से इस जगह को अयोध्या पहाड़ के नाम से जाने जाते है।
इस पहाड़ी में लक्ष्मण जी द्वारा आपने धनुष से ऐसा कुंड तैयार किया गया जिस कुंड का पानी सैकड़ों लोगो के पीने के उपरांत भी पानी कम नही होता है,और ना ही इस कुंड का पानी कभी सुखता है।
उस में बारहों महीना पाताल से पानी रिसकर निकल रहा है। यह कुंड त्रेता युग का जीता जागता प्रमाण है।
यहां बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रतिवर्ष आदिवासी शिकार करने अयोध्या पहाड़ में सैकड़ों की तादात में पहुंचते है,ओर सेंदारा वीर अपना प्यास इस कुंड का पानी से बुझाते हैं ,जिसे आज लोगो ने सीता कुंड के नाम से जाना जाता है ।
अयोध्या देश के राजा दशरथ की पुत्र श्री रामचंद जी जब 14 बर्ष की वनवास हुआ तब त्रेतायुग) के समय रामचंद्र सीता लक्ष्मण के साथ वनवास काटने पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला अंतर्गत बाघमुंडी के पहाड़ों में पहुंचा था , माता सीता ,लक्ष्मण के साथ राम ढाई दिन इस घनघोर जंगल में ठहरे थे । इस दौरान रामायणकाल के कई पहचान चिह्न आज भी देखने को मिलता है । पहाड़ी के बीच जहां रामचन्द्र जी अपना सीता और लक्ष्मण के साथ ठहरे थे ,देवताओं द्वारा निर्मित जगह को गढ़ कहा जाता है । गढ़ कुछ ही दूर सीता कुंड के नाम से एक जल स्रोत देखने को मिलेगा । साथ ही सीता जी का पद छिन्न भी देखा जाता , माता सीता अपना केश नहाने के बाद शीला के ऊपर बैठ कर सुखाते थे। जो आज भी उक्त जंगलों में शाल की पेड़ पर माता की उड़ता हुआ केश (बाल) मिलता है, जो कई फीट लंबा रहता है।
रामायणकाल त्रेतायुग में रामचंद्र जी कृतिवास आश्रम में विश्राम किए थे, जिसका एक कुटीर देखने को आज भी मिलता है। उक्त मंदिर में 365 दिन प्रदीप प्रज्जलित रहता है। आज लोकाचार के अनुसार राम जी वनवास आने के बाद आज अयोध्या के नाम से जाना जाता है । जो एक धार्मिक स्थान के रूप में देखा गया । इस पहाड़ पर शांति का प्रतीक माना जाता है।
आज अयोध्या पहाड़ में सैकडो पर्यटक देश विदेश से घूमने पहुंचते है।
अयोध्या पहाड़ के शंभू नाथ महतो कृतिवास आश्रम की पुजारी ने बताया कि
समुंद्र तट से 2294 फीट।चमटाबुरू ऊंचाई पर यह अयोध्या पहाड़ स्थित है, जो पहाड़ 1100 वर्ग क्षेत्र फल फैला हुआ है, इस पहाड़ों में 78 रेवेन्यू विलेज है ,जो आदिवासी क्षेत्र माना जाता है।
आज उक्त जगह सीता कुंड के नाम से जाना जाता है । सीता माता जहा सिंगार करते थे ।आज उस जगह में सिंदूर देखने को मिलता है।साथ ही माता सीता केश का बाल शाल की पेड़ में लटके होने की प्रमाण है,सीता कुंड के पास एक सिंदूर का पेड़ हे जहा बजरंगवाली का मंदिर ग्रामीणों द्वारा बनाया गया।
इस अयोध्या पहाड़ में आज के युग में बहुत कुछ देखने को मिल रहा है
सीताकुंड में राम भक्त महिलाए जप तप करते देखा गया माता का कहना है, त्रेतायुग में सीता माई को जब प्यास लगा था उस समय लक्ष्मण आपने धनुष से माता के लिए पानी उपलब्ध कराया गया था।
इस समय हम सभी लोगो को कलयुग में रामायण काल समय त्रेतायुग के श्रृति देखने को मिल रहा है।इस क्षेत्र के आदिवासी द्वारा बेटी बहन की शादी के दौरान इस कुंड का पानी उपयोग किया जता है ,जिसे शुभ माना जाता है। भीषण गर्मी के समय पहाड़ी में पानी की किल्लत से जनजीवन अस्त व्यस्त रहता था उस दौरान लोगो ने इस सीता कुंड का पानी से प्यास मिटाते
हैं।
लखींद्र प्रमाणिक और ठाकुर दास प्रमाणिक अयोध्या पहाड़ संयुक्त रूप से बताया कि प्राकृतिक रूप से हराभरा यह जंगल एक दर्शक था उस समय इस क्षेत्र में रॉयल बंगाल टाईगर के नाम जाना जाता था। आज के दौर में चीता, तेंदुआ ,भालू, लोमड़ी,शियाल, हाथी की झुंड देखने मिलता है । अयोध्या पहाड़ में सैकडो डैम और जलाशय साथ ही कई झरना स्थित हैं, जिसको देखने के लिए बारे महीना पर्यटकों भ्रमण करने ओर घूमने पहुंचते हे।इस क्षेत्र में सेकोड़ों बड़े बड़े होटल बन रहा हे।पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पर्यटकों बढावा देने की दिशा न प्रयास रत है।
Dec 18 2023, 12:31