इजरायल और फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच जंग शुरू, सक्रिय हुई इजरायल की टॉप खुफिया एजेंसी मोसाद और बॉर्डर सिक्योरिटी शिन बेट, पढ़िए, पूरी खबर
इजरायल और फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच ऐलान-ऐ-जंग हो चुकी है। हमास आतंकियों ने शनिवार तड़के 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागकर इजरायल को चौंका दिया। इस हमले के बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू ने धमकी दी है कि वे दुश्मन को मिट्टी में मिलाकर ही दम लेंगे। दोनों देशों की तरफ से कम से कम 400 लोग मारे जा चुके हैं और 1700 से ज्यादा घायल हैं। हमास के हमले ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद और बॉर्डर सिक्योरिटी शिन बेट को भी मात दे दी। ये दोनों इजरायल को दुनिया में सबसे ताकतवर और सुरक्षित बनाती हैं। इस हमले के बाद अब इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद फिर ऐक्टिव हो गई है। एजेंसी के पूर्व प्रमुख एफ़्रैम हेलेवी ने बताया कि हमला पूरी तरह से आश्चर्यजनक था, हमे इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी माना जाता है। मोसाद के बारे में यह कहा जाता है कि उसकी डिक्शनरी में असंभव कोई शब्द नहीं। मोसाद के ऑपरेशन्स को जानकर कोई भी दांतो तले अंगुली दबा देगा जब, इजरायल ने अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाया। मोसाद के कई ऑपरेशन में घटी सच्ची घटनाएं फिल्मों में ऐक्शन सीक्वंश तक में यूज हो चुके हैं।
ऑपरेशन फिनाले-1960
1957 में जर्मनी के हेस राज्य प्रमुख और यहूदी नस्ल के जर्मन नागरिक फ़्रिट्स बॉएर ने इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद से संपर्क स्थापित करके बताया था कि एडोल्फ़ आइकमन जीवित हैं और अर्जेंटीना में छिपा हुआ है। लेफ़्टिनेंट कर्नल एडोल्फ़ आइकमन लंबे समय तक एडोल्फ़ हिटलर की बदनाम सेना का प्रमुख रहा था। यहूदियों पर अत्याचार करने में वह अव्वल था। कुल मिलाकर इजरायल की नजर में वह सबसे बड़ा अपराधी था। आइकमन की जानकारी मिलने के बाज मोसाद ऐक्टिव हो गई और उसने एक टीम का गठन किया।
मोसाद को मालूम था कि दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद आइकमन को तीन बार पकड़ा गया लेकिन वो हर बार भाग निकल जाता था। फ़्रिट्स बॉएर को आइकमन के अर्जेंटीना में रहने की ख़बर एक यहूदी से मिली, जिसकी बेटी और आइकमन के बेटे में इश्क चल रहा था। मोसाद ने उसे जिंदा पकड़ने का जिम्मा उठाया। फिल्मी स्टाइल में उसे इजरायल लाया गया।
ऑपरेशन फिनाले में यह तय हुआ कि इजरायल के शिक्षा मंत्री अब्बा इबन के साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में मोसाद के एजेंट भी होंगे, जो आइकमन को पकड़ेंगे। इसकी जानकारी शिक्षा मंत्री तक को पता नहीं चली। कार से उसे किडनैप किया गया और इजरायली एयरलाइन वर्कर की ड्रेस पहनाकर उसे देश लाया गया। यहां उसे फांसी की सजा सुनाई गई।
एली कोहेन
1960 के दशक में सीरिया और इसराइल के संबंध बेहद खराब संबंध थे। गोलन हाइट्स पर सीरियाई फ़ौज से इसराइल की उत्तरी सीमा पर रहने वाले समुदायों को बार-बार धमकी मिल रही थी, जिससे इसराइल में बेचैनी बढ़ रही थी। इजरायल ने सीरिया को सबक सिखाने की कसम खाई। फिर उन्हें एली कोहेन के रूप में अपना सबसे जाबांज एजेंट मिला। कोहेन वैसे तो मिस्र में पैदा हुए लेकिन वह सीरियाई मूल के यहूदी थे। सीरियाई होने की वजह वह इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद में जुड़ने की दो असफल कोशिश भी कर चुके थे। अब मोसाद की नजर कोहेन पर पड़ी क्योंकि सीरिया ऑपरेशन के लिए वह काफी अहम कड़ी थे।
1960 में ट्रेनिंग पाकर कोहेन को एक व्यवसायी बनाकर अर्जेंटीना भेजा गया। वह वहां सीरियाई प्रवासियों की एक मानी जानी संस्था से जुड़े। कुछ ही समय में उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति से दोस्ती कर ली जो बाद में सीरिया के राष्ट्रपति बने। ऐसा बताया जाता है कि एक समय कोहेन को सरकार में उप रक्षामंत्री तक का दावेदार माना जाने लगा। वह कुछ ही समय में सीरियाई सरकार में अपनी पकड़ बना चुके थे।
कोहेन ने अपने खुफिया पैठ के दम पर कई सीरियाई ऑपरेशन्स को नाकाम किया। बौखलाई सीरिया सरकार ने इसका तोड़ निकालने के लिए सोवियत रूस की मदद ली और कोहेन पकड़े गए। 1965 में गिरफ्तार हुए कोहेन को मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें बीच चौराहे पर फांसी दी गई। इजरायल के लोग कोहेन को सच्चे देशभक्त के रूप में जानते हैं।
ऑपरेशन ईरान
इसराइल और ईरान के संबंध हमेशा से तीखे रहे हैं। अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर इजरायल के रुख का ईरान हमेशा बौखलाया रहा है। हमास के आतंकी हमलों पर ईरान जश्न मना रहा है। बात 2011 की है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने झटका दिया। जनवरी 2010 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के एक सलाहकार की कार के पास खड़ी मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक से हत्या कर दी गई।
2011 में ईरानी परमाणु परियोजना प्रमुख अपनी कार में कहीं जा रहे थे और तभी उनकी बगल चल रहे एक मोटरसाइकिल चालक ने कार की पिछली विंडशील्ड पर एक छोटी सी डिवाइस चिपका दी। यह ऐसी घटना है, जिसका यह दृश्य टॉम क्रूज की हॉलीवुड फिल्म मिशन इंपॉसबल में भी लिया गया है। चंद सेकंड बाद ही उस डिवाइस से विस्फोट हुआ और 45 वर्षीय न्यूक्लियर वैज्ञानिक की मौत हो गई। ऐसा माना जाता है कि इसके पीछे मोसाद था लेकिन, उसने कभी यह नहीं स्वीकारा।
जब हमास को सिखाया सबक
फलस्तीनी संगठन ‘हमास’ ने इसराइल की मोसाद एजेंसी पर ट्यूनीशिया में रह रहे अपने एक कमांडर मुहम्मद अल-ज़्वारी की हत्या का आरोप लगाया था। 15 दिसंबर 2016 के दिन मुहम्मद अल-ज़वारी को उनके आवास के पास चलती कार से गोली मार दी गई थी।
हत्यारों की पहचान करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला और जो कुछ मिला भी वो मोबाइल फ़ोन सिम और एक किराए की कार थी जो किसी तीसरे व्यक्ति के नाम दर्ज थी। हमास इसके पीछे मोसाद को जिम्मेदार मानता है।
Oct 08 2023, 13:40