कैविनेट की बैठक में नियोजन नीति से मैट्रिक और इंटर पास करने की अनिवार्यता किया गया समाप्त,भाषा में हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत को शामिल किया गया.
झारखंड में नियोजन नीति को लेकर हुई कैबिनेट की बैठक में अब नौकरी के लिए राज्य के मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थानों से 10 वीं व 12 वीं की पढ़ाई पास करने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी. साथ ही नियोजन के लिए पूर्व निर्धारित क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं में संशोधन करते हुए हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत को शामिल किया गया.
राज्य सेवा के अभ्यार्थियों को झारखंड की स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होने की अनिवार्यता विलोपित करने की स्वीकृति दी गयी . इसके लिए कैबिनेट ने दर्जन भर नियुक्ति नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी. राज्य में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए कुल 12 क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को चिह्नित किया गया था. इनमें उर्दू, संताली, बांग्ला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, खोरठा, नागपुरी, अड़िया, पंच परगनिया और कुरमाली भाषा शामिल थे.
अब कैबिनेट ने सूची बढ़ाते हुए राज्य स्तरीय पदों के लिए कुल 15 भाषाओं को शामिल करने पर मंजूरी दी.
जिलास्तरीय पदों के लिए कार्मिक विभाग क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को चिह्नित कर अलग से सूची जारी करेगा. हाइकोर्ट द्वारा राज्य सरकार की नियोजन नीति खारिज करने के बाद राज्य के स्कूलों से पढ़ाई करने की बाध्यता समाप्त करने और चिह्नित भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत को शामिल करने का निर्णय लिया गया है. परीक्षा में भाषा के 100 बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जायेंगे.
झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 को 16 दिसंबर 2022 को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि नियमावली के प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 व 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है.
सरकार की यह नियमावली संवैधानिक प्रावधानों पर खरा नहीं उतरती है. इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. कोर्ट ने आयोग को नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन संख्या-3849/दिनांक 10.8.2021 के माध्यम से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 लागू की थी.
इस संशोधित नियमावली में कहा गया था कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को झारखंड के मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से मैट्रिक व इंटर पास करना अनिवार्य होगा तथा अभ्यर्थी को स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा व परिवेश की जानकारी होना अनिवार्य होगा. नियमावली में हिंदी व अंग्रेजी भाषा को सूची से बाहर कर दिया गया था तथा उर्दू भाषा को क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा की सूची में शामिल किया गया था.
जेएसएससी संशोधित नियमावली-2021 के लागू होने के बाद लगभग 10,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए दर्जन भर से अधिक प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद 12 विभागों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था. हजारों प्रतिभागियों ने आवेदन किया था.
Mar 06 2023, 07:25