लगातार हो रहा है हाथी द्वारा ग्रामीणों का नुकसान,कुकडु प्रखंड के लोग दहशत में
कुकडु : पिछले कुछ दिनों से लगातार कुकडु प्रखण्ड के अंतर्गत विभिन्न गांवों में हाथी द्वारा ग्रामीणों के फसल को क्षति किया जा रहा है, कुछ दिन पूर्व ही कुकडु प्रखण्ड के अंतर्गत बकारकुड़ी गांव के एक युवक को हाथी कुचलकर मौत का घाट उतार उतार दिया था। पूरे प्रखंड में अभी धान कटनी और धान झाड़ाई का काम चल रहा है,किसान के कड़ी मेहनत के बाद फसल तैयार हुआ है। कुछ दिन पूर्व अचानक आए बारिश के आरा किसान का आधा फसल खेत में ही क्षति हो गया है और बाकी बचे हुए फसल किसान किसी तरह से अपने घर तक लाया है। उसमे भी हाथी द्वारा घर गांव तक पहुंच कर क्षति किया जा रहा है।
प्रखंड के सभी किसान मूल रूप से फसल और धान की खेती पर ही आश्रित है।जिसको उपजाऊ बनाने हेतु किसान दिन रात एक करके कड़ी मेहनत से फसल उगाते है,किसान खेती से पूर्व ऋण लेकर रोपाई करते है और खेती से होने वाले फसल को बेचकर उस ऋण का भुगतान करते हैं। इस प्रकार से हो रही हाथी द्वारा किसानों के क्षति से किसान बहुत ही दुखी और असहाय महसूस कर रहे हैं।
बीती रात पारगामा गांव के ताड़ाई माझी का घर का दरवाजा तोड़ दिया साथ में खलिहान में रखे हुए धान का कुछ हिस्सा खा कर हाथी चला गया साथ में मोटो माझी के घर का अगला हिस्सा को तोड़ दिया और उनका भी खलिहान में झाड़ाई के बाद रखा गया धान को खा के खत्म कर दिया।
किसान का इस तरह से हो रहे हाथी द्वारा नुकसान से पूरा प्रखंड के सभी किसान दुखी हैं। शाम होते ही पूरा क्षेत्र में भय का माहौल बना रहता है, आदमी घर से बाहर निकलने में अपने को बहुत ही असहाय महसूस करते हैं। वर्तमान में हाथी सामने के वेस्ट बंगाल के जंगल में जाकर रहते है और शाम होते ही पारगामा पंचायत के बिभन्न गांव चुनचुरिया, पारगामा, काडरगामा, काड़का आदि गांवों के खलिहान, खेत में रखे हुए धान सब्जी आदि को खा रहे हैं । तो कहीं कहीं हाथी के चलने से फसल नष्ट हो जा रहा है।
वन विभाग अपने टीम को बचाव हेतु किसान की हो रही क्षति को लेकर विशेष ध्यान देकर इसका निदान करना आवश्यक है परंतु विभाग का आंख खुलते खुलते किसानों का नुकसान के साथ में जान भी गवाना पड़ सकता है।
जहां जंगल से सटे हुए गांवो में टॉर्च पटाखा आदि देकर हाथी द्वारा हो रही नुकसान से निजात पाने हेतु विशेष ध्यान देना चाहिए वही पदाधिकारी बताते है की हमारे पास हाथी भागाने हेतु जनता को देने के लिए पटाखा तो है परंतु ट्रॉच उपलब्ध नहीं है, समय पर किसानों को उचित मुआवजा तक मुनासिब नहीं होता है ऐसे में देश के मेरुदंड माने जाने वाले किसान का क्या होगा आखिर कबतक अपना जान माल का क्षति को झेलते रहेंगे ग्रामीण।
Dec 17 2023, 19:34