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जान लीजिए, भारत के इस शहर में रात 12 बजे इस शहर में बीच सड़क पर छिड़ी जंग फिर हुआ 'कंस वध', और जगह का नाम पड़ गया 'कंस चौराहा'

मध्य प्रदेश के शाजापुर शहर के सोमवारिया बाजार में कंस दशमी पर कंस वध कार्यक्रम हुआ। कंस वध के पहले श्री कृष्ण तथा कंस की सेना के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ। श्रीकृष्ण एवं कंस के सैनिक के रूप में सजे-धजे कालाकारों ने एक-दूसरे पर तीखे व्यंग बाण चलाए। रात ठीक 12 बजते ही प्रभु श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। तत्पश्चात, गवली समाज के लोग कंस के पुतले को लाठी-डंडों से पीटते तथा जमीन पर घसीटते हुए नई सड़क की तरफ ले गए। 

''अरे! कन्हैया सुन...करते हैं लूटमार हम सिपाही कंस के...करते हैं भ्रष्टाचार हम सिपाही कंस के...खा जाएंगे तुझे कच्चा और डकार तक नहीं लेंगे...ऐसे खतरनाक हैं हम सिपाही कंस के...'' ऐसे वाकयुद्ध के साथ देवता तथा दानव तलवारें लहराते और डरावने अट्टाहास करते हुए शहर की सड़कों पर निकले। विशेष बात यह है कि इस युद्ध में खून की नदियां नहीं, बल्कि हंसी के फव्वारे छूटते हैं। संवादों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं राजनीति पर भी व्यंग्य होते हैं। 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों को भी संवाद में सम्मिलित किया गया। 

गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया दिवंगत मोतीराम मेहता ने लगभग 270 साल पहले मथुरा में कंस वधोत्सव कार्यक्रम होते देखा तथा फिर शाजापुर में वैष्णवजन को अनूठे आयोजन के बारे में बताया। इसके बाद से ही परंपरा का आरम्भ हो गया। लगभग 100 सालों तक मंदिर में ही आयोजन होता रहा, किन्तु जगह की कमी के चलते इसे नगर के एक चौराहे (जिसे अब कंस चौराह नाम दिया जा चुका है) पर किया जाने लगा। इस कंस वध को देखने शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के लोग भी सम्मिलित हुए।

मैंने इशारा कर दिया तो तुम्हे भागना पड़ेगा, दौड़ाऊं क्या..', मंच से अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस अफसर को धमकाया तो भड़के असम के CM

 हैदराबाद में एक पुलिस अधिकारी को धमकी देने के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अकबरुद्दीन ओवैसी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर यह असम में हुआ होता तो मामला "पांच मिनट" के भीतर सुलझ गया होता। दरअसल, AIMIM चीफ असदुद्दीन औवेसी के भाई अकबरुद्दीन ओवेसी पर बुधवार को एक पुलिस इंस्पेक्टर को खुलेआम धमकी देने का केस दर्ज किया गया, जो (अफसर) उनसे विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता का पालन करने के लिए कह रहा था।

इसको लेकर सीएम सरमा ने कहा कि, 'अगर असम में ऐसा हुआ होता तो मामला पांच मिनट में सुलझ गया होता। तेलंगाना में तुष्टिकरण की राजनीति के कारण न तो BRS और न ही कांग्रेस कुछ कह रही है, अगर आप खुलेआम पुलिस को धमकी दे सकते हैं, तो लोगों को खतरा महसूस होगा।" इसके साथ ही असम के सीएम ने भारत के चुनाव आयोग से अकबरुद्दीन ओवैसी की उम्मीदवारी को "रद्द" करने का आग्रह किया। इससे पहले साउथ ईस्ट जोन के DSP रोहित राजू ने बताया कि अकबरुद्दीन औवेसी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "मामला IPC की धारा 353 (आधिकारिक कर्तव्यों में बाधा डालना) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।" अपने खिलाफ दर्ज FIR पर प्रतिक्रिया देते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि, "DCP और पुलिस झूठ बोल रहे हैं। सबसे पहले, मेरे पास उनके (एक पुलिस अधिकारी) मंच पर आने का वीडियो फुटेज है। अगर मैं रात 10 बजे के बाद भाषण देता हूं, तो पुलिस मुझ पर कानून के तहत मामला दर्ज कर सकती है। लेकिन सार्वजनिक बैठक में बाधा डालना और यह कहना कि समय समाप्त हो गया है, गलत है। पुलिस को ऐसा नहीं करना चाहिए।"

बता दें कि, AIMIM नेता हैदराबाद के ललिताबाग में एक अभियान को संबोधित कर रहे थे, समय समाप्त होने पर एक पुलिसकर्मी ने उन्हें सभा समाप्त करने को कहा। जिसके बाद अकबरुद्दीन भड़क गए और पुलिस अफसर को ही कार्यक्रम स्थल से "छोड़ने" के लिए कह दिया, साथ ही उन्होंने इशारा किया कि, यदि उन्होंने अपने समर्थकों को "संकेत" दिया, तो इंस्पेक्टर को उस स्थान से "भागने" के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अकबरुद्दीन के शब्दों में, उन्होंने पुलिस अफसर को धमकाते हुए कहाँ था कि ''चलिए यहां से, चलिए बिल्कुल। तुमको क्या लगा मैं कमजोर हो गया। अभी बहुत हिम्मत है, छेड़ो मत हमें। 5 मिनट और बोलूंगा। कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ जो मुझे रोक दे। अगर मैंने इशारा कर दिया तो दौड़ना पड़ेगा.. दौड़ाऊं तुम्हें?''

इस संबंध में, AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने भाई की टिप्पणी का बचाव किया और कहा कि अधिकारी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था, क्योंकि दिन का प्रचार समय समाप्त होने में "पांच मिनट" बाकी थे। अकबरुद्दीन चंद्रायनगुट्टा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में हैं। यह सीट AIMIM का गढ़ रही है, पार्टी ने 2014 और 2018 में यहां जीत हासिल की थी। तेलंगाना में 30 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। चार अन्य चुनावी राज्यों के साथ तेलंगाना के लिए वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।

बस कुछ घंटों में बाहर आ जाएंगे टनल में फंसे 41 मजदूर, 45 मीटर हुई ड्रिलिंग

#uttarkashi_tunnel_collapse 

उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 11वां दिन है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। इस बीच मजदूरों को बाहर निकालने के संबंध में बड़ी खबर मिल रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अंदर फंसे 41 मजदूरों को महज कुछ घंटों के भीतर ही बाहर निकाला जा सकता है। 45 मीटर तक पाइप को अंदर डाला जा चुका है।बस घंटे में देशवासियों को खुशखबरी मिलने वाली है।

दरअसल, अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम सक्सेज होता दिख रहा है। टनल में 57 मीटर तक मलबा जमा है और अर्थ ऑगर 45 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है। अब सिर्फ 12 मीटर की ड्रिलिंग और होनी है। ये मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर की ड्रिलिंग करती है। ऐसे में अगले 3 से 4 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं।NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजकर 45 मिनट पर दोबारा अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, जिसमें 22 मीटर से आगे ड्रिल कर पाइप डालना शुरू किया गया। अब तक 45 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है। महमूद अहमद का कहना है कि बुधवार देर रात तक हम सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे।

पाइपलाइन डालने के बाद इसकी सफाई का कार्य किया जाएगा। इसके बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का कार्य शुरू होगा।पाइपलाइन से श्रमिकों के बाहर निकालने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकार की सुविधाओं से लैस 41 एंबुलेंस को सिलक्यारा टनल के पास खड़ा किया गया है। स्ट्रेचर भी मौके पर पहुंच गए हैं।

जैसे-जैसे टनल के मलबे में बचाव का पाइप मजदूरों के करीब जा रहा है, वैसे ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मुस्तैद हो गई है। दोनों ने बुधवार को तैयारियों का जायजा लिया। एनडीआरएफ ने लक्ष्य रखा है कि सबकुछ ठीक रहा पाइप सुरंग में आर-पार होने के बाद सात मिनट के भीतर सभी 41 मजूदरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा। एनडीआरएफ ने 800 मिमी पाइप के भीतर से मजदूरों को निकालने के लिए गोलाकार स्ट्रेचर बनाया है। बुधवार को बाहर पाइप के भीतर इसे डालकर उन्होंने मजदूरों को बाहर निकालने की मॉक ड्रिल की। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि ड्रिल व तैयारियों के हिसाब से लक्ष्य रखा गया है कि सबकुछ सामान्य रहा तो 7 मिनट के भीतर मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाएगा।

दिवाली के दिन रविवार को सिल्क्यारा टनल हादसा हुआ था। इसमें 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे। दिवाली के दिन से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। कई बार इसमें अड़चनें भी आईं। सुरंग के अंदर मजदूरों की हालत कैसी है, इसको लेकर पूरे देशवासियों को फिक्र हो रही थी। हादसे के 10वें दिन पहली बार मजदूरों का सीसीटीवी फुटेज आया तो सभी ने राहत की सांस ली। सुरंग के अंदर सभी मजदूर सकुशल हैं। रेस्क्यू कर रही टीमों के अधिकारियों ने उनसे बात भी की थी। मजदूरों को समय-समय पर खाना-पानी भी पहुंचाया जा रहा है।

जी20 वर्चुअल समिट में पीएम मोदी ने आतंकवाद पर किया प्रहार, बोले-नागरिकों की मौत कहीं भी हों निंदनीय

#pm_modi_say_in_g20_virtual_summit 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 नेताओं की वर्चुअल समिट की अध्यक्षता की।जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में छिड़ी लड़ाई की खुलकर चर्चा की। आतंकवाद पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत कहीं भी हो वो निंदनीय है।इजराइल-हमास युद्ध पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि आज बंधकों के रिलीज के समाचार का हम स्वागत करते हैं। उम्मीद करते हैं कि सभी बंधक जल्द ही रिहा हो जाएंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि आज की दुनिया चुनौतियों से भरी है। इसमें आपसी विश्वास ही है जो हमें बांधता है, एक-दूसरे से जोड़े रखता है। जब मैंने इस वर्चुअल समिट का प्रस्ताव रखा था, तब मुझे पूर्वानुमान नहीं था कि आज की वैश्विक स्थिति कैसी होगी। पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अस्थिरता और असुरक्षा की स्थिति हम सब के लिए चिंता का विषय है। आज हम सभी का एक साथ आना इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान के लिए एक साथ खड़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इजराइल और हमास की लड़ाई किसी भी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न करे। आज संकटों के जो बादल हम देख रहे हैं, वन फैमिली में वो ताकत है कि हम शांति के लिए काम कर सकते हैं, मानवीय कल्याण के लिए हम आतंक और हिंसा के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। इसके लिए भारत कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तत्पर है।

पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेश यानी एआई के बढ़ते इस्तेमाल की भी चर्चा की। पीएम ने कहा कि दुनियाभर में एआई के नकारात्मक उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। एआई लोगों तक पहुंचनी चाहिए और समाज के लिए सुरक्षित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की सोच स्पष्ट है, हमें एआई के वैश्विक नियमन पर मिलकर काम करना होगा। पीएम ने यह भी कहा कि जी20 ने बहुपक्षवाद पर विश्वास बढ़ाया है।

बता दें कि कि 10 सितंबर को नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 की अध्यक्षता है। 2024 में ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान जी20 की टॉप तिकड़ी में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल होंगे। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और अगले साल तक वह शीर्ष तिकड़ी का हिस्सा बना रहेगा। जी 20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक मंच है। इसमें 19 देश शामिल हैं। जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

राजौरी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद, 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की खबर

#jammu_kashmir_rajouri_encounter_with_terrorists_two_soldiers_martyred

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि सुरक्षाबलों ने मौके पर दो आतंकियों को घेर लिया है। जंगल में आतंकवादियों की घुसपैठ की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सेना की स्पेशल फोर्स और पुलिस ने संयुक्त अभियान शुरू किया। 

दरअसल, राजौरी के कालाकोट थाने के अंतर्गत गांव बाजी के जंगलों में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने का इनपुट सुरक्षा बलों को मिला था। इस इनपुट के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिस के बाद उस इलाके में मुठभेड़ शुरू हुई।मुठभेड़ में एक अधिकारी (मेजर) और एक सैनिक की जान चली गई और एक अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गया। घायल जवान को अस्पताल ले जाया गया है।

जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल के जंगल पिछले कुछ वर्षों में कई मुठभेड़ों के बाद सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती साबित हुए हैं। आतंकवादी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर अपनी स्थिति को छुपाने के लिए घने जंगलों का उपयोग करते हैं। आतंकवादी अपनी स्थिति को छिपाने के लिए दुर्गम पहाड़ों, घने जंगलों और अल्पाइन जंगलों का फायदा उठाते हैं।

बता दें कि तीन दिन पहले राजौरी के बुद्धल गांव में सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को मार गिराया था जिसके बाद लगातार तलाशी अभियान चल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बाबा रामदेव की सफाई, बोले-कुछ लोग पतंजलि के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार, अपनी सारी रिसर्च दिखाने को तैयार

#ramdevsaidpatanjaliisnotdoingfalse_propaganda

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि वे भ्रामक विज्ञापन बंद करें। कोर्ट की चेतावनी के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है।स्वामी रामदेव ने कहा कि पंतजलि के खिलाफ 5 साल से प्रोपेगेंडा चल रहा है। हमें लगातार टारगेट किया जा रहा है। 

पतंजलि के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार-स्वामी रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आज बाबा रामदेव की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मीडिया साइट्स पर एक खबर वायरल हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप गलत प्रचार करेंगे तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ स्वार्थी किस्म के लोग पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार-स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी और मार्डन मेडिकल साइंस की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने एक समूह बनाया है जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करता है। अगर हम झूठे हैं, तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएं और हम मृत्युदंड के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो वास्तव में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह कोर्ट के सामने सैकड़ों मरीजों की परेड कराने के लिए तैयार हैं। वह कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव द्वारा सह-स्थापित और हर्बल उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति मंगलवार को आगाह किया था। दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी थी।

पाकिस्तान बनेगा ब्रिक्स का हिस्सा! सदस्यता के लिए किया आवेदन, रूस से है मदद की उम्मीद

#pakistanappliesforbricsmembership

विकासशील देशों के संगठन ब्रिक्स की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के बीच अब पाकिस्तान भी इसमें शामिल होना चाहता है। चीन के इशारे पर पाकिस्‍तान ब्रिक्‍स की सदस्‍यता हासिल करना चाहता है। पाकिस्‍तान चाहता है कि भारत का दोस्‍त रूस इसमें उसकी मदद करे। पाकिस्तान ने इसके लिए आवेदन भी दे दिया है। रूस की तास न्यूज एंजेंसी ने इसकी जानकारी दी है। रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने आवेदन भरने के साथ ही ब्रिक्स में सदस्यता दिलाने के लिए रूस से मदद मांगी है।

रूसी न्‍यूज एजेंसी तास की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तानी राजदूत ने एक इंटरव्‍यू में यह खुलासा किया है। पाकिस्‍तान की सदस्‍यता का मुद्दा अगले साल रूस के सामने आएगा।रूस में ब्रिक्‍स की अगली बैठक होने वाली है और देश के उप विदेश मंत्री ने कहा है कि ब्रिक्‍स की योजना है कि कुछ देशों को पार्टनर स्‍टेट का दर्जा दिया जाए। उन्‍होंने कहा कि ब्रिक्‍स के दोस्‍तों का विस्‍तार वह लैटिन अमेरिका तक देखना चाहते हैं। इससे पहले चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि हमें ब्रिक्‍स में और ज्‍यादा देशों को शामिल करना चाहिए ताकि वैश्विक व्‍यवस्‍था को ज्‍यादा न्‍यायोचित बनाया जा सके। चीन की मंशा है कि ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान को किसी तरह से शामिल किया जाए।

चीन की चाल के खिलाफ खड़ा भारत

चीन भले ही पाकिस्तान को ब्रिक्स सदस्य के रूप में देखना चाहता है, लेकिन भारत इसके खिलाफ पूरी ताकत से अड़ा हुआ है।भारत का कहना है कि ब्रिक्‍स का और ज्‍यादा अगर विस्‍तार होता है तो इससे वह कमजोर होगा और अपने मुख्‍य लक्ष्‍य को हासिल नहीं कर सकेगा। इसके अलावा आम सहमति भी बनाना आसान नहीं होगा। इससे पहले बेलारूस ने भी ब्रिक्‍स में घुसने की कोशिश की थी लेकिन भारत ने उसका कड़ा विरोध किया था।यही वजह है कि चीन और पाकिस्‍तान दोनों रूस के रास्‍ते भारत पर दबाव डालकर ब्रिक्‍स का विस्‍तार कराना चाहते हैं।

ब्रिक्स का हिस्सा क्यों बनना चाहता है पाकिस्तान?

पाकिस्तान की अर्थव्यस्था बेहद मुश्किल हालात से गुजर रही है लेकिन उसे अपने सहयोगी देशों से उतनी मदद नहीं मिल पा रही है। जिसकी उसे उम्मीद थी। इस्लामिक, अफ्रीकी और एशियाई देशों से वह निराश है जबकि अमेरिका भी उसे ज्यादा भाव नहीं दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान अब ब्रिक्स बैंक से आर्थिक मदद पाना चाहता है कि ताकि अपनी चरमराती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा कर सके।

क्या है ब्रिक्स?

बता दें ब्रिक्स में फिलहाल भारत,रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। हालांकि, दक्षिण अप्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन में संगठन के विस्तार का फैसला लिया गया। 6 देश - अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात- ब्रिक्स के नए सदस्य होंगे। नए सदस्य एक जनवरी 2024 से क्स का हिस्सा बन जाएंगे।

एमपी के बुरहानपुर में वन विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़े बंदर ! भूख से और पानी में डूबकर 50 की मौत, कई और फंसे हुए हैं

 मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक बांध के ओवरफ्लो होने से 50 से अधिक बंदरों की 'मौत' हो गई है। बंदरों की मौत जल संसाधन और वन विभाग की लापरवाही का नतीजा बताई जा रही है। घटना भावासा गांव की है। भावासा सिंचाई परियोजना के तहत भारी बारिश के कारण बांध का पानी अचानक भर गया था। जिसके कारण अनुमानतः 50 से 60 के बीच बंदरों का एक समूह पेड़ों पर फंस गया। कथित तौर पर बंदर कई महीनों तक पेड़ों पर फंसे रहे और पेड़ की पत्तियां खाकर जीवित रहे। जैसे-जैसे भोजन कम होता गया, बंदर मरने लगे।

ग्रामीणों ने कहा कि अभी भी 5 से 6 बंदर इलाके में पेड़ों पर फंसे हुए हैं। बुरहानपुर के भावासा गांव में जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने और जल स्तर बढ़ाने के लिए एक बांध का निर्माण किया गया था। हालांकि, अचानक हुई बारिश के कारण बांध भर गया और करीब 50 से 60 बंदर इमली के पेड़ों पर फंस गये। ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने बार-बार जल संसाधन विभाग और वन विभाग को घटना की जानकारी दी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों के अनुसार, बंदर इमली की पत्तियां और फल खाकर महीनों तक जीवित रहे। पेड़ों की पत्तियां भी खत्म हो गईं तो 50 से ज्यादा बंदरों की मौत हो गई। तैरने की कोशिश में कुछ बंदर पानी में डूब गये और कुछ भूख से मर गये। फिलहाल चार से पांच बंदर ही जीवित बचे हैं और बेहद कमजोर हो गए हैं।

बता दें कि बंदर वन्यजीव संरक्षण के अंतर्गत आते हैं और वन विभाग को इन्हें बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन एवं जल संसाधन विभाग द्वारा समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो बचे हुए बंदरों की भी मौत हो सकती है। उप वन अधिकारी (DFO) अजय सागर ने कहा इस बारे में कहा है कि यह घटना पुरानी नहीं है और हाल ही में जलस्तर बढ़ने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने 50 बंदरों की मौत के दावे का भी खंडन किया और कहा कि ग्रामीण इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामला अधिकारियों के संज्ञान में आ गया है और बंदरों को बचाने के लिए एक टीम भेजी जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बंदरों को कोई नुकसान नहीं होगा।

भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार स्वदेशी “विध्वंसक” इम्फाल, युद्धपोत से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल

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भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है।इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने पहली बार सेना में शामिल होने से पहले किसी युद्धपोत से मिसाइल दागी गई है। इस युद्धपोत का नाम विशाखापट्टनम क्लास स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस इम्पाल है। इससे दागी गई है दुनिया की सबसे तेज चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस।

युद्धपोत आईएनएस इम्फाल से निकली ब्रह्मोस मिसाइल के एक्सटेंडेड वर्जन ने 'बुल्स आई' पर निशाना लगाया। न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक्स पर वीडियो शेयर कर कहा, "इम्फाल (यार्ड 12706), भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक ने समुद्र में अपनी पहली ब्रह्मोस फायरिंग में 'बुल्स आई' स्कोर किया।

नौसेना ने एक बयान में कहा, भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक पोत- इम्फाल (यार्ड 12706) से निर्देशित प्रहार किया गया। समुद्र में अपनी पहली ब्रह्मोस फायरिंग में इम्फाल ने सटीक निशाना साधा। नौसेना की भाषा में इसे 'बुल्स आई' स्कोर करना कहा गया।

नौसेना ने कहा, इससे 'आत्मनिर्भर भारत' आह्वान के तहत बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता की भी पता चलता है। इम्फाल को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला दिखाता है कि नौसेना स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की सुनिश्चित विश्वसनीयता पर अटूट फोकस कर रही है।

इसे भारत में निर्मित सबसे बड़े विध्वंसक जहाजों में से एक बताया जा रहा है। इसकी कुल लंबाई 164 मीटर है। इम्फाल का डिस्प्लेसमेंट 7500 टन से अधिक है। यानी समुद्र में जहाज परिचालन के दौरान इतनी मात्रा में पानी का विस्थापन होगा। इम्फाल पोत की क्षमता के बारे में नौसेना ने बताया कि यह सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक 'ब्रह्मोस' मिसाइलों और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली 'बराक-8' मिसाइलों से लैस है। समुद्र के भीतर युद्ध क्षमता के लिए विध्वंसक जहाज में कई और भी सुविधाओं को जोड़ा गया है। 

इम्फाल को अब तक के सबसे योग्य लड़ाकू प्लेटफॉर्म कहा जा सकता है।इम्फाल को सहायक जहाजों के बिना स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा सकता है।इम्फाल जहाज 312 लोगों के चालक दल को समायोजित कर सकता है। 4000 समुद्री मील की क्षमता वाला ये युद्धपोत 42 दिनों के सामान्य मिशन को निर्बाध तरीके से अंजाम दे सकता है। जहाज का एक्सेस बढ़ाने के लिए इसे दो हेलीकॉप्टरों से भी सुसज्जित किया गया है।

नौसेना के स्वदेशी जहाज को बड़ी कामयाबी, पहली ही स्ट्राइक में तबाह हो गई मिसाइल, किसी भी समय युद्ध के लिए तत्पर

भारतीय नौसेना ने अपने नवीनतम स्वदेशी युद्धपोत, आईएनएस इंफाल (यार्ड 12706) से ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। एक बयान में, नौसेना ने इस सटीक हमले को आईएनएस इम्फाल द्वारा किए गए 'बुल्स आई' के रूप में संदर्भित किया।

किसी भी समय युद्ध के लिए तत्परता

नौसेना के अनुसार, किसी भी जहाज के चालू होने से पहले विस्तारित दूरी वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला परीक्षण किया गया, जो किसी भी समय युद्ध के लिए नौसेना की तैयारियों को प्रदर्शित करता है। नौसेना का संदेश स्पष्ट है- वह किसी भी परिस्थिति में युद्ध के लिए तैयार है।

नौसेना का 'आत्मनिर्भर भारत' पर भरोसा

नौसेना ने स्वदेशी पोत इम्फाल से मिसाइल को नष्ट करने की सफलता का जश्न मनाते हुए 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत जहाज निर्माण क्षमताओं पर भरोसा जताया। इंफाल को अपने बेड़े में शामिल करने का निर्णय स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता पर नौसेना के अटूट फोकस को उजागर करता है।

स्वदेशी इस्पात से निर्मित युद्धपोत

नौसेना ने 20 अक्टूबर को जारी एक बयान में बताया कि जहाज के निर्माण में स्वदेशी DMR 249A स्टील का उपयोग किया गया है। इंफाल को भारत में निर्मित सबसे बड़े स्वदेशी युद्धपोतों में से एक माना जाता है, जिसकी कुल लंबाई 164 मीटर है।

इंफाल का दुर्जेय शस्त्रागार

इम्फाल की क्षमताओं का विवरण देते हुए, नौसेना ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों को लॉन्च करने की अपनी क्षमता पर जोर दिया, जो सतह के लक्ष्यों पर सटीकता से हमला करने में सक्षम है, और मध्य दूरी के हवाई हमलों के लिए बराक -8 मिसाइलें हैं। यह युद्धपोत समुद्री युद्ध के लिए अतिरिक्त सुविधाओं से सुसज्जित है जो समुद्री क्षेत्र के भीतर अपनी क्षमताओं को बढ़ाता है। अंत में, आईएनएस इम्फाल से सफल परीक्षण फायरिंग भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। नौसेना के शस्त्रागार में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों का एकीकरण एक आत्मनिर्भर रक्षा महाशक्ति बनने की दिशा में भारत की प्रगति को उजागर करता है।