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Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

#jagdeepdhankharsayspoliticalcoviddestroyingindian_democracy

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।

Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

#jagdeepdhankharsayspoliticalcoviddestroyingindian_democracy

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।