जी20 की बैठक में विश्वबैंक और आईएमएफ में सुधारों पर हो सकता है फोकस, ये एजेंडे भी होंगे अहम
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जी-20 की 18वीं समिट इस साल 9 और 10 सितंबर को होने जा रही है। इस साल भारत पहली बार जी-20 की मेजबानी करने जा रहा है। इसके लिए काफी जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। जी 20 समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रा, चीन के प्रीमियर ली कियांग समेत 20 से ज्यादा देशों के वर्ल्ड लीडर्स पहुंच रहे हैं। हालांकि सम्मेलन में पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन और फिर बाद में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हो रहे हैं। इसको लेकर कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं। जिसको लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में कौन शामिल हो रहा है और कौन नहीं, इसके बजाय ज्वलंत मुद्दों पर सदस्य देशों की ओर से अपनाई गई स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।ऐसे में सवाल ये है कि दिल्ली में हो रहे जी 20 शिखर सम्मेलन में किन अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
जी20 देशों सम्मेलन में इस बार जलवायु परिवर्तन के साथ वैश्विक फाइनेंशियल बॉडीज जैसे कि विश्वबैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में सुधार पर चर्चा होगी। साथ ही भारत भी अपनी तरफ से कुछ मुद्दों आगे बढ़ाने वाला है। ये 5 मुद्दे जी20 की बैठक का अहम एजेंडा हैं।
वर्ल्डबैंक-आईएमएफ में सुधार का मुद्दा
जी20 शिखर सम्मेलन में इस बार मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक जैसे कि वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में व्यापक सुधार करने पर चर्चा होगी. भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान इस एजेंडा को पुश कर रहा है. इसकी वजह ये संस्थान करीब 80 साल पहले दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने थे. तब से अब तक दुनिया में कई बदलाव हो चुके है, वर्ल्ड ऑर्डर में बदलाव आ चुका है, इसलिए इन संस्थानों को आज के भूराजनैतिक माहौल के हिसाब से मजबूत बनाने की जरूरत है.इसी के साथ यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक, अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, यूरोपियन बैंक फॉर री-कंस्ट्रक्शन, इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक, और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक में भी बदलाव होने हैं।
जलवायु परिवर्तन पर चर्चा
जी20 देशों की टेबल पर इस बार भी जलवायु परिवर्तन की समस्या का एजेंडा होगा। इस मामले में अच्छी खासी फंडिंग और रीयल एक्शन की जरूरत है। जी20 देशों की कोशिश होगी कि ‘सस्टेनबल डेवलपमेंट गोल्स 2030’ को पूरा करने पर जोर दिया जाए। एक अनुमान के मुताबिक इन लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2030 तक हर साल 3,000 अरब डॉलर की जरूरत होगी
क्रिप्टोकरेंसी पर वर्ल्ड ऑर्डर
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनिया किसी एक राय पर पहुंचे, उसके लिए नियम-कायदे बनें। ये वो अहम मुद्दा है जिसे भारत अलग-अलग मंच पर आगे बढ़ा रहा है। इस बार जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की मीटिंग के दौरान भी भारत ने इस मसले को मजबूती से आगे रखा। अब जब जी20 का शिखर सम्मेलन हो रहा है, तो भारत इसे जॉइंट स्टेटमेंट का हिस्सा बनाने का पक्षधर है
दुनिया की खाद्य सुरक्षा
इस बार जी20 सम्मेलन में दुनिया की खाद्य सुरक्षा भी चर्चा का अहम विषय होगी। रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके वजह उपजी आर्थिक परेशानियों ने खाद्यान्नों की महंगाई बढ़ाने का काम किया है. इसी के साथ जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया के सामने खाद्य संकट पहले से खड़ा हुआ है।
छोटे और कमजोर देशों को कर्ज
वैश्विक फाइनेंशियल बॉडीज में सुधार की बात की एक और वजह कमजोर और छोटे देशों की आर्थिक ताकत को सुधारना है। उन पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए जी20 देशों के सम्मेलन में इस बार कर्ज की री-स्ट्रक्चरिंग, न्यूनतम ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स इत्यादि पर बातचीत करना है।
क्या है जी-20 का काम
दरअसल, जी-20 का मूल एजेंडा आर्थिक सहयोग और वित्तीय स्थिरता का है, लेकिन समय के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, स्वास्थ्य, कृषि और भ्रष्टाचार निरोधी एजेंडा भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इसमें दो समानांतर तरीकों से चर्चा होती है, पहला फाइनेंशियल और दूसरा शेरपा ट्रैक। फाइनेंशियल ट्रैक में बातचीत का काम वित्त मंत्री संभालते हैं और शेरपा ट्रैक में शेरपा यानी वह व्यक्ति जिसे सरकार शेरपा के तौर पर नियुक्त करती है। चूंकि दुनिया की जीडीपी में 85 फीसदी हिस्सा जी-20 देशों का है। वहीं दुनिया के व्यापार में 75 फीसदी की हिस्सेदारी भी इन्हीं की है, ऐसे में इनकी बैठक को काफी अहम माना जाता है। इनका काम सभी सदस्य देशों के साथ समन्वय बनाना और नेगोशिएट करना होता है।
Sep 05 2023, 12:05