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भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 7400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली याचिका

#bhopal_gas_tragedy_supreme_court_dismisses_petition

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिससंजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई करना पीड़ितों के पक्ष में भी नहीं होगा।कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा।

भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात में हुए इस हादसे में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसे से बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था पीड़ितों ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ितों की ओर से केंद्र ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी।केंद्र ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,844 करोड़ रुपये मांगे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है। 50 करोड़ रुपये अभी भी आरबीआई के पास पड़े हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा। समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता। कोर्ट ने कहा कि समझोते को सिर्फ धोखेधड़ी के आधार पर रद्द किया जा सकता है, भारत सरकार द्वारा धोखाधड़ी का कोई आधार नहीं दिया गया है।

कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए कि सरकार मुआवजे में कमी और बीमा पॉलिसी लेने में विफल रही। यह केंद्र की ओर से घोर लापरवाही है। दो दशकों के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत करने में केंद्र की विफलता पर असंतोष जताया।बता दें कि केंद्र सरकार ने मुआवजे में बढ़ोतरी के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। सुनवाई में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत सरकार ने 1989 में मामले के निपटारे के समय कभी ये सुझाव नहीं दिया कि पीड़ितों को दिया मुआवजा कम था।

जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर 12 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं।

सीबीआई जांच कराने वाले हम ही थे', ईडी के एक्शन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने याद दिलाया लालू यादव का पुराना इतिहास

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार के गया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू परिवार पर जमकर निशाना साधा। कहा कि चारा घोटाले में सीबीआई की जांच कराने वाले हम ही वकील थे। जब लालू यादव को चारा घोटाले के चार केसो में सजा हुई तो उस वक्त पीएम एचडी देवगौड़ा, गुजराल और मनमोहन सिंह थे। तब भी कहा जा रहा था कि बीजेपी संघ के दबाब में पक्षपात की जा रही है। चारा घोटाले में एक को भी राहत नहीं मिली है।

लालू यादव पर कई घोटालों का आरोप 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूसरा अलकतरा घोटाला है जिसमें मंत्री, चीफ इंजीनियर गए। लालू यादव और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार और लूट मामले में कार्रवाई नहीं हो, ऐसे कैसा होगा? तीसरे में रेलवे की संपत्ति बेची गई। दोनों लीज पर दे दी गई थी। इसकी शिकायत जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने किया था। घोटालों की लिस्ट बताते हुए कहा कि अब जमीन के बदले नौकरी घोटाला है। किसको कहां से नौकरी मिली है? इसकी पूरी डिटेल्स है। ज्यादातर उनके समाज के लोगों को ही नौकरी दी गई थी। इतनी प्रॉपर्टी होगी तो सवाल कोई नहीं करेगा क्या? बिहार की जनता नीतीश कुमार से जबाब मांगेगी।

मनीष सिसोदिया पर साधा निशाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मनीष सिसोदिया मामले पर कहा कि शराब के नियमों में बदलाव किए गए थे बदले में दक्षिण भारत से कमीशन आई थी। अरविंद केजरीवाल जांच को फेस करें, जितने लोगों के खिलाफ आरोप लगे वह जेल गए हैं। कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार है अगर आप जनता का पैसा लूटेंगे तो कार्रवाई तो होनी ही है।

संसद में संग्राम जारी, लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित

#parliament_budget_session

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण कल सोमवार से फिर शुरू हुआ, लेकिन सांसदों के हंगामे की वजह से पहले दिन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी।बजट सत्र के दूसरे चरण का दूसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। अडानी-हिंडनबर्ग विवाद, बढ़ती महंगाई और राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान को लेकर संसद में लगातार गतिरोध बना हुआ है। सांसदों के हंगामा करने की वजह से पहले दिन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन आज भी पार्लियामेंट में संग्राम जारी है। हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी है।

लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी के लंदन के दिए गए बयान पर हंगामा शुरू हो गया। सत्‍ता पक्ष राहुल गांधी की माफी की मांग कर रहा है। बीजेपी राहुल गांधी से माफी की मांग पर अड़ा हुआ है तो विपक्ष अदाणी के मुद्दे पर केन्द्र को लगातार घेर रहा है। हंगामा बढ़ने पर लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कहा, सरकार खुद सदन नहीं चलाना चाहती। ऐसा नजारा कभी देखा है कि सरकार के मंत्रियों ने सदन को ठप करने के लिए किस तरह से कल हंगामा किया। राहुल गांधी माफी क्यों मांगेंगे? उन्होंने क्या गुनाह किया है? माफी तो इन लोगों को मांगनी चाहिए।

सत्र के पहले दिन भाजपा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के माफी मांगने की मांग पर अड़ी रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी समेत कई सांसदों ने कहा कि राहुल गांधी को सदन के अंदर आकर माफी मांगनी चाहिए। इसी की वजह से संसद की कार्यवाही पूरे दिन ढंग से चल नहीं पाई।

केंद्रीय कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका, नहीं मिलेगा कोरोना के दौरान रुका 18 माह का डीए

#centralemployeeswillnotgetdearnessallowance_da 

कोरोना महामारी के दौरान रोका गया केंद्रीय कर्मचारियों का अठारह महीनों का महंगाई भत्ता या डीए नहीं दिया जाएगा।केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का रोका गया 18 माह का महंगाई भत्ता उन्हें नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब देते हुए कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की तीन किस्तों का बकाया दिए जाने की कोई योजना नहीं है।

प्रश्नकाल के दौरान केंद्र सरकार से बकाये महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर सवाल पूछा गया। सरकार ने पूछा गया कि कोरोनाकाल के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 18 महीने का जो महंगाई भत्ता रोका गया है क्या निकट भविष्य में उसे जारी किए जाने की कोई योजना है? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने अपनी ओर से सफाई पेश की है। सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि डीए एरियर जारी करने की उसकी कोई योजना नहीं है।

सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए

लोक सभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में सरकार ने जानकारी दी है कि कोरोना काल में केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटकर सरकार ने जो 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए हैं। सरकार ने इस पैसे का कोरोना महामारी से उबरने में उपयोग किया है। पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए काफी धन का प्रावधान करना पड़ा था जिसका असर 2020-21 और उसके बाद भी देखा गया है।बकाये महंगाई भत्ते का एरियर 2020-21 के लिए है जिसे देना उचित नहीं समझा गया है।

अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने मे लगेगा समय

सरकार की ओर से कहा गया कि अभी भी सरकार का वित्तीय घाटा एफआरबीएम एक्ट (FRBM Act) के तहत तय किए गए लेवल से दोगुना है। अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने में कुछ और समय लग सकता है।

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र कालवी का निधन, हार्ट अटैक के बाद ली अंतिम सांस

#karni_sena_founder_lokendra_singh_kalvi_dies 

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सोमवार देर रात हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया।उन्हें हार्ट अटैक के बाद सोमवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।लोकेंद्र कालवी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका जून 2022 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।जिसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था।

लोकेंद्र सिंह कालवी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजपूत सभा भवन जयपुर में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा। जिसके बाद कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले के उनके पैतृक कालवी गांव मे मंगलवार को दोपहर 2.15 बजे किया जाएगा।

राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव के रहने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी कालवी के पिता कल्याण सिंह कालवी राजस्थान और केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। सती आंदोलन में सक्रिय रहे कालवी मानते थे कि वो राजनेता बाद में हैं, राजपूत पहले हैं। अपने पिता के अंदाज में ही लोकेन्द्र सिंह कालवी भी सक्रिय रहे।

करीब साढ़े 18 साल पहले लोकेन्द्र सिंह कालवी ने करणी सेना के गठन की नींव रखी थी। ये सेना राजूपतों के आक्षरण और अपनी संस्कृती को बचाने का कार्य करती है। सबसे ज्यादा सुर्खियों उन्होंने बॉलीवुड मूवी पद्मावत का विरोध करते वक्त बटोरी थीं, जब उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को धमकी दे दी थी।

जम्मू-कश्मीर में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, आतंकी गतिविधियों को लेकर छापेमारी जारी

#nia_raids_multiple_locations_in_jammu_kashmir 

जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी (एनआईए)की छापेमारी चल रही है। टेरर फंडिंग मामले में चल रही जांच के तहत मंगलवार सुबह एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापेमारी की है। जानकारी के मुताबिक, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग और शोपियां में संदिग्धों के घरों की तलाशी ली जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, रेड के दौरान जमात-ए-इस्लामी से जुड़े अधिकांश लोगों के घरों को सर्च किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, एनआईए की टीमें शोपियां जिले के वाची इलाके, पुलवामा जिले के नेहामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के फ्रेशल इलाके में छापेमारी कर रही है। एनआईए की ओर से हिरासत में लिए गए एक नए क्षेत्रीय अखबार के साथ काम करने वाले एक स्थानीय पत्रकार के निलूरा पुलवामा स्थिति घर की भी तलाशी ली गई है।

*देश की वो बेटी जिसने सुभाष चंद्र बोस को बचाने के लिए अपने ही पति के प्राण ले लिए*

#neera_arya

दो सौ सालों की गुलामी के बाद भारत आजाद हुआ। हालांकि इस आजादी के लिए बड़ी कीमतें चुकानी पड़ी। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए सैकड़ों जानें कुर्बान हुईं। इनमें कई नायक बनकर उभरे, तो कईयों ने गुमनाम बलिदान दिया। जिन्हें मुश्किल से ही कोई जान पाया। नीरा आर्य एक ऐसा ही नाम हैं।इस बेटी ने देश की आजादी के लिये अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। यहां तक कि अपने नायक, नेताजी सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या तक कर दी, जेल में अंग्रेजों ने उनके स्तन तक काट दिए, लेकिन इन्होंने अपनी जुबान नहीं खोली।

नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत के खेकड़ा में हुआ था। इनके माता-पिता की मृत्यु के बाद इनको हरियाणा के दानवीर चौधरी सेठ छज्जूमल लाम्बाने गोद ले लिया। नीरा व इनके भाई बसन्त ने सेठ को ही अपना धर्मपिता स्वीकार किया। जब नीरा आर्य का जन्म हुआ, उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। कहते हैं, छोटी उम्र से ही नीरा ने अपने देश के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी। 

इन्हें बचपन में वीर भगत सिंह से भी मिलने का मौका मिला। जब वे चौधरी साहब के पास अंग्रेजों से बचने के लिए कई दिनों तक रुके थे। बड़े होकर अपने धर्मपिता सेठ छज्जूमल के आदर्शों पर चलते हुए नेताजी की आजाद हिंद फौज में शामिल हुई। क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान नीरा 'आजाद हिंद फौज' के संपर्क में आईं और 'झांसी रेजिमेंट' का हिस्सा बन गईं। इसके साथ ही देश की पहली जासूस होने का गौरव प्राप्त किया।

कम उम्र में नीरा के पिता ने उनकी शादी श्रीकांत जयरंजन दास से कर दी थी। हालांकि नीरा में देशभक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ। बल्कि नीरा के लिए रूकावटें और बढ़ गई। दरअसल, जहां नीरा अंग्रेजों से अपने देश की आजादी चाहती थीं, वहीं उनके पति ब्रिटिश सरकार के लिए काम कर रहे थे। अंग्रेजों ने नीरा के पति जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने की जिम्मेदारी थी। अपने पति के मिशन के बारे में जब मीरा को जानकारी हुई तो वो उनके खिलाफ हो गईं। एक दिन जब उनके पति ने सुभाष चंद्र बोस की हत्या करने का प्रयास किया, तो उन्होंने अपने पति को ही मार डाला, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचा लिया।

पति को मारने के कारण ही नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था।वहीं दूसरी ओर, अंग्रेजों ने इसके लिए नीरा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई गई। 

डॉ. नरेंद्र सिंह आर्य ने इनकी आत्मकथा का एक अंश प्रस्तुत किया जो स्वयं इन्होंने लिखा था ‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची तो रात भर हम भारत माता से जुदा होने के दर्द की से पीड़ा से तड़पते रही और सूर्य निकलते ही जेलर ने कड़क आवाज में कहा, तुम्हें छोड़ दिया जाएगा, यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं? वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे, मैंने जवाब दिया, सारी दुनिया जानती है। नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए? जेलर ने कहा। हाँ नेताजी जिंदा हैं। तो कहाँ हैं। मेरे दिल में जिंदा हैं वे।जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और उसके इशारे पर लुहार ने मुझे असहनीय पीड़ा देते हुए लोहे के जंबूर से मेरे दोनों स्तन काटने की कोशिश की। इतिहासकारों ने मुताबिक अगर नीरा सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दे देतीं तो उन्हें जमानत मिल जाती, लेकिन नीरा ने अपना मुंह नहीं खोला। 

नीरा आर्य को आजाद हिंद फौज की प्रथम जासूस होने का गौरव प्राप्त है। नीरा को यह जिम्मेदारी इन्हें स्वयं नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने दी थी। नीरा ने अपनी साथी मानवती आर्या, सरस्वती राजामण और दुर्गा मल्ल गोरखा एवं युवक डेनियल काले के संग नेताजी के लिए अंग्रेजों की जासूसी भी की।जब इन्हें जासूसी के लिए भेजा गया था, तब हमें साफ तौर से बताया गया था कि पकड़े जाने पर हमें खुद को गोली मार लेनी है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, नीरा जेल से बाहर निकली। इन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में फूल बेचकर गुजारा किया। हैदराबाद में फूल बेचकर अपना बाकी का जीवन बिताया। वृद्धावस्था में बीमारी की हालत में चारमीनार के पास उस्मानिया अस्पताल में इन्होंने रविवार 26 जुलाई, 1998 में एक गरीब, असहाय, निराश्रित, बीमार वृद्धा के रूप में मौत का आलिंगन कर लिया।

*कर्नाटक बीजेपी नेता का विवादित बयान, लाउडस्पीकर से अजान पर टिप्पणी करते हुए कहा- क्या अल्लाह बहरा है...*

#azaanrowkseshwarappastatement

कर्नाटक बीजेपी के दिग्गज नेता केएस ईश्वरप्पा ने अजान बड़ा विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं अजान मेरे लिए सिरदर्द बन गई है। भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने पूछा कि क्या अल्लाह बहरे हैं जो उन्हें बुलाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है। भाजपा नेता के बयान को लेकर एक बार फिर से एक बार फिर अजान को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ने की संभावना है।

भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा की मंगलुरु में एक सभा को संबोधित करते हुए जुबान फिसली। दरअसल, जब केएस ईश्वरप्पा भाषण दे रहे थे तभी पीछे से मस्जिद से अजान होने लगीय़ इसके बाद केएस ईश्वरप्पा ने भाषण के बीच में अजान पर टिप्पणी करनी शुरू कर दी। ईश्वरप्पा ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं, यह (अज़ान) मुझे सिरदर्द देता है। सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है, आज या कल ये खत्म जरूर होगा, किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है।

...इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है

भाजपा नेता ने सवाल पूछा कि क्या अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर ही अल्लाह नमाज सुनेगा? उन्होंने कहा कि मंदिरों में लड़कियां और महिलाएं प्रार्थना और भजन करती हैं। हम धार्मिक हैं, लेकिन हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। अगर आपको लाउडस्पीकर से नमाज अदा करनी है, तो इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है?

लाउडस्पीकर से अजान पर लंबे समय से बहस

बता दें कि लाउडस्पीकर से होने वाली अजान लंबे समय से बहस का मुद्दा बनी हुई है। मशहूर सिंगर सोनू निगम से लेकर राज ठाकरे तक इस पर बयान दे चुके हैं। विवाद के बीच यूपी में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे गए थे। लाउडस्पीकर बजाने के तय समय का पालन कराया गया। इसके अलावा राज ठाकरे भी महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चला चुके हैं।

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

भले ही लाउडस्पीकर से अजान को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस बार विवाद को हवा दी है कर्नाटक में बीजेपी के बड़े नेताओं में शामिल ईश्वरप्पा ने। वैसे ईश्वरप्पा इसके पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। एक बार टीपू सुल्तान को मुस्लिम गुंडा कह दिया था। इस बयान पर खूब हंगामा हुआ था और उन्हें धमकी भी मिली थी। वहीं बीते साल ही ईश्वरप्पा ने एक बयान में कहा था कि आरएसएस का भगवा एक दिन राष्ट्रीय ध्वज बनेगा। उन्होंने कहा था कि भगवा बलिदान का प्रतीक है और हजारों सालों से लोगों के मन में इसके लिए सम्मान है।

समलैंगिक विवाह पर भारत सरकार का क्या है रुख? सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा

#same_gender_marriage 

भारत में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को सुनवाई करेगा। लेकिन उसके पहले ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा दायर किया और बताया कि क्यों समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर समलैंगिक जोड़ों की शादी का विरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि समलैंगिक शादियां भारतीय परिवार की धारणा के खिलाफ हैं।समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, विवाह की धारणा अनिवार्य रूप से दो ऑपोजिट सेक्स के दो व्यक्तियों के बीच एक मिलन को मानती है। इसे विवादित प्रावधानों के जरिए खराब नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कई फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या स्पष्ट रूप से की है। समान सेक्स संबंध की तुलना भारतीय परिवार के पति और पत्नी से पैदा हुए बच्चों के कांसेप्ट से नहीं की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल जनवरी में विभिन्न उच्च न्यायालयों से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने वाली विभिन्न याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। यह मामला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजते हुए 15 फरवरी तक जवाब भी मांगा था।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में घमासान, मुलायम सिंह यादव की मुंहबोली बहन के पति को किया गया पार्टी से निष्कासित


 समाजवादी पार्टी के गठन के दौरान से सपा का झंडा उठाए वरिष्ठ नेता जावेद अंसारी को पार्टी विरोधी गतिविधियों और पार्टी नेतृत्व पर अनर्गल टिप्पणी करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया है। महानगर समाजवादी के निर्वतमान अध्यक्ष की संस्तुति पर निष्कासन करते हुए पार्टी हाईकमान को निर्णय से अवगत कराया गया है। गौरतलब है कि जावेद अंसारी की पत्नी नसरीन जावेद ने सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के राखी बांधती थी और मुंहबोली बहन हैं। जावेद अंसारी के परिवार के मुलायम सिंह से परिवारिक रिश्ते रहे हैं।

पार्टी हाईकमान को दी थी चेतावनी

दरअसल, जावेद अंसारी ने बीते दिन एक वीडियो जारी करके महापौर का टिकट मांगा था। आरोप है कि टिकट मांगने के साथ उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी थी। उन्होंने कहा था कि करीब तीस वर्ष से पार्टी की सेवा करता रहा हूं, कई मर्तबा टिकट मांगा था, लेकिन अभी तक टिकट नहीं मिला है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि टिकट नहीं मिला तो वह मंडल से सपा का सफाया करा देंगे। इसी मुद्दे पर सपा महानगर कमेटी ने जावेद अंसारी पर कार्रवाई की है। निर्वतमान प्रवक्ता तुंगीश यादव ने निर्वतमान महासचिव कुलदीप तुरैहा के हवाले से कहा है कि महानगर अध्यक्ष शाने अली शानू की संस्तुति पर निष्कासन की कार्रवाई की गई है।

दूसरी तरफ जावेद अंसारी ने कहा है कि वह तीस वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। प्रदेश ही नहीं वह पार्टी के निर्देश पर मध्यप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि सूबों में भी गए हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। उनकी पत्नी करीब दस-बारह मर्तबा मुलायम सिंह यादव को राखी बांध चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी अमीरों और पूंजीपतियों के कब्जे में जा रही है। कार्यकर्ता की कोई अहमियत और सम्मान अब पार्टी में नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि महानगर कमेटी का फैसला निराशाजनक है। उन्होंने निष्कासन के फैसले से नाराज होकर पार्टी हाईकमान को अपना त्यागपत्र भेज दिया है।