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फिल्म आदिपुरुष' के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर की बढ़ी मुश्किलें,

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, पूछा, आप आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं?


 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 'आदिपुरुष' के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका में प्रतिवादी के रूप में शामिल करने के आवेदन को अनुमति दे दी। इसके अलावा कोर्ट ने मुंतशिर शुक्ला को भी नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा है कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत क्या कार्रवाई की जा सकती है। अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को है।

इलाहाबाद HC ने सेंसर बोर्ड और आदिपुरुष के निर्माताओं को लगाई कड़ी फटकार

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इससे पहले सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सेंसर बोर्ड और आदिपुरुष के निर्माताओं को कड़ी फटकार लगाई थी। 'आदिपुरुष' में कुछ विवादास्पद संवादों के बारे में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि सेंसर बोर्ड क्या करता रहता है? आप आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान निर्माता, निर्देशक और अन्य पक्षों की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए। याचिका वकील कुलदीप तिवारी ने दायर की है।

आदिपुरुष के कुछ डायलॉग्स को लेकर निर्माताओं की हुई है आलोचना

बता दें कि ओम राउत द्वारा निर्देशित, 'आदिपुरुष', जो महाकाव्य रामायण का रूपांतरण है कि रिलीज के बाद भारी आलोचना हुई है। आलोचकों से लेकर समीक्षकों तक कई लोगों ने फिल्म के कुछ संवादों पर संदेह व्यक्त किया। जिन डायलॉग्स को लेकर निर्माताओं की आलोचना हुई है। उनमें 'मरेगा बेटे', 'बुआ का बगीचा हैं क्या' और 'जलेगी तेरे बाप की' शामिल हैं। फिल्म में प्रभास भगवान राम, कृति देवी सीता, सनी सिंह लक्ष्मण और सैफ अली खान रावण की भूमिका में हैं। ऑनलाइन आक्रोश और नकारात्मक समीक्षाओं के बावजूद, 'आदिपुरुष' के निर्माताओं ने संवादों को नया रूप दिया।

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को दिया जा रहा है अंतिम रूप, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, फाइनल होते ही सरकार समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू करेगी


समान नागरिक संहिता पूरे देश में उत्तराखंड की पहल पर लागू होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को भोपाल में दिए गए संबोधन से इसके पुख्ता संकेत मिले हैं। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट बनाने के लिए गठित समिति इन दिनों इसे अंतिम रूप देने में जुटी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फाइनल ड्राफ्ट आते ही सरकार समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू कर देगी। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि धामी सरकार द्वारा की गई पहल में केंद्र की सहमति सम्मिलित थी। समान नागरिक संहिता का विषय भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा है। वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में इसे प्रमुख स्थान दिया था।

पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति कर रही काम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी चुनावी भाषणों में कहा था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर यहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया। धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। यह समिति आम जन के साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय, प्रदेश की विभिन्न जनजातियों व महिलाओं के साथ बैठक कर उनके सुझाव ले चुकी है।

ड्राफ्ट को दिया जा रहा है अंतिम रूप

सीएम धामी ने कहा कि समाज के सभी वर्गों और समुदायों ने खुले मन से अपनी बात समिति के समक्ष रखते हुए सुझाव दिए हैं। प्रदेश सरकार समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ा चुकी है। अभी कार्यकाल सितंबर तक के लिए बढ़ाया गया है। समिति को ढाई लाख से अधिक सुझाव मिले हैं और वह ड्राफ्ट को अंतिम रूप दे रही है। अब विधि आयोग (लॉ कमीशन) भी पूरे देश में समान नागरिक संहिता के लिए जनता से विचार विमर्श कर रही है।

देश की नजरें उत्तराखंड पर टिकी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने संबोधन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट इसके निर्देश दे चुकी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना कर चुके हैं। जाहिर है कि ऐसे में पूरे देश की नजरें उत्तराखंड पर टिक गई हैं। समझा जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में इससे जुड़े विभिन्न पहलू शामिल किए जाएंगे और इसे मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे केंद्र के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी राह आसान होगी।

जल्द लागू होगा समान नागरिक संहिता

ऐसे में प्रदेश सरकार जल्द से जल्द इसे लागू करने के प्रयास में जुट गई है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद प्रदेश सरकार इसमें आवश्यकतानुसार कुछ संशोधन के साथ विधानसभा से विधेयक पारित कराने के बाद सरकार समान नागरिक संहिता लागू कर देगी। स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि समिति का फाइनल ड्राफ्ट आते ही सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने जा रही है।

यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान के बाद गरमाई राजनीति, सरकार को घेरने में जुटा विपक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी बुला ली बैठक

#oppositiononpmmodiuniformcivilcode_statement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया जहां उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया।पीएम मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर दिए गए बयान के बाद देशभर में सियासत शुरू हो गई है।कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल पीएम मोदी पर हमला बोल रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस और उसकी सहयोगी डीएमके ने जोरदार सवाल उठाए हैं। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने तर्क दिया था कि पहले हिंदुओं के लिए एक समान संहिता लागू की जानी चाहिए।वहीं आरजेडी और तृणमूल कांग्रेस भी यूसीसी के मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगी है।विपक्षी दलों के साथ-साथ मुस्लिम संगठनों में भी खलबली मच गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आनन-फानन में देर रात इमर्जेंसी मीटिंग की।

परिवार की तुलना एक देश से करना ठीक नहीं-चिदंबरम

यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान के बाद कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की प्रतिक्रिया सामने आई है। चिदंबरम ने कहा कि समान नागरिक संहिता को उचित ठहराने के लिए एक परिवार की तुलना एक देश से करना ठीक नहीं है।कांग्रेस नेता ने ट्वीट करते हुए कहा, एक परिवार में खून के रिश्ते होते हैं जिससे सभी एक सूत्र में बंधे होते हैं जबकि एक राष्ट्र को संविधान के जरिए एक साथ लाया जाता है जो कि एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है। एक परिवार में भी विविधता होती, देश के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता को मान्यता दी है। जहां तक बात समान नागरिक संहिता की है तो यह एक आकांक्षा है। इसे एजेंडा चलाने वाली सरकार द्वारा लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है।

पहले हिंदुओं पर लागू हो समान नागरिक संहिता- डीएमके

इस कड़ी में कांग्रेस की यूपीए सहयोगी पार्टी डीएमके ने सवाल उठाते हुए कहा कि पहले हिंदुओं पर लागू हो समान नागरिक संहिता। डीएमके ने कहा कि सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने की अनुमति होनी चाहिए। साथ ही कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति सहित देश के प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति होनी चाहिए। डीएमके के टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि हम यूसीसी (समान नागरिक संहिता) इसलिए नहीं चाहते क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है।

मुस्लिम संगठनों में भी खलबली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड की जोरदार पैरवी से विपक्षी दलों के साथ-साथ मुस्लिम संगठनों में भी खलबली मच गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आनन-फानन में देर रात इमर्जेंसी मीटिंग की। करीब 3 घंटे चली बैठक में तय किया गया कि इस मुद्दे पर लॉ कमिशन को एक ड्राफ्ट तैयार करके भेजा जाएगा। ऑनलाइन हुई मीटिंग में प्रस्तावित कानून का विरोध करने की रणनीति पर चर्चा हुई। मीटिंग में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली समेत कई सदस्य और वकील शामिल हुए। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि बोर्ड लॉ कमिशन के सामने समान नागरिक संहिता का पुरजोर विरोध करेगा। बैठक में कमिशन के सामने पेश किए जाने वाले ड्राफ्ट और डॉक्युमेंट को भी अंतिम रूप दिया गया

पीएम मोदी ने यूसीसी को लेकर क्या कहा?

बता दें कि पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कहा कि यूसीसी पर विपक्षी दल लोगों को भड़का रहा है। एक ही घर में दो कानून कैसे हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार कह चुका है कि यूसीसी लाओ, लेकिन विपक्षी दल वोट बैंक के लिए इसका विरोध कर रहे हैं। यूसीसी का जिक्र संविधान में भी किया गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी तुष्टीकरण का रास्ता नहीं अपनाएगी और वोट बैंक की राजनीति नहीं करेगी।

India

Roadblock in Tanzania

Roadblock in Tanzania
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कोविड जंबो सेंटर घोटाला: तीन गुना अधिक कीमत में खरीदे गए बॉडी बैग, 25-30 प्रतिशत अधिक दरों पर ली गई दवाएं, गड़बड़ी से जुड़े चैट हाथ लगे

#covidjumbocentres_scam 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोविड जंबो सेंटर घोटाले की जांच कर रही है। कथित 38 करोड़ रुपये के कोविड जंबो सेंटर घोटाले की जांच के क्रम में ईडी ने खुलासा किया है कि एक प्रमुख कंपनी जो मृत कोविड-19 रोगियों के लिए बॉडी बैग की आपूर्ति कर रही थी, उसने बृह्नमुंबई महानगर पालिका बीएमसी को 6,800 रुपये प्रति बैग की दर से बैग की आपूर्ति की थी। यह राशि इसी अवधि के दौरान निजी अस्पतालों सहित अन्य से ली गई कीमत से तीन गुना अधिक थी।जांच में गया है कि 2000 रुपये का बॉडी बैग 6800 में खरीदी गई।

तत्कालीन मेयर किशोरी पेडनेकर की भूमिका की हो रही जांच

एजेंसी की जांच से यह भी पता चला है कि बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मुंबई की तत्कालीन मेयर किशोरी पेडनेकर ने भी कथित तौर पर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनके निर्देश पर ही उक्त इकाई को ठेका दिया गया था, जो अब जांच के दायरे में है।

दवाएं बाजार कीमतों से 25-30 प्रतिशत अधिक दरों पर खरीदी गईं

बीएमसी संचालित अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेमडेसिविर सहित अन्य दवाएं भी बाजार कीमतों से 25-30 प्रतिशत अधिक दरों पर खरीदी गईं। सूत्र ने कहा कि भारी अनियमितताएं सामने आने के बाद भी बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के आग्रह पर खरीददारी जारी रही।

धन के दुरुपयोग के लिए 200 से अधिक डॉक्टरों के नामों का गलत इस्तेमाल

सूत्रों में मुताबिक ईडी की जांच में ये भी सामने आया है कि लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की तैनाती बीएमसी की बिलिंग में दिखाई गई तैनाती से 60-65% कम थी। बिलिंग के लिए कंपनी उन डॉक्टरों के नाम उपलब्ध कर रही थी, जो लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर के संबंधित कोविड केंद्रों पर गलत तरीके से काम कर रहे थे या फिर काम ही नहीं कर रहे थे।सूत्र ने कहा, धन के दुरुपयोग के लिए 200 से अधिक डॉक्टरों के नामों का गलत इस्तेमाल किया गया। जांच के दौरान ईडी ने ईमेल के जरिये इन डॉक्टरों से संपर्क किया और उनके बयान दर्ज किए।

150 करोड़ रुपये से अधिक की 50 संपत्तियों के दस्तावेज मिले

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने बीएमसी कोविड घोटाला मामले में बुधवार को 15 स्थानों पर छापे मारे। अधिकारियों ने बताया कि जिन अन्य स्थलों पर तलाशी ली गई उनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजीव जायसवाल और शिवसेना (यूबीटी) के पदाधिकारी सूरज चव्हाण से जुड़े स्थल शामिल हैं। जिसमें 150 करोड़ रुपये से अधिक की 50 संपत्तियों के दस्तावेज, 15 करोड़ रुपये की सावधि जमा और निवेश, 68.65 लाख रुपये नकद और 2.46 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए गए हैं। 

ईडी को मिले सुजीत पाटकर और सूरज चव्हाण के चैट

इसके अलावा ईडी को चव्हाण के मोबाइल से सुजीत पाटकर और सूरज चव्हाण के साथ लाइफ लाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज कंपनी को ठेका देने और अन्य चीजों के बारे में बातचीत से जुड़े चैट मिले। ईडी जल्द ही सूरज चव्हाण को पूछताछ के लिए तलब करेगी। ईडी ने कथित कोविड घोटाला मामले में पूछताछ के लिए आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल को गुरुवार को पेश होने के लिए समन जारी किया था।

India

मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक हिंदू युवती के दूसरे समुदाय के युवक से प्रेम विवाह से नाराज पिता ने जिंदा बेटी को कफन ओढ़ा दिया। पिता ने कहा कि अब बेटी उनके लिए और उनके परिवार के लिए मर गई है। अब उससे उन

मुस्लिम युवक से शादी करने पर पिता ने तोड़े सारे रिश्ते, जिंदा बेटी को थाने में कफन ओढ़ाया
मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक हिंदू युवती के दूसरे समुदाय के युवक से प्रेम विवाह से नाराज पिता ने जिंदा बेटी को कफन ओढ़ा दिया। पिता ने कहा कि अब बेटी उनके लिए और उनके परिवार के लिए मर गई है। अब उससे उनका कोई रिश्ता नहीं है।ये सारा वाकया हुआ पुलिस के सामने थाने में। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल, लड़की ने मुस्लिम युवक से लव मैरिज कर ली। परिवार ने उसे पुलिस की मौजूदगी में घर लौटने के लिए समझाया, लेकिन उसने अपने पति के साथ ही रहने की इच्छा जताई। बेटी का जवाब सुनकर पिता ने उससे सारे रिश्ते खत्म कर दिए।पूरा मामला मंदसौर जिले के नाहरगढ़ थाने का है। थाना क्षेत्र के कयामपुर गांव में रहने वाली एक हिंदू युवती डेढ़ साल पहले अपने एक मुस्लिम युवक के साथ घर से भाग गई थी। फिर उसने मुस्लिम मित्र से निकाह कर इस्लाम धर्म अपना लिया था। उधर, युवती के पिता ने नाहरगढ़ थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने तलाश की तो पता चला कि युवती निकाह के बाद अब अपने शौहर संग मुंबई में रहने लगी है। पुलिस ने लड़की का पता लगाया और बयान लेने के लिए उसे थाने बुलाया था। रविवार को जब युवती थाने पहुंची, तो परिजनों ने उससे प्रेम विवाह का बंधन तोड़कर वापस घर लौटने की गुहार लगाई। लेकिन जब बेटी नहीं मानी, तो परिजनों ने नाराज होकर थाने में ही युवती को कफन ओढ़ा कर माला पहना दी। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह पूरा घटनाक्रम थाने में हुआ। जब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो एसपी अनुराग सुजानिया ने एसआई जगदीश ठाकुर, आरक्षक महेंद्र और भावना नागदा को लाइन अटैच कर दिया। इस पूरे मामले को लेकर एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी ने भी बताया कि थाने के भीतर लड़की पर कफन डालने के मामले में लापरवाही बरतने पर 2 आरक्षकों और एक एएसआई को लाइन हाजिर कर दिया है। साथ ही इस मामले की जांच जारी है।
करोल बाग में मैकेनिक्स की दुकान पर पहुंचे राहुल गांधी, बाइक ठीक करते आए नजर

#india_rahul_gandhi_with_bike_mechanics

राजनीति कुछ भी करा सकतती है। देशभर की पदयात्रा करा सकती है, तो कभी बाइक मैकेनिक भी बना सकती है। जी हां, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आज कुछ इसी अवतार में नजर आए।

दरअसल, लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आम लोगों से मिलना-जुलना जारी है।इसी क्रम में राहुल गांधी मंगलवार को अचानक दिल्ली के करोलबाग पहुंच गए। यहां उन्होंने साइकिल व्यापारियों और साइकिल बनाने वालों से मुलाकात की। साथ ही उन्होंने बाइक के दुकान में जाकर भी लोगों से बात की। बाइक मैकेनिक की दुकान पर भी राहुल गांधी ने बाजार में आने वाली समस्याओं पर बात की। इस दौरान कांग्रेस नेता ने बाइक ठीक करनी भी सीखी। 

इसके बाद राहुल गांधी दूसरी दुकान में पहुंचे। वहां मैकेनिक ने रॉयल इनफिल्ड की बाइक के इंजन के एक हिस्से को खोल रखा था। राहुल गांधी ने बाइक के इंजन के हिस्सों को उठाया और मैकेनिक से समझा कि यह पार्ट क्या काम करता है और बाइक में क्या दिक्कत थी। इस दौरान उनका हाथ मोबिल लगने से काला हो गया।

कांग्रेस ने राहुल को बताया जननायक

कांग्रेस पार्टी ने करोल बाग की साइकिल मार्केट पहुंचे राहुल गांधी की तस्वीरें शेयर करते हुए कहा कि यही हाथ हिंदुस्तान बनाते हैं।इन कपड़ों पर लगी कालिख हमारी खुद्दारी और शान है। ऐसे हाथों को हौसला देने का काम एक जननायक ही करता है।दिल्ली के करोल बाग में बाइक मैकेनिक्स के साथ राहुल गांधी। भारत जोड़ो यात्रा जारी है।

राहुल ने तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की

राहुल गांधी ने भी इन लोगों साथ अपनी बातचीत की तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की और लिखा, ‘‘रिंच (नट बोल्ट कसने का औजार) घुमाने वाले और भारत के पहियों को गतिमान रखने वाले हाथों से सीख रहा हूं।’’ 

पहले भी आम लोगों के साथ दिख चुके हैं राहुल गांधी

बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही राहुल गांधी आम लोगों से मुलाकात और बातचीत करते अक्सर नजर आ जाते हैं। इससे पहले उन्होंने ट्रक ड्राइवरों से मुलाकात की थी और दिल्ली से चंडीगढ़ तक की यात्रा ट्रक से ही की थी। कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल बेंगलुरु में एक डिलीवरी बॉय के साथ स्कूटर की सवारी करते देखे गए थे, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था

उत्तराखंड में बदरीनाथ और केदारनाथ के बीच स्थित ऐतिहासिक मंदिर एक तरफ झुका, गर्भगृह में भी टपक रहा पानी, मचा हड़कंप


 उत्‍तराखंड के चमोली के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित भगवान गोपीनाथ मंदिर के एक तरफ झुकने की बात सामने आ रही है। साथ ही गर्भ गृह में पानी भी टपक रहा है, जिससे मंदिर में आस्था रखने वाले लोगों में चिंता बढ़ गई है। पुजारियों और लोगों ने मंदिर के झुकने ओर क्षतिग्रस्त होने की सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी है।

ग़ौरतलब है कि बदरीनाथ और केदारनाथ की केंद्र बिंदु में स्थित भगवान रुद्रनाथ की शीतकालीन गद्दी गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक काल से ही यह मंदिर अपने निर्माण शैली को लेकर विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। नागर शैली में निर्मित यह मंदिर कत्यूरी राजाओं द्वारा बनाया गया ऐसी मान्यता है।

पुरातत्व विभाग करता है इसका संरक्षण

पहले से मंदिर की व्यवस्था स्थानीय हक-हकूकधारियों के पास थी। मंदिर अलग-अलग जगह से क्षतिग्रस्त होने लगा था, इसके बाद पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बाद अब इसका संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है। मंदिर के पुजारी हरीश भट्ट बताते हैं कि यह मंदिर उत्तर-भारत के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है।

इस मंदिर से जुड़ी हुई कई धार्मिक कथाएं हैं और हर वर्ष हजारों लोग भगवान शिव के दर्शनों के लिए यहां पर पहुंचते हैं, लेकिन मंदिर के झुकाव और अलग-अलग जगहों पर दरारों को देखते हुए पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन को मंदिर को लेकर गंभीरता से सोचना होगा और इस मंदिर के संरक्षण को लेकर कार्य योजना तैयार करनी होगी।

मंदिर की स्थिति देखकर भक्त भी चिंतित

स्थानीय लोगों के आराध्य देव भगवान शिव के मंदिर की यह स्थिति देखकर भक्त भी चिंतित हैं। स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी ने बताया कि जिला मुख्यालय गोपेश्वर में शिक्षा स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों ने गोपेश्वर में घर बनाए हैं। ऐसे में लगातार जनसंख्या बढ़ने के बाद ड्रेनेज सिस्टम अव्यवस्थित हो गया है। जिस पर जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के चलते गोपेश्वर के अलग-अलग हिस्से भूस्खलन की चपेट में है और अब इसका प्रभाव अब गोपीनाथ मंदिर के आसपास भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि गोपीनाथ मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है। इस धरोहर को बचाए रखने के लिए शासन-प्रशासन पुरातत्व विभाग को गंभीरता से सोच कर इस मंदिर के संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाएं और आस्था बनी रहे।

मोदी मित्र” कराएंगे 2024 में बीजेपी की नइया पार?

#bjpmodimitra_campaign

अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। हालांकि, राजनीतिक दल अभी से सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। एक तरफ विपक्ष बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए एकजुट होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने विपक्ष के कोर वोट-बैंक में सेंधमारी करने और अल्पसंख्यक समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपने अभियान की शुरूआत कर दी है। इसके लिए आज 22 जून को उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा का विशेष अभियान “मोदी मित्र” चलाया है। इस अभियान के तहत भाजपा की मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की मंशा है। 

बीजेपी और मुस्लिमों के बीच की दूरी कम होगी?

दरअसल, बीजेपी एक मुस्लिम विरोधी पार्टी मानी जाती रही है। 16 वीं लोकसभा चुनावों (2014) में संसद में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं था। इसके बाद बीजेपी पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगाए गए थे। बीजेपी अब इस खाई को पाटने की कोशिश कर रही हैं। अब सवाल ये है कि क्या इससे बीजेपी और मुस्लिमों के बीच की दूरी कम होगी?

मोदी मित्र का सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने अपने इस कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के देवबंद शहर में लगभग 150 मुसलमानों को 'मोदी मित्र' प्रमाण पत्र दिया।मोदी मित्र उन लोगों को बनाया जा रहा है जो बीजेपी से नहीं जुड़े हैं और ना ही फिलहाल बीजेपी की सदस्यता लेना चाहते हैं।अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी ने बताया कि ऐसे लोगों को मोदी मित्र बना रहे हैं जो किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं रखते, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को सराहते हैं। उन्हें मोदी मित्र का सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है। 

लोकसभा चुनाव से पहले करीब 3.25 लाख मोदी मित्र बनाने का लक्ष्य

अल्पसंख्यक मोर्चा ने मोदी मित्र बनाने के लिए 64 ऐसी लोकसभा सीटों की पहचान की है, जहां मुस्लिम आबादी 30 पर्सेंट या इससे ज्यादा है।इनमें दस राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश की लोकसभा सीटें हैं। टारगेट एक लोकसभा में 5000 मोदी मित्र बनाने का है। एक विधानसभा में 700-750 मोदी मित्र बनाने का टारगेट है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने करीब 3.25 लाख मोदी मित्र बनाने का लक्ष्य रखा है। उत्तर प्रदेश से अभियान को शुरू करने की वजह यह भी है कि राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या सबसे अधिक है और लोकसभा सीट के लिहाज से भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है

मोदी मित्र एक कड़ी का काम करेंगे 

मोदी मित्र उन लोगों को बनाया जा रहा है जो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाई किसी योजना के लाभार्थी हो या फिर प्रधानमंत्री के कार्यों से प्रभावित हों जो अल्पसंख्यक समाज के बीच में जाकर भाजपा और पीएम मोदी की कार्यशैली और विजन की तारीफ कर सकें। इन्हीं लोगों को भाजपा माइनॉरिटी मोर्चा की तरफ ले मोदी मित्र सर्टिफिकेट बांटे गए अगले चुनाव ही नहीं भाजपा अब इनके साथ हमेशा संपर्क बनाकर रखने की तैयारी में है ताकि उनकी राय और भाजपा की अल्पसंख्यक समुदाय में पकड़ की असल रिपोर्ट पार्टी आलाकमान तक पहुंचती रहे। मोदी मित्र के जरिए पार्टी के लोग समाज के लोगों से मिलेंगे और संवाद स्थापित करेंगे। मोदी मित्र एक कड़ी का काम करेंगे।

एंटी मुस्लिम इमेज से बाहर निकलने की कोशिश

कोई भी पार्टी जब देश में काम करती है तो वो हर क्षेत्र में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश करती है। बीजेपी 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आयी थी, 2019 में बहुमत का आंकड़ा भी पार कर गया। बीजेपी ने शुरू से 'सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास और सबका प्रयास' पर जोर दिया है। ऐसे में बीजेपी की ये कोशिश है कि ये पार्टी केवल हिंदुओं के वोट पर सरकार में न आए इसमें सभी समुदाय के लोगों का प्रयास शामिल हो। मोदी मित्र ऐसी ही एक कोशिश है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बंगले के रेनोवेशन पर हुए खर्च की होगी कैग जांच, एलजी की सिफारिश के बाद आदेश

#home_minister_order_to_cag_audit_of_cm_arvind_kejriwal_bunglow_renovation

दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ने वाली है। दरअसल सीएम अरविंद केजरीवाल के बंगले की मरम्मत पर हुए खर्च का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(सीएजी) ऑडिट होगा। एलजी के सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सीएजी ऑडिट कराने का फैसला हुआ है। केजरीवाल के आधिकारिक बंगले के पुनर्निर्माण में अनियमितताओं और उल्लंघनों की कैग विशेष ऑडिट करेगी।दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अभी कुछ ही महीने पहले अपने सरकारी बंगले का रिनोवेशन कराया था। दावा किया जा रहा है कि केजरीवाल के सरकारी आवास के रेनोवेशन में 45 करोड़ से अधिक रुपए की लागत आई है। 

गृह मंत्रालय ने यह एक्शन एलजी सचिवालय की 24 मई की सिफारिश के बाद लिया है।24 मई को एलजी ऑफिस ने केजरीवाल के सरकारी बंगले में रिनोवेशन के खर्चों से जुड़े मामले को लेकर कैग द्वारा विशेष ऑडिट की सिफारिश की थी।एलजी ने अपने पत्र में लिखा था कि सरकारी बंगले में रिनोवेशन के नाम पर बहुत पैसा खर्च किया गया था।यह सब उस वक्त किया जा रहा था जब देश में कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी।कोविड के कठिन समय में भी दिल्ली के सीएम अपने घर को संवारने में लगे थे।

सीएम केजरीवाल के बंगले के मरम्मत पर हुए खर्चे को लेकर पहले भी काफी विवाद हो चुका है। कुछ समय पहले बीजेपी ने आरोप लगाया था कि शहर के सिविल लाइंस इलाके स्थित केजरीवाल के सरकारी आवास के 'सौंदर्यीकरण' पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए।सीएम आवास में लगे कुल पर्दों पर कुल एक करोड़ रुपये खर्च के दावे किए गए थे। रिपोर्ट में बताया गया था कि कुल 23 पर्दों का ऑर्डर दिया गया। दिल्ली बीजेपी ने इसको लेकर आम आदमी पार्टी को घेरा था। रिपोर्ट में बताया गया था कि सीएम केजरीवाल के सरकारी आवास पर जो मार्बल लगा है उसको वियतनाम से मंगाया गया था। इस डियोर पर्ल मार्बल की कीमत एक करोड़ 15 लाख रुपये बताई गई थी।