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सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राघव चड्ढा, राज्यसभा से सस्पेंशन के खिलाफ दी चुनौती

#raghav_chadha_challenges_rajya_sabha_suspension_in_sc

आम आदमी पार्टी (आप) सांसद राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। अगस्त के महीने में राघव चड्ढा को निलंबित कर दिया गया था। 5 सांसदों की सहमति के बिना उनका नाम सेलेक्ट कमिटी के लिए प्रस्तावित करने के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया था। मामला अभी संसद की विशेषाधिकार कमिटी के पास है। राघव ने अपने निलंबन को गलत बताया है। इसके अलावा उन्होंने सरकारी बंगला खाली करने का आदेश देने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले को भी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरुला की बेंच 11 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

करीब दो महीने पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा पर दिल्ली सेवा विधेयक के संबंध में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। असल में चड्ढा ने इस मुद्दे पर प्रस्ताव पेश किया था। भारतीय जनता पार्टी के तीन, बीजू जनता दल के एक और अन्नाद्रमुक के एक सांसद ने प्रस्ताव पर नाम का विरोध किया। इसके बाद संसद में यह मसला उठा तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जांच की मांग उठाई।फिर 11 अगस्त को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राघव चड्ढा को पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने के आरोप में राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।

सदन में बोलने का मौका नहीं देने के लिए माइक बंद कर देने के मुद्दे पर राघव चड्ढा ने विशेषाधिकार समिति के सामने भी अपनी बात रखी। अभी तक इस समिति की तरफ से कोई रिपोर्ट नहीं आई है, वहीं इससे पहले राघव चड्ढा अपने निलंबन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। दूसरी ओर राधव चड्ढा को सितंबर 2022 में दिल्ली पंडरा रोड पर टाइप-7 बंगला अलॉट हुआ था। राज्यसभा सचिवालय के आदेश पर इस बंगले को भी खाली कराने के लिए कार्रवाई हुई। मामला दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पहुंचा। कोर्ट राघव के सरकारी बंगले को खाली कराने के आदेश पर लगी अंतरिम रोक हटा दी थी।

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के निधन की अफवाह, जानें बेटी ने क्या कहा?

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नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के निधन की अफवाह उड़ी थी।मंगलवार को सोशल मीडिया पर अमर्त्य सेन के निधन की खबर चल रही थी। हालांकि, अमर्त्य सेन के निधन की खबरों का उनकी बेटी नंदना देब सेन ने खंडन किया है। पीटीआई के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। उन्होंने पिता नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की मौत की खबर से इनकार किया है।

नंदना देब सेन ने कही ये बात

नंदना देब सेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, 'दोस्तों, आपकी चिंता के लिए धन्यवाद लेकिन यह फर्जी खबर है। बाबा पूरी तरह से ठीक हैं। हमने कैंब्रिज में अपने परिवार के साथ एक शानदार सप्ताह बिताया। कल रात जब हमने बाय कहा तो उनका गले लगाना हमेशा की तरह मजबूत था! वह हार्वर्ड में हर हफ्ते 2 कोर्स पढ़ा रहे हैं और अपनी किताब पर काम कर रहे हैं। हमेशा की तरह व्यस्त!

ऐसे फैली अफवाह

दरअसल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता क्लाउडिया गोल्डिन के एक अनवेरीफाइड अकाउंट से ट्वीट किया गया था, जिसमें बताया गया था कि अमर्त्य सेन का कुछ मिनट पहले निधन हो गया है। गोल्डिन ने एक्स पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि एक भयावह खबर है। मेरे सबसे प्रिय प्रोफेसर अमर्त्य सेन का कुछ मिनट पहले निधन हो गया है। वहीं, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कैस सनस्टीन रॉबर्ट वाल्मस्ले ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि अमर्त्य सेन की मृत्यु के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। मैं अब तक जितने लोगों को जानता हूं, उनकी बुद्धि अत्यंत प्रखर थी। वह दयालु, मजाकिया और शालीन थे, और कुछ साल पहले उनके साथ एक पाठ्यक्रम पढ़ाना खुशी और सौभाग्य की बात थी। दुनिया में एक खूबसूरत रोशनी बुझ गई है।उनके इस ट्वीट के बाद ही ये खबर वायरल होने लगी कि अमर्त्य सेन नहीं रहे। इसके बाद अमर्त्य सेन की बेटी नंदना देब सेन ने निधन की खबरों का खंडन किया।

अर्थशास्त्र में पहली बार नोबेल

बता दें कि साल 1998 में भारत के अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वैसे इससे पहले भी कई भारतीयों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसमें रवींद्रनाथ टैगौर, सीवी रमन, मदर टेरेसा शामिल है। लेकिन, अर्थशास्त्र में पहली बार भारत को ये पुरस्कार मिला था। इस वजह से भी भारत की काफी चर्चा हुई थी। बता दें कि अमर्त्य सेन के बाद कैलाश सत्यार्थी को भी इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

13 अक्टूबर तक बढ़ाई गई आप नेता संजय सिंह की हिरासत, कोर्ट में बोले सांसद- हो सकता है मेरा एनकाउंटर

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पांच दिन की रिमांड पूरी होने के बाद ईडी ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को मंगलवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। ईडी को सांसद की फिर तीन की कस्टडी मिल गई है। ईडी ने कहा कि संजय सिंह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे ईडी के सवालों के जवाब सही ढंग से नहीं दे रहे हैं। इसलिए 5 दिन का रिमांड और दिया जाए। इसके बाद ईडी को तीन की रिमांड की अनुमति मिल गई।

ईडी ने कोर्ट को बताया कि शराब व्यापारियों के लाइसेंस को क्लीयर करने के लिए घूस मांगी गई थी। ईडी ने कोर्ट में कहा कि घूस लेने के नहीं, घूस मांगने के सबूत हैं। शराब लाइसेंस के लिए घूस मांगी गई। सर्वेश मिश्रा भी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। जिसके लिए कल नया समन जारी किया गया है।

वहीं, संजय सिंह की वकील रेबेका जॉन ने कहा कि ईडी को कस्टडी का अधिकार नहीं है, जो मांगे जाने पर ऐसे ही मिल जाए। इसके लिए जांच एजेंसी के पास पुख्ता वजह होनी चाहिए। पिछले पांच दिन की जांच में बेतुके सवाल पूछे जा रहे हैं। संजय सिंह के हवाले से वकील ने कहा कि अगर मुझे सबूतों को मिटाना ही होता, तो मेरे पास 2021 से अब तक का समय था। ईडी की रिमांड दलीलों में नया कुछ नहीं है। संजय सिंह ने कोई फोन नष्ट नहीं किया। उनका पूरा घर CCTV से कवर है, CCTV में कोई बैग लेकर आता नहीं दिखा। अगर CDR में दिनेश अरोड़ा को फोन करने की तस्दीक होती है, तो सबूत आपके पास है, जांच कीजिए। संजय सिंह से पूछने की क्या जरूरत है।

सुनवाई के दौरान संजय सिंह ने कहा कि मुझसे रात के साढ़े दस बजे कहा गया कि आपको बाहर ले जाया जा रहा है। पूछने पर बताया कि तुगलक रोड थाने ले जा रहे हैं। मैंने फिर सवाल किया कि क्या जज की इजाजत ली है। मेरे अड़ने पर उन्होंने कहा कि मुझे लिखकर दीजिए। मैंने लिखकर दिया। दूसरे दिन भी यही हुआ।इसका मतलब है कि इनका दूसरा एजेंडा है। संजय सिंह ने कहा कि अगर बाहर ले जाकर मेरा एनकाउंटर कर दिया तो किसको जवाब देंगे। सिंह ने कहा कि अब जज साहब इनसे पूछिए, किस ऊपर वाले के कहने पर मुझे ऊपर भेजने की तैयारी थी, ये इनसे पूछिए। मेरा सिर्फ इतना अनुरोध है कि जहां भी ले जाना है, जज साहब को बता दीजिए।

हमास के साथ जंग के बीच इजराइल के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को किया फोन, जानिए क्या हुई बातचीत

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इजरायल-फिलिस्तीन के बीच युद्ध जारी है। दोनों एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। इससे मौत का आकंड़ा भी बढ़ता जा रहा है।इसी बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू युद्ध की स्थिति से दुनियाभर के नेताओं को अवगत करा रहे हैं और उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फोन किया है। नेतन्याहू ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। पीएम मोदी ने नेतन्याहू के साथ बातचीत में कहा कि भारत इस मौके पर इजरायल के साथ खड़ा है। पीएम मोदी ने इसकी जानकारी अपने एक्स हैंडल पर दी है।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि, मैं प्रधान मंत्री नेतन्याहू को उनके फोन कॉल और मौजूदा स्थिति पर अपडेट प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं। भारत के लोग इस मुश्किल घड़ी में इजरायल के साथ मजबूती से खड़े हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से निंदा करता है।

इससे पहले भी भारत के पीएम मोदी ने इजराइल के साथ एकजुटता व्यक्त की थी। पीएम मोदी ने इसे 'आतंकवादी हमला' बताकर इसकी कड़ी निंदा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस कठिन घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।' पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं।

बता दें कि फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने शनिवार सुबह इजराइल पर रॉकेट दाग कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। हमास के अतंकियों ने इजराइल की सीमा में घुस कर आतंक मचाया था और लोगों की जान ली थी। हमास के अटैक में अब तक 900 से ज्यादा इजराइली लोग मारे जा चुके हैं जिनमें आम नागरिक और सैनिक शामिल हैं। हमास के हमले के बाद से ही इजराइल गुस्से में हैं और लगातार पलटवार कर रहा है। इजराइल डिफेंस फोर्स ने गाजा पट्टी में हमास के कई ठिकानों को तबाह कर दिया है। इसके अलावा हमलावर आतंकियों को भी इजराइल ने ठिकाने लगा दिया है। इजराइल का दावा है कि उसने अब तक 1500 से भी ज्यादा हमास के आतंकियों को मार गिराया है।

*एमपी से राहुल गांधी का बीजेपी पर कड़ा प्रहार, बोले-भाजपा की प्रयोगशाला में मरे हुए लोगों का होता है इलाज*

#mpcongressleaderrahulgandhispeechinrallytargetedpmmodi 

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने शहडोल के ब्यौहारी में जन आक्रोश सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने व्यापम, महाकाल कॉरिडोर, जातिगत गणना का मुद्दा उठाया और इसके साथ ही प्रदेश की बीजेपी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा।कांग्रेस सांसद ने कहा यहां बीजेपी की लेबोरेटरी में मरे हुए लोगों का इलाज होता है। यहां भगवान शिव से चोरी की जाती है।बीजेपी की लेबोरेटरी हर रोज महिलाओं का बलात्कार होता है। बीजेपी के नेता आदिवासियों के ऊपर पेशाब करते हैं।

मध्यप्रदेश में मरे हुए लोगों का इलाज किया जाता है-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने वरिष्ठ भाजपा नेता आडवानी की एक किताब का जिक्र करते हुए कहा कि आडवानी जी ने कहा था कि आरएसएस और बीजेपी का सच्चा कारखाना गुजरात में नहीं है मगर मध्यप्रदेश में है। आडवानी जी ने कहा था कि मध्यप्रदेश उनका कारखाना है तो मैंने सोचा कि चलो देखें। मैं आपको इसके दो तीन उदाहरण देना चाहता हूं। भाजपा पर तंज कसते हुए राहुल ने कहा कि बीजेपी की लेबोरेटरी में मरे हुए लोगों का इलाज किया जाता है और उनका पैसा चोरी कर लिया जाता है। देश के किसी भी प्रदेश में मरे हुए लोगों का इलाज नहीं किया जाता, लेकिन मध्यप्रदेश में मरे हुए लोगों का इलाज किया जाता है।

महाकाल कॉरिडोर में शिव जी के नाम पर चोरी-राहुल गांधी

इसके साथ ही राहुल ने महाकाल कॉरिडोर में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया। राहुल गांधी ने महाकाल घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में महाकाल के पैसे चोरी नहीं किए जाते लेकिन मध्यप्रदेश में महाकाल से चोरी की जाती है। उन्होंने कहा कि किसी अन्य प्रदेश में भगवान शिव के नाम पर चोरी नहीं होती, लेकिन मध्य प्रदेश में महाकाल कॉरिडोर में शिव जी के नाम पर चोरी की गई।बच्चों की किताबों, मिड डे मील का पैसा मध्यप्रदेश में चोरी किया जाता है। व्यापमं में एक करोड़ युवाओं का भविष्य बर्बाद किया जाता है। पटवारी बनने के लिए 15 लाख की रिश्वत ली जाती है। 

भाजपा के कारखाने में हर रोज महिलाओं से दुष्कर्म हो रहा-राहुल गांधी

बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि बीजेपी की लेबोरेटरी में हर रोज तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। भाजपा पर हमलावर होते हुए राहुल ने कहा कि भाजपा के कारखाने में हर रोज महिलाओं से दुष्कर्म हो रहा है। बीजेपी की लेबोरेटरी में बीजपी नेता आदिवासियों के ऊपर पेशाब करते हैं। जो जानवरों को भी नहीं खिलाया जाता वो यहां आदिवासियों को खिलाया जाता है। 

पीएम आदिवासियों का दिस से सम्मान नहीं करते-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने जन आक्रोश रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, जिसकी जितनी हिस्सेदारी हो उसको उतनी ही भागीदारी मिलनी चाहिए। पीएम मोदी आदिवासियों की बात करते हैं लेकिन वह उनका दिल से सम्मान नहीं करते हैं। अगर वह ऐसा करते तो जातिगत जनगणना जरूर करवाते। राहुल गांधी ने आगे कहा कि अगर भारत सरकार 100 रुपए खर्च करती है तो OBC वर्ग के अफसर सिर्फ 5 रुपए का निर्णय लेते हैं। अब आप ये बताइए अगर भारत सरकार 100 रुपए खर्च करती है तो आदिवासी अफसर कितने रुपए का निर्णय लेते हैं? आदिवासी अफसर 100 रुपए में से सिर्फ 10 पैसे का निर्णय लेते हैं। आदिवासी वर्ग का इससे बड़ा अपमान नहीं किया जा सकता।

जातीय जनगणना कराने का किया वादा

राहुल गांधी ने शहडोल की इस चुनावी रैली के दौरान जातीय सर्वे कराने का वादा किया। उन्होंने कहा, हम मोदी जी पर इतना दबाव डाल देंगे कि उनको जातीय जनगणना करानी ही पडेगी। बीजेपी वाले इससे बच नहीं सकते। जातीय सर्वे समाज के एक्सरे की तरह है इससे पता चलेगा कि कौन कितना पिछड़ा है और कितनी मुसीबत में है। राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस की कार्य समिति ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है क्योंकि यह हिंदुस्तान के भविष्य के लिए जरूरी है। जातिगत जनगणना के बाद विकास का एक नया रास्ता खुलेगा। कांग्रेस पार्टी इस काम को पूरा करके ही छोड़ेगी। याद रखिए, जब हम वादा करते हैं, तो उसे तोड़ते नहीं हैं। देश में जातिगत जनगणना होगी और हिंदुस्तान के गरीबों को उनकी हिस्सेदारी मिलेगी।

अफगानिस्तान में भूकंप से अब तक 4000 लोगों की मौत, लगभग 2000 घर जमींदोज, राहत बचाव कार्य जारी, जानिए, अब तक का पूरा अपडेट


पश्चिमी अफगानिस्तान में शनिवार (7 अक्टूबर) को आए हालिया भूकंप के विनाशकारी परिणाम हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और व्यापक विनाश हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, इन भूकंपों के परिणामस्वरूप 4,000 से अधिक लोग या तो मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। अफगानिस्तान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ANDMA) ने बताया कि 6.2 तीव्रता के दो शक्तिशाली भूकंपों से लगभग 2,000 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।

ANDMA के प्रवक्ता मुल्ला सैक ने काबुल में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान ये गंभीर आंकड़े बताए। उन्होंने कहा है कि, "अब तक, हमें हताहतों के संबंध में जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं, दुर्भाग्य से 4,000 से अधिक लोग हैं। हमारे आंकड़ों के अनुसार, लगभग 20 गांवों में, लगभग 1,980 से 2,000 घर पूरी तरह से ढह गए हैं।' ये भूकंप हेरात प्रांत और आस-पास के इलाकों में शनिवार दोपहर को आए, शुरुआती झटके स्थानीय समयानुसार 11:10 बजे के आसपास आए। इस विनाशकारी स्थिति के जवाब में, बड़े पैमाने पर राहत प्रयास शुरू किए गए हैं, जिसमें विभिन्न संस्थानों की 35 टीमों में 1,000 से अधिक बचावकर्मी प्रभावित क्षेत्रों में अथक प्रयास कर रहे हैं। अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने सोमवार को हेरात प्रांत में प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के लिए अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया।

सहायता की तत्काल आवश्यकता को समझते हुए, चीन आगे आया है। रविवार को, चीन ने आपातकालीन मानवीय सहायता के रूप में अफगान रेड क्रिसेंट को 200,000 डॉलर नकद की पेशकश करके मदद का हाथ बढ़ाया। इस योगदान का उद्देश्य प्रभावित क्षेत्रों में वर्तमान में चल रहे महत्वपूर्ण बचाव और आपदा राहत प्रयासों में सहायता करना है। पश्चिमी अफगानिस्तान में भूकंप ने निस्संदेह महत्वपूर्ण पीड़ा और विनाश का कारण बना है, जिससे प्रभावित समुदायों पर तत्काल और दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों संस्थाओं से एक समन्वित और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

क्या तेलंगाना में सीएम केसीआर इस बार हैट्रिक लगाकर बनाएंगे रिकॉर्ड या लगने वाला है जोर का झटका?

#will_kcr_third_time_cm_in_telangana

तेलंगाना विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है। 30 नवंबर को तेलंगाना में वोटिंग होगी।तेलंगाना में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सवाल उठने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री कल्वाकुन्तला चन्द्रशेखर राव (केसीआर) हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर राज्य की एक बार फिर बागड़ोर संभालेंगे या फिर राज्य में किसी नए पार्टी की सरकार बनेगी। अगर केसीआर तेलंगाना की सत्ता पर वापसी करते हैं तो वह इतिहास रच देंगे। क्योंकि, दक्षिण भारत के किसी भी मुख्यमंत्री ने कभी जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।

सोमवार को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पहला सर्वे आया है। ये सर्वे किया है, C-वोटर ने। सर्वे में बताया गया है कि क्या केसीआर एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे।सर्वे में ये भी बताया गया है कि क्या कांग्रेस राज्य में धमाके दार एंट्री करेगी। सर्वे में ये भी बताया गया है कि क्या भाजपा तेलंगाना में पीएम मोदी की अगुवाई में कोई कमाल दिखा पाएगी।C-वोटर के सर्वे के मुताबिक, राज्य में कांग्रेस पार्टी को जोरदार बढ़त मिलती दिख रही है। सर्वे के मुताबिक, 119 विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में 48 से 60 सीटें मिलती दिख रही है। पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन राज्य में बेहद साधारण रहा था और पार्टी के 19 प्रत्याशियों को जीत मिली थी।सर्वे में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को लेकर बताया गया है कि पार्टी को जोरदार झटका लगने वाला है। पिछली बार के चुनाव में 88 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीआरएस इस बार 43 से 55 सीटों पर सिमट सकती है। अगर सर्वे के मुताबिक, नतीजे आते हैं तो फिर ये केसीआर के लिए झटके जैसा होगा।

बता दें कि आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बनने के बाद यह तीसरा चुनाव हो रहा है। इसलिए हर चौक-चौराहे पर यही चर्चा है कि जीत कौन रहा है? क्या बीआरएस पहले से कमजोर हुई है या कांग्रेस ने खुद को मजबूत किया है.....या फिर बीजेपी बाजी पलटने को तैयार हो चुकी है?जहां तक कांग्रेस की उम्मीदों की बात है तो फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि वह जादुई आंकड़े के आसपास भी खड़ी होने की स्थिति में है। विश्लेषकों का मानना है कि केसीआर की जादुई छवि के आगे कांग्रेस का रास्ता बहुत ही कठिन है। कांग्रेस की सत्ता की उम्मीद सिर्फ उसकी चुनावी गारंटियों के भरोसे पर टिकी हुई है। उसकी तुलना में के चंद्रशेखर राव का विश्वास कहीं ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है।एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीआरएस को लीड दिख रही है।

दरअसल लगभग सभी उम्मीदवारों की घोषणा करके और समय से पहले प्रचार अभियान शुरू करके और विभिन्न वर्गों के लिए घोषणाओं की एक श्रृंखला के साथ, बीआरएस ने अपने दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों -कांग्रेस और बीजेपी को फिलहाल तो पछाड़ दिया है।अब देखना ये होगा की इसका फायदा आगे भी मिलता है या नहीं?

वहीं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राज्य के गठन के बाद से पार्टी सत्ता में है, इसलिए सत्ता विरोधी लहर चल रही है। केसीआर ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई का नेतृत्व किया और लक्ष्य हासिल भी किया।साल 2014 और 2018 के चुनावों में तेलंगाना की लहर हावी रही। क्योंकि, टीआरएस ने पहले चुनाव में तेलंगाना के पुनर्निर्माण के नाम पर जनादेश मांगा और साल 2018 में राज्य को बंगारू या स्वर्ण तेलंगाना में बदलने के अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए एक नया जनादेश मांगा था।लेकिन अब जब, तेलंगाना लहर भी धीमी पड़ गई है, ऐसे में उनके सामने बड़ी चुनौती होगी।

हालांकि, केसीआर को भरोसा है कि बीआरएस 119 सदस्यीय विधानसभा में 100 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखेगी। बीआरएस ने 2014 के चुनाव में 63 सीटें हासिल की थीं और साल 2018 के चुनाव में 88 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के एक दर्जन सहित कई विधायकों के दलबदल के साथ, बीआरएस ने अपनी सीटों की संख्या 100 से अधिक कर ली थी।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर FIR, इजराइल पर हमला करने वाले फिलिस्तीनियों के पक्ष में निकाली थी रैली !

इजराइल-हमास संघर्ष के दौरान फिलिस्तीन के प्रति समर्थन व्यक्त करने वाले एक विरोध मार्च के सिलसिले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के चार छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, मामले में कई अज्ञात व्यक्तियों को भी नामित किया गया है। मार्च का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें AMU के छात्रों को इजराइल पर हमला करने वाले फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दर्शाते हुए और अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए सुना गया था। FIR में चारों छात्रों की पहचान खालिद, कामरान, नावेद चौधरी और आतिफ के रूप में की गई है।

FIR में बताया गया है कि मार्च बिना पूर्व अनुमति के आयोजित किया गया था। अलीगढ़ के पुलिस अधीक्षक (सिटी) मृगांक पाठक ने कहा कि उन्हें AMU परिसर में बिना आवश्यक अनुमति के विरोध प्रदर्शन होने की जानकारी मिली है। FIR में आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 155ए, 188 और 505 शामिल हैं, जो विभिन्न समुदायों के बीच नफरत और कलह को भड़काने से संबंधित हैं। AMU प्रशासन ने छात्रों और मार्च के आयोजन में शामिल लोगों दोनों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का इरादा जताया है।

इज़राइल-हमास संघर्ष में इज़राइल पर हमास आतंकवादी समूह द्वारा एक आश्चर्यजनक हमला देखा गया है, जिसमें इज़राइली शहरों में अभूतपूर्व घुसपैठ और नागरिक जीवन की हानि से जुड़ी दुखद घटनाएं शामिल हैं। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले कई वीडियो इन घटनाओं को दर्शाते हैं, जिसमें हमास आतंकवादियों द्वारा उनके घरों के भीतर व्यक्तियों को निशाना बनाना भी शामिल है। हमास ने कई महिलाओं के साथ भी बर्बर कृत्य किए हैं, उन्हें नग्न घुमाया है, उनके मृत शरीरों पर थूका है। ऐसे में AMU के छात्रों का समर्थन, उन आतंकी कृत्यों का समर्थन भी माना जा रहा है। बता दें कि, भारत पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस ने भी फिलिस्तीन का समर्थन किया है। हमास ने विदेशी नागरिकों सहित कई लोगों को भी बंधक बना लिया है। जवाब में, इज़राइल ने 'ऑपरेशन आयरन स्वोर्ड्स' शुरू किया है। चल रहे संघर्ष के परिणामस्वरूप जीवन की महत्वपूर्ण क्षति हुई है, इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों पक्षों में 1,100 से अधिक लोग हताहत हुए हैं।

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष, एक दीर्घकालिक और स्थायी मुद्दा, हाल ही में बढ़ गया है, संभावित रूप से एक लंबा संघर्ष बन गया है। इतिहास और क्षेत्रीय विवादों में निहित, यह अक्सर ईरान और अमेरिका के बीच छद्म युद्ध के रूप में कार्य करता है। शांति के प्रयासों के बावजूद, अनसुलझे मुद्दे बने हुए हैं, जिससे बार-बार युद्ध हो रहे हैं, जिसमें हमास और इज़राइल से जुड़ा मौजूदा संकट भी शामिल है।

'फिलिस्तीन में मुसलमान, इसलिए हम उसके साथ, उखाड़ लो..', उत्तरप्रदेश के सपा नेता यासर शाह के यहां पढ़िए बिगड़े बोल


इजरायल और आतंकी संगठन हमास में जारी जंग के बीच अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता यासर शाह का विवादित बयान सामने आया है। सपा नेता ने फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए विवादित बयान दिया है। यासर शाह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए दावा किया है कि, ''पिछले 10 साल में 350,000 लोग मारे हैं इज़राइल ने जिसमें 35,000 बच्चे थे। इसके बाद भी भक्त अगर फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ सिर्फ़ इसलिए खड़े हैं क्यों की वहाँ मुसलमान हैं। तो हम भी फ़िलिस्तीन के साथ सिर्फ़ इसलिए खड़े हैं क्योंकि वहाँ मुसलमान हैं। उखाड़ लो।''

माना जा रहा है कि, सपा नेता के इस बयान के बाद सियासी गलियारे में बवाल मच सकता है, क्योंकि भारत सरकार ने इजराइल पर हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है और यहूदी देश के प्रति अपना समर्थन जताया है। वहीं, इजराइल ने भी भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि, भारत का आतंकवाद से लड़ने का पुराना इतिहास रहा है, भारत आतंकवाद को अच्छी तरह समझता है और हम उसके समर्थन के लिए धन्यवाद् देते हैं। इजरायल में आतंकी संगठन हमास के हमले के बाद कई मुस्लिम देशों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।

सऊदी अरब ने दोनों पक्षों से आग्रह करते हुए कहा है कि वे इस मामले में संयम बरते। सऊदी अरब के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हम इजराइल को लगातार कब्जे, फिलिस्तीनियों के उनके 'वैध' अधिकारों से वंचित करने को देखते हुए हालिया स्थिति को लेकर चेतावनी देते रहे हैं। वहीं जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने इजरायल पर हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की है और हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना भी प्रकट की है।उधर, इजरायल और हमास लड़ाकों के बीच जारी युद्ध और भीषण हो चला है। इजरायल पर हमास लड़ाकों की तरफ से हुए हमले में अब तक 700 से अधिक इजराइल के लोग मारे गए हैं और घायलों की संख्या 1590 है। वहीं इजरायल की ओर से हुई जवाबी कार्रवाई में हमास के कब्जे वाले गाजा पट्टी इलाके में 232 लोगों की जान गई है और 1790 लोग जख्मी हैं।

बता दें कि, वहां हमास के आतंकी महिलाओं को नग्न घुमा रहे हैं, उनके मृत शरीरों पर थूक रहे हैं, लेकिन भारत में सपा नेता, AIMIM द्वारा खुलेआम फिलिस्तीनियों का समर्थन किया जा रहा है, कांग्रेस ने तो अपनी वर्किंग कमिटी की बैठक में फिलीस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है, उस प्रस्ताव में कांग्रेस ने कहीं भी इजराइल पर हुए आतंकी हमले का जिक्र तक नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि, भारत में जिस तरह आतंकी 'फ्री कश्मीर' का नारा लगाते हैं और घाटी में बेकसूर लोगों का खून बहाते हैं, वैसे ही हमास के आतंकी फ्री फिलिस्तीन का नारा लगाते हुए इजराइली नागरिकों पर हमला करते हैं और फिर जब इजराइल जवाबी कार्रवाई करता है, तो यही आतंकी महिलाओं और बच्चों को आगे करके विक्टिम कार्ड खेलते हैं। मौजूदा मामले में भी पहले हमास के आतंकियों ने इजराइल पर 5000 रॉकेट दागे थे, जिसमे कई लोग मारे गए और घायल भी हुए। अब इजराइल आतंकियों पर पलटवार कर रहा है, तो कांग्रेस फिलिस्तीन के समर्थन में उतर आई है, जबकि भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली समेत 84 देशों ने आतंकी हमले की निंदा करते हुए इजराइल का समर्थन किया है।

ऐसे में ये सवाल पुरजोर तरीके से उठ रहा है कि, क्या वोट बैंक के लिए कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है ? क्योंकि, जो इजराइल में हो रहा है, वो भारत में भी हो सकता है और कई बार पहले हो भी चुका है। 1990 का कश्मीरी हिन्दू नरसंहार कौन भूल सकता है, तो क्या उन आतंकियों पर प्रहार नहीं होना चाहिए ?

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव, आयोग के निर्देश पर लागू हुई आचार संहिता, यहां जानिए, नामांकन से लेकर हर जरुरी सवाल के जवाब


मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए दिनांक का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने दिनांकों का ऐलान किया है। आयोग की ओर से चुनाव को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। पूरे मध्य प्रदेश में 5 करोड़ 61 लाख 36, 239 वोटर हैं। वोट ईवीएम से डाले जाएंगे। इसके साथ ही संवेदनशीलों स्थानों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी। मध्यप्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल 6 जनवरी 2024 को समाप्त हो रहा है। राज्य में कुल 230 विधानसभा की सीटें हैं।

चुनाव आयोग ने कहा कि एक चरण में चुनाव होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि मध्यप्रदेश में 148 सामान्य, 35 एससी और 47 सीटें एसटी के लिए हैं। इसके साथ ही राज्य में 5.6 करोड़ मतदाता हैं। वहीं, मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय के सहरिया, बैगा जनजाति के मतदाता बढ़े हैं। साथ ही प्रदेश में 60 लाख नए मतदाता इस बार सम्मिलित हो रहे हैं। ये सभी 18 प्लस के हैं। पांचों प्रदेशों में 2900 यंग कर्मचारी चुनाव को मैनेज करेंगे। मध्यप्रदेश में जेंडर रेसियो बढ़ा है। हम नए मतदाताओं को पोलिंग स्टेशन तक लाने के सारे प्रयास कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में 84, 523 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। शहरी श्रेत्र में 16763 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 47760 हैं। इसके साथ ही 15000 मॉडल बूथ बनाए गए हैं। 35000 पोलिंग स्टेशन पर वेब कास्टिंग की सुविधा है। वहीं, मध्यप्रदेश में 5000 पोलिंग बूथों को महिलाएं मैनेज करेंगी। बुजुर्ग मतदाता अपने घर से वोट दे सकते हैं। उन्हें इसके लिए 12 डी फॉर्म भरना होगा। इसके साथ ही इस बार बफर जोन में भी पोलिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में पिपरिया और मंडला में ऐसे केंद्र बनाए गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि हमने इतनी मेहनत की है तो आप भी वोट देने अवश्य आएं। इसके साथ ही चुनाव से संबधित कोई शिकायत है तो सी विजिल के जरिए आप अपनी बात रख सकते हैं। 100 मिनट में आपको सहायता मिलेगी। इसके साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशियों को तीन बार अपने क्षेत्र में पेपर के जरिए अपने अपराधों की जानकारी देनी होगी।

राजनीतिक दलों को भी बताना होगा कि उन्हें इनके सिवा कोई उम्मीदवार नहीं मिला है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को अपने चंदे के बारे में जानकारी देने के लिए एक वक़्त तय की गई है। मध्य प्रदेश में 5 प्रदेशों के बॉर्डर पर कुल 315 चेक पोस्ट बनाए गए हैं। ये सभी चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक काम करेंगे। साथ ही सभी एजेंसियां समन्वय के साथ काम करेंगी। इसके साथ ही कार्गो मूवमेंट की भी चेकिंग होगी। रेलवे एवं पोस्टल डिपार्टमेंट के माध्यम से भी जांच होगी। ऑबजर्वर प्राइवेट गाड़ियों में नहीं बैठेंगे। मध्य प्रदेश में एक चरण में चुनाव होंगे। चुनाव की अधिसूचना 21 अक्टूबर को जारी होगी। 30 अक्टूबर नामांकन की अंतिम दिनांक है। 31 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 2 नवंबर तक उम्मीदवार नाम वापस ले सकते हैं। 17 नवंबर को मतदान होंगे। 2 दिसंबर को रिजल्ट आएंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि 5 दिसंबर तक चुनाव की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।

चुनाव में कब क्या तारीख

चुनाव की अधिसूचना 21 अक्टूबर को

230 सीटों पर

नामांकन की आखिरी तारीख

30 अक्टूबर

नामों की जांच 31 अक्टूबर

नामांकन वापस लेने की तारीख दो नवंबर

वोटिंग की तारीख 17 नवंबर

रिजल्ट 3 दिसंबर

चुनाव की प्रक्रिया समाप्त 5 दिसंबर