कृष्ण सुदामा दो मित्र का मिलन भर नहीं है, अपितु जीव व ईश्वर तथा भक्त का मिलन:कृष्ण देव
विद्याधर तिवारी
सुल्तानपुर । भगवान के चरित्रों का स्मरण, श्रवण करके उनके गुण व यश का कीर्तन, अर्चन, प्रणाम, अपने को भगवान का दास समझना, उनको सखा मानना तथा भगवान के चरणों में सर्वश्व समर्पण करके अपने अन्त:करण में प्रेमपूर्वक अनुसंधान करना ही भक्ति है।
उक्त उदगार चांदा के ईशीपुर गांव में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान महायज्ञ के विश्राम दिवस पर प्रतापगढ़ से पधारे आचार्य कृष्णदेव शास्त्री ने व्यक्त किए। श्रद्धालुजनों और मुख्य यजमान क़ो कथा विस्तार से समझाते हुए आगे कहा कि सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन था। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
श्रीकृष्ण को सत्य के नाम से पुकारा गया। जहां सत्य हो वहीं भगवान का जन्म होता है। भगवान के गुणगान श्रवण करने से तृष्णा समाप्त हो जाती है। परमात्मा जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं। इसके पूर्व भागवत भगवान व व्यास पीठ का पूजन मुख्य जजमान गुरुप्रसाद मिश्र ने किया। इस मौके पर मुकेश मिश्र, दीपक मिश्रा, उदयराज मिश्र, विजयपाल सिंह, ओमप्रकाश सिंह, हरिकेश तिवारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
Mar 10 2023, 11:52