एक देश, एक चुनाव' के लिए गठित समिति की पहली बैठक आज, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर होगा मंथन
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एक देश-एक चुनाव के लिए केंद्र सरकार की तरफ से गठित की गई कमेटी की आज पहली बैठक होगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर उनकी अध्यक्षता में इस अहम मुद्दे पर मंथन होगा। केंद्र सरकार ने अध्ययन के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी। यह समिति इस विषय पर गहन विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि आने वाले समय में क्या सरकार देश में एक देश एक चुनाव करवा पाएगी या नहीं।
आठ सदस्यीय समिति में ये लोग शामिल
कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। समिति में गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आमंत्रण के बावजूद इस समिति में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में उच्च स्तरीय समिति की बैठकों में भाग लेंगे।
'एक देश, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशेगी समिति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी। समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी।
आजादी के बाद लागू था वन नेशन, वन इलेक्शन
वन नेशन, वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
Sep 06 2023, 15:08