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वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन, किस-किस ने दिया समर्थन, जानें कौन क्या बोला?*

#waqfbillprotestjantarmantar

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शन कारियों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश कर रही है। साथ ही जेपीसी पर विपक्ष के विचारों पर भी विचार नहीं करने का भी आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए।

अबू तालिब का पीएम मोदी पर तंज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अबू तालिब रहमानी ने कहा कि हम यहां लड़ने, धमकाने, या समुदाय को ललकारने नहीं बल्कि अपने हकों के लिए आए हैं। अगर शाकाहारी पत्नी मांसाहारी पति के साथ रह सकती है तो देश में हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम कहते हैं बचपन में ईद पर खाना नहीं बनता है। हम आज भी शाकाहारी खाना भेज सकते हैं। आपकी मोहब्बत का दरवाजा बंद हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी ने बड़ी नाइंसाफी से काम लिया है। स्टेकहोल्डर को छोड़कर जो स्टेकहोल्डर नहीं हैं, उनसे बात कर रहे हैं। कहीं आप श्रीलंका ना चले जाए। आपको बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है देश का हुसैन अच्छा नहीं लगता है।

महमूद मदनी के गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने भी इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान का मामला है। हमारे घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ के जरिए संविधान पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश हो रही है।

मदनी ने आगे कहा, हमें हर हाल में इसकी मुखालफत करनी होगी। यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी समुदायों को एकजुट होना होगा। बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। केवल सड़कों पर प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी का सरकार पर तीखा हमला

वहीं, प्रदर्शन में सामिल असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि फसाद कराने के लिए लाया गया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक पर आगे की रणनीति तय करेगा और संसद में इसका विरोध किया जाएगा।

महुआ मोइत्रा ने क् कहा

जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, जब अयोध्या के राम मंदिर बोर्ड में किसी मुस्लिम को शामिल नहीं किया जा सकता। तो वक्फ बोर्ड में हिंदू को कैसे शामिल किया जा सकता है? ये मुस्लिमों की संपत्ति को छिनने के लिए है। उन्होंने आगे कहा, जो बातें 30 साल पहले बंद कमरों में होती थीं, वे अब खुले मंचों से कही जा रही हैं। देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, वैसा ही जर्मनी में भी हुआ था।

वक्फ की जमीनों को उद्योगपति को देना चाहती सरकार -इमरान प्रतापगढ़ी

जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि बहुत विरोध हो रहा है, यह अच्छी बात है कि संगठन लोकतांत्रिक तरीके से उस तानाशाही का विरोध कर रहे हैं, जिसे सरकार थोपने की कोशिश कर रही है। क्या वे वक्फ की जमीनों को लूटकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देना चाहते हैं? अगर वे जेपीसी सदस्यों की राय नहीं सुनने वाले थे तो उन्होंने जेपीसी क्यों बनाई।

वक्फ विधेयक के खिलाफ आज प्रदर्शन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मिला कांग्रेस समेत कई दलों का साथ

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज जंतर मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना प्रदर्शन है। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ धरने में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। इस धरने में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल शामिल हो रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव स्वायत्तता के लिए खतरा है। वक्फ बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसलिए पूरे देश में विरोध किया जा रहा है।

नायडू-नीतीश को भी निमंत्रण

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाला प्रदर्शन में सभी दलों, संगठनों और समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। आयोजकों ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद किसी सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि समुदाय के हक की रक्षा करना है।

सदन में भी हंगामे के आसार

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सदन में हंगामा हो सकता है। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है। वहीं, सरकार हर हाल में इस बिल को पास कराना चाहती है। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना चाहती है। क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दे सुलझेंगे। संसद की संयुक्त समिति ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस बिल पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की थी। इसलिए सरकार के लिए वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना प्राथमिकता है।

पहले 13 मार्च को होना था प्रदर्शन

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिल्लत-ए-इस्लामिया वक्फ संशोधन बिल को खारिज करता है।

राज्यसभा में वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश, मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया फर्जी, कहा- हम नहीं मानेंगे

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संसद के बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई। राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट मेधा कुलकर्णी ने पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे कई सदस्य असहमत हैं। खरगे ने जेपीसी की रिपोर्च को फर्जी और अलोकतांत्रिक करार दिया।

खरगे ने कहा- असंसदीय रिपोर्ट

राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, विपक्ष की ओर से जो सुझाव दिए गए थे उनको कंसीडर ही नहीं किया गया। नॉन स्टेक होल्डर को बाहर से बुलाकर उनका स्टेक ले रहे हैं। क्या हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। जानकार नहीं हैं। डिसेंट नोट पर आपको बोलना चाहिए था। ऐसी फर्जी रिपोर्ट को हम कभी नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि बाहर से सदस्यों को आमंत्रित कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसी असंसदीय रिपोर्ट को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि अगर रिपोर्ट में असहमति के स्वर को जगह नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में इसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को हर हाल में वापस किया जाना चाहिए।

टीएमसी ने राज्यसभा का किया वॉकआउट*

वहीं, टीएमसी ने वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट टेबल करने के दौरान वॉक आउट किया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि ये लोकतंत्र में कैसे होगा कि आपने हमारे डिसेंट को नोट नहीं लिया। राज्य सभा में पेश कर दिया। इसलिए हमने विरोध किया कि यह रिपोर्ट जल्दबाजी में आई है।

जगदंबिका पाल ने ओम बिरला को सौंपी वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट, बजट सत्र में संसद में की जाएगी पेश

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वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने गुरुवार को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी। इस दौरान जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे सहित अन्य भाजपा सांसद मौजूद रहे। विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया।जेपीसी ने एक दिन पहले ही ड्रॉफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई।

समिति ने बुधवार को 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था, जिसमें बीजेपी के सदस्यों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया है। वहीं विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। इस समिति की रिपोर्ट को विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। विपक्षी पार्टी के सदस्यों का आरोप है कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा।

बजट सत्र में पेश की जाएगी रिपोर्ट

जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान पेश करेगी। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। सेंट्रल बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है।

8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के जेपीसी को भेज दिया गया था। वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय जेपीसी की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी

जेपीसी में हंगामे के बाद निलंबित हुए थे 10 मेंबर्स

जेपीसी की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों के कारण ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को संसद में जल्दी पेश करने पर जोर दे रही है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की कार्यवाही एक तमाशा बन गई है। समिति ने बनर्जी-ओवैसी सहित 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया।

वक्फ बोर्ड को मिली जेपीसी की हरी झंडी, विपक्ष ने जताई असहमति, शुरू हुआ वार-पलटवार

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर बुधवार को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की बैठक हुई है। इस दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट 14 से 11 वोटों से पारित हो गई है। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को कहा समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया। सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम चार बजे तक का समय दिया गया है। विपक्षी सांसदों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपने असहमति नोट तैयार करने के लिए बहुत कम समय दिया गया।

जेपीसी की बैठक पर कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा, कई आपत्तियां और सुझाव आए थे जिन्हें इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। सरकार ने अपने अनुसार रिपोर्ट बनाई है. असंवैधानिक संशोधन लाए गए हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया गया है। अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए संशोधन लाए गए हैं।

वहीं, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर हुई जेपीसी की बैठक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, हमें कल रात 655 पन्नों की रिपोर्ट मिली। रात भर 655 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ना असंभव है। मैंने उन संशोधनों के खिलाफ असहमति रिपोर्ट दी है जो वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं है। मैं संसद में भी इस विधेयक का विरोध करूंगा।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, मैंने अपना असहमति नोट दे दिया है। हमें कल रात 7:55 बजे 656 पन्नों का मसौदा रिपोर्ट मिला। पीड़ितों के बयान पर गौर नहीं किया गया है। हमने विचार-विमर्श के दौरान जो कहा उस पर ध्यान नहीं दिया गया। सवाल यह उठता है कि हितधारकों की जो राय हमने व्यक्त की, वह चेयरमैन को पसंद क्यों नहीं आई? मेरे हिसाब से जेपीसी की कार्यवाही मखौल बनकर रह गई है।

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। इस बीच समिति के सदस्यों के बीच तनातनी देखने मिली। जहां एक तरफ सरकार ने इसे सफलता बताया तो वहीं विपक्ष ने कहा कि उनकी बातें नहीं सुनी गई।

विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेपीसी की बैठक खत्म हो चुकी है। जेपीसी ने 11 के मुकाबले 14 वोट से स्वीकार कर लिया। इससे पहले जेपीसी ने सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सदस्यों ने प्रस्तावित 14 संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। विपक्षी सांसदों ने 44 बदलाव पेश किए थे जिन्हें खारिज कर दिया गया था।

वक्फ कानून में संशोधन के सभी 14 प्रस्ताव पास, विपक्ष के सभी सुझाव संसदीय समिति से खारिज

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वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा कर रही ज्‍वाइंट पार्लियामेंट कमेटी यानी जेपीसी ने सोमवार को बीजेपी और एनडीए के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। संसदीय समिति ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इस दौरान विपक्ष द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को ठुकरा दिया गया।जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।

जेपीसी की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा हुई। 6 महीने के दौरान विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए समिति द्वारा बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इस पर वोटिंग हुई। मगर उनके के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े। इसके बाद विपक्षी दलों को संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।

जगदंबिका पाल पर तानाशाही का आरोप

वहीं, विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया।

जगदंबिका पाल ने आरोपों को खारिज किया

हालांकि जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। विधेयक में जो अहम संशोधन प्रस्तावित हैं, उनमें से एक ये है कि मौजूदा कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इसे हटा दिया गया है।

संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव

वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।

वक्फ पर जेपीसी की बैठक में बवाल, बुलाना पड़ा मार्शल, ओवैसी-कल्याण समेत 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड

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वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा के गठित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे में तीखी नोकझोंक हुई। देखते ही देखते बैठक में हंगामा शुरू हो गया। हालात काबू में न आते देख मार्शल बुलाए गए। जिसके बाद 10 सांसदों को समिति की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया और बैठक को 27 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब जेपीसी की बैठक में हंगामा हुआ हो। इससे पहले भी इस बैठक में विवाद हो चुके हैं।

बैठक में बिल पर क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा होगी और रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। मगर बैठक के पहले दिन ही इस पर जमकर हंगामा हो गया। वक्फ पर बनी जेपीसी में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा हंगामे के पीछे का मुख्य कारण समिति के सदस्यों की ये मांग थी कि रिपोर्ट एडॉप्ट की तारीख को 31 जनवरी किया जाए। समिति की रिपोर्ट तैयार करने से पहले क्लॉज दर क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा के लिए पहले 24 और 25 जनवरी की तारीख तय की गई थी। लेकिन कल गुरुवार की देर रात वो तिथि चेंज करके 27 जनवरी कर दी गई थी।

बताया जा रहा है कि कल्याण बनर्जी ने पूछा कि बैठक को इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया जा रहा है। इस पर निशिकांत दुबे ने आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल हैं।

समिति में विपक्षी दलों के सांसदों की ये मांग थी कि क्लॉज बाय क्लॉज के लिए बैठक 27 जनवरी की जगह 31 जनवरी कर दिया जाए। अरविंद सावंत ने कहा कि समय नहीं दिया, जल्दबाजी कर रहे हैं। 10 सदस्यों को आज भर के लिए सस्पेंड कर दिया है। हम 31 को क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा चाहते थे पर ये 27 जनवरी पर अड़े हैं।

जेपीसी की बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने किए तीखे सवाल, संपत्तियों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
#shia_waqf_board_in_jpc_meeting_ask_question_about_waqf_property
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर जेपीसी की बैठक संपन्न गई है। जिसमें जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, जेपीसी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी समेत 11 सदस्य शामिल हुए। बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और दीगर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए। जेपीसी बिल पर मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों से सुझाव और आपत्तियां ली गईं। इस दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। शिया वक्फ बोर्ड ने कई कानूनी पहलू भी जेपीसी के सामने रखे।

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा, मसौदे में ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात है। ऐसे में सवाल यह है, अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा। उन्होंने जेपीसी को बताया कि इमामबाड़े, दरगाहें, खानकाहें, कर्बलाएं और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं। मगर, वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं। इनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।

बैठक में शामिल उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी। राजभर के मुताबिक सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते अगस्त में संसद में वक्फ विधेयक-2024 पेश किया था। इसके जरिए साल 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधन में बदलाव करने का प्रस्ताव है। लोकसभा में पेश होने के बाद इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय कमेटी गठित कर उसके सुपुर्द दिया गया था। यह जेपीसी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित हुई है।
अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी वक्फ अधिनियम में करेंगे संशोधन', अमित शाह का बड़ा दावा*
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं के विरोध के बावजूद वक्फ अधिनियम में संशोधन करेंगे। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के उमरखेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मोदी जी वक्फ बोर्ड के कानून को बदलना चाहते हैं। लेकिन उद्धव जी, शरद पवार और सुप्रिया सुले इसका विरोध कर रहे हैं।अमित शाह ने कहा कि उद्धव जी कान खोलकर सुन लीजिए, आप सभी जितना विरोध करना चाहते हैं कर लीजिए, लेकिन मोदी जी वक्फ का कानून बदलकर रहेंगे। *'कौरव' एमवीए का प्रतिनिधित्व कर रही* शाह ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को होने वाले मतदान में दो खेमे हैं। उन्होंने कहा कि एक ‘पांडवों’ का है।जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति कर रही है और दूसरा 'कौरव' जिसका प्रतिनिधित्व महा विकास अघाड़ी कर रही है। उद्धव ठाकरे का दावा है कि उनकी शिवसेना असली है। क्या असली शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के खिलाफ जा सकती है? क्या असली शिवसेना अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने के खिलाफ जा सकती है? असली शिवसेना भाजपा के साथ खड़ी है। *कांग्रेस अपने वादे पूरे नहीं करती-शाह* शाह ने आगे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल बाबा कहते थे कि उनकी सरकार लोगों के खातों में तुरंत पैसे जमा करेगी। आप हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने वादा किया है कि लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुनिया की कोई भी ताकत इसे हमसे नहीं छीन सकती।
वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन, किस-किस ने दिया समर्थन, जानें कौन क्या बोला?*

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शन कारियों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश कर रही है। साथ ही जेपीसी पर विपक्ष के विचारों पर भी विचार नहीं करने का भी आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए।

अबू तालिब का पीएम मोदी पर तंज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अबू तालिब रहमानी ने कहा कि हम यहां लड़ने, धमकाने, या समुदाय को ललकारने नहीं बल्कि अपने हकों के लिए आए हैं। अगर शाकाहारी पत्नी मांसाहारी पति के साथ रह सकती है तो देश में हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम कहते हैं बचपन में ईद पर खाना नहीं बनता है। हम आज भी शाकाहारी खाना भेज सकते हैं। आपकी मोहब्बत का दरवाजा बंद हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी ने बड़ी नाइंसाफी से काम लिया है। स्टेकहोल्डर को छोड़कर जो स्टेकहोल्डर नहीं हैं, उनसे बात कर रहे हैं। कहीं आप श्रीलंका ना चले जाए। आपको बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है देश का हुसैन अच्छा नहीं लगता है।

महमूद मदनी के गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने भी इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान का मामला है। हमारे घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ के जरिए संविधान पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश हो रही है।

मदनी ने आगे कहा, हमें हर हाल में इसकी मुखालफत करनी होगी। यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी समुदायों को एकजुट होना होगा। बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। केवल सड़कों पर प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी का सरकार पर तीखा हमला

वहीं, प्रदर्शन में सामिल असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि फसाद कराने के लिए लाया गया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक पर आगे की रणनीति तय करेगा और संसद में इसका विरोध किया जाएगा।

महुआ मोइत्रा ने क् कहा

जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, जब अयोध्या के राम मंदिर बोर्ड में किसी मुस्लिम को शामिल नहीं किया जा सकता। तो वक्फ बोर्ड में हिंदू को कैसे शामिल किया जा सकता है? ये मुस्लिमों की संपत्ति को छिनने के लिए है। उन्होंने आगे कहा, जो बातें 30 साल पहले बंद कमरों में होती थीं, वे अब खुले मंचों से कही जा रही हैं। देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, वैसा ही जर्मनी में भी हुआ था।

वक्फ की जमीनों को उद्योगपति को देना चाहती सरकार -इमरान प्रतापगढ़ी

जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि बहुत विरोध हो रहा है, यह अच्छी बात है कि संगठन लोकतांत्रिक तरीके से उस तानाशाही का विरोध कर रहे हैं, जिसे सरकार थोपने की कोशिश कर रही है। क्या वे वक्फ की जमीनों को लूटकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देना चाहते हैं? अगर वे जेपीसी सदस्यों की राय नहीं सुनने वाले थे तो उन्होंने जेपीसी क्यों बनाई।

वक्फ विधेयक के खिलाफ आज प्रदर्शन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मिला कांग्रेस समेत कई दलों का साथ

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज जंतर मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना प्रदर्शन है। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ धरने में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। इस धरने में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल शामिल हो रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव स्वायत्तता के लिए खतरा है। वक्फ बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसलिए पूरे देश में विरोध किया जा रहा है।

नायडू-नीतीश को भी निमंत्रण

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाला प्रदर्शन में सभी दलों, संगठनों और समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। आयोजकों ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद किसी सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि समुदाय के हक की रक्षा करना है।

सदन में भी हंगामे के आसार

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सदन में हंगामा हो सकता है। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है। वहीं, सरकार हर हाल में इस बिल को पास कराना चाहती है। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना चाहती है। क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दे सुलझेंगे। संसद की संयुक्त समिति ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस बिल पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की थी। इसलिए सरकार के लिए वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना प्राथमिकता है।

पहले 13 मार्च को होना था प्रदर्शन

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिल्लत-ए-इस्लामिया वक्फ संशोधन बिल को खारिज करता है।

राज्यसभा में वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश, मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया फर्जी, कहा- हम नहीं मानेंगे

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संसद के बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई। राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट मेधा कुलकर्णी ने पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे कई सदस्य असहमत हैं। खरगे ने जेपीसी की रिपोर्च को फर्जी और अलोकतांत्रिक करार दिया।

खरगे ने कहा- असंसदीय रिपोर्ट

राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, विपक्ष की ओर से जो सुझाव दिए गए थे उनको कंसीडर ही नहीं किया गया। नॉन स्टेक होल्डर को बाहर से बुलाकर उनका स्टेक ले रहे हैं। क्या हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। जानकार नहीं हैं। डिसेंट नोट पर आपको बोलना चाहिए था। ऐसी फर्जी रिपोर्ट को हम कभी नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि बाहर से सदस्यों को आमंत्रित कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसी असंसदीय रिपोर्ट को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि अगर रिपोर्ट में असहमति के स्वर को जगह नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में इसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को हर हाल में वापस किया जाना चाहिए।

टीएमसी ने राज्यसभा का किया वॉकआउट*

वहीं, टीएमसी ने वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट टेबल करने के दौरान वॉक आउट किया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि ये लोकतंत्र में कैसे होगा कि आपने हमारे डिसेंट को नोट नहीं लिया। राज्य सभा में पेश कर दिया। इसलिए हमने विरोध किया कि यह रिपोर्ट जल्दबाजी में आई है।

जगदंबिका पाल ने ओम बिरला को सौंपी वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट, बजट सत्र में संसद में की जाएगी पेश

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वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने गुरुवार को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी। इस दौरान जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे सहित अन्य भाजपा सांसद मौजूद रहे। विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया।जेपीसी ने एक दिन पहले ही ड्रॉफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई।

समिति ने बुधवार को 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था, जिसमें बीजेपी के सदस्यों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया है। वहीं विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। इस समिति की रिपोर्ट को विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। विपक्षी पार्टी के सदस्यों का आरोप है कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा।

बजट सत्र में पेश की जाएगी रिपोर्ट

जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान पेश करेगी। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। सेंट्रल बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है।

8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के जेपीसी को भेज दिया गया था। वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय जेपीसी की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी

जेपीसी में हंगामे के बाद निलंबित हुए थे 10 मेंबर्स

जेपीसी की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों के कारण ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को संसद में जल्दी पेश करने पर जोर दे रही है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की कार्यवाही एक तमाशा बन गई है। समिति ने बनर्जी-ओवैसी सहित 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया।

वक्फ बोर्ड को मिली जेपीसी की हरी झंडी, विपक्ष ने जताई असहमति, शुरू हुआ वार-पलटवार

#parliament_panel_adopts_draft_waqf_bill_2024

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर बुधवार को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की बैठक हुई है। इस दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट 14 से 11 वोटों से पारित हो गई है। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को कहा समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया। सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम चार बजे तक का समय दिया गया है। विपक्षी सांसदों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपने असहमति नोट तैयार करने के लिए बहुत कम समय दिया गया।

जेपीसी की बैठक पर कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा, कई आपत्तियां और सुझाव आए थे जिन्हें इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। सरकार ने अपने अनुसार रिपोर्ट बनाई है. असंवैधानिक संशोधन लाए गए हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया गया है। अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए संशोधन लाए गए हैं।

वहीं, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर हुई जेपीसी की बैठक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, हमें कल रात 655 पन्नों की रिपोर्ट मिली। रात भर 655 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ना असंभव है। मैंने उन संशोधनों के खिलाफ असहमति रिपोर्ट दी है जो वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं है। मैं संसद में भी इस विधेयक का विरोध करूंगा।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, मैंने अपना असहमति नोट दे दिया है। हमें कल रात 7:55 बजे 656 पन्नों का मसौदा रिपोर्ट मिला। पीड़ितों के बयान पर गौर नहीं किया गया है। हमने विचार-विमर्श के दौरान जो कहा उस पर ध्यान नहीं दिया गया। सवाल यह उठता है कि हितधारकों की जो राय हमने व्यक्त की, वह चेयरमैन को पसंद क्यों नहीं आई? मेरे हिसाब से जेपीसी की कार्यवाही मखौल बनकर रह गई है।

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। इस बीच समिति के सदस्यों के बीच तनातनी देखने मिली। जहां एक तरफ सरकार ने इसे सफलता बताया तो वहीं विपक्ष ने कहा कि उनकी बातें नहीं सुनी गई।

विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेपीसी की बैठक खत्म हो चुकी है। जेपीसी ने 11 के मुकाबले 14 वोट से स्वीकार कर लिया। इससे पहले जेपीसी ने सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सदस्यों ने प्रस्तावित 14 संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। विपक्षी सांसदों ने 44 बदलाव पेश किए थे जिन्हें खारिज कर दिया गया था।

वक्फ कानून में संशोधन के सभी 14 प्रस्ताव पास, विपक्ष के सभी सुझाव संसदीय समिति से खारिज

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वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा कर रही ज्‍वाइंट पार्लियामेंट कमेटी यानी जेपीसी ने सोमवार को बीजेपी और एनडीए के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। संसदीय समिति ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इस दौरान विपक्ष द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को ठुकरा दिया गया।जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।

जेपीसी की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा हुई। 6 महीने के दौरान विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए समिति द्वारा बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इस पर वोटिंग हुई। मगर उनके के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े। इसके बाद विपक्षी दलों को संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।

जगदंबिका पाल पर तानाशाही का आरोप

वहीं, विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया।

जगदंबिका पाल ने आरोपों को खारिज किया

हालांकि जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। विधेयक में जो अहम संशोधन प्रस्तावित हैं, उनमें से एक ये है कि मौजूदा कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इसे हटा दिया गया है।

संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव

वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।

वक्फ पर जेपीसी की बैठक में बवाल, बुलाना पड़ा मार्शल, ओवैसी-कल्याण समेत 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड

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वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा के गठित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे में तीखी नोकझोंक हुई। देखते ही देखते बैठक में हंगामा शुरू हो गया। हालात काबू में न आते देख मार्शल बुलाए गए। जिसके बाद 10 सांसदों को समिति की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया और बैठक को 27 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब जेपीसी की बैठक में हंगामा हुआ हो। इससे पहले भी इस बैठक में विवाद हो चुके हैं।

बैठक में बिल पर क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा होगी और रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। मगर बैठक के पहले दिन ही इस पर जमकर हंगामा हो गया। वक्फ पर बनी जेपीसी में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा हंगामे के पीछे का मुख्य कारण समिति के सदस्यों की ये मांग थी कि रिपोर्ट एडॉप्ट की तारीख को 31 जनवरी किया जाए। समिति की रिपोर्ट तैयार करने से पहले क्लॉज दर क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा के लिए पहले 24 और 25 जनवरी की तारीख तय की गई थी। लेकिन कल गुरुवार की देर रात वो तिथि चेंज करके 27 जनवरी कर दी गई थी।

बताया जा रहा है कि कल्याण बनर्जी ने पूछा कि बैठक को इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया जा रहा है। इस पर निशिकांत दुबे ने आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल हैं।

समिति में विपक्षी दलों के सांसदों की ये मांग थी कि क्लॉज बाय क्लॉज के लिए बैठक 27 जनवरी की जगह 31 जनवरी कर दिया जाए। अरविंद सावंत ने कहा कि समय नहीं दिया, जल्दबाजी कर रहे हैं। 10 सदस्यों को आज भर के लिए सस्पेंड कर दिया है। हम 31 को क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा चाहते थे पर ये 27 जनवरी पर अड़े हैं।

जेपीसी की बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने किए तीखे सवाल, संपत्तियों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर जेपीसी की बैठक संपन्न गई है। जिसमें जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, जेपीसी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी समेत 11 सदस्य शामिल हुए। बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और दीगर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए। जेपीसी बिल पर मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों से सुझाव और आपत्तियां ली गईं। इस दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। शिया वक्फ बोर्ड ने कई कानूनी पहलू भी जेपीसी के सामने रखे।

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा, मसौदे में ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात है। ऐसे में सवाल यह है, अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा। उन्होंने जेपीसी को बताया कि इमामबाड़े, दरगाहें, खानकाहें, कर्बलाएं और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं। मगर, वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं। इनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।

बैठक में शामिल उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी। राजभर के मुताबिक सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते अगस्त में संसद में वक्फ विधेयक-2024 पेश किया था। इसके जरिए साल 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधन में बदलाव करने का प्रस्ताव है। लोकसभा में पेश होने के बाद इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय कमेटी गठित कर उसके सुपुर्द दिया गया था। यह जेपीसी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित हुई है।
अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी वक्फ अधिनियम में करेंगे संशोधन', अमित शाह का बड़ा दावा*
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं के विरोध के बावजूद वक्फ अधिनियम में संशोधन करेंगे। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के उमरखेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मोदी जी वक्फ बोर्ड के कानून को बदलना चाहते हैं। लेकिन उद्धव जी, शरद पवार और सुप्रिया सुले इसका विरोध कर रहे हैं।अमित शाह ने कहा कि उद्धव जी कान खोलकर सुन लीजिए, आप सभी जितना विरोध करना चाहते हैं कर लीजिए, लेकिन मोदी जी वक्फ का कानून बदलकर रहेंगे। *'कौरव' एमवीए का प्रतिनिधित्व कर रही* शाह ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को होने वाले मतदान में दो खेमे हैं। उन्होंने कहा कि एक ‘पांडवों’ का है।जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति कर रही है और दूसरा 'कौरव' जिसका प्रतिनिधित्व महा विकास अघाड़ी कर रही है। उद्धव ठाकरे का दावा है कि उनकी शिवसेना असली है। क्या असली शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के खिलाफ जा सकती है? क्या असली शिवसेना अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने के खिलाफ जा सकती है? असली शिवसेना भाजपा के साथ खड़ी है। *कांग्रेस अपने वादे पूरे नहीं करती-शाह* शाह ने आगे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल बाबा कहते थे कि उनकी सरकार लोगों के खातों में तुरंत पैसे जमा करेगी। आप हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने वादा किया है कि लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुनिया की कोई भी ताकत इसे हमसे नहीं छीन सकती।