आदिकाल से विराजमान हैं बाबा बड़े शिव
भदोही। देवाधिदेव महादेव की महिमा अपरंपार है। फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि पर्व के निमित्त जिले के शिवालय शिवभक्ति की बयार से बम-बम हो गए हैं। जिले में प्रतिष्ठापित पांडव काल के शिवधामों से लेकर तीन-चार सौ वर्ष प्राचीन मंदिरों तक की महिमा महाशिवरात्रि के अवसर व्यापक हो जाती है। सुबह से लेकर देर रात तक शिवधामों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। जिले के साहित्यकार डॉ. राजकुमार पाठक संपादित और विंध्याचल कमिश्नरी से प्रकाशित ग्रंथ विंध्य वैभव में जिले के प्रमुख शिवालयों के बारे में गहरी जानकारियों का उल्लेख किया गया है।
गोपीगंज नगर से पूरब मिर्जापुर रोड पर स्थित इस मंदिर के स्थापना काल का कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है। बाग-बगीचों और सरोवर के साथ करीब 18 एकड़ रकबे में फैला यह मंदिर अद्वितीय है। अत्यंत प्राचीन और सुसज्जित मंदिर का लिंगार्घा छोटा है। महाशिवरात्रि में मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। देखने से पता लगता है कि मंदिर मुगलकालीन है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ होगा। मंदिर परिसर में हनुमान, नंदी, गणेश, शीतला माता, माता पार्वती की मूर्तियां भी विराजमान हैं। मंदिर के सामने तालाब में कमल के पुष्प सुशोभित होते हैं। मंदिर में एक आश्रम है, जिससे जुड़ी कहावत यह है कि पहले मोरंग के राजा ओमानंद, जो बाद में राजा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने इस स्थान को अपनी तपस्थली बनाया और बहुत दिनों तक यहां तपस्यारत रहे, जिनकी कुटिया आज भी विराजमान हैं।
पीपल के जिस वृक्ष के नीचे राजा बाबा ने साधना की, वह वृक्ष आज भी मौजूद है। इस स्थान पर नागा साधुओं का दल आज भी आता रहता है।मंदिर के पुजारी शंकराचार्य दूबे बताते हैं कि मंदिर में पांच सौ वर्ष पूर्व से रंगभरी एकादशी पर भव्य शृंगार और भंडारा कराया जाता है। प्रत्येक सोमवार को श्रृंगार और महाआरती होती है, जिसमें सैकड़ों भक्त सम्मिलित होते हैं। बड़े शिव मंदिर को पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया है।
Feb 15 2023, 17:47