/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz बाबा रामदेव बोले- अदानी, अंबानी, टाटा, बिड़ला से कहीं ज्यादा कीमती है मेरा वक्त India
बाबा रामदेव बोले- अदानी, अंबानी, टाटा, बिड़ला से कहीं ज्यादा कीमती है मेरा वक्त

#baba_ramdev_says_value_of_my_time_more_than_adani_ambani_tata 

योग गुरु बाबा रामदेव की माने तो, गौतम अडानी, मुकेश अंबानी और रतन टाटा जैसे दिग्गज उद्योगपतियों की तुलना में उनका समय बहुत ज्यादा कीमती है। रामदेव ने कहा कि कॉरपोरेट अपने 99 फीसदी वक्त का इस्तेमाल खुद के लिए करते हैं, जबकि एक संत का वक्त सभी की भलाई के लिए होता है। पणजी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए बाबा रामदेव ने ये बात कही।

पणजी में रविवार को रामदेव अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान बाबा रामदेव ने कहा, मैं हरिद्वार से तीन दिन के लिए यहां आया हूं। मेरे समय की कीमत अदानी, अंबानी, टाटा, बिड़ला से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट्स अपना 99 प्रतिशत समय अपने स्वार्थ में खर्च करते हैं, जबकि एक संत का समय सभी की भलाई के लिए होता है। उन्होंने पेशेवर शासन, पारदर्शी प्रबंधन और जवाबदेही के कारण इस वित्तीय वर्ष में पतंजलि को एक घाटे की कंपनी से 40,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाली फर्म में पुनर्जीवित करने के लिए बालकृष्ण की सराहना की। उन्होंने कहा कि पतंजलि जैसे साम्राज्य को बनाकर और आगे बढ़ाकर भारत को 'परम वैभवशाली' बनाने का सपना साकार किया जा सकता है।

अचानक यूक्रेन पहुंचे अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन, रूस के साथ जंग के एक साल पूरे होने से पहले सरप्राइज विजिट

#us_president_joe_biden_reached_kyiv

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को एक साल होने जा रहा है। इससे पहले सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अचानक कीव पहुंच गए। बाइडन ऐसे समय में कीव पहुंचे हैं जब रूस एक साल पूरे होने के मौके पर आक्रामक होने की तैयारी में है। 24 फरवरी 2022 को जब से जंग शुरू हुई है तब से यह उनका पहला दौरा है।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति पौलेंड जा रहे थे इसी बीच उनके कार्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है। वह पौलेंड जाने से पहले यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे हैं। यहां वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की के साथ नजर आए। कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बाइडेन को रिसीव किया। इसके बाद वो पैदल कीव की सड़कों पर टहले। उनकी इस यात्रा की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें वह जेलेंस्की के साथ दिखाई दे रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन के कीव पहुंचने से पहले इस इलाके में नो-फ्लाई जोन बना दिया गया था। इस दौरान अमेरिकी मिसाइल शील्ड एक्टिव मोड में थी। ‘कीव इंडिपेंडेंट’ के मुताबिक- पूरे कीव में सिर्फ यही नजर आ रहा था कि कोई बेहद खास शख्स राजधानी पहुंच रहा है। बाइडेन की विजिट के पहले कीव के तमाम रास्ते भी बंद कर दिए गए थे।

बता दें कि जब से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, उसके बाद अमेरिका लगातार यूक्रेन की आवाज वैश्विक स्तर पर उठाता रहा है। इतना ही नहीं अमेरिका ने यूक्रेन की हरसंभव मदद की है। अमेरिका के इस समर्थन के बीच युद्ध का एक साल पूरा होने से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन पहुंचे हैं। यूक्रेन पहुंचकर बाइडन ने साबित कर दिया है कि अमेरिका अंतिम क्षण तक इस देश के साथ रहेगा।

बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री अपने भक्तों के मन की बात बता देते हैं, यहां पढ़िए, आखिर कैसे होता है यह चमत्कार, क्या है इसके पीछे का विज्ञान


मध्य प्रदेश के स्वयंभू बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री इन दिनों चर्चा में हैं। टीवी पर अनुयायियों के ‘मन की बात’ जान लेने वाले उनके वीडियोज खूब दिखाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी क्लिप्‍स वायरल हैं। बाबा मंच पर अनुयायियों को बुलाते हैं। उनसे मंत्र पढ़ने को कहते हैं और एक कागज पर कुछ लिखते हैं। फिर वह उनसे उनकी समस्याओं के बारे में पूछते हैं। आखिर में वह कागज पर लिखा सबको दिखाते हैं। समस्‍या और उसका हल बाबा ने पहले ही कागज पर लिख दिया था! बाबा और उनके अनुयायी दावा करते हैं कि यह ‘चमत्कार’ है, वर्षों की साधना का परिणाम है। टीवी पर ही बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री को कुछ माइंड रीडर्स ने चुनौती दी। इनमें दिल्‍ली के करन सिंह भी एक हैं। टीवी डिबेट के दौरान बाबा के दावों की पोल खोलने के बाद से उनके इनबॉक्स में गालियों की भरमार हो गई है। करन उन चुनिंदा लोगों में से हैं जो ऐसे धर्मगुरुओं के दावों को चुनौती पेश कर रहे हैं। आखिर करन जैसे माइंड रीडर या बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री जैसे लोग कैसे पता करते हैं कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है। यकीन मानिए, यह कोई ‘चमत्कार’ नहीं है।

कैसे होते हैं ये ‘चमत्‍कार’, क्‍या है मेंटलिज्‍म?

करन सिंह के अलावा सुहानी शाह ने भी लाइव टीवी पर ऐंकर्स के बच्‍चों के नाम बता दिए। ऑडियंस में बैठे लोगों के रिश्‍तेदारों की समस्‍याएं बताईं। हालांकि, यह सब करते हुए उन्‍होंने एक बात बार-बार दोहराई- वे कोई महामानव नहीं। उनकी ये सारी ट्रिक्‍स मेंटलिज्‍म या मनोविश्‍लेषण का हिस्‍सा हैं। यह एक तरह की परफॉर्मिंग आर्ट है जिसमें माइंड रीडिंग जैसी चीजों पर फोकस रहता है। बहुत सारे ड्रामा के साथ मैजिक ट्रिक्‍स और साइकोलॉजिकल एलिमेंट्स भी डाले जाते हैं। लोगों के बॉडी मूवमेंट्स, विजुअल क्‍यू यहां तक कि कुछ पूछने पर प्रतिक्रिया में हल्‍के से बदलाव को भी नोटिस किया जाता है। मेंटलिस्‍ट्स का दावा है कि यह आर्ट का काफी साइकोलॉजिकल रूप है। ज्‍यादातर मेंटलिस्‍ट्स खुद से सीखे होते हैं लेकिन वे भी काफी हद तक न्‍यूरो-लिंविस्‍टक प्रोग्रामिंग (NLP) पर निर्भर होते हैं।

क्या है NLP?

NLP में दिमाग की लैंग्वेज को समझने पर जोर दिया जाता है, खासतौर से विजुअल क्यू पर फोकस रखते हुए। अक्षय कुमार एक ट्रेन्‍ड साइकोलॉजिस्ट हैं और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल (ICMR) में सीनियर रिसर्च फेलो हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ से कहा, ‘अगर मैं आपसे कहूं कि गन के बारे में सोचिए तो आप उस शब्द के लेटर्स के बारे में तो नहीं सोचेंगे, आप उसे विजुअलाइज करेंगे। आप भाषा कोई भी बोलते होंगे लेकिन जब आप सोचते हैं तो तस्‍वीरों में सोचते हैं।’ NLP ट्रेनिंग में ऐसे ही विजुअल क्यू पकड़ने पर जोर दिया जाता है। आमतौर पर एक मेंटलिस्ट सवाल पूछता है या कुछ करने को कहता है जिससे लोगों के दिमाग में जवाबी तस्वीर उभरती है। वे शरीर और चेहरे में बदलाव से भांप लेते हैं और जवाब बताते हैं।

आंखें बता देती हैं बहुत कुछ

मेंटलिस्‍ट्स को छोटे से छोटा बदलाव पकड़ने की ट्रेनिंग मिलती है। कुमार के अनुसार, दिमाग में कुछ चल रहा होता है तो आंखें अलग-अलग दिशा में मूव करती हैं। अगर कोई अतीत का कुछ याद कर रहा है तो आंखें टॉप राइट कॉनर की तरफ चली जाती हैं। अगर कोई घटना याद की जा रही हो तो आंखें टॉप लेफ्ट में चली जाती हैं। अगर कोई पुरानी आवाज याद करने की कोशिश हो तो आंखें दाहिनी ओर शिफ्ट हो जाती हैं। बॉटम राइट की तरफ आंखों का झुकाव बतलाता है कि खुद से बातचीत चल रही है। इंसान यह सब अनजाने में करता है, मेंटलिस्‍ट्स ऐसी ही चीजों को पकड़ते हैं।

बेंगलुरु के मेंटलिस्‍ट नरपत रमन को परफॉर्म करते हुए 11 साल से ज्‍यादा हो गए। उनपर कई बार लोगों ने काला जादू करने का आरोप लगाया। अब वे अपनी परफॉर्मेंस शुरू करते हुए डिस्‍क्‍लेमर देते हैं, ‘मेरे सारे शोज की पहली लाइन होती है कि आप जो देखने वाले हैं वो सच नहीं है। फिर मैं कुछ ऐसा क्रिएट करता हूं जो जेनुइन माइंड रीडिंग जैसा दिखता और लगता है।’ रमन कहते हैं कि यह कोई फिल्‍म देखने जैसा है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अब फोर्ब्स ने अडानी ग्रुप के बारे में किया बड़ा खुलासा


भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की मुश्किलें कम होने के बदले और बढ़ गई है। अमरीकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर लगातार गिरते नज़र आ रहे है। जिससे कंपनी के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में काफी गिरावट भी आई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहे गौतम अडानी टॉप-20 अमीरों की लिस्ट से अब बाहर हो चुके हैं। अडानी ग्रुप की कंपनियों पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है।

इस बीच अब फेमस बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने अडानी ग्रुप के बारे में एक बड़ा खुलासा भी किया है। यह खुलासा गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के बारे में आया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्रुप ने रूस की एक बैंक से लोन लेने के लिए प्रमोटर की हिस्सेदारी को गिरवी रखा हुआ है।

240 मिलियन डॉलर के स्टेक गिरवी

फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक , गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित एक प्राइवेट कंपनी की सिंगापुर की यूनिट ने रूसी बैंक से कर्ज के लिए अडानी के प्रमोटर के 240 मिलियन डॉलर के स्टेक को गिरवी रखा हुआ है। फोर्ब्स की इस रिपोर्ट को हिंडनबर्ग ने भी ट्वीट किया है और इस रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने रूसी बैंक के कर्ज लेने के लिए अपनी के 240 मिलियन डॉलर की संपत्ति को गिरवी रखा है।

दुबई में रहकर चलाते हैं कंपनियां

फोर्ब्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी एक प्रवासी भारतीय हैं, वो लंबे समय से अडानी ग्रुप से जुड़े हुए है और ऑफशोर कंपनियों को भी संभालते हैं। विनोद अडानी दुबई में रहते हैं और वहां से वो सिंगापुर और जकार्ता में चल रहे अडानी ग्रुप की व्यापारिक मसलों का प्रबंधन करते हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भी विनोद अडानी का जिक्र किया हुआ था।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया था कि विनोद अडानी कई फर्जी कंपनियों को चलाते है और उनकी कंपनियों का पता, उसके काम और उसमें काम करने वाले लोगों के बारे में जानकारी अभी अस्पष्ट है।

दो बड़े शेयरधारकों को बनाया है गारंटर

पिनाकल ने एफ्रो एशिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स और वर्ल्डवाइस इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड को कर्ज के लिए गारंटर के रूप में पेश किया था। ये दोनों अडानी ग्रुप के बड़े शेयरधारक माने जाते हैं। दोनों का अडानी ग्रुप की कंपनियों में 4 बिलियन डॉलर तक का स्टॉक है। एक्सपर्ट के मुताबिक , इस रिपोर्ट से अडानी ग्रुप पर गड़बड़ी के आरोप और गंभीर होते नज़र आ रहे हैं। हिंडनबर्ग ने कंपनी पर जो आरोप लगाए हैं, फोर्ब्स की रिपोर्ट उसे बिलकुल सही साबित करती है।

उत्तराखंड के रुड़की में पटाखा गोदाम में आग लगने से चार लोग जिंदा जले, दो गम्भीर रूप से झुलसे, मची अफरातफरी

उत्तराखंड के रुड़की कोतवाली सिविल लाइन क्षेत्र के बादशाह होटल के सामने एक पटाखा गोदाम में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई है। घटना में चार लोगों की मौत हो गई है। जबकि दो लोग गंभीर रूप से झुलसे हैं। पुलिस ने दो घायलों को सिविल अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया। जहां से दोनों को रेफर करने की तैयारी की जा रही है। घटना की सूचना पर एसएसपी अजय सिंह भी मौके पर पहुंचे। वहीं गोदाम के मालिक आलोक जिंदल इस घटना से सदमे में आ गए और उनकी तबीयत बिगड़ गई।

मृतकों के नाम

-अदनान पुत्र समीर अहमद, निवासी मच्‍ची मौहल्‍ला, उम्र 15 साल, अरमान पुत्र शफीक अहमद, निवासी इमली रोड, उम्र 16 साल और दी अज्ञात

घायलों के नाम

-सूरज पुत्र राजकुमार, निवासी रामनगर, उम्र 23 साल, नीरज, निवासी ढंडेरा, उम्र 22 साल

शिवसेना में नाम-सिंबल की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने कहा- प्रक्रिया के तहत कल आइए


शिवसेना के कब्जे की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उद्धव गुट ने आज सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर मामले पर अर्जेंट सुनवाई की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अर्जेंट मेंशनिंग की एक प्रक्रिया है, उन्हें इसका पालन करना चाहिए।

शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने अर्जेंट बेसिस पर सुनवाई की गुजारिश की। उनकी मांग पर सीजेआई ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि याचिका को अर्जेंट मेंशन करने की एक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने SC में चुनाव आयोग के आदेश का उल्लेख किया। इस पर CJI ने कहा कि अर्जेंट मैटर के मेंशन का सिस्टम बनाया गया है। सबको उसे मानना पड़ेगा। इसलिए उन्हें कल आना चाहिए. दरअसल, यह याचिका मेंशनिंग लिस्ट में नहीं थी। इसलिए कोर्ट ने इसे कल मेंशन करने के लिए कहा। उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग के आदेश को दोषपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्टे लगाने की गुहार लगाई है।

उद्धव गुट इस कोशिश में लगा हुआ था कि याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए लिस्ट कर लिया जाए। उद्धव गुट के इस कदम की भनक शिंदे गुट को पहले ही थी। इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया था।

दरअसल, चुनाव आयोग ने अपने फैसले में शिवसेना का नाम और तीर-कमान का चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को देने का निर्णय लिया था। इस फैसले के बाद एक तरफ शिंदे गुट में खुशी की लहर दौड़ गई थी तो वहीं उद्धव गुट ने इस फैसले को सुनियोजित और पक्षपातपूर्ण बताया था।

शिंदे गुट ने दाखिल की थी कैविएट

शिवसेना का नाम और निशान मिलने से उत्साहित शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर ये मांग कर दी थी कि बिना उनका पक्ष सुने कोई भी एकतरफा आदेश पारित न किया जाए। उद्धव गुट की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के बयान ने पहले ही कयास लगने लगे थे कि उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि अब लोकतंत्र की रक्षा सुप्रीम कोर्ट को ही करनी होगी।

छत्तीसगढ़ में ईडी का बड़ा एक्श, कई कांग्रेसी नेताओं के घर छापा, कांग्रेस के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन से पहले कार्रवाई

#edraidspremisesofcongressleadersinraipurchhattisgarh

रायपुर में कांग्रेस नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने ने प्रदेश में 12 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं के घर छापा मारा है। यह छापेमारी राज्य की राजधानी रायपुर में 24-26 फरवरी तक कांग्रेस के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन से पहले हुई है।

सोमवार सुबह 5 बजे ईडी की टीम राजधानी रायपुर में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के घर पहुंची और दस्तावेजों को खंगालने का काम कर रही है। जिन नेताओं के यहां छापे की खबर है, उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, श्रम कल्याण मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव, प्रवक्ता आरपी सिंह, विनोद तिवारी , कांग्रेस के मीडिया प्रवक्ता आरपी सिंह आदि शामिल हैं।

सीएम भूपेश बघेन ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला

ईडी की कार्रवाई के बाद एक बार फिर सियासत गरमा गई है। राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले बड़े स्तर पर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के घर ईडी की रेड से प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। छापे को लेकर प्रदेश के मुखिया सीएम भूपेश बघेन ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष, पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष और एक विधायक सहित मेरे कई साथियों के घरों पर आज ईडी ने छापा मारा है। चार दिनों के बाद रायपुर में कांग्रेस का महाधिवेशन है। तैयारियों में लगे साथियों को इस तरह रोककर हमारे हौसले नहीं तोड़े जा सकते। 'भारत जोड़ो यात्रा' की सफलता से और अडानी की सच्चाई खुलने से भाजपा हताश है। यह छापा ध्यान भटकाने का प्रयास है। देश सच जानता है। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।

कांग्रेसी नेताओं पर निशाना

राज्य में पहले भी ईडी की टीम कई बार कार्रवाई कर चुकी है, लेकिन पहली बार सीधे तौर पर कांग्रेसी नेताओं के घर पर टीम ने छापा मारा है। इस साल यह पहली बार होगा कि ईडी ने सीधा किसी कांग्रेसी नेता के घर धावा बोला है। लगातार प्रदेश में कोल लेवी के मामले में कार्रवाई चल रही थी। जिसमें कई आईएस और कोयले से जुड़े व्यापारी जेल में ईडी की रिमांड में हैं। माना जा रहा है कि ये कार्रवाई कोयला घोटाले को लेकर की जा रही है। ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में प्रत्येक टन कोयला ढुलाई पर 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी। मामले में अब तक राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और एक कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

नीतीश की नसीहत के बाद केसी वेणुगोपाल ने बड़ा बयान, बोले-अकेले मोदी सरकार का सामना नहीं कर सकती कांग्रेस

#kcvenugopalsayspartyalonecantfightmodigovernment 

2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव में बीजेपी तीसरी बार सत्ता अपने पास बनाए रखने के लिए जोर लगाएगी। वहीं दूसरे विपक्षी दल इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए लडेंगे। जी हां, ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए, सत्ता के लिए नहीं। क्योंकि इन्हें भी मालूम है कि अभी केन्द्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करना मुश्किल है। इस बात को कांग्रेस ने भी मान लिया है। कांग्रेस का माना है कि 2024 के आम चुनाव में पार्टी के लिए मोदी सरकार का अकेले सामना करना काफी मुश्किल होगा।

हमें चोटों का अनुभव, लेकिन सब कुछ भूलने को तैयार-वेणुगोपाल

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए गंभीर है। हालांकि, उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में विपक्षी नेताओं के न पहुंचने को लेकर टीस भी जाहिर की और कहा कि वह सब कुछ भूलने को तैयार हैं। वेणुगोपाल ने कहा, विपक्षी एकता के लिए हमारा प्रयास बहुत ईमानदार है। भले ही हमारे पास बहुत सारे अनुभव हैं, जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई है, लेकिन हम इस तानाशाही सरकार को हटाने के लिए सब कुछ भूलने को तैयार हैं। हम पूरी तरह से विपक्ष में एकता के लिए हैं।

तानाशाही सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी एकता की जरूरत-वेणुगोपाल

वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा के विरोध में पड़ने वाले वोटों को बिखरने से रोकने के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता सबसे अहम मानक है। उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस भी विपक्षी एकता को लेकर चिंतित है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने कई मौकों पर मौजूदा स्थिति को बयां किया है कि कांग्रेस अकेले इस सरकार का सामना नहीं कर सकती। कांग्रेस हर कीमत पर लड़ेगी। लेकिन हमें इस अलोकतांत्रिक, तानाशाही सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी एकता की जरूरत होगी।

नीतीश कुमार ने क्या कहा था?

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में विपक्ष की एकता को लेकर कांग्रेस को बड़ी सलाह दी थी। नीतीश कुमार ने शनिवार यानी 18 फरवरी को पटना में आयोजित सीपीआ-एमएल के राष्ट्रीय कन्वेंशन में बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटने का प्लान बताया था। नीतीश कुमार ने कहा था, अगर साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों का गठबंधन हो जाए, तो बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटा जा सकता है। नीतीश कुमार ने सम्मेलन में कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब कांग्रेस को आगे आना चाहिए और विपक्षी एकजुटता में देरी नहीं करनी चाहिए। नीतीश ने आगे कहा कि मैंने राहुल और सोनिया गांधी से दिल्ली में भी मुलाकात की थी। हम तो इंतजार कर रहे हैं। अगर सब एकजुट हो जाएं तो बीजेपी 100 सीटों के अंदर खिसक जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शिवसेना का ‘नाम और निशान’ विवाद, चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव गुट ने दी चुनौती

#uddhavthackerayfactionmovessupremecourtagainst_eci 

शिवसेना के नाम और निशान पर चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में सियासत गर्म है। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव चिह्न् ‘तीर-कमान’ को एकनाथ शिंदे गुट को देने के चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिन्ह धनुष और बाण आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।सुप्रीम कोर्ट ने वकील को इस मामले को कल मेंशन करने के लिए कहा है। 

उद्वव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है। इस पर शीर्ष अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें इस मैटर का जिक्र कल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा -आपने अपनी अर्जी को जल्द सुनवाई की मांग के लिए ;(मेंशनिंग लिस्ट) में शामिल नहीं किया है। बिना लिस्ट में शामिल किए कोई तारीख अदालत की ओर से नहीं दी जा सकती। आप पहले जरूरी औपचारिकता पूरी करके कल आइए।

उद्धव गुट ने कहा- ईसीआई ने गलत मानदंड अपनाया

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे तर्कों को पूरी तरह नजरअंदाज किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है। इस मुद्दे को तय करने के लिए ईसीआई द्वारा गलत मानदंड अपनाया गया। 

शिंदे गुट भी शांत नहीं

वहीं उद्धव गुट से पहले शिदें गुट ने अपनी चाल चल दी है। एक दिन पहले ही शिंदे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई है। दरअसल शिवसेना की कमान, उसका नाम और चुनाव चिह्न मिलने के बाद शिंदे गुट चुनाव आयोग के फैसले को कायम रखना चाहती है। जिसके लिए पूरी कोशिश पहले ही शुरू कर दी गई है।

उद्धव ठाकरे को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह आवंटित किया था, क्योंकि एकनाथ शिंदे गुट के पास 55 में से 40 विधायकों और 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन प्राप्त है।

जेएनयू में फिर बवाल, अब शिवाजी महाराज की तस्वीर को लेकर छात्र संघ और एबीवीपी के बीच झड़प

#clasheruptsbetweenabvpandjnustudentsunionagain 

दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर ‘अखाड़ा’ बना है।वामपंथी और एबीवीपी छात्रों के बीच झड़प के बाद कैंपस में तनाव का महौल है।जेएनयू के छात्र संघ कार्यालय में शिवाजी जयंती के मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वामपंथी सदस्यों के बीच झड़प हो गई। रविवार को जेएनयू में छात्र संघ कार्यालय में वामपंथियों के द्वारा वीर शिवाजी के चित्र से माला उतारी गई। इसके साथ ही तोड़-फोड़ कर वहां लगे महापुरुषों की तस्वीरों को फेंक दिया गया। जिसके बाद से कैंपस में तनाव का महौल है।

एबीवीपी ने घटना का वीडियो ट्वीट किया

एबीवीपी ने एक बयान में कहा कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के तुरंत बाद वामपंथी छात्र वहां आ गए और माला उतारकर शिवाजी की तस्वीर नीचे फेंक दी। एबीवीपी ने इस घटना पर ट्वीट भी किया है।वीडियो में एबीवीपी का एक छात्र कह रहा है, यहां अभी-अभी लेफ्ट के गुंडो द्वारा हमारे बीच शिवाजी और महाराणा प्रताप जी के चित्र से माला को उतार दिया गया। इसके साथ ही यहां जेएनयूएसयू पर तोड़फोड़ की गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस घटना का निंदा करती है।

जेएनयू छात्रसंघ का एबीवीपी पर आरोप

वहीं, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के महासचिव ने कहा- एबीवीपी सदस्यों ने शिवाजी का फोटो जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) के दफ्तर पर रखा था, जिसके लिए जेएनयूएसयू की ओर से अनुमति चाहिए होती है। फिर भी उन्होंने वहां उसे अवैध तरीके से रखा। कुछ और स्टूडेंट्स वहां पहुंचे और उन्होंने स्क्रीनिंग प्रोग्राम के लिए सभी पोट्रेट्स हटा दिए, जिसके बाद दोनों गुटों के बीच लड़ाई हो गई।वहीं वाम के समर्थन वाले जेएनयू छात्र संघ का आरोप था कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बॉम्बे) के स्टूडेंट के लिए न्याय की मांग को लेकर निकाले गए मार्च के बाद अखिल एबीवीपी ने कुछ छात्रों पर हमला किया, जबकि एबीवीपी ने इसे सिरे से खारिज किया है।