एक बार फिर चांद पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग, 40 सेमी तक ऊपर उठा, फिर किया 30 से 40 सेमी दूर पर सुरक्षित लैंड
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विक्रम लैंडर ने एक बार फिर चांद की सतह पर लैंडिंग की है। इसरो के आदेश पर विक्रम लैंडर का इंजन चालू हुआ और उसने खुद सतह से करीब 40 सेमी ऊपर उठाया और शिवशक्ति प्वाइंट से करीब 30 से 40 सेमी दूर सुरक्षित लैंड किया।सोमवार को एक एक्स पोस्ट में इसरो ने जानकारी दी कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने फिर से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की।इसरो ने बताया कि भविष्य में लैंडर के वापस लौटने और मानव मिशन के लिए इस प्रयोग के बेहद मायने हैं।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, विक्रम लैंडर अपने मिशन उद्देश्यों से आगे निकल गया है। इसने सफलतापूर्वक हॉप एक्सपेरीमेंट (उछाल मारना) पूरा किया। इसरो ने बताया कि आदेश मिलने पर, इसने इंजन चालू कर दिए, उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उठाया और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से उतर गया।इसरो ने विक्रम लैंडर के इस करतब का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है।
क्यों अहम है दोबारा लैंडिंग?
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एक्सपेरिमेंट के आधार पर इसरो अब आगे के मिशनों में चांद से धरती पर वापस यान को ला सकेगा। फिलहाल यह टेस्ट सफल रहा और इससे वैज्ञानिक काफी खुश हैं।इसरो ने बताया है कि लैंडर के दोबारा किक स्टार्ट करने की ये प्रक्रिया उपग्रहों या फिर भविष्य में मानव मिशन को दुबारा धरती पर लाने की दिशा में एक अहम कोशिश है। लैंडर द्वारा आज किए गए इस मेनुवर से वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा है कि भारत चांद की सतह पर उपग्रह उतारने के अलावा उन्हें दोबारा धरती पर भी ला सकता है।
रोवर ने पूरा किया काम
बता दें कि चंद्रयान-3 अपने उद्देश्य पूरे कर चुका है और इसका मिशन लगभग पूरा हो गया है। स्लीप मोड में जाने से पहले प्रज्ञान रोवर करीब 100 मीटर की दूरी चांद पर तय कर चुका है और जो जानकारियां भेजी है उसे आगे के मिशन के साथ साथ चांद को समझने में मदद मिलेगी। ऑक्सीजन,सिलिकॉन, टाइटेनियम, फेरोनियम की उपलब्धता बड़ी उम्मीद को जन्म दे रही है। आने वाले समय में आर्थिक संसाधनों की जरूरतों को चांद पूरा कर सकता है। जानकारों का कहना है कि इसरो का चंद्रयान मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कम से कम बजट में बड़ी सफलता कैसे हासिल की जा सकती है। चांद पर अब रात हो रही है। इसलिए प्रज्ञान रोवर को सुरक्षित जगह पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक दिन होता है और इतनी ही बड़ी रात होती है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रात के समय तापमान माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ऐसे में इतने कम तापमान में रोवर और लैंडर काम नहीं कर पाएंगे। जब चांद पर रात बीत जाएगी तो लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की जाएगी लेकिन इसकी उम्मीद कम है।
Sep 04 2023, 14:37