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भारत की इकॉनमी डेड...डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी क्यों खुश हो रहे राहुल गांधी?

#rahulgandhicommentsonuspresidenttrumpdeadeconomy_remark

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को लेकर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। भारत के खिलाफ 25 फीसदी का टैरिफ लगाने के बाद भी उन्हें चैन नहीं आया। भारत पर अचानक टैरिफ बम फोड़ने के बाद ट्रंप ने तंज कसा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, ‘ये दोनों अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाएं साथ लेकर डूबें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।’

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कहा। इस पर राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता ने इस पर रिएक्ट किया है। उन्होंने ट्रंप के कमेंट पर कहा कि हां, वह सही हैं। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई यह जानता है। हर कोई जानता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक मृत अर्थव्यवस्था है।

मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा-राहुल गांधी

संसद परिसद में राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए आगे कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है। फिर आप क्यों ये सवाल पूछ रहे। पूरी दुनिया जानती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक डेड इकोनॉमी है। बीजेपी ने इस इकोनॉमी को खत्म किया है। क्यों खत्म किया है ये, अडानी की मदद करने के लिए अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया है।

राहुल गांधी ने उठाए सवाल

राहुल गांधी ने इसको लेकर आगे कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30-32 बार बोला है कि मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर किया है। ट्रंप ने यह भी बोला कि भारत के 5 जहाज गिरे हैं। ट्रंप ने अब बोला है कि मैं 25% टैरिफ लगाऊंगा। इन सब बातों पर पीएम मोदी जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं। असली वजह क्या है? कंट्रोल किस के हाथ में है।

पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, सरकार ने हमारी अर्थव्यवस्था की पॉलिसी, डिफेंस पॉलिसी और विदेश पॉलिसी को नष्ट कर दिया है। पीएम सिर्फ एक ही व्यक्ति के लिए काम करते हैं, अडानी। साथ ही राहुल गांधी ने कहा, आप देखना यह डील होगी, ट्रंप बताएंगे कि यह डील कैसे होगी और पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे।

चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
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मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


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राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी, 17 साल बाद आया फैसला

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महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में 17 सालों बाद फैसला आ गया है। इस मामले में एआईए की स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि शक के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। केस की मुख्य आरोपी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर थीं। अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे।

कोर्ट ने जांच में कई खामियां बताईं

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियां बताईं। उन्होंने कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। डेढ़ दशक से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

नहीं मिला सबूत

जस्टिस लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं। बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला। कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इसके अलावा कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। एनआईए कोर्ट के जज ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा है कि बाइक किसने पार्क की।

कब क्या हुआ था?

नासिक के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को रमजान के पवित्र महीने में रात 9:35 मिनट पर मालेगांव की भिक्खू चौक पर शक्तिशाली विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।ब्लास्ट के दो हफ्ते बाद कुल 11 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इसमें कर्नल पुरोहित भी शामिल थे। पुरोहित अभिनव भारत नाम का संगठन चलाते थे। एटीएस ने इस मामलेमें जनवरी 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कुल 11 लोग आरोपी थी। इसके बाद मार्च, 2011 में यह मामला एनआईए को ट्रांसफर कर दिया गया था। मार्च, 2016 में एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें मकोका में चार्ज खत्म कर दिए थे।

पहला मामला जब किसी ब्लास्ट में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया

मालेगांव ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था। यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी। इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था। कोर्ट के फैसला सुनाने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे। ऐसे में कोर्ट को फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।

ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से एसुस एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर शुरू हुई 'ड्रॉप ज़ोन' सर्विस

नई दिल्ली/ लखनऊ । ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए ताइवान की टेक जायंट कंपनी, एसुस ने बुधवार को अपने एसुस एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर 'ड्रॉप ज़ोन' पहल का अनावरण किया। इस पहल के तहत ग्राहक किसी सर्विस सेंटर जाए बिना, सीधे स्टोर पर अपने लैपटॉप रिपेयर करने के लिए छोड़ सकते हैं। यह सुविधा उन्हें ज्यादा सहूलियत देगी और बिना किसी रुकावट के वे अपनी डिवाइस से जुड़े रह सकेंगे।

एसुस इंडिया ने देश में आफ्टर-सेल्स सर्विस का एक बेहद व्यापक नेटवर्क तैयार किया है। ग्राहक 200 से अधिक रणनीतिक रूप से स्थापित सर्विस सेंटर्स, 14,900 से अधिक पिन कोड्स में ऑन-साइट होम सपोर्ट और 761 जिलों में उपलब्ध सर्विस का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, कॉल, चैट, ईमेल और रिमोट ट्रबलशूटिंग जैसे ओम्नी-चैनल डिजिटल हेल्पडेस्क के जरिए एसुस 24x7 सहायता उपलब्ध कराता है। वहीं, मायएसुस ऐप और समर्पित यूट्यूब चैनल्स जैसे सेल्फ-सर्विस प्लेटफॉर्म्स से यूज़र्स कभी-भी और कहीं से भी अपनी समस्याओं का समाधान खुद कर सकते हैं।

दिल्ली, कोलकाता, नागपुर, मुंबई और कोयंबटूर (तिरुपुर) जैसे प्रमुख बाजारों से शुरू होकर यह पहल देश के बड़े शहरों तक अपनी पहुँच स्थापित करेगी और अब इसमें नए विकसित हो रहे शहरों और क्षेत्रों को भी शामिल किया जा रहा है।इस पहल के बारे में बात करते हुए, श्री अर्नोल्ड सू, वाइस प्रेसिडेंट- कंज़्यूमर और गेमिंग पीसी, सिस्टम बिज़नेस ग्रुप, एसुस इंडिया, ने कहा, "एसुस में हम मानते हैं कि किसी भी प्रोडक्ट का असल अनुभव सिर्फ उसकी इनोवेटिव डिज़ाइन और आधुनिक तकनीक तक ही सीमित नहीं होता है। इसी सोच के साथ हम अपनी जिम्मेदारी खरीद के बाद भी निभाते हैं, ताकि हर ग्राहक को निर्बाध और बेहतरीन आफ्टर-सेल्स सपोर्ट मिलता रहे और वह खुद को पूरी तरह सशक्त महसूस करे।

'ड्रॉप ज़ोन' पहल के जरिए हम ग्राहकों को यह सुविधा दे रहे हैं कि वे अपने लैपटॉप की देखरेख और मरम्मत आसानी से और बिना किसी परेशानी के करवा सकें, ताकि उनकी डिवाइस हमेशा बेहतरीन स्थिति में बनी रहे।"'ड्रॉप ज़ोन' पहल के साथ-साथ, एसुस इंडिया ने पुणे में एक सर्विस कैंप भी शुरू किया है, जहाँ ग्राहकों को ऑन-साइट डायग्नोस्टिक्स और विशेषज्ञ सलाह की सुविधा दी जा रही है। इस पहल का उद्देश्य ग्राहकों को पहले से ही तकनीकी सहायता प्रदान कर उनकी चिंता को कम करना है।

रांची में स्कूली छात्रा का अपहरण, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से सकुशल बरामद; अपराधी फरार

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बुधवार, 30 जुलाई 2025 को एक नाबालिग स्कूली छात्रा के अपहरण का सनसनीखेज मामला सामने आया। हालांकि, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से बच्ची को कुछ ही घंटों में सकुशल बरामद कर लिया गया। अपहरणकर्ता पुलिस के दबाव के चलते बच्ची को रामगढ़ जिले के कुज्जू में छोड़कर फरार हो गए।

सुबह स्कूल जाते वक्त हुई घटना

यह घटना आज सुबह उस वक्त हुई, जब 9 वर्षीय छात्रा ई-रिक्शा से स्कूल जा रही थी। रांची के सिरमटोली फ्लाईओवर के पास कार में सवार कुछ युवकों ने ई-रिक्शा के आगे अपनी गाड़ी लगा दी। स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अपहरणकर्ताओं ने बच्ची को जबरन अपनी कार में बिठाया और भाग गए।

रांची के सिटी डीएसपी कुमार वी रमन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि चुटिया थाना क्षेत्र से नाबालिग छात्रा का कथित तौर पर अपहरण किया गया था। पुलिस को सूचना मिलते ही तुरंत जांच शुरू कर दी गई।

फर्जी नंबर प्लेट और फायरिंग की भी सूचना

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने, जो नकाबपोश थे, घटना के दौरान तीन राउंड फायरिंग भी की। इसके बाद वे सुजाता चौक की ओर फरार हो गए। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि अपहरण के लिए इस्तेमाल की गई कार पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी। पुलिस अब कार के मालिक गोपाल सिंह की तलाश कर रही है।

डीएसपी रमन ने बताया कि पुलिस की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अपहरणकर्ताओं पर दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप वे बच्ची को रामगढ़ जिले के कुज्जू में छोड़कर भाग खड़े हुए। बच्ची पूरी तरह सुरक्षित है और उसे सकुशल बरामद कर लिया गया है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और अपराधियों की तलाश जारी है।

अंतरिक्ष में भारत रचने जा रहा एक और इतिहास, दुनिया के सबसे दमदार राडार निसार की लॉन्चिंग आज

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार। नासा और इसरो इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। यह पहली बार है, जब भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस सैटेलाइट का निर्माण किया है। अब तक का सबसे महंगा और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

इस मिशन की अवधि 5 साल

यह उपग्रह अंतरिक्ष की खोज की दिशा में भारत और अमेरिका के सहयोग से पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है। इसके लिए दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय तक मानवीय तालमेल के अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जुगलबंदी हुई है, तब जाकर यह दिन देखने को मिला है। निसार उपग्रह का उद्देश्य सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट से संपूर्ण पृथ्वी का अध्ययन करना है। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। निसार 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों (उत्तर और दक्षिण) के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है।

धरती पर होने वाली हर हलचल का पता चलेगा

स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थ की सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह उपग्रह वनों पर पड़ने वाले मौसमी प्रभाव, पहाड़ों में बदलाव, ग्लेशियर की गतिविधियों की जानकारी जुटाएगा। इसके तहत इसका ध्यान मूल रूप से हिमालय और अंटार्टिका के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में रहेगा

निसार के लॉन्च के बाद का प्लान

लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या ऑर्बिट में इसकी गतिविधियों की निगरानी होगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिट में छानबीन से ऑब्जर्वेटरी को वैज्ञानिक कार्यों की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। निसार मिशन को दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन की सहायता मिलेगी। यहीं पर इससे प्राप्त इमेज को डाउनलोड किया जा सकेगा, जिन्हें आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाएगा।

भारत की इकॉनमी डेड...डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी क्यों खुश हो रहे राहुल गांधी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को लेकर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। भारत के खिलाफ 25 फीसदी का टैरिफ लगाने के बाद भी उन्हें चैन नहीं आया। भारत पर अचानक टैरिफ बम फोड़ने के बाद ट्रंप ने तंज कसा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, ‘ये दोनों अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाएं साथ लेकर डूबें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।’

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कहा। इस पर राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता ने इस पर रिएक्ट किया है। उन्होंने ट्रंप के कमेंट पर कहा कि हां, वह सही हैं। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई यह जानता है। हर कोई जानता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक मृत अर्थव्यवस्था है।

मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा-राहुल गांधी

संसद परिसद में राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए आगे कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है। फिर आप क्यों ये सवाल पूछ रहे। पूरी दुनिया जानती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक डेड इकोनॉमी है। बीजेपी ने इस इकोनॉमी को खत्म किया है। क्यों खत्म किया है ये, अडानी की मदद करने के लिए अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया है।

राहुल गांधी ने उठाए सवाल

राहुल गांधी ने इसको लेकर आगे कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30-32 बार बोला है कि मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर किया है। ट्रंप ने यह भी बोला कि भारत के 5 जहाज गिरे हैं। ट्रंप ने अब बोला है कि मैं 25% टैरिफ लगाऊंगा। इन सब बातों पर पीएम मोदी जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं। असली वजह क्या है? कंट्रोल किस के हाथ में है।

पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, सरकार ने हमारी अर्थव्यवस्था की पॉलिसी, डिफेंस पॉलिसी और विदेश पॉलिसी को नष्ट कर दिया है। पीएम सिर्फ एक ही व्यक्ति के लिए काम करते हैं, अडानी। साथ ही राहुल गांधी ने कहा, आप देखना यह डील होगी, ट्रंप बताएंगे कि यह डील कैसे होगी और पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे।

चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी, 17 साल बाद आया फैसला

#malegaonblastverdictmumbainiacourtconvictedallseven_accused

महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में 17 सालों बाद फैसला आ गया है। इस मामले में एआईए की स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि शक के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। केस की मुख्य आरोपी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर थीं। अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे।

कोर्ट ने जांच में कई खामियां बताईं

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियां बताईं। उन्होंने कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। डेढ़ दशक से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

नहीं मिला सबूत

जस्टिस लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं। बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला। कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इसके अलावा कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। एनआईए कोर्ट के जज ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा है कि बाइक किसने पार्क की।

कब क्या हुआ था?

नासिक के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को रमजान के पवित्र महीने में रात 9:35 मिनट पर मालेगांव की भिक्खू चौक पर शक्तिशाली विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।ब्लास्ट के दो हफ्ते बाद कुल 11 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इसमें कर्नल पुरोहित भी शामिल थे। पुरोहित अभिनव भारत नाम का संगठन चलाते थे। एटीएस ने इस मामलेमें जनवरी 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कुल 11 लोग आरोपी थी। इसके बाद मार्च, 2011 में यह मामला एनआईए को ट्रांसफर कर दिया गया था। मार्च, 2016 में एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें मकोका में चार्ज खत्म कर दिए थे।

पहला मामला जब किसी ब्लास्ट में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया

मालेगांव ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था। यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी। इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था। कोर्ट के फैसला सुनाने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे। ऐसे में कोर्ट को फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।

ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से एसुस एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर शुरू हुई 'ड्रॉप ज़ोन' सर्विस

नई दिल्ली/ लखनऊ । ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए ताइवान की टेक जायंट कंपनी, एसुस ने बुधवार को अपने एसुस एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर 'ड्रॉप ज़ोन' पहल का अनावरण किया। इस पहल के तहत ग्राहक किसी सर्विस सेंटर जाए बिना, सीधे स्टोर पर अपने लैपटॉप रिपेयर करने के लिए छोड़ सकते हैं। यह सुविधा उन्हें ज्यादा सहूलियत देगी और बिना किसी रुकावट के वे अपनी डिवाइस से जुड़े रह सकेंगे।

एसुस इंडिया ने देश में आफ्टर-सेल्स सर्विस का एक बेहद व्यापक नेटवर्क तैयार किया है। ग्राहक 200 से अधिक रणनीतिक रूप से स्थापित सर्विस सेंटर्स, 14,900 से अधिक पिन कोड्स में ऑन-साइट होम सपोर्ट और 761 जिलों में उपलब्ध सर्विस का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, कॉल, चैट, ईमेल और रिमोट ट्रबलशूटिंग जैसे ओम्नी-चैनल डिजिटल हेल्पडेस्क के जरिए एसुस 24x7 सहायता उपलब्ध कराता है। वहीं, मायएसुस ऐप और समर्पित यूट्यूब चैनल्स जैसे सेल्फ-सर्विस प्लेटफॉर्म्स से यूज़र्स कभी-भी और कहीं से भी अपनी समस्याओं का समाधान खुद कर सकते हैं।

दिल्ली, कोलकाता, नागपुर, मुंबई और कोयंबटूर (तिरुपुर) जैसे प्रमुख बाजारों से शुरू होकर यह पहल देश के बड़े शहरों तक अपनी पहुँच स्थापित करेगी और अब इसमें नए विकसित हो रहे शहरों और क्षेत्रों को भी शामिल किया जा रहा है।इस पहल के बारे में बात करते हुए, श्री अर्नोल्ड सू, वाइस प्रेसिडेंट- कंज़्यूमर और गेमिंग पीसी, सिस्टम बिज़नेस ग्रुप, एसुस इंडिया, ने कहा, "एसुस में हम मानते हैं कि किसी भी प्रोडक्ट का असल अनुभव सिर्फ उसकी इनोवेटिव डिज़ाइन और आधुनिक तकनीक तक ही सीमित नहीं होता है। इसी सोच के साथ हम अपनी जिम्मेदारी खरीद के बाद भी निभाते हैं, ताकि हर ग्राहक को निर्बाध और बेहतरीन आफ्टर-सेल्स सपोर्ट मिलता रहे और वह खुद को पूरी तरह सशक्त महसूस करे।

'ड्रॉप ज़ोन' पहल के जरिए हम ग्राहकों को यह सुविधा दे रहे हैं कि वे अपने लैपटॉप की देखरेख और मरम्मत आसानी से और बिना किसी परेशानी के करवा सकें, ताकि उनकी डिवाइस हमेशा बेहतरीन स्थिति में बनी रहे।"'ड्रॉप ज़ोन' पहल के साथ-साथ, एसुस इंडिया ने पुणे में एक सर्विस कैंप भी शुरू किया है, जहाँ ग्राहकों को ऑन-साइट डायग्नोस्टिक्स और विशेषज्ञ सलाह की सुविधा दी जा रही है। इस पहल का उद्देश्य ग्राहकों को पहले से ही तकनीकी सहायता प्रदान कर उनकी चिंता को कम करना है।

रांची में स्कूली छात्रा का अपहरण, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से सकुशल बरामद; अपराधी फरार

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बुधवार, 30 जुलाई 2025 को एक नाबालिग स्कूली छात्रा के अपहरण का सनसनीखेज मामला सामने आया। हालांकि, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से बच्ची को कुछ ही घंटों में सकुशल बरामद कर लिया गया। अपहरणकर्ता पुलिस के दबाव के चलते बच्ची को रामगढ़ जिले के कुज्जू में छोड़कर फरार हो गए।

सुबह स्कूल जाते वक्त हुई घटना

यह घटना आज सुबह उस वक्त हुई, जब 9 वर्षीय छात्रा ई-रिक्शा से स्कूल जा रही थी। रांची के सिरमटोली फ्लाईओवर के पास कार में सवार कुछ युवकों ने ई-रिक्शा के आगे अपनी गाड़ी लगा दी। स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अपहरणकर्ताओं ने बच्ची को जबरन अपनी कार में बिठाया और भाग गए।

रांची के सिटी डीएसपी कुमार वी रमन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि चुटिया थाना क्षेत्र से नाबालिग छात्रा का कथित तौर पर अपहरण किया गया था। पुलिस को सूचना मिलते ही तुरंत जांच शुरू कर दी गई।

फर्जी नंबर प्लेट और फायरिंग की भी सूचना

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने, जो नकाबपोश थे, घटना के दौरान तीन राउंड फायरिंग भी की। इसके बाद वे सुजाता चौक की ओर फरार हो गए। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि अपहरण के लिए इस्तेमाल की गई कार पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी। पुलिस अब कार के मालिक गोपाल सिंह की तलाश कर रही है।

डीएसपी रमन ने बताया कि पुलिस की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अपहरणकर्ताओं पर दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप वे बच्ची को रामगढ़ जिले के कुज्जू में छोड़कर भाग खड़े हुए। बच्ची पूरी तरह सुरक्षित है और उसे सकुशल बरामद कर लिया गया है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और अपराधियों की तलाश जारी है।

अंतरिक्ष में भारत रचने जा रहा एक और इतिहास, दुनिया के सबसे दमदार राडार निसार की लॉन्चिंग आज

#launchofnisarsatellitenasaandisrojoinedhands

दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार। नासा और इसरो इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। यह पहली बार है, जब भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस सैटेलाइट का निर्माण किया है। अब तक का सबसे महंगा और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

इस मिशन की अवधि 5 साल

यह उपग्रह अंतरिक्ष की खोज की दिशा में भारत और अमेरिका के सहयोग से पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है। इसके लिए दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय तक मानवीय तालमेल के अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जुगलबंदी हुई है, तब जाकर यह दिन देखने को मिला है। निसार उपग्रह का उद्देश्य सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट से संपूर्ण पृथ्वी का अध्ययन करना है। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। निसार 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों (उत्तर और दक्षिण) के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है।

धरती पर होने वाली हर हलचल का पता चलेगा

स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थ की सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह उपग्रह वनों पर पड़ने वाले मौसमी प्रभाव, पहाड़ों में बदलाव, ग्लेशियर की गतिविधियों की जानकारी जुटाएगा। इसके तहत इसका ध्यान मूल रूप से हिमालय और अंटार्टिका के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में रहेगा

निसार के लॉन्च के बाद का प्लान

लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या ऑर्बिट में इसकी गतिविधियों की निगरानी होगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिट में छानबीन से ऑब्जर्वेटरी को वैज्ञानिक कार्यों की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। निसार मिशन को दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन की सहायता मिलेगी। यहीं पर इससे प्राप्त इमेज को डाउनलोड किया जा सकेगा, जिन्हें आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाएगा।