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विधानसभा का घेराव करने निकले बीजेपी नेताओ और कार्यकर्तोओं को पुलिस ने दौड़ा-दौड़कर पीटा, सम्राट चौधरी समेत कई को हिरासत में लिया

डेस्क : बिहार की नीतीश सरकार को रोजगार, भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी के मुद्दे पर भाजपा गुरुवार को विधानसभा घेराव करने निकली तो पुलिस ने जमकर लाठीचार्च किया। पटना के गांधी मैदान से विधानसभा तक शुरू हुए भाजपा के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने शहर में हजारों की संख्या में जवानों को तैनात किया। 

दोपहर करीब 1 बजे जैसे ही भाजपा की रैली गांधी मैदान से विधानसभा की ओर बढ़ी वैसी ही डाकबंगला चौराहे के पास पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को आगे बढने से रोका। देखते ही देखते सड़क पर संग्राम की स्थिति बन गई। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए जब निर्देश दिया तो भीड़ नहीं रुकी। बाद में पुलिस ने जमकर लाठीचार्च किया। 

न सिर्फ भाजपा के कार्यकर्ताओं बल्कि विधायकों और सांसदों पर भी पुलिस की लाठियां चटकी। इस दौरान भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर पुलिस की लाठी बरसी। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए न सिर्फ लाठीचार्ज किया बल्कि प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार छोड़ी। इस दौरान भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने बलप्रयोग किया। 

वहीं पुलिस की सख्त कार्रवाई को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी सहित कई अन्य नेताओं ने सड़क पर धरना देना शुरू कर दिया। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के साथ कई अन्य भाजपा नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। 

इसके पहले सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार की जनता के लिए गोली भी खाएंगे लेकिन नीतीश सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहेंगे।

विधायकों को सदन से मार्शल आउट किये जाने पर भड़का विपक्ष सदन से किया वॉक आउट, नेता प्रतिपक्ष ने स्पीकर और सीएम पर लगाया यह आरोप

डेस्क : बिहार विधान मंडल के मानसून सत्र के दौरान आज सदन में लगातार चौथे दिन विपक्ष का नीतीश सरकार पर हमलावर रुख बरकार है। इसे लेकर सत्ता और विपक्ष की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसमें गुरुवार को सदन में भाजपा के विधायकों द्वारा कुर्सी उठाने, कागज फाड़ने और असंसदीय शब्दों का प्रयोग करने पर स्पीकर अवध बिहारी ने गहरी आपत्ति जताई। बाद में उन्होंने दोनों भाजपा विधायकों को मार्शल आउट करने का आदेश दिया। 

इधर विपक्ष ने स्पीक की इस कार्रवाई पर गहरा एतराज जताते हुए स्पीकर अवध बिहारी चौधरी पर सदन में सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया हैं और इसकी शिकायत राज्यपाल से करने की बात की है। 

विधानसभा से भाजपा विधायकों के मार्शल आउट किए जाने पर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आपत्ति जताते हुए गुरुवार को कहा कि स्पीकर एकतरफा काम कर रहे हैं। आसन को निरपेक्ष होना चाहिए लेकिन सरकार के दबाव में आकर स्पीकर सरकार के इशारे पर आकर काम कर रहे हैं, जो पूर्णता अघोषित आपातकाल है। 

दो विधायकों के मार्शल आउट किए जाने के बाद भाजपा ने सदन से वॉक आउट किया। पूरी घटना को अलोकतांत्रिक बताते हुए विजय सिन्हा ने कहा कि सदन के अंदर परंपरा रही कि विपक्ष को बोलने का मौका मिलता है। लेकिन, जब से सदन शुरू हुआ है स्पीकर सिर्फ छोटे दल के लोगों को बोलने देते हैं और विपक्ष को बोलने नहीं देते हैं। बड़ी मुश्किल से भाजपा को कुछ बोलने दिया जाता है तो बीच में ही लाइन काट दिया जाता है। हमारी आवाज को बंद कर दिया जाता है। 

विजय सिन्हा ने आरोप लगाया कि सदन में ट्रेजरी बेंच लोकतंत्र की हत्या कर रहा है। यह सब मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हो रहा है। वे भ्रष्टाचारी और अपराधी को बचा रहे हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के नाम पर आज सीएम नीतीश मौन धारण किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की संगति में आकर नीतीश कुमार अघोषित आपातकाल सदन के अंदर और बाहर लगाना चाहते हैं। नीतीश जंगलराज को जनता राज बताते हैं और अब गुंडाराज में तब्दील कर रहे हैं। इसे भाजपा कतई स्वीकार नहीं करेगी। इस गुंडाराज के विरोध में भाजपा सड़क से सदन तक आवाज उठाएगी। 

उन्होंने स्पीकर के व्यवहार को अनुचित बताते हुए कहा भाजपा सदस्यों का पूरक नहीं पूछने दिया जाता। वहीं सत्ताधारी दल के सदस्यों को पूरक का बौछार लगाने दिया जाता है। आसन को निरपेक्ष होना चाहिए लेकिन स्पीकर सरकार के दबाव में आकर सरकार के इशारे पर आकर काम कर रहे हैं जो पूर्णता अघोषित आपातकाल है। इसके विरोध में अब सड़क से सदन तक लड़ाई होगी। साथ ही हम सदन में न्याय के विधानमंडल के कस्टोडियन राज्यपाल से मिलेंगे। उनसे भी हम दरख्वास्त करेंगे और स्पीकर के कारनामों को हम राज्यपाल को बताएंगे कि वे सदन को एकतरफा चलाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि गुरुवार को भी हमने सरकार से सवाल किया कि आप के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पहली कैबिनेट में पहली कलम से 10 लाख बिहार के नौजवानों को नौकरी देने की बात कही थी। लेकिन उसका कुछ नहीं हुआ। समान काम का समान वेतन पर सरकार जवाब दें। भ्रष्टाचार और अपराध कर जवाब दे। लेकिन जैसे ही हमने बोलना शुरू किया माइक बंद कर दिया गया। कैमरे को विपक्ष की तरफ से हटा दिया गया। हमारे सदस्यों ने कैमरे वालों को कहा कि पक्ष की तरफ से कैमरा क्यों बंद कर दिया गया तो भाजपा सदस्यों को बेरहमी से सदन से बाहर निकाला है।

बिहार विस मानसून सत्र : लगातार चौथे दिन विपक्ष का हंगामा जारी, बीजेपी के दो विधायकों को स्पीकर ने किया मार्शल आउट

डेस्क : बिहार विधान मंडल के मानसून सत्र के दौरान आज सदन में लगातार चौथे दिन विपक्ष का नीतीश सरकार पर हमलावर रुख बरकार है। इसे लेकर सत्ता और विपक्ष की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसमें गुरुवार को सदन में भाजपा के विधायकों द्वारा कुर्सी उठाने, कागज फाड़ने और असंसदीय शब्दों का प्रयोग करने पर स्पीकर अवध बिहारी ने गहरी आपत्ति जताई। बाद में उन्होंने दोनों भाजपा विधायकों को मार्शल आउट करने का आदेश दिया। स्पीकर अवध बिहारी ने कहा कि भाजपा को जनता से कोई मतलब नहीं है। इसी कारण इस प्रकार का अमर्यादित आचरण सदन में किया जा रहा है। 

विधानसभा में हंगामा कर रहे भाजपा विधायक जीवेश मिश्रा को गुरुवार को सदन से जबरन बाहर निकाल दिया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जीवेश मिश्रा सहित अन्य भाजपा विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे। भाजपा विधायकों को पहले आसन की ओर से अपने अपने जगह पर जाने को कहा गया लेकिन जब उनका हंगामा जारी रहा तो विधानसभा स्पीकर के आदेश पर मार्शलों ने जीवेश मिश्रा को सदन से बाहर कर दिया। 

वहीं सदन में जीवेश मिश्रा पर हुई इस कार्रवाई के बाद भी भाजपा विधायकों का हंगामा जारी रहा। इसी बीच हंगामा कर रहे भाजपा के कुमार शैलेंद्र को भी मार्शल आउट किया गया। स्पीकर अवध बिहारी ने भाजपा विधायकों के हाथों में कुर्सी लेकर प्रदर्शन करने पर गहरी आपत्ति जताई और उसके बाद कुमार शैलेंद्र को मार्शल आउट करने का आदेश दिया गया। 

मार्शलों ने बारी-बारी से पहले जीवेश मिश्रा और फिर कुमार शैलेंद्र को सदन से बाहर कर दिया। दोनों ने सदन के बाहर आने के बाद कहा कि जनता की मांगों को लेकर वे सदन में सरकार का विरोध कर रहे थे तो उनके खिलाफ मार्शल आउट की कार्यवाही की गई है। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।

नियोजित शिक्षकों द्वारा किया गया धरना-प्रदर्शन उनकों पड़ा महंगा, होगी कार्रवाई

डेस्क : नियोजित शिक्षकों द्वारा किया गया धरना-प्रदर्शन उनकों महंगा पड़ने वाला है। विभिन्न मांगों को लेकर 11 जुलाई को पटना में आयोजित धरना-प्रदर्शन में शामिल नियोजित शिक्षकों पर कार्रवाई होगी। इसको लेकर संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) नियोजन इकाई अनुशंसा करेंगे। इसके तहत निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे शिक्षकों की पहचान वीडियो और फोटो के माध्यम से की जा रही है।

बीते बुधवार 12 जुलाई को शाम में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा की। इसमें सभी डीईओ ने शिक्षकों पर की जाने वाली कार्रवाई से संबंधित जानकारी दी। 

अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार सबसे अधिक पश्चिम चंपारण जिले के 50 से ज्यादा शिक्षक धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे। मालूम हो कि विधानसभा के घेराव कार्यक्रम को लेकर सभी पटना पहुंचे थे। विभाग ने सभी जिलों को धरना-प्रदर्शन का वीडियो और फोटो भेजा था। इसी के आधार पर शिक्षकों की पहचान कर कार्रवाई करने की पहल डीईओ द्वारा शुरू की गई। सभी जिलों के डीईओ ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों से ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी गई, जो पटना में आयोजित धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे। शिक्षकों की सूची देने के लिए डीईओ ने बुधवार को अपराह्न तीन बजे तक का समय दिया था। 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में विभाग के पदाधिकारियों ने साफ किया कि शिक्षकों ने नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली में दर्ज आचारसंहिता के खिलाफ कार्य किया है। इसी के आधार पर उनसबों पर कार्रवाई होगी। 

मुजफ्फरपुर डीपीओ स्थापना डॉ. प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के नेता सह उत्क्रमित मध्य विद्यालय रक्सा पूर्वी मड़वन के शिक्षक वंशीधर व्रजवासी को तस्वीर से चिह्नित करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बड़ा बयान, विपक्ष के सदस्यों का आचरण विधायकों वाला एकदम नहीं लगता है

डेस्क : बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव द्वारा मानसून सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा किये जा रहे हंगामे को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि विपक्ष के सदस्यों का आचरण विधायकों वाला एकदम नहीं लगता है। 

उन्होंने कहा है कि हमलोग जनता के सवालों को लेकर समय पर सदन में आते है। ताकि, बिहार की तरक्की हो, सकारात्मक पहल हो। लेकिन, विपक्ष के लोग का मकसद सिर्फ बकवास करना और हंगामा करना है। तेजस्वी यादव ने कहा कि विधायक की भूमिका होती है कि वह सवाल करें, सरकार से जवाब मांगे। लेकिन, भाजपा विधायकों की इसमें कोई रुचि नहीं है। 

विपक्ष के द्वारा उपमुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग किये जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर चार्जशीट 2017 में हुई थी। वर्ष 2017 से 2023 तक छह साल में उसका क्या हुआ, यह भगवान ही जानते हैं। लेकिन, 2017 में चार्जशीट थी और फिर से मैं उपमुख्यमंत्री की शपथ ले रहा था, तब इनलोगों ने मुझे मना क्यों नहीं किया? अब शपथ ले लिये हैं तो ये इस्तीफा मांग रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अगुवानी घाट पुल का मामला न्यायालय में है। पहली बार जब यह पुल गिरा तो सवाल हमने ही उटाया था। रिपोर्ट आई तो हमारी सरकार ने कार्रवाई की। पुल को तोड़ा। हमने कई बार इसकी समीक्षा की और कार्रवाई की गई। हमारे आने के बाद अभियंता को बदला गया। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पुल गिरने के बाद पुल निर्माण निगम के एमडी को हटाया गया। लेकिन, जब पहली बार पुल गिरा था, तब भाजपा के मंत्री थे, जिन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा, 10 लाख युवाओं को रोजगार समेत अन्य मामलों को लेकर बीजेपी का विस मार्च आज

डेस्क : नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने, 10 लाख युवाओं को रोजगार देने सहित अन्य मामलों को लेकर बिहार बीजेपी की ओर से आज गुरुवार को विधानसभा मार्च किया जायेगा। सुबह 11 बजे से शुरू होने वाला यह मार्च डाकबंगला चौराहा, कोतवाली, आयकर गोलम्बर, वीरचंद पटेल होते हुए विधानसभा तक जाएगा।

भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मार्च का मुद्दा स्पष्ट है। सरकार 10 लाख सरकारी नौकरी का हिसाब दे। वर्षों से शिक्षक रहे लोगों को परीक्षा देने पर बाध्य किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री बच्चों के टैलेंट पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अगुआनी पुल गिरा लेकिन किसी पर एफआईआर नहीं हुई।

पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा कि एक ओर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिक्षक नेताओं से मिलेंगे और दूसरी तरफ विधानसभा के एक प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि पंचायत से नियुक्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिलेगा। किसान सलाहकारों के कारण प्रदेश कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और इन्हीं पर लाठीचार्ज किया जा रहा है।

हाईकोर्ट के आदेश का विलंब से पालन करना बिहार सरकार को पड़ा महंगा, कोर्ट ने लगाया इतने रुपये जुर्माना


डेस्क : पटना हाईकोर्ट के आदेश का विलंब से पालन करना बिहार सरकार को काफी महंगा पड़ा है। राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन तकरीबन ढाई वर्ष विलंब से किया। जिसे लेकर जस्टिस पी बी बजन थ्री की खंडपीठ ने अदालती आदेश पालन करने में देरी किये जाने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट ने 25 हजार रुपये पटना हाईकोर्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के पास जमा कराने का आदेश दिया। वही 25 हजार रुपये आवेदक को देने का आदेश दिया। कोर्ट ने डॉ. सुधीर कुमार ठाकुर की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि देने का आदेश दिया। मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ खुद कोर्ट में उपस्थित थे। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अदालती आदेश का पालन कर दिया गया है।

कोर्ट का कहना था कि अवमानना अर्जी दायर होने के बाद वर्ष 2020 में पारित आदेश का 7 जुलाई,2023 में पालन किया गया। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना राशि का भुगतान किया गया कि नहीं। इस बात की जानकारी देने के लिए इस केस को 21 अगस्त,2023 को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।

बिहार विधान मंडल मानसून सत्र : डिप्टी सीएम तेजस्वी की इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्ष ने किया भारी हंगामा, सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित

डेस्क : बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है. बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दल भाजपा की तरफ से एक बार फिर से शिक्षक अभ्यर्थियों का मुद्दा और लैंड फॉर जॉब केस में चार्जशीटेड डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग उठाई गई.  

बिहार विधानसभा मे प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्यों ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का भारी विरोध किया. तेजस्वी यादव जब ग्रामीण कार्य विभाग से जुड़े सवाल का जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा सदस्यों ने विरोध किया. विपक्ष वेल में पहुंच तक तेजस्वी यादव को पोस्टर दिखाए. भाजपा के विधायक तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग कर रहे थे. 

स्पीकर ने वेल में पोस्टर लहरा रहे भाजपा सदस्यों से पोस्टर लेने का आदेश मार्शल को दिया. स्पीकर ने वेल में कुर्सी उठाये भाजपा सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा आचरण करेंगे तो हमें कार्रवाई करने पर बाध्य होना पड़ेगा. हंगामा बढ़ते देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर दिया. 

दरअसल, लैंड फॉर जॉब केस में चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद भाजपा लगातार इस्तीफे की मांग कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने आज विधानसभा में मौजूद सीएम नीतीश से पूछा कि कहां गया आपका जीरो टॉलरेंस की नीति, आपने भ्रष्टाचार से क्यों समझौता किया ?  

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने सदन में कहा कि इतने कम उम्र में तेजस्वी यादव इतने संपत्ति के मालिक कैसे बने..। मैं आसन का सम्मान करता हूं, नेता विरोधी दल को बोलने की परंपरा रही है. पहली कैबिनेट में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा क्या हुआ... यहां मुख्यमंत्री बैठे हुए हैं, जवाब दें. शिक्षकों को समान वेतन देने की बात कहने वाले आज क्यों मौन है,,, किसान सलाहकार आज पटना में प्रदर्शन कर रहे हैं लाठी चार्ज हो रहा है. भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.मुख्यमंत्री जी आपके जीरो टॉलरेंस का क्या हुआ. आप तेजस्वी यादव को बगल में बिठाये हिए हैं. उन पर भ्रष्टाचार करने को लेकर चार्जशीट दाखिल किया गया है..क्यों नहीं इस्तीफा ले रहे.

अमोघ लीला दास ने की स्वामी विवेकानंद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी, इस्कॉन ने लगाया प्रतिबंध, जानें इंजीनियर से बने संत के बारे में

#amogh_leela_das_made_derogatory_remarks_about_swami_vivekananda_iskcon_banned 

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन)के संत अमोघ लीला दास को स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस पर टिप्पणी करना भारी पड़ गया है। इस्कॉन ने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में अमोघ लीला दास द्वारा की गई टिप्पणी के बाद प्रतिबंध लगा दिया है।इस्कॉन ने उन पर एक महीने का बैन लगा दिया है।इस्कॉन ने कहा कि दास अब एक महीने के लिए गोवर्धन पहाड़ियों में प्रायश्चित के लिए जाएंगे।

इस्कॉन ने जारी किया बयान

इस मामले न इस्कॉन की ओर से बयान जारी किया गया है। बयान में कहा गया, 'ये टिप्पणियां न केवल अपमानजनक थी, बल्कि आध्यात्मिक पथों और व्यक्तिगत विकल्पों की विविधता के बारे में अमोघ लीला दास की जागरूकता की कमी को भी दर्शाती थी। हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि अमोघ लीला दास द्वारा व्यक्त किए गए विचार इस्कॉन के मूल्यों और शिक्षाओं के प्रतिनिधि नहीं हैं। इस्कॉन ने बयान में कहा कि, "हम धार्मिक मान्यताओं व प्रथाओं के प्रति किसी भी प्रकार के अनादर और असहिष्णुता की निंदा करते हैं। बयान के अनुसार, "साधु की इस गंभीर गलती को ध्यान में रखते हुए, इस्कॉन ने उन पर एक महीने के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। हमने उन्हें अपना निर्णय बता दिया है। अमोघ लीला दास ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है। उन्हें एहसास हो रहा है कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है। 

क्या कहा था अमोघ लीला ने?

बता दें कि कि अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद की मछली सेवन के लिए आलोचना करते हुए कहा था कि एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी किसी प्राणी को हानि नहीं पहुंचा सकता। उन्होंने रामकृष्ण की शिक्षा "जतो मत ततो पथ" (जितनी राय, उतने रास्ते) पर भी व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता।

वायरल वीडियो के बाद बढ़ा विवाद

अमोग लीला दास की टिप्पणी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि हम इस्कॉन का सम्मान करते हैं, लेकिन उसे अब दास को रोकना चाहिए। रामकृष्ण और विवेकानंद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साधु के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की।

कौन है अमोघ दास लीला?

अमोघ लीला दास एक आध्यात्मिक गुरु है। अमोघ लीला लखनऊ के धार्मिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह सोशल मीडिया का एक लोकप्रिय चेहरा हैं। उन्होंने बेहद ही कम उम्र में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी थी। उनका असली नाम आशीष अरोड़ा है और संत बनने से पहले वह एक इंजीनियर थे। वह महज 29 साल की उम्र में ही इस्कॉन में शामिल हो गए और ब्रह्मचारी बन गए।

प्रदेश के हर जमीन मालिक का होगा अपना भूमि अकाउंट नंबर, जमाबंदी पेपर को आधार नबंर से लिंक करने का काम शुरु

डेस्क : प्रदेश के हर जमीन मालिक का अपना भूमि अकाउंट नंबर (यूआईडी) होगा। इसी उद्देश्य से लोगों की जमीन के कागजात खासकर जमाबंदी पेपर को आधार नंबर से लिंक करने का काम शुरू हो गया है। राजस्व कर्मचारी एप में यह व्यवस्था की गई है।

राज्य के अधिकांश अंचल कार्यालयों में इस बाबत नोटिस भी जारी कर दिया गया है ताकि लोगों को जानकारी मिल सके। भूमि एकाउंट बनाने का उद्देश्य फर्जीवाड़ा रोकना, एक जमीन की दोहरी जमाबंदी नहीं होने और भूमि विवाद के मामले को कम करना है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिलों के डीएम को इस बाबत पत्र भेज दिया है। सूबे में चार करोड़ 18 लाख जमाबंदी है। 

भूमि के सर्वेक्षण के दौरान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को यह जानकारी मिली कि ज्यादातर भूमि में फर्जीवाड़ा का काम रजिस्टर-2 में छेड़छाड़ के कारण हुआ है। एक जमीन दो या दो से अधिक लोगों के नाम जमाबंदी कर देने की शिकायत थी। इसीलिए राजस्व कर्मचारी एप को आधुनिक बनाया गया है ताकि ऐसे फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके। इसीलिए जमाबंदी पेपर को आधार नंबर से लिंक करने पर यह समस्या समाप्त हो जाएगी क्योंकि आधार से लिंक जमीन के साथ यदि कोई फर्जीवाड़ा करता है तो पहले ही जानकारी मिल जाएगी।

हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जमाबंदी को आधार से लिंक करने का काम स्वैच्छिक है। इसके फायदे के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है।