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अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी वक्फ अधिनियम में करेंगे संशोधन', अमित शाह का बड़ा दावा*
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं के विरोध के बावजूद वक्फ अधिनियम में संशोधन करेंगे। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के उमरखेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मोदी जी वक्फ बोर्ड के कानून को बदलना चाहते हैं। लेकिन उद्धव जी, शरद पवार और सुप्रिया सुले इसका विरोध कर रहे हैं।अमित शाह ने कहा कि उद्धव जी कान खोलकर सुन लीजिए, आप सभी जितना विरोध करना चाहते हैं कर लीजिए, लेकिन मोदी जी वक्फ का कानून बदलकर रहेंगे। *'कौरव' एमवीए का प्रतिनिधित्व कर रही* शाह ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को होने वाले मतदान में दो खेमे हैं। उन्होंने कहा कि एक ‘पांडवों’ का है।जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति कर रही है और दूसरा 'कौरव' जिसका प्रतिनिधित्व महा विकास अघाड़ी कर रही है। उद्धव ठाकरे का दावा है कि उनकी शिवसेना असली है। क्या असली शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के खिलाफ जा सकती है? क्या असली शिवसेना अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने के खिलाफ जा सकती है? असली शिवसेना भाजपा के साथ खड़ी है। *कांग्रेस अपने वादे पूरे नहीं करती-शाह* शाह ने आगे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल बाबा कहते थे कि उनकी सरकार लोगों के खातों में तुरंत पैसे जमा करेगी। आप हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने वादा किया है कि लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुनिया की कोई भी ताकत इसे हमसे नहीं छीन सकती।
రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యం

రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యమని ఎమ్మెల్యే మర్రి రాజశేఖర్‌ రెడ్డి అన్నారు. మల్కాజిగిరి సర్కిల్‌ పరిధిలోని వక్ఫ్‌ బోర్డు భూములని(Waqf Board Lands) కొన్ని సర్వే నంబర్లలో రిజిస్ట్రేషన్‌లను నిలిపివేయడంలో ప్రజలలో గందరగోళం ఏర్పడిందన్నారు.

రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యమని ఎమ్మెల్యే మర్రి రాజశేఖర్‌ రెడ్డి అన్నారు. శుక్రవారం బోయిన్‌పల్లి క్యాంప్‌ కార్యాలయంలో ఎమ్మెల్యే (MLA Rajasekhar Reddy) మాట్లాడుతూ.. మల్కాజిగిరి సర్కిల్‌ పరిధిలోని వక్ఫ్‌ బోర్డు భూములని(Waqf Board Lands) కొన్ని సర్వే నంబర్లలో రిజిస్ట్రేషన్‌లను నిలిపివేయడంలో ప్రజలలో గందరగోళం ఏర్పడిందన్నారు. కొన్ని దశాబ్దాలుగా అన్ని రకాల ప్రభుత్వ పన్నులు కట్టి 40గజాలు, 50గజాలు, 100గజాలలో పేదలు ఇండ్లు కట్టుకుని నివసిస్తున్నారని పేర్కొన్నారు.

ప్రభుత్వం విద్యుత్‌ కనెక్షన్‌లు, సీసీ రోడ్లు, స్ట్రీట్‌ లైట్లు, డ్రైనేజీ సౌకర్యం కల్పించాయి. పేదల కోసం వక్ఫ్‌ బోర్డు కొన్ని సవరణలు చేయాల్సిఉందని, లేదంటే ప్రజల పక్షాన నిలబడి వారికి చట్ట బద్దంగా న్యాయం జరిగేలా పోరాటం చేస్తామని అన్నారు. వక్ఫ్‌ బోర్డు తమ భూమిఅని చెబుతున్న సర్వే నంబర్‌ 398, 399లో దాదాపు 20ఎకరాల ఖాళీగా ఉన్న భూమి రిజిస్ట్రేషన్‌ చట్టం సెక్షన్‌ 22ఎ నిషేధిత జాబితాలో ఉన్న ఆ ఖాళీ భూమిని తమదంటూ ఇతరులు స్థానిక పోలీసుల సహకారంతో కబ్జాలో ఉన్నారని అన్నారు.

ఈ భూమిని కాపాడాల్సిన వక్ఫ్‌ బోర్డు సీఈఓ, జిల్లా ఇన్‌స్పెక్టర్‌ ఆఫ్‌ ఆడిటర్‌(వక్ఫ్‌), మూతవాలి వక్ఫ్‌ బోర్డు చట్టం సెక్షన్‌ 52ఎ కింద కేసులు నమోదు చేయడంలో విఫలమయరన్నారు. ఇప్పటికైనా ఆ భూమిని కాపాడాలని, కబ్జా చేసిన వారిపై వక్ఫ్‌ బోర్డు చట్టం సెక్షన్‌ 52ఎ కింద పోలీస్‌ స్టేషన్‌లో క్రిమినల్‌ కేసు నమోదు చేయాలని ఎమ్మెల్యే డిమాండ్‌ చేశారు. పేద ప్రజల కోసం న్యాయపరంగా ఏ సాయం చేయడానికైనా సిద్ధంగా ఉన్నామని ఎమ్మెల్యే తెలిపారు.

झारखंड में अमित शाह ने कहा, 'वक्फ बोर्ड जमीन हड़प रहा है, अब बदलाव करने का समय आ गया है'

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Union Minister Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया और कहा कि अब समय आ गया है कि बोर्ड में बदलाव किए जाएं और संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जाए, पीटीआई ने बताया।

झारखंड के बाघमारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि कोई भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन को नहीं रोक सकता, जो "घुसपैठियों को रोकने के लिए आवश्यक है", और उन्होंने आदिवासियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। वक्फ बोर्ड को जमीन हड़पने की आदत है। कर्नाटक में इसने ग्रामीणों की संपत्ति हड़प ली है, इसने मंदिरों, किसानों और ग्रामीणों की जमीनें हड़प ली हैं। मुझे बताएं कि वक्फ बोर्ड में बदलाव की जरूरत है या नहीं," पीटीआई के अनुसार शाह ने रैली में कहा।

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि दोनों ही वक्फ बोर्ड में बदलाव का विरोध करते हैं।

"हेमंत बाबू और राहुल गांधी कहते हैं कि नहीं। मैं आपको बताता हूं कि उन्हें इसका विरोध करने दें, भाजपा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधेयक पारित करेगी। हमें कोई नहीं रोक सकता," शाह ने कहा।

'ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा'

मंगलवार की रैली में, अमित शाह ने यह भी दावा किया कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है तो "ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा"। पीटीआई के अनुसार, उन्होंने सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार पर घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बनाने का भी आरोप लगाया। शाह ने दावा किया कि "झारखंड में घुसपैठ को रोकने के उद्देश्य से समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता है, और आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा।" गृह मंत्री ने यह भी वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह अगले पांच वर्षों में झारखंड को देश का सबसे समृद्ध राज्य बना देगी।

उन्होंने कहा, "झारखंड में खनिज आधारित उद्योग स्थापित किए जाएंगे।" और ऐसा माहौल तैयार करना होगा जिससे कोई भी दूसरे राज्यों में पलायन न करे।

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

वक्फ बिल की राह में रोड़ा बनेगी टीडीपी? जानें संसद सत्र से पहले कैसे बढ़ी भाजपा की टेंशन

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केन्द्र सरकार वक्फ़ संशोधन बिल योजना लाने की तैयारी में है। संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार मुख्य रूप से वक्फ विधेयक को पारित करने का पूरा प्रयास करेगी।संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो सकता है। हालांकि, इससे पहले केन्द्र की बीजेपी की अगुवाई वाली नरेन्द्र मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। दरअसल, संसद के शीतकाली सत्र से पहले एनडीए के घटक दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। टीडीपी के नेता और आंध्र पदेश इकाई के उपाध्यक्ष नवाब जान का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि सबको मिलकर वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकना चाहिए।

चंद्रबाबू नायडू के कहने पर जेपीसी का गठन?

टीडीपी के उपाध्यक्ष नवाब जान उर्फ अमीर बाबू ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के दिलों में दर्द पैदा कर रहा है। उनका कहना है कि चंद्रबाबू नायडू के कहने पर ही वक्फ संशोधन बिल को लेकर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) का गठन किया गया है। नवाब जान ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के अनुसार इस बिल को लेकर सभी का राय मशवि‍रा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस मुद्दे पर राय मशविरा चल रहा है और चंद्रबाबू नायडू ने सभी से सर्वे करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि यह आवश्यक है कि इस विषय पर सभी पक्षों की बात सुनी जाए।

“नायडू के शासन में मुसलमानों को बहुत लाभ मिले”

नवाब जान ने कहा कि, चंद्रबाबू हमेशा कहते रहे हैं कि उनकी दो आंखें हैं- एक हिंदू और एक मुस्लिम। एक आंख को नुकसान पहुंचाने से पूरे शरीर पर असर पड़ता है और हमें विकास के पथ पर आगे बढ़ते समय इसे ध्यान में रखना चाहिए। नवाब जान ने ये भी कहा कि देश की आजादी के बाद से नायडू के शासन में मुसलमानों को जो लाभ मिले वे अभूतपूर्व हैं।

बता दें कि रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में संविधान बचाओ सम्मेलन किया था। इसमें नवाब ने लोगों से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद में पारित होने से रोकने के लिए एकजुट होने की अपील की।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने क्या कहा?

टीडीपी उपाध्यक्ष के बयान के बाद से इस विधेयक के पारित होने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। वहीं, जमीयत ने टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार से इस मामले में मुसलमानों की भावनाओं पर ध्यान देने की गुजारिश की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा- अगर वक्फ बिल पास होता है तो टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे, क्योंकि केंद्र सरकार इनकी बैसाखी पर ही चल रही है।

मदनी ने कहा कि सांप्रदायिक नीतियों के कारण ही भाजपा को लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिला। मुस्लिम बाहर से नहीं आए हैं, बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं। अगर हिंदू गुर्जर, जाट हैं तो मुस्लिम भी गुर्जर और जाट हैं तथा कश्मीर में तो मुस्लिम भी ब्राह्मण हैं। जमीयत ने कहा कि एनडीए में शामिल जो दल धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं, उन्हें इस खतरनाक कानून का समर्थन करने से खुद को दूर रखना चाहिए।

वक्फ बोर्ड के लिए बनी जेपीसी की बैठक में फिर विवाद, विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट, पिछली बार टूटी थी कांच की बोतल

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वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में फिर हंगामा हो गया। विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। वॉकआउट करने वाले सदस्यों में आप के संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन सहित कई नाम हैं।हालांकि, थोड़ी देर बाद वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक में विपक्ष के सांसद फिर से शामिल हुए। दरअसल, विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुति में कुछ बदलाव किए थे।

संसद भवन परिसर में आज वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक चल रही है।यह बैठक संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में की गई। इस दौरान विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रस्तुतिकरण का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि समिति के समक्ष पेश हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुतिकरण में बदलाव किया है।

आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह, द्रमुक सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन और मोहम्मद जावेद समेत अन्य कुछ विपक्षी सदस्य बैठक छोड़कर बाहर निकल गए।विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की प्रारंभिक रिपोर्ट को पूरी तरह बदल दिया।

इससे पहले वक्फ बिल के लिए जेपीसी की बैठक में जोरदार झड़प हुई थी। बैठक भाजपा और टीएमसी के बीच ये झड़प हुई थी। इसमें कल्याण बनर्जी घायल हो गए थे। जानकरी के अनुसार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने वहां रखी एक गिलास पानी की बोतल उठाई और मेज पर दे मारी और दुर्घटनावश खुद को चोट पहुंचा ली थी। इसके बाद कल्याण बनर्जी को संस्पेंड कर दिया गया था। बीजेपी ने आरोप लगे था कि गुस्से में कल्याण बनर्जी ने पानी की बोतल को मेज पर पटक दिया था। इसके उन्होंने इसे चेयरमैन की तरफ उछाला था। इस वजह से उन्हें ये चोट लग गई थी। वहीं, विपक्ष ने इस घटना के लिए बीजेपी सांसदों को जिम्मेदार बताया था।

वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

#tmc_bjp_mp_fight_in_waqf_board_meeting

वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

वक्फ बिल पर संयुक्त बैठक से विपक्षी नेताओं ने किया 'वाकआउट', लगातार हो रहा है ड्रामा

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leaders walking out of meeting. (ANI)

संजय सिंह, कल्याण बनर्जी, गौरव गोगोई, ए राजा, मोहम्मद अब्दुल्ला और अरविंद सावंत सहित कई विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की बैठक से वॉकआउट कर दिया। उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है।

संसदीय समिति की बैठक में विपक्षी सदस्य वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों की प्रस्तुति सुन रहे थे। विपक्षी सदस्य करीब एक घंटे तक अनुपस्थित रहने के बाद फिर से बैठक में शामिल हुए। हालांकि, भाजपा सदस्यों ने दावा किया कि विपक्षी सदस्य समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को गाली दे रहे थे। यह लगातार दूसरा दिन है जब विपक्षी सदस्य मतभेदों के बाद बैठक से बाहर निकले हैं।

सोमवार को, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर वक्फ भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद, कई विपक्षी सांसदों ने बैठक का बहिष्कार किया और आरोप लगाया कि समिति नियमों के अनुसार काम नहीं कर रही है। संसद की संयुक्त समिति की लंबी बैठकों में भाजपा और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और सोमवार को स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई, जब विपक्षी सदस्यों ने मुस्लिमों से संबंधित कानून पर हिंदू समूहों के सदस्यों को गवाही के लिए बुलाने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया। 

कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपदी के बयान के विरोध में विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया। वे कर्नाटक भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं। मणिपदी ने खड़गे और रहमान खान सहित कर्नाटक के कई कांग्रेस नेताओं और अन्य पर वक्फ संपत्तियों के गबन में कथित संलिप्तता का आरोप लगाया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी सांसदों ने संसदीय समितियों की कार्यवाही को विनियमित करने वाले नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि इन समितियों की बैठकों में "उच्च गणमान्य व्यक्तियों" के खिलाफ "अप्रमाणित आरोप" नहीं लगाए जा सकते। उन्होंने कहा कि मणिपड्डी ने मुसलमानों से विधेयक का विरोध न करने की अपील भी की, जो कि अनुचित था।

एक विपक्षी सांसद ने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाए जा सकते जो अपना बचाव करने के लिए मौजूद न हो। हालांकि, समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जगदंबिका पाल ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया और गवाही जारी रखने की अनुमति दी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महमूद मदनी भी समिति के समक्ष पेश हुए। उनका संगठन वक्फ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध करता रहा है।

वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी की घोषणा, ओवैसी समेत ये सांसद कमिटी में शामिल
#waqf_board_amendment_bill_2024_jpc_31_members

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल 31 सदस्यों के नाम का ऐलान किया। लोकसभा के 21 सदस्यों के अलावा राज्यसभा के भी 10 सदस्यों के नाम जेपीसी में शामिल किए गए हैं। गुरुवार को लोकसभा में बहस के बाद बिल को जेपीसी को भेजने का फैसला किया गया था। गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया और गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं है और विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया।

जेपीसी का कोरम कुल सदस्यों का एक तिहाई माना जाएगा। कमिटी इस बारे में अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के आखिरी सप्ताह में सदन को सौंपेगी।

जेपीसी में लोकसभा के सदस्य
1-जगदंबिका पाल
2-निशिकांत दुबे
3-तेजस्वी सूर्या
4-अपराजिता सारंगी
5-संजय जायसवाल
6-दिलीप सैकिया
7-अविजीत गंगोपाध्याय
8-डी के अरुणा
9-गौरव गोगोई
10-इमरान मसूद
11-मोहम्मद जावेद
12-मौलाना मोइबुल्ला
13-कल्याण बनर्जी
14-ए राजा
15-श्रीकृष्णा देवारायलू
16-दिनेश्वर कमायत
17-अरविंद सावंत
18-एम सुरेश गोपीनाथ
19-नरेश गणपत मास्के
20-अरुण भारती
21-असदुद्दीन ओवैसी


जेपीसी में राज्यसभा के सदस्य
1-बृज लाल
2-डॉ. मेधा विसराम कुलकर्णी
3-गुलाम अली
4-डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
5-सईद नासिर हुसैन
6-मोहम्मद नदीम उल हक
7-वी विजयसाई रेड्डी
8-एम मोहम्मद अब्दुल्ला
9-संजय सिंह
10-डॉ. डी वीरेंद्र हेगड़े
वक्फ बोर्ड क्या होते हैं, कानून में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी?
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बनाया है। इसको लेकर केन्द्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया।इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर रोक लगेगी।सरकार का कहना है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की है।

वक्फ और वक्फ की संपत्तियों को लेकर हिंदुस्तान में गाहे ब गाहे चर्चा होती रहती है। हममें से ज़्यादातर लोगों ने वक्फ के बारे में सुना तो है, लेकिन जानते नहीं कि वक्फ होता क्या है।आइये समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है।

*वक्फ बोर्ड क्या है*
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। इसी से बना वक्फ। यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो जन-कल्याण को समर्पित हो। वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है। वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं। ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं।
वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था।

*भारत में कब बना वक्फ बोर्ड?*
1947 में आज़ादी के बाद पूरे देश में पसरी वक्फ संपत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात हुई। इसी तरह साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया। इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना। ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया। इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया और 2013 में इसमें संशोधन किये गए।
फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है। प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं। लेकिन इसके अपवाद भी हैं। जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता। इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है।

*कैसे काम करता है वक्फ बोर्ड*
वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है।

*क्यों पड़ी संशोधन की जरुरत*
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन करके केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। इसमें कहा गया है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि संशोधन विधेयक के पीछे का मकशद वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है। इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह संसोधन मुस्लिम समुदाय की मांग पर किया जा रहा है।
अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी वक्फ अधिनियम में करेंगे संशोधन', अमित शाह का बड़ा दावा*
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं के विरोध के बावजूद वक्फ अधिनियम में संशोधन करेंगे। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के उमरखेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मोदी जी वक्फ बोर्ड के कानून को बदलना चाहते हैं। लेकिन उद्धव जी, शरद पवार और सुप्रिया सुले इसका विरोध कर रहे हैं।अमित शाह ने कहा कि उद्धव जी कान खोलकर सुन लीजिए, आप सभी जितना विरोध करना चाहते हैं कर लीजिए, लेकिन मोदी जी वक्फ का कानून बदलकर रहेंगे। *'कौरव' एमवीए का प्रतिनिधित्व कर रही* शाह ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को होने वाले मतदान में दो खेमे हैं। उन्होंने कहा कि एक ‘पांडवों’ का है।जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति कर रही है और दूसरा 'कौरव' जिसका प्रतिनिधित्व महा विकास अघाड़ी कर रही है। उद्धव ठाकरे का दावा है कि उनकी शिवसेना असली है। क्या असली शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के खिलाफ जा सकती है? क्या असली शिवसेना अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने के खिलाफ जा सकती है? असली शिवसेना भाजपा के साथ खड़ी है। *कांग्रेस अपने वादे पूरे नहीं करती-शाह* शाह ने आगे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल बाबा कहते थे कि उनकी सरकार लोगों के खातों में तुरंत पैसे जमा करेगी। आप हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने वादा किया है कि लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुनिया की कोई भी ताकत इसे हमसे नहीं छीन सकती।
రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యం

రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యమని ఎమ్మెల్యే మర్రి రాజశేఖర్‌ రెడ్డి అన్నారు. మల్కాజిగిరి సర్కిల్‌ పరిధిలోని వక్ఫ్‌ బోర్డు భూములని(Waqf Board Lands) కొన్ని సర్వే నంబర్లలో రిజిస్ట్రేషన్‌లను నిలిపివేయడంలో ప్రజలలో గందరగోళం ఏర్పడిందన్నారు.

రిజిస్ట్రేషన్‌ల నిలిపివేత అప్రజాస్వామ్యమని ఎమ్మెల్యే మర్రి రాజశేఖర్‌ రెడ్డి అన్నారు. శుక్రవారం బోయిన్‌పల్లి క్యాంప్‌ కార్యాలయంలో ఎమ్మెల్యే (MLA Rajasekhar Reddy) మాట్లాడుతూ.. మల్కాజిగిరి సర్కిల్‌ పరిధిలోని వక్ఫ్‌ బోర్డు భూములని(Waqf Board Lands) కొన్ని సర్వే నంబర్లలో రిజిస్ట్రేషన్‌లను నిలిపివేయడంలో ప్రజలలో గందరగోళం ఏర్పడిందన్నారు. కొన్ని దశాబ్దాలుగా అన్ని రకాల ప్రభుత్వ పన్నులు కట్టి 40గజాలు, 50గజాలు, 100గజాలలో పేదలు ఇండ్లు కట్టుకుని నివసిస్తున్నారని పేర్కొన్నారు.

ప్రభుత్వం విద్యుత్‌ కనెక్షన్‌లు, సీసీ రోడ్లు, స్ట్రీట్‌ లైట్లు, డ్రైనేజీ సౌకర్యం కల్పించాయి. పేదల కోసం వక్ఫ్‌ బోర్డు కొన్ని సవరణలు చేయాల్సిఉందని, లేదంటే ప్రజల పక్షాన నిలబడి వారికి చట్ట బద్దంగా న్యాయం జరిగేలా పోరాటం చేస్తామని అన్నారు. వక్ఫ్‌ బోర్డు తమ భూమిఅని చెబుతున్న సర్వే నంబర్‌ 398, 399లో దాదాపు 20ఎకరాల ఖాళీగా ఉన్న భూమి రిజిస్ట్రేషన్‌ చట్టం సెక్షన్‌ 22ఎ నిషేధిత జాబితాలో ఉన్న ఆ ఖాళీ భూమిని తమదంటూ ఇతరులు స్థానిక పోలీసుల సహకారంతో కబ్జాలో ఉన్నారని అన్నారు.

ఈ భూమిని కాపాడాల్సిన వక్ఫ్‌ బోర్డు సీఈఓ, జిల్లా ఇన్‌స్పెక్టర్‌ ఆఫ్‌ ఆడిటర్‌(వక్ఫ్‌), మూతవాలి వక్ఫ్‌ బోర్డు చట్టం సెక్షన్‌ 52ఎ కింద కేసులు నమోదు చేయడంలో విఫలమయరన్నారు. ఇప్పటికైనా ఆ భూమిని కాపాడాలని, కబ్జా చేసిన వారిపై వక్ఫ్‌ బోర్డు చట్టం సెక్షన్‌ 52ఎ కింద పోలీస్‌ స్టేషన్‌లో క్రిమినల్‌ కేసు నమోదు చేయాలని ఎమ్మెల్యే డిమాండ్‌ చేశారు. పేద ప్రజల కోసం న్యాయపరంగా ఏ సాయం చేయడానికైనా సిద్ధంగా ఉన్నామని ఎమ్మెల్యే తెలిపారు.

झारखंड में अमित शाह ने कहा, 'वक्फ बोर्ड जमीन हड़प रहा है, अब बदलाव करने का समय आ गया है'

#amitshahblameswaqfboardforland_grabbing

Union Minister Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया और कहा कि अब समय आ गया है कि बोर्ड में बदलाव किए जाएं और संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जाए, पीटीआई ने बताया।

झारखंड के बाघमारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि कोई भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन को नहीं रोक सकता, जो "घुसपैठियों को रोकने के लिए आवश्यक है", और उन्होंने आदिवासियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। वक्फ बोर्ड को जमीन हड़पने की आदत है। कर्नाटक में इसने ग्रामीणों की संपत्ति हड़प ली है, इसने मंदिरों, किसानों और ग्रामीणों की जमीनें हड़प ली हैं। मुझे बताएं कि वक्फ बोर्ड में बदलाव की जरूरत है या नहीं," पीटीआई के अनुसार शाह ने रैली में कहा।

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि दोनों ही वक्फ बोर्ड में बदलाव का विरोध करते हैं।

"हेमंत बाबू और राहुल गांधी कहते हैं कि नहीं। मैं आपको बताता हूं कि उन्हें इसका विरोध करने दें, भाजपा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधेयक पारित करेगी। हमें कोई नहीं रोक सकता," शाह ने कहा।

'ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा'

मंगलवार की रैली में, अमित शाह ने यह भी दावा किया कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है तो "ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा"। पीटीआई के अनुसार, उन्होंने सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार पर घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बनाने का भी आरोप लगाया। शाह ने दावा किया कि "झारखंड में घुसपैठ को रोकने के उद्देश्य से समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता है, और आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा।" गृह मंत्री ने यह भी वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह अगले पांच वर्षों में झारखंड को देश का सबसे समृद्ध राज्य बना देगी।

उन्होंने कहा, "झारखंड में खनिज आधारित उद्योग स्थापित किए जाएंगे।" और ऐसा माहौल तैयार करना होगा जिससे कोई भी दूसरे राज्यों में पलायन न करे।

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

वक्फ बिल की राह में रोड़ा बनेगी टीडीपी? जानें संसद सत्र से पहले कैसे बढ़ी भाजपा की टेंशन

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केन्द्र सरकार वक्फ़ संशोधन बिल योजना लाने की तैयारी में है। संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार मुख्य रूप से वक्फ विधेयक को पारित करने का पूरा प्रयास करेगी।संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो सकता है। हालांकि, इससे पहले केन्द्र की बीजेपी की अगुवाई वाली नरेन्द्र मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। दरअसल, संसद के शीतकाली सत्र से पहले एनडीए के घटक दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। टीडीपी के नेता और आंध्र पदेश इकाई के उपाध्यक्ष नवाब जान का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि सबको मिलकर वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकना चाहिए।

चंद्रबाबू नायडू के कहने पर जेपीसी का गठन?

टीडीपी के उपाध्यक्ष नवाब जान उर्फ अमीर बाबू ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के दिलों में दर्द पैदा कर रहा है। उनका कहना है कि चंद्रबाबू नायडू के कहने पर ही वक्फ संशोधन बिल को लेकर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) का गठन किया गया है। नवाब जान ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के अनुसार इस बिल को लेकर सभी का राय मशवि‍रा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस मुद्दे पर राय मशविरा चल रहा है और चंद्रबाबू नायडू ने सभी से सर्वे करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि यह आवश्यक है कि इस विषय पर सभी पक्षों की बात सुनी जाए।

“नायडू के शासन में मुसलमानों को बहुत लाभ मिले”

नवाब जान ने कहा कि, चंद्रबाबू हमेशा कहते रहे हैं कि उनकी दो आंखें हैं- एक हिंदू और एक मुस्लिम। एक आंख को नुकसान पहुंचाने से पूरे शरीर पर असर पड़ता है और हमें विकास के पथ पर आगे बढ़ते समय इसे ध्यान में रखना चाहिए। नवाब जान ने ये भी कहा कि देश की आजादी के बाद से नायडू के शासन में मुसलमानों को जो लाभ मिले वे अभूतपूर्व हैं।

बता दें कि रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में संविधान बचाओ सम्मेलन किया था। इसमें नवाब ने लोगों से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद में पारित होने से रोकने के लिए एकजुट होने की अपील की।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने क्या कहा?

टीडीपी उपाध्यक्ष के बयान के बाद से इस विधेयक के पारित होने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। वहीं, जमीयत ने टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार से इस मामले में मुसलमानों की भावनाओं पर ध्यान देने की गुजारिश की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा- अगर वक्फ बिल पास होता है तो टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे, क्योंकि केंद्र सरकार इनकी बैसाखी पर ही चल रही है।

मदनी ने कहा कि सांप्रदायिक नीतियों के कारण ही भाजपा को लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिला। मुस्लिम बाहर से नहीं आए हैं, बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं। अगर हिंदू गुर्जर, जाट हैं तो मुस्लिम भी गुर्जर और जाट हैं तथा कश्मीर में तो मुस्लिम भी ब्राह्मण हैं। जमीयत ने कहा कि एनडीए में शामिल जो दल धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं, उन्हें इस खतरनाक कानून का समर्थन करने से खुद को दूर रखना चाहिए।

वक्फ बोर्ड के लिए बनी जेपीसी की बैठक में फिर विवाद, विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट, पिछली बार टूटी थी कांच की बोतल

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वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में फिर हंगामा हो गया। विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। वॉकआउट करने वाले सदस्यों में आप के संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन सहित कई नाम हैं।हालांकि, थोड़ी देर बाद वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक में विपक्ष के सांसद फिर से शामिल हुए। दरअसल, विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुति में कुछ बदलाव किए थे।

संसद भवन परिसर में आज वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक चल रही है।यह बैठक संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में की गई। इस दौरान विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रस्तुतिकरण का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि समिति के समक्ष पेश हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुतिकरण में बदलाव किया है।

आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह, द्रमुक सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन और मोहम्मद जावेद समेत अन्य कुछ विपक्षी सदस्य बैठक छोड़कर बाहर निकल गए।विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की प्रारंभिक रिपोर्ट को पूरी तरह बदल दिया।

इससे पहले वक्फ बिल के लिए जेपीसी की बैठक में जोरदार झड़प हुई थी। बैठक भाजपा और टीएमसी के बीच ये झड़प हुई थी। इसमें कल्याण बनर्जी घायल हो गए थे। जानकरी के अनुसार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने वहां रखी एक गिलास पानी की बोतल उठाई और मेज पर दे मारी और दुर्घटनावश खुद को चोट पहुंचा ली थी। इसके बाद कल्याण बनर्जी को संस्पेंड कर दिया गया था। बीजेपी ने आरोप लगे था कि गुस्से में कल्याण बनर्जी ने पानी की बोतल को मेज पर पटक दिया था। इसके उन्होंने इसे चेयरमैन की तरफ उछाला था। इस वजह से उन्हें ये चोट लग गई थी। वहीं, विपक्ष ने इस घटना के लिए बीजेपी सांसदों को जिम्मेदार बताया था।

वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

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वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

वक्फ बिल पर संयुक्त बैठक से विपक्षी नेताओं ने किया 'वाकआउट', लगातार हो रहा है ड्रामा

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leaders walking out of meeting. (ANI)

संजय सिंह, कल्याण बनर्जी, गौरव गोगोई, ए राजा, मोहम्मद अब्दुल्ला और अरविंद सावंत सहित कई विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की बैठक से वॉकआउट कर दिया। उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है।

संसदीय समिति की बैठक में विपक्षी सदस्य वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों की प्रस्तुति सुन रहे थे। विपक्षी सदस्य करीब एक घंटे तक अनुपस्थित रहने के बाद फिर से बैठक में शामिल हुए। हालांकि, भाजपा सदस्यों ने दावा किया कि विपक्षी सदस्य समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को गाली दे रहे थे। यह लगातार दूसरा दिन है जब विपक्षी सदस्य मतभेदों के बाद बैठक से बाहर निकले हैं।

सोमवार को, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर वक्फ भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद, कई विपक्षी सांसदों ने बैठक का बहिष्कार किया और आरोप लगाया कि समिति नियमों के अनुसार काम नहीं कर रही है। संसद की संयुक्त समिति की लंबी बैठकों में भाजपा और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और सोमवार को स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई, जब विपक्षी सदस्यों ने मुस्लिमों से संबंधित कानून पर हिंदू समूहों के सदस्यों को गवाही के लिए बुलाने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया। 

कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपदी के बयान के विरोध में विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया। वे कर्नाटक भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं। मणिपदी ने खड़गे और रहमान खान सहित कर्नाटक के कई कांग्रेस नेताओं और अन्य पर वक्फ संपत्तियों के गबन में कथित संलिप्तता का आरोप लगाया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी सांसदों ने संसदीय समितियों की कार्यवाही को विनियमित करने वाले नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि इन समितियों की बैठकों में "उच्च गणमान्य व्यक्तियों" के खिलाफ "अप्रमाणित आरोप" नहीं लगाए जा सकते। उन्होंने कहा कि मणिपड्डी ने मुसलमानों से विधेयक का विरोध न करने की अपील भी की, जो कि अनुचित था।

एक विपक्षी सांसद ने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाए जा सकते जो अपना बचाव करने के लिए मौजूद न हो। हालांकि, समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जगदंबिका पाल ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया और गवाही जारी रखने की अनुमति दी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महमूद मदनी भी समिति के समक्ष पेश हुए। उनका संगठन वक्फ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध करता रहा है।

वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी की घोषणा, ओवैसी समेत ये सांसद कमिटी में शामिल
#waqf_board_amendment_bill_2024_jpc_31_members

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल 31 सदस्यों के नाम का ऐलान किया। लोकसभा के 21 सदस्यों के अलावा राज्यसभा के भी 10 सदस्यों के नाम जेपीसी में शामिल किए गए हैं। गुरुवार को लोकसभा में बहस के बाद बिल को जेपीसी को भेजने का फैसला किया गया था। गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया और गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं है और विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया।

जेपीसी का कोरम कुल सदस्यों का एक तिहाई माना जाएगा। कमिटी इस बारे में अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के आखिरी सप्ताह में सदन को सौंपेगी।

जेपीसी में लोकसभा के सदस्य
1-जगदंबिका पाल
2-निशिकांत दुबे
3-तेजस्वी सूर्या
4-अपराजिता सारंगी
5-संजय जायसवाल
6-दिलीप सैकिया
7-अविजीत गंगोपाध्याय
8-डी के अरुणा
9-गौरव गोगोई
10-इमरान मसूद
11-मोहम्मद जावेद
12-मौलाना मोइबुल्ला
13-कल्याण बनर्जी
14-ए राजा
15-श्रीकृष्णा देवारायलू
16-दिनेश्वर कमायत
17-अरविंद सावंत
18-एम सुरेश गोपीनाथ
19-नरेश गणपत मास्के
20-अरुण भारती
21-असदुद्दीन ओवैसी


जेपीसी में राज्यसभा के सदस्य
1-बृज लाल
2-डॉ. मेधा विसराम कुलकर्णी
3-गुलाम अली
4-डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
5-सईद नासिर हुसैन
6-मोहम्मद नदीम उल हक
7-वी विजयसाई रेड्डी
8-एम मोहम्मद अब्दुल्ला
9-संजय सिंह
10-डॉ. डी वीरेंद्र हेगड़े
वक्फ बोर्ड क्या होते हैं, कानून में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी?
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बनाया है। इसको लेकर केन्द्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया।इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर रोक लगेगी।सरकार का कहना है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की है।

वक्फ और वक्फ की संपत्तियों को लेकर हिंदुस्तान में गाहे ब गाहे चर्चा होती रहती है। हममें से ज़्यादातर लोगों ने वक्फ के बारे में सुना तो है, लेकिन जानते नहीं कि वक्फ होता क्या है।आइये समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है।

*वक्फ बोर्ड क्या है*
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। इसी से बना वक्फ। यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो जन-कल्याण को समर्पित हो। वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है। वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं। ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं।
वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था।

*भारत में कब बना वक्फ बोर्ड?*
1947 में आज़ादी के बाद पूरे देश में पसरी वक्फ संपत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात हुई। इसी तरह साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया। इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना। ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया। इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया और 2013 में इसमें संशोधन किये गए।
फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है। प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं। लेकिन इसके अपवाद भी हैं। जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता। इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है।

*कैसे काम करता है वक्फ बोर्ड*
वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है।

*क्यों पड़ी संशोधन की जरुरत*
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन करके केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। इसमें कहा गया है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि संशोधन विधेयक के पीछे का मकशद वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है। इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह संसोधन मुस्लिम समुदाय की मांग पर किया जा रहा है।