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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम राहत, सरकार को जवाब देने के लिए मिला सात दिन का समय

#waqfamendmentact_hearing

वक्फ कानून को लेकर गुरुवार को दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट से जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 7 दिन का वक्त दिया। वहीं शीर्ष कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस कानून को लेकर पहले जैसी स्थिति बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार का जवाब आने तक वक्फ की संपत्ति पहले जैसी बनी रहेगी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है। सरकार को लाखों-लाखों प्रतिनिधि मिले, गांव-गांव वक्फ में शामिल किए गए। इतनी सारी जमीनों पर वक्फ का दावा किया जाता है। इसे कानून का हिस्सा माना जाता है। मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें हैं और इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती। वह नहीं चाहता कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव हो। कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा और आश्वासन दिया कि बोर्ड या काउंसिल की कोई नियुक्ति नहीं होगी।

अगले एक हफ्ते तक यह सब नहीं पाएगी सरकार

वक्फ कानून की सुप्रीम कोर्ट पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि वे अदालत को आश्वासन देते हैं कि धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ में पहले से पंजीकृत या अधिसूचना की तरफ से घोषित वक्फ शामिल हैं, को न तो डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर की तरफ से इसमें कोई बदलाव किया जाएगा।

कोर्ट ने नए कानून के कुछ प्रावधानों पर जताई थी चिंता

बता दें कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मुस्लिम निकायों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह कोर्ट में दलील रखी। कल यानी बुधवार को भी इसपर सुनवाई थी। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बुधवार को तीन मुख्य चिंताएं बताईं। पीठ ने कहा था, पहली, वक्फ की संपत्तियां जो पहले अदालती आदेशों से वैध घोषित की गई थीं, अब शायद अवैध हो जाएंगी। दूसरी, वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को बहुमत मिल सकता है। तीसरी, विवादित वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर की जांच लंबित रहने तक, यह घोषणा कि इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, चिंताजनक है।

सुप्रीम कोर्ट की इस चिंता के बाद अंतरिम आदेश जारी होने की संभावना जाहिर की गई थी।लेकिन विपक्षी पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं मिला। इसीलिए आज फिर से अंतरिम आदेश पर बहस हुई।

वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, आज दे सकती है अंतरिम आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को साफ संकेत दिए कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती है। खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’, गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति और जिलाधिकारियों को वक्फ जमीन की स्थिति तय करने का अधिकार। इन पर कोर्ट गंभीरता से विचार कर रहा है। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई काफी अहम है।

“नए कानून के तीन प्रावधान चिंताजनक”

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बुधवार को तीन मुख्य चिंताएं बताईं। पहली, वक्फ की संपत्तियां जो पहले अदालती आदेशों से वैध घोषित की गई थीं, अब शायद अवैध हो जाएंगी। दूसरी, वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को बहुमत मिल सकता है। तीसरी, विवादित वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर की जांच लंबित रहने तक, यह घोषणा कि इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, चिंताजनक है।

“अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा”

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हमारा अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा। पहला, हम आदेश में कहेंगे कि न्यायालय की ओर से वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा, यानी उसे गैर वक्फ नहीं माना जाएगा, फिर चाहे वह संपत्ति उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई हो या विलेख के जरिए। दूसरा, कलेक्टर किसी संपत्ति से संबंधित अपनी जांच की कार्यवाही जारी रख सकता है, पर कानून का यह प्रावधान प्रभावी नहीं होगा कि कार्यवाही के दौरान संपत्ति गैर वक्फ मानी जाए। तीसरा, बोर्ड व परिषद में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।

“कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं”

सीजेआई खन्ना ने कहा कि वक्फ बाय यूजर को गैर-अधिसूचित करने के बहुत गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने कहा कि बेंच एक अंतरिम आदेश पर विचार करेगी। सीजेआई ने कहा, एकतरफा रोक के संबंध में, हमारे (अदालत) पास कुछ अधिकार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आम तौर पर अदालतें विधायिका द्वारा पारित कानून पर प्रवेश स्तर पर रोक लगाने से बचती हैं, लेकिन 'इस मामले में कुछ अपवाद हैं।'

सुनवाई के आखिर में पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को भी विचार करने का फैसला किया। जिसमें वह तय करेगा कि सुनवाई खुद करेगा या किसी हाईकोर्ट को सौंपेगा। सुप्रीम कोर्ट में ये सिर्फ कानून की बहस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ की भी परीक्षा है जिसमें वक्फ की परंपरा सदियों से मौजूद रही है।

क्‍या है 'वक्फ बाय यूजर', जिसपर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें क्या कहा

#waqf_by_user_meaning

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसे लेकर पहले दिन बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों के प्रावधानों पर सवाल उठाए। सीजेआई संजीव खन्‍ना से लेकर कप‍िल स‍िब्‍बल, अभ‍िषेक मनु सिंघवी और तमाम वकीलों ने इस पर सवाल उठाए। सरकार से पूछा क‍ि आख‍िर इस क्‍लॉज में छेड़छाड़ क्‍यों की गई?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है? 'वक्फ बाय यूजर' का मतलब है, ऐसी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही है। लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।

सुप्रीम कोर्ट में आज बहस की शुरुआत करते हुए कप‍िल सिब्‍बल ने कहा, ‘वक्फ बाय यूजर’ वक्‍फ की एक शर्त है। मान लीजिए मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं क‍ि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्‍या क्‍या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रज‍िस्‍टर्ड कराने के ल‍िए क्‍यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्‍फ का रज‍िस्‍ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा। लेकिन सरकार ने ‘वक्फ बाय यूजर’ ही खत्‍म कर द‍िया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से वक्फ कानून पर तीखे सवाल भी पूछे। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, वक्‍फ बाई यूजर क्‍यों हटाया गया?

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे। ऐसे में, उन्हें कैसे रजिस्टर किया जाएगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि 'वक्फ बाय यूजर' में कोई असली संपत्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड मांगना नामुमकिन होगा, क्योंकि ये सभी वक्फ-बाय-यूजर प्रॉपर्टीज हैं।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे रजिस्टर करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? यही समस्‍या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई क‍िए जाने की जरूरत है। सरकार ने गुरुवार का द‍िन इसी पर सुनवाई के ल‍िए रखा है।

वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य, क्या हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिम को लेंगे? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल

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वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। आज तीन सदस्यीय पीठ ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के मामले को लेकर सरकार से बड़ा सवाल किया। कोर्ट ने पूछा, क्या वो मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है?

दरअसल, सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

बोर्ड में गैर मुसलमानों की सदस्यता पर सवाल

सिब्बल की इस टिप्पणी पर सीजेआई जस्टिस खन्ना ने कहा, कानून में आप कहते हैं क‍ि वक्‍फ बोर्ड गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य होंगे। क्‍या आप बता सकते हैं क‍ि कितने सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे? क्‍या आप अदालत को भरोसा देंगे क‍ि 2 पदेन सदस्‍यों के अलावा बाकी सब मुसलमान होंगे। कोर्ट ने यह भी पूछा क‍ि जब आप वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य बना रहे हैं तो क्‍या हिन्‍दुओं के ट्रस्‍ट में भी ऐसा होता है? और ह‍िन्‍दू कैसे अन्‍य धर्म के बारे में फैसला कर सकता है?

अन्य मुस्लिम संप्रदायों के फायदे का तर्क

इस पर केद्र सरकार के वकील ने जवाब द‍िया। एसजी ने अपने जवाब में कहा, अगर आपका तर्क मान ल‍िया जाए तो फ‍िर सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते। इस पर सीजेआई ने कहा, जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं। हम धर्मनिरपेक्ष हैं। हम एक ऐसे बोर्ड की बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का मैनेजमेंट कर रहा है। इस पर एसजी ने कहा, यह एक ऐसा बोर्ड होगा जो सलाहकार की तरह काम करेगा। एसजी ने यह भी दलील दी क‍ि अब तक वक्‍फ कानून से सिर्फ शिया और सुन्‍नी को फायदा मिलता था। अब मुस्लिमों के अन्य संप्रदायों, बोहरा और अन्य को बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल उठाए। सीजेआई खन्ना ने कहा कि 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं। उनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वक्फ ऐसे भी हैं, जिनकी वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाय यूजर मान्य किया गया। अगर आप इसे रद्द कर देंगे तो समस्या होगी।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई,सिब्बल और सिंघवी ने दी क्या बड़ी दलीलें

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वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मुद्दे पर दायर 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक वक्फ कानून पर रोक लगे। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए वक्फ कानून का बचाव किया। उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक कानून नहीं है, यह जेपीसी द्वारा विचार-विमर्श के बाद आया है। उन्होंने 98 लाख से ज़्यादा ज्ञापनों पर विस्तृत चर्चा की।

सिब्बल ने कहा अनुच्छेद 26 का उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सवाल उठाया, कानून के मुताबिक, मुझे अपने धर्म की आवश्यक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार है। सरकार कैसे तय कर सकती है कि वक्फ केवल वही लोग बना सकते हैं, जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं? सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप करता है। उन्होंने अधिनियम की धारा 3(सी) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, जो पहले से वक्फ घोषित थी।

यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर- सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है। सिब्बल ने राम जन्मभूमि के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि धारा 36, आप उपयोगकर्ता द्वारा बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। मान लीजिए कि यह मेरी अपनी संपत्ति है और मैं इसका उपयोग करना चाहता हूं, मैं पंजीकरण नहीं करना चाहता।

सीजेआई ने कहा कि पंजीकरण में क्या समस्या है? सिब्बल ने कहा कि मैं कह रहा हूं कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को समाप्त कर दिया गया है, यह मेरे धर्म का अभिन्न अंग है, इसे राम जन्मभूमि फैसले में मान्यता दी गई है। सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि वे कहेंगे कि यदि वक्फ 3000 साल पहले बनाया गया है तो वे डीड मांगेंगे।

अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी दलीलें दीं और कहा, हमने सुना है कि संसद की जमीन भी वक्फ की है। वहीं, सीजेआई खन्ना ने जवाब दिया, हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ गलत तरीके से पंजीकृत हैं, लेकिन कुछ चिंताएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट को सौंपी जा सकती है। इस पर अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि वक्फ संसोधित अधिनियम के रूल 3( 3)(डीए) में कलेक्टर को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। लोगों को अधिकारी के पास जाने के लिए बनाया गया है। सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है, यह ऐसा मामला नहीं है जहां मीलॉर्ड्स को हमें हाई कोर्ट भेजना चाहिए

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे कौन? खुफिया एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे


#murshidabadviolenceovernewwaqf_law

वक्‍फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर कानून का विरोध भी जारी है। पश्चिम बंगाल में वक्‍फ संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई।

 वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ

सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। सूत्रों ने कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं।

विदेशों से हो रही थी फंडिंग

मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे। ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था।

सुवेंदु अधिकारी ने भी “बांग्लादेश” पर उठाई अंगुली

भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा (विस) में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठन 'अंसारुल्ला बांग्ला जमात' का हाथ बताते हुए आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने हिंसा भड़काने का काम किया। सोमवार को विस भवन के गेट पर मीडिया से बातचीत में सुवेंदु ने कहा-'बंगाल में जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है। स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान के लिए अगला विस चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होना चाहिए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग को इसकी सिफारिश करने पर विचार करना चाहिए।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है।

कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।

केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

वक्फ बिल संविधान पर हमला’, कांग्रेस अधिवेशन में बोले राहुल बोले

#rahulgandhicalledwaqflawanattackonreligious_freedom

गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का 84वां दो दिवसीय अधिवेशन आयोजित हुआ। बुधवार को अधिवेशन के आखिरी दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि संसद से पारित वक्फ संशोधन अधिनियम धर्म की स्वतंत्रता पर हमला और संविधान विरोधी कदम है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी निशाना बनाया जाएगा।

दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी बनाया जाएगा निशाना

कांग्रेस के एआईसीसी अध‍िवेशन को संबोध‍ित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, वक्फ बिल पास हुआ, ये फ्रीडम ऑफ रिलीजन पर आक्रमण है। संविधान पर आक्रमण है। वे लोग ऑर्गनाइजर में क्रिश्चियन की जमीन के लिए लिखते हैं, बाद में सिख के लिए भी आएंगे। आप टीकाराम जुली को ही देख‍िए। राजस्‍थान में विपक्ष के नेता हैं। मंदिर गए, उसके बाद बीजेपी के नेताओं ने मंदिर को धुलवाया। साफ करवाया। वो अपने आप को हिन्दू कहते हैं। एक दलित को मंदिर जाने का अधिकार नहीं देते। जब जाता है तो धुलवा दिया। ये हमारा धर्म नहीं। हम भी अपने आप को हिन्दू कहलाते हैं, मगर ये हमारा धर्म नहीं। हमारा धर्म सबको सम्मान देता है।

'आर्गेनाइजर' में ईसाइयों की भूमि को निशाना बनाने की बात-राहुल

राहुल गांधी ने दावा किया कि आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'आर्गेनाइजर' में ईसाइयों की भूमि को निशाना बनाने की बात की गई है और आगे सिख समुदाय के साथ भी ऐसा होगा। राहुल गांधी ने दावा किया देश भारतीय जनता पार्टी से तंग आ गया है और बिहार के विधानसभा चुनाव में यह दिखेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में बदलाव होने वाला है, लोगों का मूड दिख रहा है।

राहुल गांधी ने फिर उठाया जाति जनगणना का मामला

राहुल गांधी ने एक बार फिर से जाति जनगणना को लेकर आवाज उठाई है। उनके द्वारा संसद में भी जाति जनगणना की मांग उठाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण के रूप में क्रांतिकारी कदम उठाया गया है।राहुल गांधी ने कहा कि कुछ महीने पहले, मैंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि हमें देश में जाति जनगणना करवानी चाहिए... मैं जानना चाहता था कि इस देश में किसकी कितनी हिस्सेदारी है और क्या यह देश सही मायने में आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदायों का सम्मान करता है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस ने जाति जनगणना से साफ इनकार कर दिया क्योंकि वे नहीं चाहते कि इस देश में अल्पसंख्यकों को कितनी हिस्सेदारी मिलती है, यह पता चले। मैंने उनसे कहा कि हम संसद में आपके सामने ही जाति जनगणना कानून पारित करेंगे।राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा में, राज्यसभा में हम कानून पास करेंगे। जाति जनगणना यहीं से निकालेंगे। मैं जानता हूं कि जो तेलंगाना की हालत है, वह हर प्रदेश की है। तेलंगाना में 90 फीसदी आबादी, ओबीसी, दलित, अल्पसंख्यक है। तेलंगाना में मालिकों की लिस्ट, सीईओ की लिस्ट, सीनियर मैनेजमेंट की लिस्ट में इस 90 फीसदी में से नहीं मिलेगा।

राहुल ने कहा, तेलंगाना में सारे गिग वर्कर्स दलित, ओबीसी या आदिवासी हैं। तेलंगाना में जाति जनगणना में नया उदाहरण दिया है। तेलंगाना में हम सचमुच में विकास का काम कर सकते हैं। वहां हम हर सेक्टर में आपको बता सकते हैं। मैं खुश हूं कि जाति जनगणना होने के बाद हमारे सीएम और टीम ने ओबीसी रिजर्वेशन को 42% तक पहुंचा दिया। जब दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक की भागीदारी की बात आती है तो भाजपा के लोग चुप हो जाते हैं। जो हमने तेलंगाना में किया है, वह हम पूरे देश में करने जा रहे हैं। भाजपा ने इसे रद्द कर दिया है

वक्‍फ कानून को लेकर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

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वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा राजनेताओं की याचिकाएं शामिल हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इस बीच केंद्र सरकार भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। सरकार की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग रखी गई है।कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

क्या है कैविएट का मतलब?

"केवियट" एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "सावधान"। दरअसल, "केवियट" एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है?

कैविएट किसी भी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

वक्फ कानून के खिलाफ दर्जनभर याचिकाएं दायर

बता दें कि वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले वकीलों ने बताया कि याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।

बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ एक्ट, सीएम ममता की दो टूक, बोलीं- धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होने दूंगी

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पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा कि नया वक्फ कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक पश्चिम बंगाल में ममता दीदी है, मुस्लिम समुदाय की संपत्ति की रक्षा करेगी। ममता कोलकाता में जैन समाज के कार्यक्रम में बोल रही थीं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिन हुई वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है।

समाज में फूट डालकर राज कर सके ऐसा नहीं होगा-ममता

कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए हम कदम उठाएंगी। उन्होंने कहा, मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आप दुखी हैं। भरोसा रखें, बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा, जिससे कोई समाज में फूट डालकर राज कर सके। उन्होंने कहा, लोग पूछते हैं कि मैं हर धर्म के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैं पूरी जिंदगी जाऊंगी। चाहे कोई गोली मार दे, मुझे एकता से अलग नहीं किया जा सकता। बंगाल में धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होगा। जियो और जीने दो यही हमारा रास्ता है।

राजनीतिक रूप से इकट्ठा होने के लिए उकसाता है तो...-ममता

ममता ने कहा, बांग्लादेश की स्थिति देखिए। इसे अभी पारित नहीं किया जाना चाहिए था। बंगाल में रहने वालों को सुरक्षा देना हमारा काम है। मैं आप सभी से अपील करती हूं कि अगर कोई आपको राजनीतिक रूप से एकत्र होने के लिए उकसाता है, तो कृपया ऐसा न करें। कृपया याद रखें कि दीदी आपकी और आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी। अगर हम साथ रहेंगे, तो हम दुनिया जीत सकते हैं।

हम एकजुट रहेंगे तो देश आगे बढ़ेगा

ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा उद्देश्य जोड़ना है, बांटना नहीं। जब हम एकजुट रहेंगे, तो देश तरक्की करेगा। कुछ लोग बंगाल को बदनाम कर रहे हैं, कह रहे हैं कि मैं राज्य में हिंदू धर्म को संरक्षण नहीं देती। फिर सबको संरक्षण कौन देता है? मुझे बंगाल के अल्पसंख्यकों को श्रेय देना चाहिए, जो राज्य में हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। सबका सिस्टम भले ही अलग हो सकता है, बंगाली लोग बंगाली गाना गाते हैं, हिंदू लोग हिंदी, गुजराती लोग दांडिया भी करते हैं। हमलोग भी मिलकर दांडिया करते हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि यह बंगाल है।उन्होंने कहा कि अगर हमें ये लोग गोली भी मार दें तो भी हमारी एकता को नहीं तोड़ सकते हैं।

मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के दौरान हिंसा

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को बीते गुरुवार को लोकसभा ने पारित किया था। इसके बाद शुक्रवार की सुबह राज्यसभा ने भी इस पर मुहर लगा दी थी। संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद इसे पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को विधेयक को अपनी मंजूरी भी दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने के लिए बीते दिन ही अधिसूचना जारी की है। हालांकि, लगातार इसका विरोध हो रहा है। इसी क्रम में बीते दिन मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। सड़क जाम करने से रोकने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इलाके में फिलहाल शांति है, लेकिन इंटरनेट को निलंबित रखा गया है

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर बवाल, नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस विधायक आपस में भिड़े

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। इस दौरान नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच नोकझोंक हुई। नेकां और पीडीपी विधायकों के बीच भी बहस हुई। नेकां के विधायक वक्फ कानून पर विधानसभा में बहस की मांग पर अड़ गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की।

यह लगातार दूसरा दिन था जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा द्वारा मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए एक नए प्रस्ताव दिया गया।

पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला

वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया। मंगलवार की सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो पारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ अपने प्रस्ताव की प्रति लेकर आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष से बहस करने लगे तथा केंद्र सरकार को संदेश देने के लिए इसे पारित करने की मांग करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष जब पारा को अपनी सीट पर लौटने के लिए कह रहे थे, तभी नेकां विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की। इसी दौरान अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वहीद पारा को सदन से बाहर ले जाएं। हालांकि पारा को बाहर निकाले जाने के बाद भी हंगामा जारी रहा। कई नेशनल कॉन्फ्रेंस और निर्दलीय विधायक आसान के समीप पहुंचकर वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सज्जाद लोन और नेकां के सलमान सागर के बीच तीखी बहस भी हुई।

सीएम अब्दुल्ला के रिजिजू से मिलने

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की। लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे बहुत गलत संदेश जाता है।

कल बिल की कॉपी फाड़ी गई थी

वहीं, सोमवार को वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। भाजपा ने इसका विरोध किया। इससे मामला गरमा गया। दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान एनसी के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। एक एनसी विधायक ने अपनी जैकेट फाड़कर सदन में लहराई। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। एनसी समेत अन्य दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम राहत, सरकार को जवाब देने के लिए मिला सात दिन का समय

#waqfamendmentact_hearing

वक्फ कानून को लेकर गुरुवार को दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट से जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 7 दिन का वक्त दिया। वहीं शीर्ष कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस कानून को लेकर पहले जैसी स्थिति बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार का जवाब आने तक वक्फ की संपत्ति पहले जैसी बनी रहेगी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है। सरकार को लाखों-लाखों प्रतिनिधि मिले, गांव-गांव वक्फ में शामिल किए गए। इतनी सारी जमीनों पर वक्फ का दावा किया जाता है। इसे कानून का हिस्सा माना जाता है। मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें हैं और इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती। वह नहीं चाहता कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव हो। कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा और आश्वासन दिया कि बोर्ड या काउंसिल की कोई नियुक्ति नहीं होगी।

अगले एक हफ्ते तक यह सब नहीं पाएगी सरकार

वक्फ कानून की सुप्रीम कोर्ट पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि वे अदालत को आश्वासन देते हैं कि धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ में पहले से पंजीकृत या अधिसूचना की तरफ से घोषित वक्फ शामिल हैं, को न तो डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर की तरफ से इसमें कोई बदलाव किया जाएगा।

कोर्ट ने नए कानून के कुछ प्रावधानों पर जताई थी चिंता

बता दें कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मुस्लिम निकायों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह कोर्ट में दलील रखी। कल यानी बुधवार को भी इसपर सुनवाई थी। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बुधवार को तीन मुख्य चिंताएं बताईं। पीठ ने कहा था, पहली, वक्फ की संपत्तियां जो पहले अदालती आदेशों से वैध घोषित की गई थीं, अब शायद अवैध हो जाएंगी। दूसरी, वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को बहुमत मिल सकता है। तीसरी, विवादित वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर की जांच लंबित रहने तक, यह घोषणा कि इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, चिंताजनक है।

सुप्रीम कोर्ट की इस चिंता के बाद अंतरिम आदेश जारी होने की संभावना जाहिर की गई थी।लेकिन विपक्षी पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं मिला। इसीलिए आज फिर से अंतरिम आदेश पर बहस हुई।

वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, आज दे सकती है अंतरिम आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को साफ संकेत दिए कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती है। खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’, गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति और जिलाधिकारियों को वक्फ जमीन की स्थिति तय करने का अधिकार। इन पर कोर्ट गंभीरता से विचार कर रहा है। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई काफी अहम है।

“नए कानून के तीन प्रावधान चिंताजनक”

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बुधवार को तीन मुख्य चिंताएं बताईं। पहली, वक्फ की संपत्तियां जो पहले अदालती आदेशों से वैध घोषित की गई थीं, अब शायद अवैध हो जाएंगी। दूसरी, वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को बहुमत मिल सकता है। तीसरी, विवादित वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर की जांच लंबित रहने तक, यह घोषणा कि इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, चिंताजनक है।

“अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा”

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हमारा अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा। पहला, हम आदेश में कहेंगे कि न्यायालय की ओर से वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा, यानी उसे गैर वक्फ नहीं माना जाएगा, फिर चाहे वह संपत्ति उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई हो या विलेख के जरिए। दूसरा, कलेक्टर किसी संपत्ति से संबंधित अपनी जांच की कार्यवाही जारी रख सकता है, पर कानून का यह प्रावधान प्रभावी नहीं होगा कि कार्यवाही के दौरान संपत्ति गैर वक्फ मानी जाए। तीसरा, बोर्ड व परिषद में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।

“कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं”

सीजेआई खन्ना ने कहा कि वक्फ बाय यूजर को गैर-अधिसूचित करने के बहुत गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने कहा कि बेंच एक अंतरिम आदेश पर विचार करेगी। सीजेआई ने कहा, एकतरफा रोक के संबंध में, हमारे (अदालत) पास कुछ अधिकार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आम तौर पर अदालतें विधायिका द्वारा पारित कानून पर प्रवेश स्तर पर रोक लगाने से बचती हैं, लेकिन 'इस मामले में कुछ अपवाद हैं।'

सुनवाई के आखिर में पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को भी विचार करने का फैसला किया। जिसमें वह तय करेगा कि सुनवाई खुद करेगा या किसी हाईकोर्ट को सौंपेगा। सुप्रीम कोर्ट में ये सिर्फ कानून की बहस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ की भी परीक्षा है जिसमें वक्फ की परंपरा सदियों से मौजूद रही है।

क्‍या है 'वक्फ बाय यूजर', जिसपर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें क्या कहा

#waqf_by_user_meaning

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसे लेकर पहले दिन बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों के प्रावधानों पर सवाल उठाए। सीजेआई संजीव खन्‍ना से लेकर कप‍िल स‍िब्‍बल, अभ‍िषेक मनु सिंघवी और तमाम वकीलों ने इस पर सवाल उठाए। सरकार से पूछा क‍ि आख‍िर इस क्‍लॉज में छेड़छाड़ क्‍यों की गई?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है? 'वक्फ बाय यूजर' का मतलब है, ऐसी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही है। लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।

सुप्रीम कोर्ट में आज बहस की शुरुआत करते हुए कप‍िल सिब्‍बल ने कहा, ‘वक्फ बाय यूजर’ वक्‍फ की एक शर्त है। मान लीजिए मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं क‍ि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्‍या क्‍या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रज‍िस्‍टर्ड कराने के ल‍िए क्‍यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्‍फ का रज‍िस्‍ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा। लेकिन सरकार ने ‘वक्फ बाय यूजर’ ही खत्‍म कर द‍िया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से वक्फ कानून पर तीखे सवाल भी पूछे। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, वक्‍फ बाई यूजर क्‍यों हटाया गया?

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे। ऐसे में, उन्हें कैसे रजिस्टर किया जाएगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि 'वक्फ बाय यूजर' में कोई असली संपत्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड मांगना नामुमकिन होगा, क्योंकि ये सभी वक्फ-बाय-यूजर प्रॉपर्टीज हैं।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे रजिस्टर करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? यही समस्‍या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई क‍िए जाने की जरूरत है। सरकार ने गुरुवार का द‍िन इसी पर सुनवाई के ल‍िए रखा है।

वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य, क्या हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिम को लेंगे? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल

#waqf_amendment_act_supreme_court_hearing

वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। आज तीन सदस्यीय पीठ ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के मामले को लेकर सरकार से बड़ा सवाल किया। कोर्ट ने पूछा, क्या वो मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है?

दरअसल, सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

बोर्ड में गैर मुसलमानों की सदस्यता पर सवाल

सिब्बल की इस टिप्पणी पर सीजेआई जस्टिस खन्ना ने कहा, कानून में आप कहते हैं क‍ि वक्‍फ बोर्ड गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य होंगे। क्‍या आप बता सकते हैं क‍ि कितने सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे? क्‍या आप अदालत को भरोसा देंगे क‍ि 2 पदेन सदस्‍यों के अलावा बाकी सब मुसलमान होंगे। कोर्ट ने यह भी पूछा क‍ि जब आप वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य बना रहे हैं तो क्‍या हिन्‍दुओं के ट्रस्‍ट में भी ऐसा होता है? और ह‍िन्‍दू कैसे अन्‍य धर्म के बारे में फैसला कर सकता है?

अन्य मुस्लिम संप्रदायों के फायदे का तर्क

इस पर केद्र सरकार के वकील ने जवाब द‍िया। एसजी ने अपने जवाब में कहा, अगर आपका तर्क मान ल‍िया जाए तो फ‍िर सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते। इस पर सीजेआई ने कहा, जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं। हम धर्मनिरपेक्ष हैं। हम एक ऐसे बोर्ड की बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का मैनेजमेंट कर रहा है। इस पर एसजी ने कहा, यह एक ऐसा बोर्ड होगा जो सलाहकार की तरह काम करेगा। एसजी ने यह भी दलील दी क‍ि अब तक वक्‍फ कानून से सिर्फ शिया और सुन्‍नी को फायदा मिलता था। अब मुस्लिमों के अन्य संप्रदायों, बोहरा और अन्य को बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल उठाए। सीजेआई खन्ना ने कहा कि 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं। उनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वक्फ ऐसे भी हैं, जिनकी वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाय यूजर मान्य किया गया। अगर आप इसे रद्द कर देंगे तो समस्या होगी।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई,सिब्बल और सिंघवी ने दी क्या बड़ी दलीलें

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वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मुद्दे पर दायर 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक वक्फ कानून पर रोक लगे। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए वक्फ कानून का बचाव किया। उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक कानून नहीं है, यह जेपीसी द्वारा विचार-विमर्श के बाद आया है। उन्होंने 98 लाख से ज़्यादा ज्ञापनों पर विस्तृत चर्चा की।

सिब्बल ने कहा अनुच्छेद 26 का उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सवाल उठाया, कानून के मुताबिक, मुझे अपने धर्म की आवश्यक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार है। सरकार कैसे तय कर सकती है कि वक्फ केवल वही लोग बना सकते हैं, जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं? सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप करता है। उन्होंने अधिनियम की धारा 3(सी) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, जो पहले से वक्फ घोषित थी।

यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर- सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है। सिब्बल ने राम जन्मभूमि के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि धारा 36, आप उपयोगकर्ता द्वारा बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। मान लीजिए कि यह मेरी अपनी संपत्ति है और मैं इसका उपयोग करना चाहता हूं, मैं पंजीकरण नहीं करना चाहता।

सीजेआई ने कहा कि पंजीकरण में क्या समस्या है? सिब्बल ने कहा कि मैं कह रहा हूं कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को समाप्त कर दिया गया है, यह मेरे धर्म का अभिन्न अंग है, इसे राम जन्मभूमि फैसले में मान्यता दी गई है। सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि वे कहेंगे कि यदि वक्फ 3000 साल पहले बनाया गया है तो वे डीड मांगेंगे।

अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी दलीलें दीं और कहा, हमने सुना है कि संसद की जमीन भी वक्फ की है। वहीं, सीजेआई खन्ना ने जवाब दिया, हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ गलत तरीके से पंजीकृत हैं, लेकिन कुछ चिंताएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट को सौंपी जा सकती है। इस पर अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि वक्फ संसोधित अधिनियम के रूल 3( 3)(डीए) में कलेक्टर को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। लोगों को अधिकारी के पास जाने के लिए बनाया गया है। सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है, यह ऐसा मामला नहीं है जहां मीलॉर्ड्स को हमें हाई कोर्ट भेजना चाहिए

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे कौन? खुफिया एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे


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वक्‍फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर कानून का विरोध भी जारी है। पश्चिम बंगाल में वक्‍फ संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई।

 वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ

सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। सूत्रों ने कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं।

विदेशों से हो रही थी फंडिंग

मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे। ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था।

सुवेंदु अधिकारी ने भी “बांग्लादेश” पर उठाई अंगुली

भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा (विस) में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठन 'अंसारुल्ला बांग्ला जमात' का हाथ बताते हुए आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने हिंसा भड़काने का काम किया। सोमवार को विस भवन के गेट पर मीडिया से बातचीत में सुवेंदु ने कहा-'बंगाल में जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है। स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान के लिए अगला विस चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होना चाहिए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग को इसकी सिफारिश करने पर विचार करना चाहिए।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है।

कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।

केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

वक्फ बिल संविधान पर हमला’, कांग्रेस अधिवेशन में बोले राहुल बोले

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गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का 84वां दो दिवसीय अधिवेशन आयोजित हुआ। बुधवार को अधिवेशन के आखिरी दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि संसद से पारित वक्फ संशोधन अधिनियम धर्म की स्वतंत्रता पर हमला और संविधान विरोधी कदम है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी निशाना बनाया जाएगा।

दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी बनाया जाएगा निशाना

कांग्रेस के एआईसीसी अध‍िवेशन को संबोध‍ित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, वक्फ बिल पास हुआ, ये फ्रीडम ऑफ रिलीजन पर आक्रमण है। संविधान पर आक्रमण है। वे लोग ऑर्गनाइजर में क्रिश्चियन की जमीन के लिए लिखते हैं, बाद में सिख के लिए भी आएंगे। आप टीकाराम जुली को ही देख‍िए। राजस्‍थान में विपक्ष के नेता हैं। मंदिर गए, उसके बाद बीजेपी के नेताओं ने मंदिर को धुलवाया। साफ करवाया। वो अपने आप को हिन्दू कहते हैं। एक दलित को मंदिर जाने का अधिकार नहीं देते। जब जाता है तो धुलवा दिया। ये हमारा धर्म नहीं। हम भी अपने आप को हिन्दू कहलाते हैं, मगर ये हमारा धर्म नहीं। हमारा धर्म सबको सम्मान देता है।

'आर्गेनाइजर' में ईसाइयों की भूमि को निशाना बनाने की बात-राहुल

राहुल गांधी ने दावा किया कि आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'आर्गेनाइजर' में ईसाइयों की भूमि को निशाना बनाने की बात की गई है और आगे सिख समुदाय के साथ भी ऐसा होगा। राहुल गांधी ने दावा किया देश भारतीय जनता पार्टी से तंग आ गया है और बिहार के विधानसभा चुनाव में यह दिखेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में बदलाव होने वाला है, लोगों का मूड दिख रहा है।

राहुल गांधी ने फिर उठाया जाति जनगणना का मामला

राहुल गांधी ने एक बार फिर से जाति जनगणना को लेकर आवाज उठाई है। उनके द्वारा संसद में भी जाति जनगणना की मांग उठाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण के रूप में क्रांतिकारी कदम उठाया गया है।राहुल गांधी ने कहा कि कुछ महीने पहले, मैंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि हमें देश में जाति जनगणना करवानी चाहिए... मैं जानना चाहता था कि इस देश में किसकी कितनी हिस्सेदारी है और क्या यह देश सही मायने में आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदायों का सम्मान करता है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस ने जाति जनगणना से साफ इनकार कर दिया क्योंकि वे नहीं चाहते कि इस देश में अल्पसंख्यकों को कितनी हिस्सेदारी मिलती है, यह पता चले। मैंने उनसे कहा कि हम संसद में आपके सामने ही जाति जनगणना कानून पारित करेंगे।राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा में, राज्यसभा में हम कानून पास करेंगे। जाति जनगणना यहीं से निकालेंगे। मैं जानता हूं कि जो तेलंगाना की हालत है, वह हर प्रदेश की है। तेलंगाना में 90 फीसदी आबादी, ओबीसी, दलित, अल्पसंख्यक है। तेलंगाना में मालिकों की लिस्ट, सीईओ की लिस्ट, सीनियर मैनेजमेंट की लिस्ट में इस 90 फीसदी में से नहीं मिलेगा।

राहुल ने कहा, तेलंगाना में सारे गिग वर्कर्स दलित, ओबीसी या आदिवासी हैं। तेलंगाना में जाति जनगणना में नया उदाहरण दिया है। तेलंगाना में हम सचमुच में विकास का काम कर सकते हैं। वहां हम हर सेक्टर में आपको बता सकते हैं। मैं खुश हूं कि जाति जनगणना होने के बाद हमारे सीएम और टीम ने ओबीसी रिजर्वेशन को 42% तक पहुंचा दिया। जब दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक की भागीदारी की बात आती है तो भाजपा के लोग चुप हो जाते हैं। जो हमने तेलंगाना में किया है, वह हम पूरे देश में करने जा रहे हैं। भाजपा ने इसे रद्द कर दिया है

वक्‍फ कानून को लेकर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

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वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा राजनेताओं की याचिकाएं शामिल हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इस बीच केंद्र सरकार भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। सरकार की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग रखी गई है।कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

क्या है कैविएट का मतलब?

"केवियट" एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "सावधान"। दरअसल, "केवियट" एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है?

कैविएट किसी भी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

वक्फ कानून के खिलाफ दर्जनभर याचिकाएं दायर

बता दें कि वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले वकीलों ने बताया कि याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।

बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ एक्ट, सीएम ममता की दो टूक, बोलीं- धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होने दूंगी

#waqfamendmentactnottobeimplementedinbengal

पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा कि नया वक्फ कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक पश्चिम बंगाल में ममता दीदी है, मुस्लिम समुदाय की संपत्ति की रक्षा करेगी। ममता कोलकाता में जैन समाज के कार्यक्रम में बोल रही थीं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिन हुई वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है।

समाज में फूट डालकर राज कर सके ऐसा नहीं होगा-ममता

कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए हम कदम उठाएंगी। उन्होंने कहा, मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आप दुखी हैं। भरोसा रखें, बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा, जिससे कोई समाज में फूट डालकर राज कर सके। उन्होंने कहा, लोग पूछते हैं कि मैं हर धर्म के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैं पूरी जिंदगी जाऊंगी। चाहे कोई गोली मार दे, मुझे एकता से अलग नहीं किया जा सकता। बंगाल में धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होगा। जियो और जीने दो यही हमारा रास्ता है।

राजनीतिक रूप से इकट्ठा होने के लिए उकसाता है तो...-ममता

ममता ने कहा, बांग्लादेश की स्थिति देखिए। इसे अभी पारित नहीं किया जाना चाहिए था। बंगाल में रहने वालों को सुरक्षा देना हमारा काम है। मैं आप सभी से अपील करती हूं कि अगर कोई आपको राजनीतिक रूप से एकत्र होने के लिए उकसाता है, तो कृपया ऐसा न करें। कृपया याद रखें कि दीदी आपकी और आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी। अगर हम साथ रहेंगे, तो हम दुनिया जीत सकते हैं।

हम एकजुट रहेंगे तो देश आगे बढ़ेगा

ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा उद्देश्य जोड़ना है, बांटना नहीं। जब हम एकजुट रहेंगे, तो देश तरक्की करेगा। कुछ लोग बंगाल को बदनाम कर रहे हैं, कह रहे हैं कि मैं राज्य में हिंदू धर्म को संरक्षण नहीं देती। फिर सबको संरक्षण कौन देता है? मुझे बंगाल के अल्पसंख्यकों को श्रेय देना चाहिए, जो राज्य में हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। सबका सिस्टम भले ही अलग हो सकता है, बंगाली लोग बंगाली गाना गाते हैं, हिंदू लोग हिंदी, गुजराती लोग दांडिया भी करते हैं। हमलोग भी मिलकर दांडिया करते हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि यह बंगाल है।उन्होंने कहा कि अगर हमें ये लोग गोली भी मार दें तो भी हमारी एकता को नहीं तोड़ सकते हैं।

मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के दौरान हिंसा

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को बीते गुरुवार को लोकसभा ने पारित किया था। इसके बाद शुक्रवार की सुबह राज्यसभा ने भी इस पर मुहर लगा दी थी। संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद इसे पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को विधेयक को अपनी मंजूरी भी दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने के लिए बीते दिन ही अधिसूचना जारी की है। हालांकि, लगातार इसका विरोध हो रहा है। इसी क्रम में बीते दिन मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। सड़क जाम करने से रोकने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इलाके में फिलहाल शांति है, लेकिन इंटरनेट को निलंबित रखा गया है

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर बवाल, नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस विधायक आपस में भिड़े

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। इस दौरान नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच नोकझोंक हुई। नेकां और पीडीपी विधायकों के बीच भी बहस हुई। नेकां के विधायक वक्फ कानून पर विधानसभा में बहस की मांग पर अड़ गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की।

यह लगातार दूसरा दिन था जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा द्वारा मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए एक नए प्रस्ताव दिया गया।

पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला

वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया। मंगलवार की सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो पारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ अपने प्रस्ताव की प्रति लेकर आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष से बहस करने लगे तथा केंद्र सरकार को संदेश देने के लिए इसे पारित करने की मांग करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष जब पारा को अपनी सीट पर लौटने के लिए कह रहे थे, तभी नेकां विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की। इसी दौरान अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वहीद पारा को सदन से बाहर ले जाएं। हालांकि पारा को बाहर निकाले जाने के बाद भी हंगामा जारी रहा। कई नेशनल कॉन्फ्रेंस और निर्दलीय विधायक आसान के समीप पहुंचकर वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सज्जाद लोन और नेकां के सलमान सागर के बीच तीखी बहस भी हुई।

सीएम अब्दुल्ला के रिजिजू से मिलने

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की। लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे बहुत गलत संदेश जाता है।

कल बिल की कॉपी फाड़ी गई थी

वहीं, सोमवार को वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। भाजपा ने इसका विरोध किया। इससे मामला गरमा गया। दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान एनसी के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। एक एनसी विधायक ने अपनी जैकेट फाड़कर सदन में लहराई। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। एनसी समेत अन्य दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।