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बीजेपी में विधायकों की बाड़ेबंदी! क्या प्रेशर बनाने के लिए वसुंधरा राजे की ओर से आजमाया गया रिसॉर्ट पॉलिटिक्स?

#rajasthan_vasundhara_raje_summoned_regarding_resort_incident

राजस्थान में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत है, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा अभी स्पष्ट नहीं है।आलाकमान ने अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। इसके चलते विधायकों की बाड़ेबंदी की आशंका जताई जाने लगी है।राजस्थान के राजनीतिक गलियारों से कुछ खबरें ऐसी छानकर आ रही हैं कि भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने अपने-अपने समर्थक विधायकों की बाड़ेबंदी कर रखी है। जिससे मामला गरमा गया है। 

दरअसल मंगलवार रात को भाजपा के पांच से अधिक विधायक एक होटल में चले गए थे। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जोर-जबरदस्ती कर उन्हें वापस बुलाया।विधायक ललित मीणा सहित पांच विधायक इस होटल में थे। इनमें 2 बारां और 2 झालावाड़ के थे। 

सूत्रों के मुताबिक प्रेशर पॉलिटिक्स में वसुंधरा राजे की ओर से रिसॉर्ट पॉलिटिक्स भी आजमाया जा रहा है। बारां के विधायक राधेश्याम बैरवा के बारे में कहा जा रहा है कि वह 6 विधायकों को रिसॉर्ट ले आए थे। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इन विधायकों को संगठन के किसी भी सदस्य से नहीं मिलने को कहा गया है। इन नवनिर्वाचित विधायकों को पार्टी दफ्तर जाने से भी रोका गया।

सूत्रों का कहना है कि रिसॉर्ट में लाए गए विधायकों से कहा गया कि वसुंधरा राजे सीधे बात करेंगी। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वसुंधरा राजे की ओर से पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री बनने के लिए बहुमत में बहुमत जुटाने की कोशिश की जा रही है।

खबरों के मुताबिक नतीजे आने वाले दिन 3 दिसंबर से तीन दिन पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ पार्टी के जीतने वाले प्रत्याशियों को फोन लगाने शुरू कर दिए थे। नतीजे आने के अगले ही दिन करीब 45 विधायकों को अपने आवास पर खाने पर बुलाया। खबरों में इस दावत को राजे का शक्ति प्रदर्शन माने जाने लगा। हालांकि इसे लेकर वसुंधरा ने मीडिया से कहा कि वह पार्टी की एक अनुशासित सिपाही हैं। निर्वाचित विधायकों के साथ मेल-मुलाकात का दौर था।

इसी बीच वसुंधरा राजे दिल्ली आ चुकी हैं। उनके दिल्ली आते ही रिसोर्ट वाली घटना का खुलासा हो गया और अब उन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तलब किया है। जानकारी के अनुसार, जेपी नड्डा ने वसुधंरा राजे को अपने आवास पर बुलाया है। बताया जा रहा है कि आलाकमान वसुंधरा राजे से इस घटना को लेकर बेहद नाराज है।

बीच मैदान में भिड़े क्रिकेटर गौतम गंभीर और श्रीसंत, सामने आया वीडियो, अब एक दूसरे पर की आरोपों की बौछार

#s_sreesanth_vs_gautam_gambhir_fight

लीजेंड्स लीग क्रिकेट का एलिमनेटर मैच इंडिया कैपिटल्स और गुजरात जायंट्स के बीच खेला गया। सूरत के लालभाई कॉन्ट्रैक्टर स्टेडियम में हुए इस मैच में इंडिया कैपिटल्स ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 223 रन बनाए। इसके जवाब में गुजरात जायंट्स 7 विकेट के नुकसान पर 211 रन ही बना पाया और मैच हार गया। इस मैच में गुजरात जायंट्स के गेंदबाज एस श्रीसंत और इंडिया कैपिटल्स के कप्तान गौतम गंभीर के बीच नोकझोंक हुई।इनकी लड़ाई का वीडियो वायरल हो रहा है। मैच के बाद श्रीसंत ने गौतम गंभीर के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। अब गंभीर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन इसे श्रीसंत को जवाब माना जा रहा है।

बुधवार को लीजेंड्स लीग क्रिकेट 2023 के एलिमिनेटर मैच के दौरान श्रीसंत की गेंद पर गंभीर ने कुछ चौके लगाए तो तेज गेंदबाज ने उन्हें घूर कर देखा था। इस पर दोनों के बीच शब्दों के आदान-प्रदान हुए। ओवरों के बीच ब्रेक के दौरान दोनों एकदूसरे के करीब भी पहुंच गए थे। हालांकि, साथी खिलाड़ियों ने बीच बचाव करते हुए दोनों को अलग कर दिया था।मैच के बाद श्रीसंत ने गौतम पर गंभीर आरोप लगाए।मैच के बाद श्रीसंत ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने गौतम गंभीर के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।

अपने इंस्टाग्राम अकाउंड पर पोस्ट किए गए वीडियो में श्रीसंत कहते हैं, 'मिस्टर फाइटर के साथ जो हुआ उसके बारे में मैं बस स्पष्ट करना चाहता था। वह जो हमेशा बिना किसी कारण अपने सभी सहयोगियों से झगड़ते हैं। वह वीरू भाई सहित अपने सीनियर्स का भी सम्मान नहीं करते हैं। आज भी बिलकुल वैसा ही हुआ। बिना किसी कारण के वह मुझे उकसाने के लिए घूरते रहे, मुझे कुछ-कुछ कहते रहे जो बहुत अभद्र था, जिसे श्री गौतम गंभीर को नहीं कहना चाहिए था।

श्रीसंत ने कहा कि वह खुलासा करेंगे कि गंभीर ने मैच के दौरान उनसे क्या कहा था। उन्होंने कहा कि शब्दों ने उन्हें और उनके परिवार को आहत किया है। पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा, 'मेरी कोई गलती नहीं है। देर-सबेर आपको पता चल जाएगा कि उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया और जो चीजें उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर कही, वे स्वीकार्य नहीं हैं। मैंने अपने परिवार के साथ बहुत कुछ झेला है। मैंने आपके समर्थन से अकेले वह लड़ाई लड़ी है। अब कुछ लोग मुझे बिना किसी कारण के नीचा दिखाना चाहते हैं। उन्होंने ऐसी बातें कहीं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी।

श्रीसंत यहीं नहीं रूके, वह आगे कहते हैं, 'अगर आप अपने ही सहकर्मियों का सम्मान नहीं करते हैं तो लोगों का प्रतिनिधित्व करने का क्या मतलब है? यहां तक कि प्रसारण में भी जब उनसे विराट के बारे में पूछा जाता है, तो वह कभी भी उनके बारे में नहीं बोलते हैं। वह किसी और चीज के बारे में बोलते हैं। मैं ज्यादा विस्तार में नहीं जाना चाहता। बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं बहुत आहत हूं और मेरा परिवार आहत है और मेरे प्रियजन आहत हैं और जिस तरह से उन्होंने बातें कही... मैंने एक भी बुरा शब्द या एक भी गाली का इस्तेमाल नहीं किया, कुछ भी नहीं।

श्रीसंत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपना पक्ष रखा तो अब गंभीर ने भी अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए उन्हें करारा जवाब दिया है।गौतम गंभीर ने इस बार यहां किसी का नाम तो नहीं लिखा लेकिन श्रीसंत के इस पंगे के बाद उनके इस ट्वीट को श्रीसंत से जोड़कर देखा जा रहा है। गंभीर ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट की एक तस्वीर में कैप्शन दिया, ‘मुस्कुराइए, जब दुनिया को सिर्फ अटेंशन चाहिए।’ यहां गंभीर ने अपनी एक पुरानी तस्वीर पोस्ट की है, जब वह टीम इंडिया में खेला करते थे। इस तस्वीर में गंभीर सहजता के साथ मुस्कुराते दिख रहे हैं।

भाजपा को 50 सीट मिली, तो अपना मुंह काला कर लूंगा..', कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया ने किया था दावा, अब पार्टी नेता ने अपने मुंह पर पोती कालिख

मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। कांग्रेस नेता राज्य में जिस सत्ता विरोधी लहर का दावा कर रहे थे, वो देखने को नहीं मिली और पार्टी का 20 साल (बीच में डेढ़ साल छोड़कर) का सूखा ख़त्म नहीं हुआ। इसी चुनावी गहमागहमी के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भांडेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे फूलसिंह बरैया ने दावा किया था कि, यदि भाजपा को चुनाव में 50 से ज्यादा सीटें आई तो वे राजभवन के सामने अपना मुंह काला करेंगे। 

लेकिन, 50 सीटें तो क्या भाजपा ने राज्य की 230 सीटों में से 163 सीटें झटक ली, इसके बाद से फूलसिंह बरैया सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे थे। यहाँ तक कि, उनसे एक पत्रकार ने चुनावी नतीजों के बाद पूछ भी लिया था कि, आप मुंह कब काला कर रहे हैं। जिसके जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा था कि, वे गुरुवार (7 दिसंबर) को दोपहर 2 बजे वे राजभवन के सामने अपना मुंह काला करेंगे। हालाँकि, उससे पहले ही एक अन्य कांग्रेस नेता योगेश दंडोतिया ने अपने मुंह पर कालिख पोत ली है। योगेश दंडोतिया, बरैया के समर्थक हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, ग्वालियर में ग्रामीण किसान कांग्रेस के जिला महामंत्री योगेश दंडोतिया ने आज बुधवार को प्रेस वार्ता में अपने मुंह पर कालिख पोत ली और कहा कि, बरैया जी को मुंह काला नहीं करने दूंगा, इसलिए, मैंने अपना मुंह काला किया है। उन्होंने ये भी दावा किया कि, वे भोपाल जाकर बरैया का समर्थन करेंगे। बता दें कि, भांडेर से फूलसिंह बरैया ने 29 हज़ार सीटों से जीत दर्ज की है, उन्होंने भाजपा के घनश्याम पिरोनिया को हराया है।

'भाजपा को 50 सीट मिली, तो अपना मुंह काला कर लूंगा..', कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया ने किया था दावा, अब पार्टी नेता ने अपने मुंह पर पोती कालि

मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। कांग्रेस नेता राज्य में जिस सत्ता विरोधी लहर का दावा कर रहे थे, वो देखने को नहीं मिली और पार्टी का 20 साल (बीच में डेढ़ साल छोड़कर) का सूखा ख़त्म नहीं हुआ। इसी चुनावी गहमागहमी के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भांडेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे फूलसिंह बरैया ने दावा किया था कि, यदि भाजपा को चुनाव में 50 से ज्यादा सीटें आई तो वे राजभवन के सामने अपना मुंह काला करेंगे। 

लेकिन, 50 सीटें तो क्या भाजपा ने राज्य की 230 सीटों में से 163 सीटें झटक ली, इसके बाद से फूलसिंह बरैया सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे थे। यहाँ तक कि, उनसे एक पत्रकार ने चुनावी नतीजों के बाद पूछ भी लिया था कि, आप मुंह कब काला कर रहे हैं। जिसके जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा था कि, वे गुरुवार (7 दिसंबर) को दोपहर 2 बजे वे राजभवन के सामने अपना मुंह काला करेंगे। हालाँकि, उससे पहले ही एक अन्य कांग्रेस नेता योगेश दंडोतिया ने अपने मुंह पर कालिख पोत ली है। योगेश दंडोतिया, बरैया के समर्थक हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, ग्वालियर में ग्रामीण किसान कांग्रेस के जिला महामंत्री योगेश दंडोतिया ने आज बुधवार को प्रेस वार्ता में अपने मुंह पर कालिख पोत ली और कहा कि, बरैया जी को मुंह काला नहीं करने दूंगा, इसलिए, मैंने अपना मुंह काला किया है। उन्होंने ये भी दावा किया कि, वे भोपाल जाकर बरैया का समर्थन करेंगे। बता दें कि, भांडेर से फूलसिंह बरैया ने 29 हज़ार सीटों से जीत दर्ज की है, उन्होंने भाजपा के घनश्याम पिरोनिया को हराया है।

रेवंत रेड्डी बने तेलंगाना के सीएम, भट्टी को बनाया गया डिप्टी सीएम, कैबिनेट में इन विधायकों को भी मिली जगह

#telangana_cm_revanth_reddy_oath_ceremony 

तेलंगाना कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता अनुमुला रेवंत रेड्डी ने राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। रेवंत रेड्डी के साथ 11 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। वहीं भट्टी विक्रमार्क ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के शामिल हुए।

करीब एक दशक पहले तेलंगाना के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने से लेकर अब तक भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री थे।कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बीआरस को पराजित किया। पार्टी को 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटें मिलीं तो बीआरएस को 39 सीटों से संतोष करना पड़ा। जिसके बाद रेवंत रेड्डी तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री बने हैं।

इन्हें मिली कैबिनेट में जगह

रेवंत रेड्डी की कैबिनेट में मंत्री बनने लेने वाले नेताओं में उत्तम कुमार रेड्डी, दामोदर राजा नरसिम्हा, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, दुल्ला श्रीधर बाबू, पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी, पूनम प्रबाकर, कोंडा सुरेखा, तुमाला नागेश्वर राव, अन्नसुइया सिथाका, जुपाली कृष्णा राव और शामिल हैं। इसके अलावा गद्दम प्रसाद कुमार स्पीकर बनाया गया है।

कैबिनेट में पहली बार हैदराबाद से नहीं होगा कोई मंत्री

रेवंत रेड्डी की अगुवाई में बनने वाल तेलंगाना की नई सरकार में पहली बार हैदराबाद से कोई भी प्रतिनिधि नहीं होगा। दरअसल, हैदराबाद के तहत 15 विधानसभा सीटें आती हैं और कांग्रेस ने इनमें से एक भी सीट नहीं जीती है। हैदराबाद की 15 सीटों में बीआरएस, एआईएमआईएम और बीजेपी ने जीत दर्ज की है।

हैट्रिक लगाने से चूके केसीआर

बता दें कि 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य बना। राज्य के गठन के बाद से के चंद्रशेखर राव लगातार दो बार सीएम रहे। कांग्रेस ने इस बार उन्हें हैट्रिक नहीं लगाने दिया। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की। तेलंगाना की 119 सीटों में से कांग्रेस को 64 सीटें मिली जबकि बीआरएस 39 सीटों पर ही सिमट गई।

मुझे मोदी जी बनाकर जनता से दूर मत करो, मोदी ही कहो..', संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री का संबोधन

तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रचंड जीत के बाद गुरुवार को पार्टी की संसदीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया गया। भाजपा सांसदों ने 'मोदी की गारंटी' के नारे लगाए और पीएम का जोरदार स्वागत किया। पीएम मोदी ने सांसदों से कहा कि, ''यह किसी की निजी जीत नहीं, बल्कि सामूहिक जीत है। मुझे 'मोदी जी' बनाकर जनता से दूर मत करो। मैं मोदी हूं।”

भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल ने बैठक के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'विकसित भारत प्रतिज्ञा यात्रा' में विकास योजनाओं पर चर्चा की और सभी सांसदों से भाग लेने का आग्रह किया। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, तीन राज्यों - राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश - के विधानसभा चुनावों में यह सामूहिक जीत अकेले मोदी की नहीं, बल्कि इसमें शामिल सभी लोगों की है। सभी ने मिलकर काम किया। आइए अब विकसित भारत की यात्रा के लिए कमर कस लें। 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य है। 

उन्होंने भाजपा सांसदों से कहा कि, आइये, विश्वकर्मा योजना का उत्साहपूर्वक प्रचार-प्रसार करें। आइए अपने-अपने क्षेत्र के लाभार्थियों तक पहुंचें, उनसे जुड़ें और सरकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करें। भाजपा के पास राज्यों में दोबारा सरकार बनाने का रिकॉर्ड 58% है, जबकि कांग्रेस के पास केवल 18% है। उन्होंने कहा कि, महत्वाकांक्षी जिलों में काम करने का लाभ मिला है। वहां करीब साठ सीटें जीत ली हैं। इससे पता चलता है कि जमीन पर काम करने से अनुकूल परिणाम मिलते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मुझे मोदी जी नहीं, मोदी कहिए, क्योंकि लोग मुझे इसी नाम से जानते हैं।' दूसरे शब्दों में कहें तो 'मोदी जी की गारंटी' नहीं, बल्कि 'मोदी की गारंटी' कहें। जनता यही कहती है और मुझे इसी नाम से जानती है।'

'चाय-समोसे तक ही सीमित INDIA गठबंधन की बैठक..', पढ़िए, ये क्या बोल गए सीएम नितीश कुमार के सांसद

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने अब अपने ताजा बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे की चर्चा होने से पहले तक विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) ब्लॉक की बैठकें केवल चाय-समोसे तक ही सीमित थीं। बता दें कि, इससे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की भारी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी और भाजपा का चुनावी नारा 'मोदी है तो मुमकिन है' दोहराया था, जो INDIA गठबंधन के कई नेताओं को चुभा था।

अब JDU सांसद पिंटू ने कहा है कि, 'सीटों का बंटवारा होने तक इंडिया ब्लॉक की बैठकें चाय-समोसे तक ही सीमित हैं।' पीएम मोदी की प्रशंसा का जिक्र करते हुए पिंटू ने कहा कि यह हिंदी पट्टी के राज्यों के लोग हैं, जो मोदी पर विश्वास करते हैं और उन्होंने केवल तथ्य ही बताया था। उन्होंने कहा कि, 'हमें लोगों की पसंद को समझना और उस पर विचार करना चाहिए और आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीतियों पर काम करना चाहिए।'

पिंटू ने कहा कि वह भाजपा के साथ हैं और दिल से भाजपाई ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा द्वारा JDU में भेजा गया था। उन्होंने कहा कि वह किसी भी समय अपने नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने में सहज नहीं हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद बिहार में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब पिंटू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और भाजपा का चुनावी नारा बुलंद किया। सीतामढी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पिंटू ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की भारी जीत के बाद यह टिप्पणी की थी।

पिंटू ने कहा, "चुनाव नतीजों को देखने से पता चलता है कि 'मोदी है तो मुमकिन है'। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में यही नारा दिया था।" उनकी टिप्पणी पर JDU ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने पिंटू से कहा था कि अगर वह पीएम मोदी से प्रभावित हैं तो उन्हें लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

चाय-समोसे तक ही सीमित INDIA गठबंधन की बैठक..', पढ़िए, ये क्या बोल गए सीएम नितीश कुमार के सांसद

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने अब अपने ताजा बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे की चर्चा होने से पहले तक विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) ब्लॉक की बैठकें केवल चाय-समोसे तक ही सीमित थीं। बता दें कि, इससे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की भारी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी और भाजपा का चुनावी नारा 'मोदी है तो मुमकिन है' दोहराया था, जो INDIA गठबंधन के कई नेताओं को चुभा था।

अब JDU सांसद पिंटू ने कहा है कि, 'सीटों का बंटवारा होने तक इंडिया ब्लॉक की बैठकें चाय-समोसे तक ही सीमित हैं।' पीएम मोदी की प्रशंसा का जिक्र करते हुए पिंटू ने कहा कि यह हिंदी पट्टी के राज्यों के लोग हैं, जो मोदी पर विश्वास करते हैं और उन्होंने केवल तथ्य ही बताया था। उन्होंने कहा कि, 'हमें लोगों की पसंद को समझना और उस पर विचार करना चाहिए और आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीतियों पर काम करना चाहिए।'

पिंटू ने कहा कि वह भाजपा के साथ हैं और दिल से भाजपाई ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा द्वारा JDU में भेजा गया था। उन्होंने कहा कि वह किसी भी समय अपने नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने में सहज नहीं हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद बिहार में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब पिंटू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और भाजपा का चुनावी नारा बुलंद किया। सीतामढी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पिंटू ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की भारी जीत के बाद यह टिप्पणी की थी।

पिंटू ने कहा, "चुनाव नतीजों को देखने से पता चलता है कि 'मोदी है तो मुमकिन है'। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में यही नारा दिया था।" उनकी टिप्पणी पर JDU ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने पिंटू से कहा था कि अगर वह पीएम मोदी से प्रभावित हैं तो उन्हें लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम का हुआ अभिनंदन, बोले-ये जीत कार्यकर्ताओं की है, अकेले मोदी की नहीं

#bjpparliamentaryboardmeetingpmmodiwelcomebymps 

दिल्ली में गुरुवार को भाजपा की संसदीय दल की बैठक हुई है।मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की बंपर जीत के बाद आयोजित बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पार्टी के सांसदों ने पीएम मोदी का स्वागत किया।संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को माला पहनाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान बीजेपी सांसदों ने मोदी जी का स्वागत है और मोदी जीत की गारंटी के नारे लगाए। बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि यह जीत अकेले मोदी की नहीं बल्कि सभी कार्यकर्ताओं की सामूहिक जीत है।साथ ही पीएम मोदी ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर लाभार्थियों से संपर्क करें, लोगों को सरकार की योजनाओं के बारे में बताएं और लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस लें।

संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि ये किसी की निजी जीत नहीं है, बल्कि सामूहिक जीत है। पीएम ने कहा, मुझे ‘मोदी जी’ बनाकर जनता से दूर मत करो। उन्होंने कहा, मैं मोदी हूं। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि आकांक्षी ज़िलों में काम करने का लाभ पार्टी को मिला है, वहां पार्टी ने क़रीब 60 सीटें जीती हैं।यह बताता है कि अगर जमीन पर काम करें तो अनुकूल परिणाम मिलते हैं। पीएम ने कहा कि बीजेपी की राज्यों में सरकार रिपीट होने का 58 फीसदी रिकॉर्ड है, जबकि कांग्रेस का केवल 18 फीसदी ही है।

सांसदों से विकसित भारत संकल्प यात्रा में जुटने की अपील

पीएम मोदी ने आगे सांसदों से कहा कि वह जोर शोर से विकसित भारत संकल्प यात्रा में जुट जाएं। 2047 तक विकसित भारत बनाना है। सभी सांसद विश्वकर्मा योजना को घर घर तक पहुंचाएं। पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी को आकांक्षी जिलों में काम करने का फायदा मिला है, वहां पर करीब साठ सीटें जीती हैं। पीएम ने सांसदों से कहा कि इससे यह पता चलता है कि अगर जमीन पर काम किया जाए तो अनुकूल परिणाम मिलता है।

इनके दफ्तर को AM-PM पता नहीं, पीएमओ क्या चलाएंगे...', राहुल गांधी के ऑफिस को लेकर बोले थे प्रणब मुखर्जी

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प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता पर “माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स” किताब लिखी है। इस किताब में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अइपने पिता के हवाले से राहुल गांधी को लेकर कई खुलासे किए है। शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में राहुल और उनके परिवार को लेकर उनके पिता की आलोचनात्मक टिप्पणियों का जिक्र किया है।शर्मिष्ठा ने किताब में लिखा है कि एक बार उनके पिता ने कहा था कि राहुल गांधी 'बहुत विनम्र' और 'सवालों से भरपूर' हैं। लेकिन उनका मानना था कि राहुल गांधी को अभी राजनीतिक रूप से मैच्योर होना बाकी है।

शर्मिष्ठा ने इसमें लिखा कि एक बार प्रणब ने बताया था कि राहुल के ऑफिस को AM (रात 12 बजे से दोपहर 12 बजे तक का वक्त) और PM (दोपहर 12 बजे से रात 12 बजे का वक्त) नहीं पता। क्या कभी वे प्रधानमंत्री ऑफिस (PMO) संभाल पाएंगे। शर्मिष्ठा के मुताबिक, उनके पिता ने यह भी बताया था कि राहुल गांधी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कई प्रोग्राम्स में नहीं आते थे। ऐसा क्यों होता था, यह नहीं पता। 

किताब में एक जगह शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं, एक सुबह, मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में प्रणब मुखर्जी की रूटीन मॉर्निंग वॉक के दौरान राहुल गांधी उनसे मिलने आए। प्रणब मुखर्जी को मॉर्निंग वॉक और पूजा के दौरान कोई भी रुकावट पसंद नहीं था। फिर भी, उन्होंने राहुल गांधी से मिलने का फैसला किया। बाद में पता चला कि असल में राहुल गांधी से मिलने का कार्क्रम शाम को तय था। लेकिन राहुल गांधी के ऑफिस ने गलती से उन्हें बता दिया कि मीटिंग सुबह है।

वहीं, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में राहुल गांधी द्वारा 2013 में एक अध्यादेश की प्रति को फाड़ने के वाक्ये का भी जिक्र है। राहुल के इस व्यवहार पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी स्तब्ध थे। शर्मिष्ठा ने लिखा, प्रणब मुखर्जी घटना से स्तब्ध रह गए थे। बहुत दिनों के बाद मैंने अपने पिता को इतना क्रोधित होते देखा। उनका चेहरा लाल हो गया था। किताब के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि राहुल गांधी को गांधी-नेहरू परिवार से होने का घमंड है, लेकिन उनमें उनके जैसा राजनीतिक कौशल नहीं है। प्रणब ने यह भी कहा था कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यह घटना (अध्यादेश की प्रति फाड़े जाने की घटना) कांग्रेस के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।

बता दें कि शर्मिष्ठा मुखर्जी की ये किताब प्रणब मुखर्जी की जन्मतिथि यानी 11 दिसंबर को लॉन्च होने वाली है। इस किताब में प्रणब मुखर्जी की डायरी के पन्ने हैं, जिनमें उन्होंने समकालीन भारतीय राजनीति पर अपने विचार लिखे थे। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया। उन्होंने दशकों के शानदार राजनीतिक करियर में कई शीर्ष मंत्रालय संभाले। 2020 में उनका निधन हुआ। जिन वर्षों में राहुल गांधी अमेठी से सांसद के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू कर रहे थे। उस दौरान प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री थे।