उत्तरकाशी में मजदूरों के सफल रेस्क्यू पर दुनियाभर में जय-जयकार, जानें विदेशी मीडिया में क्या-क्या कहा गया?
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया है।71वें दिन सुरंग से बाहर आते ही श्रमिकों का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोरदार स्वागत किया।एक तरफ इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जहां भारतीय लोगों ने राहत की सांस ली और सरकार को धन्यवाद दिया। वहीं, 400 से अधिक घंटे के बाद इस रेस्क्यू पर विदेशी मीडिया की खास नजर रही।विदेशी मीडिया में इस रेस्क्यू ऑपरेशन चर्चा में है। भारतीय मजदूरों के हौसले और रेस्क्यू टीम के कौशल की जमकर तारीफ हो रही है।
मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण से सफल हुआ अभियान-बीबीसी
इस अभियान की वैश्विक मीडिया ने सराहना की है। साथ ही पूरी दुनिया में इसका सीधा प्रसारण देखने को मिला। बीबीसी की ओर से लगातार इससे जुड़ा अपडेट दिया जा रहा था। उसने अपनी खबर में लिखा, 'सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के निकलने की खबर के साथ ही जश्न का माहौल हो गया।' बीबीसी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की सुरंग से बाहर निकले मजदूरों से मिलने की तस्वीर पोस्ट की।बीबीसी ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए लिखा कि मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण ने जटिल लग रहे मिशन को सफल बनाया।
सीएनएन ने ऐसे की सराहना
सीएनएन ने खबर दी है, 'घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उन श्रमिकों से मिलते हुए दिखाया गया है जिन्हें खुशी के माहौल के बीच सुरंग से निकाला गया था।' सीएनएन ने कहा कि श्रमिकों को बचाने के अभियान में कई रुकावटें भी आई जब मलबे में खुदाई के लिए इस्तेमाल की जा रही भारी मशीनें खराब हो गईं और उसके बाद मलबे में आंशिक रूप से हाथों से खुदाई करनी पड़ी और अन्य जोखिमपूर्ण तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा।
यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है- द गार्जियन
ब्रिटेन के प्रमुख द गार्जियन अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा कि यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है। रिपोर्ट में कहा गया कि मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की है. जब मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऑगर मशीन खराब हो गई तब अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल तरीके से साफ किया गया. फिर पाइप के जरिए सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया।
भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियान- वाशिंगटन पोस्ट
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा-बचाव अभियान केवल कुछ दिनों तक चलने की उम्मीद थी। इसके बजाय, उन 41 निर्माण श्रमिकों तक पहुंचने में 17 दिन लग गए, जो इस महीने की शुरुआत में उत्तरी भारत में भूस्खलन के कारण एक पहाड़ी सुरंग ढह जाने से फंस गए थे।कष्टदायी इंतजार आखिरकार मंगलवार रात को खत्म हुआ और सभी को जिंदा बाहर निकाला गया। लेकिन खुशी और राहत से परे, यह सवाल बना हुआ है कि जो भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियानों में से एक बन गया।
बचाए गए लोगों का हीरो के रूप में स्वागत किया गया- डॉन
पाकिस्तानी न्यूज बेवसाइट डॉन ने लिखा-मंगलवार को जब बचावकर्मियों ने हिमालयी सड़क सुरंग से सभी 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला तो भारतीय कामगारों का जोरदार जयकारों और फूलों की मालाओं से स्वागत किया गया। विशेष रूप से स्ट्रेचर पर 57 मीटर (187 फीट) स्टील पाइप के माध्यम से खींचे जाने के बाद बचाए गए लोगों का मुस्कुराहट के साथ हीरो के रूप में स्वागत किया गया, जहां राज्य के अधिकारियों ने उनके परिवारों को गले लगाने से पहले उनका स्वागत किया।
17 दिनों बाद आखिरकार 41 परिवारों के लिए आई खुशखबरी
बता दें कि 17 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हुए थे और उनके परिवारों की जान सांसत में थी। लगातार कोशिश और मुश्किलों के बाद भी रेस्क्यू टीम ने ऑपरेशन पूरा कर दिखाया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।
Nov 29 2023, 13:11