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जी 20 समिट में भारत, अमेरिका और सऊदी अरब के बीच इस मुद्दे पर फाइनल हो सकती है डील, चीन को काउंटर करने का है प्लान

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सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात समेत कई खाड़ी देशों में जल्द भी भारत की बनाई ट्रेन दौड़ सकती है। इस परियोजना को लेकर भारत-अमेरिका और सऊदी अरब के साथ डील हो सकती है।जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली में मंच तैयार है। अमेरिका से जो बाइडेन इस समिट में शामिल होने पहुंचने ही वाले हैं।सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी भारत आ रहे हैं।अमेरिका, भारत, यूएई और सऊदी अरब जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान रेलवे को लेकर जाइंट इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर एक बड़ी डील का ऐलान कर सकते हैं। अमेरिकी न्‍यूज वेबसाइट Axios ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। 

एक्सियोस की एक रिपोर्ट के अनुसार , इस परियोजना से लेवांत और खाड़ी में अरब देशों को रेलवे के एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने की उम्मीद है, जो खाड़ी में बंदरगाहों के माध्यम से भारत से भी जुड़ेगा।इसके अलावा एक्सियोस ने दो स्रोतों का हवाला देते हुए कहा है कि इस नई पहल का विचार पिछले 18 महीनों में I2U2 नामक एक अन्य फोरम में हुई बातचीत के दौरान आया, जिसमें अमेरिका, इज़राइल, यूएई और भारत शामिल हैं। इस फोरम की स्थापना 2021 के अंत में मिडिल ईस्ट में रणनीतिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चर्चा करने और क्षेत्र में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए हुई थी।

खाड़ी देशों में बढ़ते चीन के प्रभाव को कम करना है उद्देश्य

दरअसल, इस डील का प्राथमिक उद्देश्य खाड़ी देशों में बढ़ते चीन के प्रभाव को कम करना है। चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए मध्य पूर्व के देशों में तेजी से निवेश कर रहा है। बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव के जरिए चीन ने दुनियाभर के देशों तक सड़क मार्ग से पहुंच बना ली। इस इनीशियेटिव के तहत रेल मार्ग भी शामिल है। इसी के जवाब में चीन विरोधी देशों का प्लान है कि एक रेल डील साइन किया जाए। इ़स प्रोजेक्ट के तहत अरब देशों को एशियाई क्षेत्र लेवांत से जोड़ा जाएगा जो इजराइल होते हुए अरब सागर के रास्ते भारत तक पहुंचेगा।

भारत को भी होगा फायदा

बताया जा रहा है कि अगर इन चारों देशों के वार्ताकार अगले दो दिनों में सहमत हो जाते हैं तो चारों देशों के नेता एक समझौते पर हस्‍ताक्षर कर सकते हैं। इस रेलवे परियोजना के तहत अरब देशों को रेलवे के जरिए जोड़ा जाएगा। इसके बाद समुद्री बंदरगाहों के जरिए भारत भी इस नेटवर्क से पूरी तरह से जुड़ जाएगा। अगर सऊदी अरब और इजरायल के बीच संबंध सामान्‍य होते हैं तो भविष्‍य में इजरायल को भी इस रेलवे प्रॉजेक्‍ट का हिस्‍सा बनाया जा सकता है। यही नहीं इजरायल के बंदरगाहों के जरिए इसे यूरोप से भी आसानी से जोड़ा सकेगा।

अमेरिका में 3 सितंबर को हर साल मनेगा 'सनातन धर्म दिवस' ! और विडंबना यह कि भारत में विपक्षी नेता कर रहे 'धर्म' को मिटाने की बात

तमिलनाडु की सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता उदयनिधि स्टालिन और कांग्रेस के प्रियांक खड़गे की सनातन धर्म विरोधी टिप्पणियों पर भारत में विवाद के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका के एक शहर ने 3 सितंबर को सनातन धर्म दिवस घोषित किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में केंटुकी के लुइसविले के मेयर ने शहर में 3 सितंबर को सनातन धर्म दिवस घोषित किया है।

लुइसविले में केंटुकी के हिंदू मंदिर में महाकुंभ अभिषेकम उत्सव के दौरान मेयर क्रेग ग्रीनबर्ग की ओर से डिप्टी मेयर बारबरा सेक्स्टन स्मिथ द्वारा इस संबंध में आधिकारिक उद्घोषणा पढ़ी गई। इस कार्यक्रम में आध्यात्मिक नेता चिदानंद सरस्वती, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष श्री श्री रविशंकर और भगवती सरस्वती के साथ-साथ उपराज्यपाल जैकलीन कोलमैन, डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ कीशा डोर्सी और कई अन्य आध्यात्मिक नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

भारत में सनातन धर्म विरोधी बयान

बता दें कि, तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बेटे और पिता के ही कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शनिवार को तमिलनाडु में एक कार्यक्रम के दौरान सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से करते हुए इसे पूरी तरह खत्म करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, 'जैसे हम डेंगू, मलेरिया का विरोध नहीं करते, उसे ख़त्म करते हैं, उसी तरह हमें सनातन धर्म का भी विरोध करने की बजाए उसे पूरी तरह ख़त्म करना होगा।' कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और लक्ष्मी रामचंद्रन ने उदयनिधि के इस बयान का समर्थन किया था। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी उदयनिधि के बयान का समर्थन किया था। वहीं, DMK नेता ए राजा ने कहा था कि सनातन धर्म की तुलना एड्स से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि, 'उदयनिधि स्टालिन ने डेंगू और मलेरिया से तुलना करके विनम्रता दिखाई है।'

 विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में 26 दलों में से किसी ने भी उदयनिधि के बयान का सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया है और न ही उनसे अपना बयान वापस लेने की मांग की है, मोहब्बत की दूकान खोलने का दावा करने वाले राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर मौन हैं। केवल भाजपा ही उदयनिधि का विरोध कर रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है। यहाँ तक कि, हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी उदयनिधि के बयान पर मौन साधे रखना ही उचित समझा, शायद उद्धव ठाकरे अपने I.N.D.I.A. गठबंधन के साथियों को नाराज़ नहीं करना चाहते। 

जब विवाद बढ़ा तो उदयनिधि ने सफाई दी कि, वे सामाजिक समानता की बात कर रहे थे, यानी जातिवाद की। लेकिन, गौर करने वाली बात ये है कि, जातिवाद मिटाने की बात प्रधानमंत्री मोदी, RSS चीफ मोहन भागवत से लेकर कई दलों के कई नेता करते रहे हैं, इसे समाज सुधार की कोशिश के रूप में देखा जाता है और कोई विवाद नहीं होता, लेकिन जब पूरे धर्म का ही नाश करने की बात की जाए और नेतागण (कुछ कांग्रेस नेताओं का उदयनिधि को समर्थन) उसका समर्थन भी करें, तो ये निश्चित ही नफरत फ़ैलाने वाली बात है। यही कारण है कि, कई पूर्व जजों, आईएएस अधिकारीयों (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया है। 

 गौर करने वाली बात है कि, यदि किसी दूसरे धर्म को इस तरह खत्म करने की बात कही गई होती, तो क्या यही होता, जो उदयनिधि वाले मामले में हो रहा है ? क्योंकि, जातिवाद तो हर धर्म में है, इस्लाम में भी शिया-सुन्नी के साथ 72 फिरके (कुछ जगह 73) हैं, जिनमे से कई एक-दूसरे के विरोधी हैं, तो वहीं ईसाईयों में प्रोटेस्टेंट- रोमन केथलिक, पेंटिकोस्टल, यहोवा साक्षी में आपसी विरोध है। तो क्या समाज सुधारने के लिए उदयनिधि, इन धर्मों को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कह सकते हैं ? या फिर दुनिया में एकमात्र धर्म जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है), सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी रहें) जैसे सिद्धांतों पर चलता है, जो यह मानता है कि, ईश्वर एक है और सभी लोग उसे भिन्न-भिन्न रूप में पूजते हैं, उस सनातन को ही निशाना बनाएँगे ?

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया रियासतकालीन मंदिर में जन्माष्टमी पर 125 करोड़ रुपए के गहनों से भगवान राधा-कृष्ण का श्रृंगार, सुरक्षा में तैन

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया रियासतकालीन मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर 125 करोड़ रुपए के गहनों से भगवान राधा-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी प्रभु श्री कृष्ण के जन्मदिन पर SBI बैंक से ट्रिपल लेयर की सुरक्षा के बीच सोने-चांदी के गहनों को गोपाल मंदिर में लाया गया। ग्वालियर का मशहूर 102 साल पुराना ऐतिहासिक गोपाल मंदिर फूलबाग उद्यान के बीच स्थित है। इस मंदिर का सिंधिया राजघराने ने निर्माण कराया था। पोशाक से लेकर प्रभु के आभूषण सोने चांदी से बने हैं। इनमें हीरे-जवाहरात पन्ना, माणिक्य जड़े हुए हैं। यही नहीं, राधा-कृष्ण के मुकुट, बांसुरी समेत पूजा सामग्री के दीप, छत्र, थाल, भोग की कटोरियां भी कीमती धातुओं की हैं। यह गहनें वर्षभर में सिर्फ कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही मंदिर लाए जाते हैं।

वही गहनों की कीमत बहुत अधिक होने के कारण इनको नजदीक जयेंद्रगंज इलाके स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के लॉकर्स में बंद कर रखा जाता है। फिर जन्माष्टमी के दिन भारी सुरक्षाबबलों के बीच ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी के बीच आभूषण मंदिर लाए जाते हैं। बैंक से लेकर मंदिर तक भारी फोर्स के बीच सायरन बजाता हुआ पुलिस वाहनों का काफिला गहनों को लेकर आता है तथा फिर अगले दिन सुरक्षा के बीच बैंक में जमा करा दिए जाते हैं। लगभग डेढ़ दशक पहले बीजेपी के महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने लॉकर्स से निकालकर गहनों को मंदिर लाने की इस परिपाटी को पुनः आरम्भ किया गया तथा इस शर्त के साथ कि यह प्रक्रिया सिर्फ वर्ष में एक दिन ही कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 24 घंटे के लिए की जाएगी तथा फिर सभी गहनों को सील पैक करके बैंक लॉकर में नगर निगम की तरफ से जमा करा दिया जाएगा। तब से यह आयोजन बखूबी चलता आ रहा है। 

जन्माष्टमी के दिन ग्वालियर में पुलिस के लिए बड़ी ही मुश्किल परीक्षा का दिन होता है। एक तरफ तो भक्तों की भारी भीड़ को संभालना तथा फिर दूसरी ओर गहनों की सुरक्षा करना। इसके लिए पुलिस अब कई सालों से CCTV कैमरों का सहारा भी लेती है। एक स्पेशल कंट्रोल रूम बनाकर पूरी व्यवस्था को हैंडल करती है। इस पूरी व्यवस्था में एक 200 से अधिक जवानों को लगाया जाता है। जिनके ऊपर पूरे 24 घंटे के लिए एक DSP स्तर का अफसर उपस्थित रहता है। बीच-बीच में SSP एवं ASP सहित तमाम पुलिस अफसर आते-जाते रहते हैं। मतलब मंदिर को एक रात के लिए Bigg Boss का घर बना दिया जाता है। ध्यान हो कि 'बिग बॉस' एक टीवी रियलिटी शो है। इसमें तमाम प्रतियोगी एक मकसद से तय समय सीमा के लिए एक घर में रहते हैं। साथ ही बिग बॉस के घर में कंटेस्टेंट की हर एक गतिविधि पर कैमरों तथा वॉइस रिकॉर्डर से नजर रखी जाती है।

शिखर सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली पहुंचे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, इस आलिशान होटल ठहरेंगे

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राजधानी दिल्ली में G-20 समिट के लिए विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी 20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उनका स्वागत किया।बतौर पीएम यह भारत का उनका पहला दौरा है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक अलग द्विपक्षीय बैठक का भी कार्यक्रम है।9 सितंबर को पीएम मोदी ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक के साथ वार्ता करेंगे। इस बैठक में वह ब्रिटेन-भारत व्यापार वार्ता पर चर्चा करेंगे।

इस होटल में ठहरेंगे सुनक

अपनी यात्रा के दौरान सुनक शांगरी-ला होटल में रुकेंगे। नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में अशोक रोड पर स्थित यह होटल बेहद खास है। इसमें 320 कमरे और सुइट्स और पांच पुरस्कार विजेता रेस्टोरेंट्स और बार हैं। यह होटल होराइजन क्लब से पैनोरमिक व्यू देता है। होटल में कई खास तरह के रूम, सुइट और हॉरिजन क्लब हैं। यहां डीलक्स और प्रीमियर वेरायटी के रूम हैं जिनके एक रात के रुकने के किराया क्रमशः करीब 14 हजार और 16 हजार है। 

एग्जीक्यूटिव का एक रात का किराया 25 हजार

होटल में दो तरह के हॉरिजन क्लब हैं हॉरिजन डीलक्स और हॉरिजन प्रीमियर। इनमें एक रात का किराया क्रमशः 18 हजार और 19 हजार है। इसके साथ ही होटल में कई खास सुइट्स हैं जो आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनमें एग्जीक्यूटिव, स्पेशलिटी और प्रेसिडेंसिअल कटेगरी नाम से तीन सुइट्स हैं। एग्जीक्यूटिव का एक रात का किराया करीब 25 हजार है। हालांकि, स्पेशलिटी और प्रेसिडेंसिअल सुइट के किराये का उल्लेख होटल की वेबसाइट पर दर्ज नहीं है।

पीएम मोदी संग जो बाइडेन के बीच बैठक में स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा के साथ अधिक उदार वीजा

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा करने के साथ शुक्रवार शाम को द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं। उम्मीद है कि दोनों नेता स्वच्छ ऊर्जा, व्यापार, उच्च-प्रौद्योगिकी, रक्षा के क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करेंगे और दोनों देश दुनिया के सामने आने वाली कुछ गंभीर चुनौतियों से निपटने में कैसे योगदान दे सकते हैं, इस पर मंथन करेंगे।वहीं, पीएम मोदी के आज शुक्रवार को बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना और मॉरीशस के प्रधान मंत्री प्रविंद जुगनॉथ के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुँच रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी भारत की पहली यात्रा होगी। फरवरी 2020 में भारत का दौरा करने वाले आखिरी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प थे। बाइडेन का शुक्रवार शाम को नई दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम है और वह G20 शिखर सम्मेलन के अंत में रविवार दोपहर वियतनाम के लिए रवाना होंगे। एक सूत्र ने कहा कि, पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच बातचीत का फोकस स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा पर होने की संभावना है। 

दोनों पक्ष अधिक उदार वीजा व्यवस्था पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन ने जून में वाशिंगटन में अपनी बातचीत में सहयोगात्मक मोड में अगली पीढ़ी के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में संभावित सहयोग पर चर्चा की थी और उम्मीद है कि यह मुद्दा शुक्रवार को बैठक में उठ सकता है। बाइडेन की यात्रा से पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका G20 में मोदी के नेतृत्व की सराहना करता है।

उन्होंने आगे कहा कि, 'हम इस साल जी20 के नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हैं और हम यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि भारत को एक सफल G20 मेजबान मिले क्योंकि वे इस साल (शिखर सम्मेलन) की मेजबानी कर रहे हैं।' उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि, 'तो, यह हमारी प्रतिबद्धता बनी रहेगी। जून में प्रधान मंत्री मोदी की यहां यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति (बाइडेन) और प्रधान मंत्री ने शिखर सम्मेलन में साझा प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अपना दृढ़ संकल्प साझा किया।' जीन-पियरे ने कहा कि राष्ट्रपति 'इस सप्ताह के अंत में प्रधान मंत्री और अन्य नेताओं के साथ उस काम को जारी रखने के लिए बहुत उत्सुक हैं क्योंकि हम कल रवाना होंगे।' 

बता दें कि, G20 सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

मनमोहन सिंह ने की मोदी सरकार की तारीफ, जानें किस क़दम को सही ठहराया?

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक व्यवस्था में मची उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने तमाम दबावों के बावजूद भारत के हितों को ऊपर रखते हुए बिल्कुल सटीक रणनीति पर कदम बढ़ाया। अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख़ को सही ठहराया है।उन्होंने कहा कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले स्थान पर रखकर सही काम किया है।मनमोहन सिंह ने जी-20 बैठक से पहले एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही। 

जी20 सम्मेलन से पहले द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका और चीन के साथ सीमा विवाद पर बात की। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि जब दो या उससे ज्यादा देशों के बीच तनाव होता है तो दूसरे देशों पर कोई एक साइड चुनने का दबाव बन जाता है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि शांति की अपील कर भारत ने बेहतर तरीके से अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को प्रथम स्थान देकर सही काम किया है।' 

मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और चीन एवं पश्चिमी देशों के बीच तनाव के कारण विश्व व्यवस्था में बहुत बदलाव आ चुका है। इस नई व्यवस्था के संचालन में भारत ने अहम रोल निभाया है और आज वैश्विक तौर पर भी भारत की साख बढ़ी है।

जी20 की अध्यक्षता मिलने पर जताई खुशी

मनमोहन सिंह ने भारत की अध्यक्षता में जी20 के शिखर सम्मेलन को लेकर दिल छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि भारत के जिम्मे जी20 की अध्यक्षता का मौका मेरे जीवनकाल में आया और मैं भारत को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए आ रहे विश्व नेताओं की मेजबानी करते हुए देख रहा हूं।' 

तारीफ के साथ इस बात के लिए चेताया

जी-20 सम्मेलन दिल्ली में शुरू होने से एक दिन पहले मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार की तारीफ की, हालांकि कुछ बातों के लिए चेताया भी। उन्होंने कहा ''मैं भारत के भविष्य को लेकर चिंता से ज़्यादा आशावादी हूँ। मगर ये आशावाद भारत के सौहार्दपूर्ण समाज बनने पर निर्भर करता है।'' उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी नीति का घरेलू राजनीति पर असर होता है, लेकिन यह संतुलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कूटनीति और विदेश नीति का उपयोग दलगत या व्यक्तिगत राजनीति के लिए नहीं किया जाए।

नई वैश्विक व्यवस्था में भारत के लिए क्या कहा

वैश्विक मंच और नई वैश्विक व्यवस्था में भारत कहां खड़ा है? इस सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ''अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब काफ़ी अलग है। ख़ासकर रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के साथ चीन की जियो पॉलिटिकल टकराव के बाद। इस नई व्यवस्था को संचालित करने में भारत की अहम भूमिका है। आज़ादी के बाद से एक बड़े लोकतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों वाले शांतिपूर्ण देश बनने और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश होने के नाते दुनियाभर में भारत को सम्मान से देखा जाता है।''मनमोहन सिंह बोले, ''2005 से 2015 के दशक में जीडीपी के रूप में भारत का विदेशी व्यापार दोगुना हो गया था। इससे देश को फ़ायदा हुआ और करोड़ों लोग ग़रीबी से बाहर निकल पाए. इसका मतलब ये भी हुआ कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ी हुई है।

चीन सीमा विवाद पर जरूरी कदम उठाएंगे पीएम मोदी-मनमोहन सिंह

भारत-चीन मुद्दे पर भी मनमोहन सिंह ने बात की और कहा कि यह दुख की बात है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'चीन के साथ रिश्तों में सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी को क्या करना चाहिए, इस पर मेरा बोलना ठीक नहीं है। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए जरूरी कदम अवश्य उठाएंगे।

भारत-आसियान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने रखा 12 सूत्री प्रस्ताव, कहा, 21 वीं सदी एशिया का, डिटेल में जानें इसके बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के साथ डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया।

मोदी ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में यहां 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के महासचिव डॉ काओ किम होर्न ने भी शिखर सम्मेलन में भाग लिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में दो संयुक्त बयानों जिनमें एक समुद्री सहयोग और दूसरा खाद्य सुरक्षा से संबंधित है उन्हें भी स्वीकार किया गया।

इसमें कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान भागीदारों के साथ आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने तथा भविष्य की दिशा तय करने पर व्यापक चर्चा की। प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता की फिर से पुष्टि की और भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और आसियान के हिंद-प्रशांत पर दृष्टिकोण (एओआईपी) के बीच तालमेल पर प्रकाश डाला।

उन्होंने आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा समयबद्ध तरीके से पूरी करने की जरूरत पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया जिसमें कनेक्टिविटी, डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों से लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक जुड़ाव को गहरा करना शामिल है।

बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव के तहत, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया-भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक बहु-मोडल कनेक्टिविटी और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान भागीदारों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक को साझा करने की पेशकश की। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल परिवर्तन और फाइनेंशियल कनेक्टिविटी की दिशा में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष की भी घोषणा की।

12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर सूचनाओं के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान किया। प्रस्ताव के हिस्से के रूप में उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक और अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को दिए जाने वाले समर्थन के नवीकरण की घोषणा की ताकि वह नॉलेज पार्टनर के रूप में कार्य कर सके।

बयान में कहा गया है कि उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के सामने आने वाले मुद्दों को सामूहिक रूप से उठाने का आह्वान किया। उन्होंने आसियान देशों को भारत में डब्ल्यूएचओ की आरे से स्थापित किए जा रहे ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन मिशन एलआईएफई पर मिलकर काम करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने में भारत के अनुभव को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने आसियान देशों को आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया। बयान के अनुसार, उन्होंने समुद्री सुरक्षा, सुरक्षा और डोमेन जागरूकता पर सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत और आसियान नेताओं के अलावा, तिमोर-लेस्ते ने एक पर्यवेक्षक के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

जी20 की बैठक पर कोराना का साया, फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के बाद स्पेन के राष्ट्रपति कोरोना संक्रमित, सम्मेलन में नहीं हो सकेंगे शामिल

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इस वक्त दुनिया की सारी नजरे भारत पर टिकी हुई है। वजह है 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित होने वाला जी 20 शिखर सम्मेलन।इसके पहले इस समिट पर कोरोना का साया मंडराता हुआ नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अब स्पेन के प्रेसिडेंट पेड्रो सांचेज भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इस बात की जानकारी खुद स्पेन के राष्ट्रपति ने दी है। जिसके कारण वे जी 20 समिट में शामिल नहीं हो सकेंगे।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सांचेज ने लिखा, "मैं कोरोना से संक्रमित हूं इसलिए भारत की यात्रा नहीं कर सकता। हालांकि, मैं ठीक महसूस कर रहा हूं। जी20 की बैठक में स्पेन की ओर से कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नादिया कैल्विनो और विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बेरेस भाग लेंगे।"

अमेरिका की फर्स्ट लेडी भी कोराना संक्रमित

बता दें कि देश में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन में पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अकेले आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी पत्नी जिल बाइडेन के साथ 8 सितंबर को भारत दौरे पर आने वाले थे। इसके ठीक पहले जिल कोरोना की चपेट में आ गईं। 5 सितंबर को बाइडेन और जिल की कोरोना जांच कराई गई थी। जिसमें जिल बाइडेन पॉजिटिव पाई गई थीं लेकिन बाइडेन की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जिसके बाद राष्ट्रपति के कार्यालय से एक बयान जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि जो बाइडेन में किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है। साथ ही यह भी कहा था कि, भारत में हो रहे जी20 सम्मेलन में प्रेसिडेंट जो बाइडेन पूरे प्रिकॉशन का ख्याल रखेंगे।

बैठक में शामिल ना होने वाले तीसरे नेता

स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज, नई दिल्ली में होने जा रही बैठक में शामिल ना होने वाले जी20 के तीसरे नेता हैं। इनसे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। जहां तक बात है पुतिन और शी जिनपिंग वो अपने निजी कारणों की वजह से जी 20 शिखर सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं। चीन की तरफ से प्रधानमंत्री ली क़ियांग आ रहे हैं, वहीं रूस की तरफ से पुतिन की जगह पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस का नेतृत्व करेंगे।

जी-20 से इतर 15 द्विपक्षीय बैठक करेंगे पीएम मोदी, आज तीन दिन देशों के राष्ट्र अध्यक्ष के साथ वार्ता

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9-10 सितंबर, 2023 को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में अब कुछ ही समय शेष रह गय है। ऐसे में सभी प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत पहुंचने लगे हैं। भारत इस सम्मेलन के जरिए अपनी विदेश नीति को भी धार देने की तैयारी कर रहा है।यही वजह है कि प्रधानमंत्री शनिवार को जी-20 कार्यक्रमों में भाग लेने के अलावा ब्रिटेन, जापान, जर्मनी और इटली के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। जी हां, -20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का शेड्यूल बेहद व्यस्त रहने वाला है।वह तीन दिन के भीतर 15 देशों के विभिन्न नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।बैठकों का यह दौर आज से शुरू होकर 10 सितंबर तक चलेगा।आज पीएम मोदी कुल तीन दिन देशों के राष्ट्र अध्यक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें अमेरिका, बांग्लादेश और मॉरीशस के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री शामिल हैं।

बाइडन के साथ इन मुद्दों पर चर्चा संभव

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी अपने एयरफोर्स वन से बारत के लिए रवाना हो चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन की ये भारत की पहली यात्रा है। उनकी शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री मोदी से द्विपक्षीय बैठक होगी। बैठक में दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी की जून में वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा के दौरान लिए गए फैसलों पर प्रगति की समीक्षा कर सकते हैं। बैठक के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर बातचीत हो सकती है उसमें यूक्रेन, अहम एवं उभरती प्रौद्योगिकियां और कुछ रक्षा सौदे शामिल हैं। अगले दिन राष्ट्रपति बाइडन प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेंगे. इसके बाद वह जी20 नेताओं के साथ कई बैठकों में हिस्सा लेंगे।

इन नेताओं संग बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिख सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के साथ 15 से अधिक द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। 8 सितंबर को पीएम मोदी मॉरीशस, बांग्लादेश और अमेरिका के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। 9 सितंबर को जी20 बैठकों के अलावा पीएम मोदी यूके, जापान, जर्मनी और इटली के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। वहीं, 10 सितंबर को पीएम मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ वर्किंग लंच मीटिंग करेंगे। इसके अलावा प्रधानंमत्री मोदी कनाडा के पीएम के साथ अलग बैठक करेंगे। इनके अलावा प्रधानमंत्री मोदी कोमोरोस, तुर्किए, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय यूनियन, यूरोपीय कमीशन, ब्राजील और नाइजीरिया के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।

जी-20 समिटः मनमोहन सिंह और देवेगौड़ा को डिनर का न्योता, सोनिया-खड़गे को निमंत्रण नहीं, अंबानी-अडानी समेत दिग्गज बिजनसमैन भी होंगे कार्यक्रम का ह

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जी-20 सम्मेलन के लिए दिल्ली में मेहमानों का आना शुरू हो गया है। आज बाइडेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे हैं।बाइडेन के अलावा आज आने वालों में ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अलबनीज़, जापान के पीएम किशिदा फूमियो, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईज़ इनैसियो लुला जा सिल्वा और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग शामिल हैं। जी-20 सम्मेलन में 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष या उनके प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।जी-20 के लिए दिल्ली अभेद्य किले में तब्दील हो गई है।

मनमोहन सिंह और दवेगौड़ा को न्योता

G20 सम्मेलन विश्व का सबसे बड़ा और ताकतवर कूटनीतिक इवेंट माना जाता रहा है।इस दो दिवसीय सम्मेलन का सबसे अहम हिस्सा होता है ग्रैंड डिनर पार्टी। यह डिनर मेजबान देश की ओर से सभी विदेशी मेहमानों के सम्मान में दिया जाता है। लेकिन यह एक आम डिनर पार्टी नहीं होती है। इस पार्टी के आयोजन के जरिए मेजबान देश विश्व को अपनी संस्कृति, विविधता के अलावा देश के अंदर सबसे ताकतवर लोगों से रूबरू कराता है।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा को जी20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी।

सोनिया और मल्लिकार्जुन को निमंत्रण नहीं

शनिवार को राष्ट्रपति की ओर से डिनर का आयोजन किया गया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में जी20 सम्मेलन के लिए तैयार किए गए भारत मंडपम में डिनर का आयोजन होगा।यह एक छोटा सा सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। इसके लिए सभी कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया है। डिनर के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया गया है। मेहमानों की लिस्ट में सभी सचिव और अन्य विशिष्ट अतिथि जिनमें बड़े उद्योगपति भी शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौडा को भी रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं भेजा गया है। साथ ही किसी अन्य राजनीतिक दल के नेता को भी निमंत्रण नहीं दिया गया है।

लगभग 600 लोगों को न्योता

9 सितंबर को पूरे दिन चलने वाली मीटिंग के बाद होने वाली डिनर पार्टी में शामिल होने के लिए मेहमानों के अलावा लगभग 600 लोगों को निमंत्रण दिया गया है। डिनर में केंद्रीय मंत्रियों को मेहमानों की खातिरदारी के लिए खास ड्यूटी लगाई गई है। सभी का उनकी पसंद के मुताबिक इंतजाम करने के साथ उन्हें देसी खाने के बारे में विस्तार से बताना भी है। इस डिनर में देश के तमाम हिस्सों के देसी व्यंजनों को शामिल किया गया है। इस डिनर में पूरी तरह शाकाहारी खाने का ही इंतजाम है।