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इजराइल या फिलिस्तीन किसके साथ है सऊदी अरब? क्राउन प्रिंस सलमान ने दिया जवाब

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इजरायल और हमास की लड़ाई में इजरायल-सऊदी के संबंध सामान्यीकरण समझौता वार्ता को बड़ा झटका लगा है। सऊदी ने एक बार फिर इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन किया है।सऊदी अरब ने कहा है कि वह शांति स्‍थापित करने के लिए फ़िलिस्तीनियों के साथ खड़ा है।सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से कहा कि वह इस्राइल पर हमास के हमले के बाद बढ़े संघर्ष को रोकने के लिए काम कर रहे हैं।

मंगलवार तड़के सऊदी की सरकारी मीडिया ने जानकारी दी कि एमबीएस ने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से फोन पर बात की है। अब्बास से बातचीत में सऊदी प्रिंस ने कहा कि इजरायल पर हमास के अचानक हमले के बाद शुरू हुई लड़ाई को वो रोकने की कोशिश कर रहे हैं।सऊदी की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अब्बास से यह भी कहा कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी लोगों के अपने अधिकार हासिल करने, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने में उनके साथ खड़ा रहेगा।

इससे पहले प्रिंस मोहम्मद ने पिछले महीने फॉक्स न्यूज़ से कहा था कि फिलिस्तीनी मुद्दा सऊदी अरब के लिए 'बहुत महत्वपूर्ण' है। उन्होंने ने कहा, हमें इसे हल करने की जरूरत है। हमें फिलिस्तीनियों के जीवन को आसान बनाने की जरूरत है।

लंदन में आपस में भिड़े फिलिस्तीन और इजरायल समर्थक प्रदर्शनकारी, पीएम सुनक ने हमास समर्थकों को बताया आतंकवादी

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग की आग दूसरे देशों में भी फैलती दिख रही है। दुनिया के बाकी देशों में लोग इजरायल और हमास का समर्थन करने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इसी बीच लंदन के हाई स्ट्रीट केंसिंग्टन ट्यूब स्टेशन पर फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल समर्थक प्रदर्शनकारियों के समूह आपस में भिड़ गए।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंदन में जगह-जगह फलस्तीन और इस्राइल के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। कहीं-कहीं प्रदर्शन उग्र होते जा रहे हैं। लंदन के हाई स्ट्रीट केंसिंग्टन ट्यूब स्टेशन पर इजरायली-फलस्तीनी पक्षों के समर्थकों के बीच तनाव को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा गया था।

 

संघर्ष से जुड़ा वीडियो वायरल

लंदन के हाई स्ट्रीट केंसिंग्टन ट्यूब स्टेशन पर हुए संघर्ष से जुड़ा वीडियो अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल भी हुआ, जिसमें पुलिस की मदद से प्रदर्शनकारियों को अलग करने का प्रयास करते हुए दिखाया गया। 

पीएम ऋषि सुनक ने आतंकवादी करार दिया

इस बीच यूके के पीएम ऋषि सुनक ने हमास का समर्थन करने वाले लोगों को आतंकवादी करार दिया है। सुनक ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इस भयावह हमले के लिए पूरी तरह से हमास का समर्थन करने वाले लोग जिम्मेदार हैं। वे उग्रवादी नहीं हैं। वे स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं। वे आतंकवादी हैं।

इजराइल के पीएम नेतन्याहू की धमकी, बोले-जंग हमने शुरू नहीं की, मगर खत्म जरूर करेंगे

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हमास की ओर से आतंकवादी हमले का सामना कर रहा इजराइल भी अब बेहद आक्रामक हो गया है।इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फलस्तीनी आंतकी संगठन हमास को सख्त चेतावनी दी है। नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि इस्राइल ने इस युद्ध की शुरुआत नहीं की है, लेकिन हम इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे।बता दें कि हमास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए इजरायल ने 3 लाख सैनिकों को जुटाया है। 1973 की योम किप्पर जंग के बाद यह सबसे बड़ी लामबंदी है, जब इजरायल ने 400,000 रिजर्व सैनिकों को बुलाया था।

हम यह जंग नहीं चाहते थे- नेतन्याहू

नेतन्याहू ने कहा कि ‘इजरायल जंग में है। हम यह जंग नहीं चाहते थे। इसे सबसे क्रूर और बर्बर तरीके से हम पर थोपा गया। हालांकि इजरायल ने इस जंग को शुरू नहीं किया, लेकिन इजरायल इसे खत्म करेगा।नेतन्याहू ने कहा कि हमास ने निर्दोष इजरायलियों के खिलाफ जो क्रूर हमले किए, वे चौंकाने वाले हैं। इनमें परिवारों को उनके घरों में मारना, एक आउटडोर उत्सव में सैकड़ों युवाओं की हत्या करना और कई महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का अपहरण करना शामिल है. यहां तक कि इनमें होलोकॉस्ट से बचे लोगों को भी निशाना बनाया गया। हमास के आतंकवादियों ने बच्चों को बांधा, जलाया और मार डाला। वे बर्बर हैं। 

हमास को आईएसआईएस जैसा करार दिया

हमास को आईएसआईएस जैसा करार देते हुए उन्होंने ‘सभ्यता की ताकतों’ से हमास के खिलाफ एकजुट होने और उसे हराने की अपील की है। नेतन्याहू ने कहा कि ‘हमास आईएसआईएस जैसा है। जिस तरह सभ्यता की ताकतें आईएसआईएस को हराने के लिए एकजुट हुईं, सभ्यता की ताकतों को हमास को हराने में इजरायल का समर्थन करना चाहिए।

ऐसी कीमत वसूलेंगे जो दशकों तक याद रखी जाएगी-नेतन्याहू

इस्राइली पीएम ने कहा कि हमास को बहुत जल्द समझ में जाएगा कि इस्राइल पर हमला करके उसने बहुत बड़ी गलती की है। हम इस हमले की ऐसी कीमत वसूलेंगे, जो हमास और इस्राइल के अन्य दुश्मनों को आने वाले दशकों तक याद रहेगी।

एक और आप नेता पर कसा ईडी का शिकंजा, अब अमानतुल्लाह खान के यहां छापेमारी

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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है।दिल्ली में आप नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का एक्शन जारी है। इसी क्रम में ईडी ने अमानतुल्लाह खान के यहां छापेमारी की है। मंगलवार की सुबह-सुबह एक और विधायक के घर ईडी की टीम पहुंची है और जांच कर रही है। सूत्रों से यह जानकारी मिली है। 

ईडी ने ये रेड पिछले साल अमानत उला खान के ऊपर लगे वक़्फ़ बोर्ड जमीन घोटाले के आरोप को आधार बनाकर डाली है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने आप विधायक अमानतुल्लाह के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड के कामकाज में वित्तीय हेराफेरी और अन्य अनियमितताओं से जुड़े मामले केस दर्ज कराया था। इसी मामले में ईडी ने अमानतुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई की है।

पिछले साल एन्टी करप्शन ब्यूरो ने अमानत से जुड़े 5 ठिकानों पर दिल्ली में रेड की थी। इस रेड के 12 लाख रुपये कैश, 1 बिना लाइसेंसी बरेटा पिस्टल और 2 अलग-अलग बोर के कारतूस बरामद हुए थे।

पिछले साल एसीबी ने अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें जमानत भी मिल गई थी। ईडी की ये रेड उन डायरियों को लेकर चल रही है जो पिछली साल वक्फ बोर्ड मामले में एसीबी की छापेमारी के दौरान आप विधायक के करीबी के ठिकानों से मिली थी।

 दरअसल, पिछले साल तलाशी के दौरान कुछ डायरियां बरामद हुईं।ये डायरियां अमानतुल्लाह खान के करीबी के पास से मिलीं थीं। जिसमें हवाला ट्रांसजेक्शन की बात सामने आई थी।कुछ विदेश से भी ट्रांसजेक्शन सामने आए थे। एसीबी ने अपनी जांच ईडी के साथ शेयर की थी।

शोपियां में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, लश्कर के दो आतंकी ढेर

#jammu_kashmir_shopian_encounter_security_forces_killed_two_terrorist

जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के अलशिपोरा में सुरक्षाबलों ने आज तड़के दो आतंकवादियों को मार गिराया। यह एनकाउंटर सोमवार की देर रात में शुरू हुई थी।पास के जगलों में और आतंकवादियों के छिपे होने की आशंका के चलते तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। सेना और पुलिस ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान इन आतंकियों को मौत की नींद सुलाया। इसकी जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दी।

कश्मीर पुलिस जोन ने एक्स (पहले ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए दी है। पुलिस का कहना है कि, 'शोपियां के अलशीपोरा इलाके में शुरू हुई मुठभेड़ में 2 आतंकवादी मारे गए हैं।'इन दोनों आतंकियों की पहचान भी कर ली गई है।

पुलिस के मुताबिक, मारे गए आतंकवादियों की पहचान आतंकी संगठन लश्कर के मोरीफत मकबूल और जाजिम फारूक उर्फ अबरार के रूप में हुई है। पुलिस ने यह भी बताया कि जाजिम फारूक उर्फ अबरार कश्मीरी पंडित संजय शर्मी की हत्या में भी शामिल था।

बता दें कि इससे पूर्व कुलगाम जिले में दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था। बीते बुधवार यानी कि 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गये थे। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। पुलिस ने बताया था कि मारे गए आतंकवादियों की पहचान बासित अमीन भट और साकिब अहमद लोन के रूप में हुई। उन्होंने बताया कि दोनों कुलगाम जिले के रहने वाले हैं।

एमपी चुनाव को लेकर बीजेपी की चौथी सूची आई, शिवराज को फिर बुधनी से उतारा

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चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ला ऐलान होते ही बीजेपी ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के लिए चौथी सूची जारी कर दी है।इस सूची में कुल 57 नाम हैं जिनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई बड़े चेहरे शामिल हैं। इस सूची के जारी होने के बाद साफ हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान बुधनी से चुनाव लड़ेंगे।इसके साथ ही उन अटकलों पर विराम लग गया है कि वह चुनाव नहीं लडेंगे।

कौन कहां से लड़ रहा है चुनाव?

पार्टी ने एक बार फिर शिवराज मंत्रिमंडल के 24 मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारा है।शिवराज सिंह चौहान के अलावा इस सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं। पार्टी ने रेहली से गोपाल भार्गव, सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, दतिया से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर, खुरई से भूपेंद्र सिंह, सागर से शैलेंद्र जैन, मऊगंज से प्रदीप पटेल, रीवा से राजेंद्र शुक्ल, सिवनी से दिनेश मुनमुन राय, हरदा से कमल पटेल, नरेला से विश्वास सारंग, सीहोर से सुदेश राय, इंदौर-2 से रमेश मेंदोला, इंदौर-4 से मालिनी लक्ष्मण सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

बुधनी सीट सीएम का गढ़

शिवराज सिंह चौहान 2006 से बुधनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस सीट पर उन्होंने पहली बार उप चुनाव में जीत हासिल की थी। नर्मदा नदी के तट पर स्थित, सीहोर जिले की बुधनी सीट सीएम शिवराज सिंह चौहान का गढ़ है। उन्होंने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए यह सीट जीती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में बुधनी विधानसभा सीट पर शिवराज ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अरुण यादव को 58,999 वोटों के अंतर से हराया था।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, यहां भी एमपी वाला फॉर्मूला, 7 सांसदों को दिया टिकट

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राजस्थान में चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। राजस्थान में 23 नवंबर को मतगणना होनी है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें कुल 41 उम्मीदवारों के नाम के एलान हैं। बीजेपी ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में 7 सांसदों को टिकट दिया है।बता दें कि बीजेपी की पहली लिस्ट में वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम नहीं है।

किन सांसदों को कहां से मिला टिकट?

राजस्थान में जैसी उम्मीद की गई थी उसी के मुताबिक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई है। राज्य में एक बार फिर सत्ता में आने के लिए बीजेपी ने अपने बड़े चेहरों पर दांव लगाया है।राज्यवर्धन सिंह राठौड़ राजस्थान के झोटवाड़ा से, दीया कुमारी विद्याधर नगर से, बाबा बालकनाथ तिजारा से, हंसराज मीणा सपोटरा से और किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर से, नरेंद्र कुमार मांडवा से और देवी पटेल सांचौर से टिकट दिया गया है।

राजस्थान का चुनाव का पूरा शैड्यूल

बता दें कि 200 सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान होगा। वहीं मतों की गिनती तीन दिसंबर को की जाएगी। बताया जा रहा है कि चुनाव की अधिसूचना 30 अक्तूबर को जारी होगी। उम्मीदवार छह नवंबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। इलेक्शन कमेटी से मिली जानकारी के अनुसार सात नवंबर को नामांकन की जांच होगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख नौ नवंबर होगी। विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी को खत्म होगा।

भारत से भगाई गई पाकिस्तानी एंकर जैनब अब्बास, हिन्दू देवी-देवताओं का किया था अपमान

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भारत में वनडे विश्व कप पांच अक्तूबर को शुरू हो चुका है। टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के अलावा वहां के विशेषज्ञ, प्रशंसक और एंकर भी भारत आए हुए हैं। बाबर आजम की कप्तानी में पाकिस्तानी टीम ने जीत के साथ शुरुआत की है। उसने नीदरलैंड को अपने पहले मैच में परास्त किया है। उसे दूसरा मुकाबला मंगलवार (10 अक्तूबर) को श्रीलंका के खिलाफ हैदराबाद में खेलना है।इसी बीच वनडे वर्ल्ड कप 2023 की कवरेज के लिए आई पाकिस्तानी एंकर जैनब अब्बास को भारत छोड़ना पड़ा है। सोशल मीडिया पर भारत और हिंदुओं पर किए गए पुराने ट्वीट्स और कॉमेंट्स को लेकर की गई जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने उन्हें प्रेजेंटर की लिस्ट से हटा दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें भारत से जाने के लिए कहा गया क्योंकि पहले वो साइबर क्राइम, भारत और हिंदू धर्म की आलोचना करने के लिए विवादों में रही हैं। उनके कई पुराने ट्वीट्स वायरल हुए थे, जिसमें वो भारत और हिंदू धर्म को लेकर गलत-सलत बोलती हुई दिखी थीं। पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल ‘समा टीवी’ के एक्स अकाउंट (पहले ट्विटर) के मुताबिक, जैनब अब्बास ने भारत छोड़ दिया है। वे मौजूदा वक़्त में दुबई में हैं।

जैनब अब्बास के खिलाफ यह शिकायत अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता ने विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में यह शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अलग-अल धाराओं के तहत एंकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया था जिंदल का कहना था कि अब्बास ने हिंदू आस्था मान्यताओ और भारत के खिलाफ भद्दी टिप्पणी की है। और उन्हें आईसीसी की एंकर लिस्ट से हटा देना चाहिए।

जैनब अब्बास एक पाकिस्तानी टेलीविजन होस्ट, स्पोर्ट्स प्रेजेंटर हैं। उनका जन्म लाहौर में हुआ था और उन्होंने इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों - एस्टन विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई की है।जैनब लंबे समय से क्रिकेट एंकरिंग कर रही हैं और कई बड़े टूर्नामेंट में नजर आ चुकी हैं। जैनब क्रिकेट एंकर के अलावा मेकअप आर्टिस्ट भी रह चुकी हैं। उनके पिता नासिर अब्बास क्रिकेटर रह चुके हैं।

*क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र में नोबेल, जानिए क्यों मिला सम्मान?*

#nobelprize2023foreconomicscienceswinnerclaudiagoldin

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 2023 का एलान कर दिया है। इस साल क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला है।क्लाउडिया गोल्डिन को महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत या विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

क्लाउडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का पहला व्यापक विवरण मुहैया कराने का काम किया है। उनके शोध से बदलाव के कारणों और शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का पता चला। इनके रिसर्च से पता चला कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। गोल्डिन ने अभिलेखों का पता लगाया और 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया, जिससे उन्हें यह साबित किया कि कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया?

क्लाउडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और 1989 से 2017 तक NBER के अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास कार्यक्रम की डायरेक्टर थीं। वह NBER के 'जेंडर इन द इकोनॉमी' समूह की को-डायरेक्टर भी हैं। आर्थिक इतिहासकार और एक श्रम अर्थशास्त्री के रूप में गोल्डिन ने कई विषयों पर शोध किए हैं। इसमें महिला श्रम शक्ति, कमाई में लिंग अंतर, आय असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और आप्रवासन जैसे कई विषय शामिल हैं। उनके अधिकांश शोध में इतिहास की नजर से वर्तमान को देखने की कोशिश की गई है। शोध के माध्यम से उन्होंने वर्तमान की चुनौतियों को सबके सामने रखा है। उनकी सबसे हालिया किताब करियर एंड फैमिली: वीमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2021) है।

पिछले साल तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला था सम्मान

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पिछले साल अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार बेन एस बर्नानके, डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डायबविग को दिए थे। इन्हें बैंकों और वित्तीय संकटों पर शोध के लिए सम्मानित किया गया था। तीनों पुरस्कार विजेताओं ने विशेष रूप से वित्तीय संकट के दौरान अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया था। उनके शोध में एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि बैंकों के पतन से बचना क्यों महत्वपूर्ण है?

इतना मिलता है पुरस्कार

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था।

क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र में नोबेल, जानिए क्यों मिला सम्मान?

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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 2023 का एलान कर दिया है। इस साल क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला है।क्लाउडिया गोल्डिन को महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत या विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

क्लाउडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का पहला व्यापक विवरण मुहैया कराने का काम किया है। उनके शोध से बदलाव के कारणों और शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का पता चला। इनके रिसर्च से पता चला कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। गोल्डिन ने अभिलेखों का पता लगाया और 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया, जिससे उन्हें यह साबित किया कि कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया?

क्लाउडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और 1989 से 2017 तक NBER के अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास कार्यक्रम की डायरेक्टर थीं। वह NBER के 'जेंडर इन द इकोनॉमी' समूह की को-डायरेक्टर भी हैं। आर्थिक इतिहासकार और एक श्रम अर्थशास्त्री के रूप में गोल्डिन ने कई विषयों पर शोध किए हैं। इसमें महिला श्रम शक्ति, कमाई में लिंग अंतर, आय असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और आप्रवासन जैसे कई विषय शामिल हैं। उनके अधिकांश शोध में इतिहास की नजर से वर्तमान को देखने की कोशिश की गई है। शोध के माध्यम से उन्होंने वर्तमान की चुनौतियों को सबके सामने रखा है। उनकी सबसे हालिया किताब करियर एंड फैमिली: वीमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2021) है।

पिछले साल तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला था सम्मान

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पिछले साल अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार बेन एस बर्नानके, डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डायबविग को दिए थे। इन्हें बैंकों और वित्तीय संकटों पर शोध के लिए सम्मानित किया गया था। तीनों पुरस्कार विजेताओं ने विशेष रूप से वित्तीय संकट के दौरान अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया था। उनके शोध में एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि बैंकों के पतन से बचना क्यों महत्वपूर्ण है?

इतना मिलता है पुरस्कार

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था।