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देश के पहले दलित सूचना आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

#cic_heeralal_samariya_bjp_congress_adhir_ranjan_chowdhury_letter_president 

सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने छह नवंबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के प्रमुख के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 63 वर्षीय सामरिया को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ दिलाई। अब इस नियुक्ति पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें अंधेरे में रखा गया। कांग्रेस ने संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किए जाने की बात की है।

अधीर रंजन ने पत्र में लिखा, 'अत्यंत दुख और भारी मन से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं को ताक पर रख दिया गया।' उन्होंने कहा कि सरकार ने चयन के बारे में न तो उनसे सलाह ली और न ही उन्हें जानकारी दी। 

उन्होंने कहा, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर चयन समिति का सदस्य होने के सीआईसी/आईसी के चयन को लेकर मुझे अंधेरे में रखा गया। उन्होंने ये भी कहा कि सीआईसी के चयन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर 3 नवंबर को बैठक भी की गई, मगर इस बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई।

 

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को हीरालाल सामरिया को सीआईसी के प्रमुख के रूप में शपथ दिलाई। राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हीरालाल सामरिया देश के पहले दलित मुख्य सूचना आयुक्त बने हैं। वह 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। बता दें कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद तीन अक्टूबर को ही खाली हो गया था क्योंकि उस दिन वाई के सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो गया था। सामरिया की नियुक्ति के बाद भी सूचना आयुक्त के आठ पद खाली हैं. सीआईसी में इस समय दो सूचना आयुक्त हैं।

ईरान की जेल में भूख हड़ताल पर बैठी नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी, जानें क्या है वजह

#nobel_peace_prize_winner_narges_mohammadi_starts_hunger_strike_in_jail

ईरान की जेल में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ईरान में महिला अधिकारों के लिए लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी जेल के अंदर भी अपने अभियान को जारी रखा है।नरगिस महिलाओं के अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के साथ ही जेल में महिला कैदियों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं देने का विरोध कर रही हैं।बता दें कि महिला अधिकारों के लिए लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी को इसी साल शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

नरगिस दिल और फेफड़े की समस्याओं से जूझ रही हैं। प्रशासन ने उन्हें अस्पताल ले जाने से महज इसलिए मना कर दिया, क्योंकि नरगिस ने अस्पताल जाने के लिए हिजाब पहनने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी।

नरगिस मोहम्मदी को रिहा कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान फ्री नरगिस मोहम्मदी के एक कार्यकर्ता ने नरगिस के परिवार के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि नरगिस ने एविन जेल से एक संदेश भेजकर अपने परिवार को बताया कि वो भूख हड़ताल पर कर रही हैं। नरगिस दिल और फेफड़े की समस्याओं से जूझ रही हैं, जिसको लेकर वो और उनके वकील काफी समय से अस्पताल में भर्ती कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इधर कुछ दिन पहले नरगिस के परिवार ने भी उनकी बीमारी के बारे में जानकारी दी थी। नरगिस मोहम्मदी के परिवार ने बताया है कि उनकी तीन नसों में ब्लॉकेज है और फेफड़ों में भी समस्या है लेकिन जेल अधिकारियों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया है क्योंकि उन्होंने हिजाब नहीं पहना।

इधर नॉर्वे की नोबेल समिति ने नरगिस मोहम्मदी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की है। समिति के प्रमुख बेरित रीज एंडरसन का कहना है कि महिला कैदियों अस्पताल में भर्ती कराने के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करना अमानवीय और नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नरगिस ने जेल के हालात को बयां करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की है। नार्वे नोबेल समिति ने ईरान प्रशासन से नरगिस समेत दूसरी महिला कैदियों को फौरन जरूरी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की गुजारिश की है।

आपको बता दें नरगिस मोहम्मदी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, उनके पति तगी रहमानी भी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वो भी कई बार जेल जा चुके हैं। नरगिस मोहम्मदी पिछले 30 सालों से लोगों के हितों के लिए अपनी आवाज बुलंद करती आई हैं।यही वजह है कि उन्हें कई बार गिरफ्तारी का सामना भी करना पड़ा। विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें 154 कोड़े मारने की सजा भी सुनाई भी सुनाई जा चुकी है। उनके खिलाफ और भी मामले चल रहे हैं।मोहम्मदी विभिन्न आरोपों में 12 साल जेल की सजा काट रही हैं। मोहम्मदी पर ईरान की सरकार के खिलाफ भ्रामक प्रचार करने का भी आरोप है।

रश्मिका मंदाना डीप फेक वीडियो मामले पर एक्शन में सरकार, जारी की एडवाइजरी

#rashmikamandannadeepfakevideogovtissuedadvisory

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से अभिनेत्री रश्मिका मंदाना की बनाई गई फर्जी वीडियो के मामले के तूल पकड़ने के बाद केंद्र सरकार एकेसन मोड़ में आ गई है।केंद्र सरकार ने एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो वायरल होने के मामले को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को एडवाइजरी जारी की है और आईटी इंटरमीडिएट रूल्स का पालन करने के लिए कहा है।

सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 डी का हवाला दिया है। ये धारा कंप्यूटर संसाधन का उपयोग कर धोखाधड़ी के लिए सजा से संबंधित है। इसके मुताबिक, जो कोई भी किसी संचार उपकरण या कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी करता है, उसे दंडित किया जाएगा। उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। ये एक लाख रुपये तक बढ़ सकता है।

क्या कहता है नियम?

सरकार की तरफ से नियमों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म से कहा गया कि उनकी भूमिका मध्यस्थ प्‍लेटफॉर्म की है। उन्‍हें नियमों और विनियमों, गोपनीयता नीति या मध्यस्थ के उपयोगकर्ता समझौते को सुनिश्चित करने सहित उचित परिश्रम का पालन करना होगा ताकि उपयोगकर्ताओं को किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिरूपण करने वाली किसी भी सामग्री को होस्ट न करने की जानकारी दी जा सके। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 डी के मुताबिक, कंप्यूटर संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए प्रतिरूपण कर धोखाधड़ी करने पर तीन साल तक की कैद और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।नियमों के मुताबिक, शिकायत मिलने पर कंपनियों को 24 घंटे के अंदर कंटेंट हटाना होता है।

मंदाना ने क्या कहा?

इस पूरे मामले पर रश्मिका मंदाना ने कहा, ये वाकया बेहद डरावना है। मुझे इसे साझा करते हुए वास्तव में दुख हो रहा है और मुझे ऑनलाइन फैलाए जा रहे मेरे डीपफेक वीडियो के बारे में बात करनी पड़ रही है। ईमानदारी से कहूं तो ऐसा कुछ न केवल मेरे लिए, बल्कि हममें से हर किसी के लिए बेहद डरावना है, जो आज टेक्नालॉजी के दुरुपयोग के कारण बहुत अधिक नुकसान की चपेट में है। अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित फिल्म उद्योग में कई लोगों ने इस मामले को उठाया और कानूनी कार्रवाई की मांग की।

दिल्ली के बाद अब नोएडा में 10 नवंबर तक स्कूल बंद, “खतरनाक” हुआ प्रदूषण, ऑनलाइन होंगी क्लासेज

#schools_will_remain_closed_in_noida_from_7_to_10_november

देश की राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर में प्रदूषण चरम पर है। बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली के बाद नोएडा में भी स्कूल बंद किए गए हैं। अब गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा के स्कूलों को बंद कर दिया है। जिला प्रशासन ने प्राइमरी से लेकर कक्षा 9 वीं तक के स्कूलों को आगामी 10 नवंबर तक बंद करने का फैसला किया है।

गौतमबुद्ध नगर जिलाधिकारी मनीष वर्मा की ओर से मंगलवार को एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए जिले के सभी स्कूलों को ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज-4 का पालन करना होगा। इसके तहत प्री स्कूल से लेकर नौवीं तक की क्लास को 10 नवंबर तक के लिए ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन करना होगा। जिलाधिकारी का आदेश ऐसे वक्त में आया है जब नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 400 के पार चला गया है।

आदेश के मुताबिक जिले के सभी स्कूलों को यह निर्देश दिया गया है कि वे जीआरएपी के स्टेज चार को लागू करें और साथ ही नौवीं तक के क्लास में फिजिकल क्लास न लिया जाए। इसकी जगह बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जाए।बता दें कि प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली में 3 नवंबर से स्कूल बंद हैं। वहीं गुरुग्राम और फरीदाबाद में 7 नवंबर से स्कूलों को बंद कर दिया गया है। अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 8 नवंबर से स्कूल बंद रहेंगे।

सोमवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 421 दर्ज किया गया। हालांकि, रविवार के मुकाबले 33 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। जहांगीरपुरी और वजीरपुर समेत 24 इलाकों में हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। सुबह से ही स्मॉग की चादर छाई रही। ऐसे में यही स्थिति बृहस्पतिवार तक बने रहने का अनुमान है। एनसीआर में दिल्ली के बाद ग्रेटर नोएडा की हवा अधिक प्रदूषित रही। दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का चौथा चरण लागू कर दिया गया है।

भारत ने सफलतापूर्वक किया 'प्रलय' मिसाइल का परीक्षण, “पड़ोसियों” की बढ़ने वाली है परेशानी, रेंज सुनकर उड़ जाएंगे होश

#successfullytestspralaymissileknowitsfeatures

अब दुश्मन का ठिकाना दूर नहीं होगा। देश की सीमा पर आंख गड़ा कर बैठे दुशमनों की अब खैर नहीं है।दरअसल, भारत ने अपनी नई, तेज और घातक मिसाइल प्रलय का सफल परीक्षण कर लिया है।ओडिशा तट के पास अब्दुल कलाम द्वीप से सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (एसआरबीएम) 'प्रलय' का मंगलवार को सफल परीक्षण किया।प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर तक दुश्मन के किसी भी तरह के अड्डे को बर्बाद कर सकती है।

सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल

जमीन से जमीन पर मार करने वाली प्रलय को पृथ्वी मिसाइल प्रणाली पर बनाया गया है। प्रलय मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो इंटरसेप्टर मिसाइलो को मात देने में भी सक्षम है। इसके लिए इसे एडवांस मिसाइल की तरह बनाया गया है। 'प्रलय' को वास्तविक नियंत्रण रेखा और नियंत्रण रेखा के पास तैनात करने के लिए विकसित किया गया है।

एलओसी के पास से चीन पर होगा निशाना

प्रलय लगभग 350 से 700 किलोग्राम तक वजन का हथियार ले जाने में सक्षम है, जो इसे और घातक बनाता है। सटीक मार्ग क्षमता और तेज रफ्तार से यह मिसाइल ज्यादा शानदार बनती है। यदि एलओसी के पास से इसे दागा जाए तो चीन के बंकर, तोप आदि को नष्ट और खत्म किया जा सकता है।

सरकार की क्या है तैयारी

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और चीन की सीमा पर 120 विध्वंसक मिसाइल प्रलय की तैनाती की हरी झंडी दे दी है।अब इन दोनों देशों की हिम्मत नहीं होगी कि भारतीय जमीन की तरफ बुरी नजर डाल सकें।छोटी दूरी की इस बैलिस्टिक मिसाइल की गति ही इसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है।प्रलय मिसाइल की तुलना चीन की 'डोंग फेंग 12' और रूस की 'इस्केंडर' से की जा सकती है, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में किया गया था।

हर स्थित में इजराइल के साथ खड़ा होता है अमेरिका, दोनों देशों के बीच दोस्ती की क्या है वजह?

#ussupportisraelknowthe_reason

हमास के हमले के बाद इजराइल को अमेरिका का पूरा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका की तरफ से इजरायल के लिए हरह संभव सैन्य सहायता मुहैया कराई जा रही है। इजरायल की ओर से गाजा पर किए गए हमलों के बाद भी अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। गाजा पर इजरायली हमले में अमेरिका ने किसी भी तरह की दखलअंदाजी से इनकार कर दिया और इसे इजरायल की रक्षा का अधिकार बताया। यही नहीं, हमास के हमले के चंद दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तेल अवीव पहुंच कर इजराइल के प्रति अमेरिका की एकजुटता जाहिर की। इतना ही नहीं अमेरिका ने इजरायल के लिए खाड़ी देशों से दुश्मनी मोल ली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका क्यों हर बार इजरायल के साथ खड़ा रहता है?

सबसे पहले अमेरिका ने दी थी इजराइल को मान्यता

इजराइल और अमेरिका के बेहतरीन रिश्तों का इतिहास क्या है और आखिर वो कौन से राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक समीकरण हैं, जिनकी वजह से अमेरिका हमेशा इजराइल के हर कदम को सही करार देता है। जानते हैं इसके पीछे की वजह। अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रुमैन दुनिया के पहले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सबसे पहले इजराइल को मान्यता दी थी।1948 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन यहूदी राज्य के निर्माण के कुछ ही क्षण बाद इसे मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।इजराइल के अस्तित्व के ऐलान के महज 11 मिनटों के भीतर उसे अमेरिकी मान्यता मिल गई थी।

इजराइल को मान्यता देने के पीछे की वजह

दरअसल ये द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद का दौर था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध ने आकार लेना शुरू कर दिया था। उस दौरान अरब देश अपने तेल भंडारों और समुद्री रास्तों (स्वेज नहर का मार्ग ऐसा व्यापारिक रास्ता था, जिसके जरिये बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था) की वजह से इलाक में दो वैश्विक शक्तियों के शक्ति परीक्षण का अखाड़ा बन गया था।यूरोपीय ताकतें कमजोर हो रही थीं और अमेरिका अरब जगत में सत्ता संघर्ष का बड़ा बिचौलिया बन कर उभर रहा था।तेल रिजर्व को लेकर अरब जगत में अमेरिका के हित बढ़ गए थे। लिहाजा उसे अरब देशों को नियंत्रित करने के लिए इजराइल की जरूरत थी। यही वजह थी कि अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने और एक सैन्य ताकत में उसे बढ़ावा देने में कोई देर नहीं की।

इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ

आज इजराइल की गिनती दुनिया के ताकतवर देशों में होती हैं। इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ है।इजराइल को अमेरिका मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की तरह देखता है।इसके लिए यूएस की ओर से इजरायल को हर तरह से मदद दी जाती है।एक रिपोर्ट बताती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इजरायल अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले देशों में सबसे ऊपर है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 1948 से अब तक इजरायल को 158 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने साल 2022 में इजरायल को 4.8 अरब डॉलर की मदद दी थी और साल 2023 में अब तक ही 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है।ये एक लंबे समय के लिए की जाने वाली सालाना मदद का हिस्सा है, जिसका वादा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने किया था।वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने बीते कुछ सालों में इजरायल को दुनिया की सबसे उन्नत मिलिट्री में से एक बनाने में भी पूरी मदद की है।अमेरिकी फंड की मदद से इजरायल अमेरिका से सैन्य साजो-सामान की खरीद-फरोख्त करता है।

आज भले ही इजराइल-अमेरिका के दोस्ती का बात कही जाती है, लेकिन अतीत में दोनों के रिश्तों में खटास भी दिखी है। स्वेज नहर को लेकर जब इजराइल ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर लड़ाई छेड़ दी थी तो अमेरिका का आइजनहावर प्रशासन उससे बेहद नाराज हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल को धमकी दी कि अगर उसने इस लड़ाई के दौरान कब्जा किए गए इलाकों को खाली नहीं किया तो उसकी मदद रोक दी जाएगी।दबाव में इजराइल को इन इलाकों से पीछे हटना पड़ा था।इसी तरह 1960 के दशक में अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में तनातनी दिखी। उस वक्त अमेरिका का कैनेडी प्रशासन इसराइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रमों को लेकर चिंतित था। हालांकि 1967 में जब मात्र छह दिनों की लड़ाई में इजराइल ने जॉर्डन, सीरिया और मिस्त्र को हरा कर अरब जगत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया तो इस यहूदी देश को देखने का अमेरिकी नज़रिया पूरी तरह बदल गया।इजराइल की इसी जीत के बाद अमेरिका ने उसे अरब जगत में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ एक स्थायी पार्टनर के तौर पर देखना शुरू किया था।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पंजाब सरकार से कहा-पराली जलाने पर रोक लगाएं

#delhiairpollutionhearinginsupremecourt

देश की राजधानी दिल्ली समेत आस-पास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त दिखा।आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कई तीखे सवाल पूछे? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर समय राजनीति नहीं हो सकती। पराली पर रोक लगानी होगी। यह कोई राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं है। आप यह सब कुछ दूसरों पर नहीं थोप सकते।हम नहीं जानते कि आप यह कैसे करते हैं, यह आपका काम है। लेकिन इसे रोका जाना चाहिए। तुरंत कुछ करना होगा।इससे लोगों के स्वास्थ्य की हत्या हो रही है। ऐसी क्या समस्या है कि आप पराली जलाने को नहीं रोक पाते हैं?

पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान तत्काल कदम उठाएं और पराली जलाने पर रोक लगाए। कोर्ट ने कहा कि आपका प्रशासन आज से सक्रिय हो जाना चाहिए। हम शुक्रवार को फिर इस मामले की सुनवाई करेंगे। लोकल एसएचओ इसके लिए जिम्मेदार होंगे। अपनी निगरानी में पराली जलाने की गतिविधि पर रोक लगाने को चीफ सेकेट्री और डीजीपी ये सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र से पंजाब में धान के अलावा वैकल्पिक फसल की तलाश करने को भी कहा है।

पराली से खाद बनाने के दावे पर दिल्ली सरकार से सवाल

कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कल कैबिनेट सचिव सभी राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक करें। शुक्रवार तक हमें स्पष्ट तस्वीर मिले। दिल्ली सरकार ने पराली को खाद बनाने वाले एक केमिकल का दावा किया था। क्या यह कभी सफल हुआ? यह सब सिर्फ दिखावा लगता है।

ऑड-इवन सिस्टम को बताया अवैज्ञानिक तरीका

कोर्ट ने आगे कहा, हमने अलग-अलग किस्म की गाड़ियों की पहचान के लिए अलग रंग के स्टिकर लगाने का आदेश दिया था। उस पर किसी राज्य ने जानकारी नहीं दी। दिल्ली सरकार ने ऑड-इवन लागू किया है। यह एक अवैज्ञानिक तरीका है। डीज़ल गाड़ियों की पहचान कर उन्हें रोकना चाहिए।

केंद्र से भी पूछा सवाल

वहीं इस मामले में कोर्ट ने केंद्र से भी कई सवाल पूछे? कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर आपने क्या तैयारियां की थी? धान की बजाय मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि या तो इस समस्या का समाधान अभी कीजिए या अगले 1 साल में कीजिए। हमारे सामने अगले साल ये समस्या नहीं आनी चाहिए।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पंजाब सरकार से कहा-पराली जलाने पर रोक लगाएं

#delhiairpollutionhearinginsupremecourt

देश की राजधानी दिल्ली समेत आस-पास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त दिखा।आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कई तीखे सवाल पूछे? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर समय राजनीति नहीं हो सकती। पराली पर रोक लगानी होगी। यह कोई राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं है। आप यह सब कुछ दूसरों पर नहीं थोप सकते।हम नहीं जानते कि आप यह कैसे करते हैं, यह आपका काम है। लेकिन इसे रोका जाना चाहिए। तुरंत कुछ करना होगा।इससे लोगों के स्वास्थ्य की हत्या हो रही है। ऐसी क्या समस्या है कि आप पराली जलाने को नहीं रोक पाते हैं?

पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान तत्काल कदम उठाएं और पराली जलाने पर रोक लगाए। कोर्ट ने कहा कि आपका प्रशासन आज से सक्रिय हो जाना चाहिए। हम शुक्रवार को फिर इस मामले की सुनवाई करेंगे। लोकल एसएचओ इसके लिए जिम्मेदार होंगे। अपनी निगरानी में पराली जलाने की गतिविधि पर रोक लगाने को चीफ सेकेट्री और डीजीपी ये सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र से पंजाब में धान के अलावा वैकल्पिक फसल की तलाश करने को भी कहा है।

पराली से खाद बनाने के दावे पर दिल्ली सरकार से सवाल

कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कल कैबिनेट सचिव सभी राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक करें। शुक्रवार तक हमें स्पष्ट तस्वीर मिले। दिल्ली सरकार ने पराली को खाद बनाने वाले एक केमिकल का दावा किया था। क्या यह कभी सफल हुआ? यह सब सिर्फ दिखावा लगता है।

ऑड-इवन सिस्टम को बताया अवैज्ञानिक तरीका

कोर्ट ने आगे कहा, हमने अलग-अलग किस्म की गाड़ियों की पहचान के लिए अलग रंग के स्टिकर लगाने का आदेश दिया था। उस पर किसी राज्य ने जानकारी नहीं दी। दिल्ली सरकार ने ऑड-इवन लागू किया है। यह एक अवैज्ञानिक तरीका है। डीज़ल गाड़ियों की पहचान कर उन्हें रोकना चाहिए।

केंद्र से भी पूछा सवाल

वहीं इस मामले में कोर्ट ने केंद्र से भी कई सवाल पूछे? कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर आपने क्या तैयारियां की थी? धान की बजाय मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि या तो इस समस्या का समाधान अभी कीजिए या अगले 1 साल में कीजिए। हमारे सामने अगले साल ये समस्या नहीं आनी चाहिए।

दिल्ली-नोएडा ही नहीं देश के इन शहरों का हाल है बेहाल, प्रदूषण के मामले में “गंभीर

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वैसे तो देश की राजधानी दिल्ली सियासी हलचल के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती है। हालांकि पिछले कुछ सालों में सर्दियां सुरू होने से पहले दिल्ली गंभीर प्रदूषण के कारण चर्चा में रहती है। बीते कुछ दिनों से राजधानी क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर के आसमान में धुंध छाई हुई है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, लगातार सातवें दिन दिल्ली में कई स्थानों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ने '400' यानी खतरे के निशान को पार कर लिया है।वैसे दिल्ली एनसीआर ही नहीं देश के कई शहरों में इन दिनों हवा जहरीली होती जा रही है।

देश के टॉप-10 प्रदूषित शहर

देश के टॉप-10 प्रदूषित शहरों की लिस्‍ट में आज सबसे ऊपर उत्‍तर प्रदेश का ग्रेटर नोएडा है, जहां एक्‍यूआई लेवल 441 के स्‍तर यानी गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। वहीं, दूसरे स्‍थान पर हरियाणा का फतेहबाद है, जहां एक्‍यूआई 428 के स्‍तर पर है। तीसरे स्‍थान पर राजस्‍थान का गंगानगर है, जहां एक्‍यूआई लेवल 406 है। हरियाणा के हिसार में भी एक्‍यूआई लेवल 406 है। हरियाणा का जींद(398), राजस्‍थान का धौलपुर(393), दिल्‍ली (393), राजस्‍थान का भिवाड़ी (389), हरियाणा का सोनीपत (380) और हरियाणा का फरीदाबाद (375) भी आज टॉप 10 प्रदूषित शहरों में शामिल है।

दुनिया के 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में भारत के तीन शहर

इससे पहले सोमवार को दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट जारी हो गई। इस लिस्ट में दिल्ली पहले स्थान पर है, दूसरे स्थान पर पाकिस्तान का लाहौर शहर है। टॉप 5 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में तीन भारतीय शहर हैं। दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट को स्विस ग्रुप आईक्यूएयर की तरफ जारी किया गया है. ये ग्रुप वायु प्रदूषण के आधार पर एयर क्वालिटी इंडेक्स तैयार करता है। लिस्ट के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई और कोलकाता 10 सबसे खराब आबोहवा वाले शहरों में शामिल हैं।

हमास के साथ जंग के बीच 1 लाख भारतीयों को नौकरी देगा इजरायल, जानें क्‍या है वजह

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गाजा में हमास और इजरायल के बीच बीते एक महीने से जंग जारी है। अब तक इस जंग में 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।इतने नरसंहार के बाद भी युद्ध रूकने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।इजराइल लगातार गाजा पट्टी पर बम बरसा रहा है। इन सबके बीच इजराइल ने भारत से तत्काल प्रभाव से एक लाख श्रमिकों की मांग की है।क्योंकि इजराइल ने 90 हजार फ़िलिस्तीनियों का परमिट रद्द कर दिया है।दरअसल, हमास के हमले के बाद अपने देश से 1 लाख फिलिस्तीनियों को काम से निकालने की योजना तैयार की है। इन फिलिस्तीनियों की जगह 1 लाख भारतीय कामगारों को इजरायल नौकरियाँ देगा।

इजरायल में काम करने वाले फिलिस्तीनी कामगार, फिलिस्तीन या गाजा में काम करने वाले कामगारों से कहीं अधिक कमाते हैं। हालाँकि, हमले के बाद अब इनके प्रति अविश्वास पैदा हो गया है, इसलिए इनको हटा कर इनकी भरपाई भारत से लाए गए कामगारों से करने की योजना तैयार की जा रही है। 

जिन फिलिस्तीनियों को हटाया जा रहा है, उनमें से अधिकाँश कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करते थे। इनके हटने से इजरायल में कामगारों की एकाएक कमी हो गई है। कामगारों की कमी से इस क्षेत्र में रुकावट ना पैदा हो, इसके लिए इजरायली बिल्डर्स एसोसिएशन ने सरकार से 50,000-1,00,000 तक भारतीय कामगारों को मंजूरी देने की अपील की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़राइल बिल्डर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हैम फीग्लिन ने जानकारी दी है कि इजराइल सरकार की मंजूरी मिलते ही हम एक लाख भारतीयों को नौकरी के लिए हायर करेंगे। हम भारत सरकार के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। हालांकि अभी भारत के विदेश मंत्रालय ने इजराइल में भारतीयों को नौकरी देने संबंधी सवालों का जवाब नहीं दिया है।

भारत और इजरायल के बीच पहले ही 42,000 भारतीयों को इजरायल में काम करने के लिए सहमति बन चुकी है। इसके लिए दोनों देशों के बीच मई 2023 में समझौता हुआ था। यदि अब 1 लाख कामगार भारत से और जाते हैं तो यह संख्या तीन गुने से अधिक हो आएगी।

बता दें कि भारत ऑपरेशन अजय के तहत अपने लोगों को इजराइल से निकाल रहा है, वहीं इजराइल की मांग पर एक लाख भारतीयों को नौकरी के लिए वहां जाने की अनुमति देगा या नहीं? यह बड़ा सवाल है।