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ज्यादा दिनों तक सच नहीं छुपा सका बांग्लादेश, यूनुस सरकार ने मानी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात

#muhammadyunusledbangladeshconfirms88incidentsofviolenceagainsthindu

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगे। हालांकि, हर बार वहां की अंतरिम सरकार ने

इन घटनाओं से इंकार किया और भारतीय मीडिया पर दुश्प्रचार का आरोप मढ़ा। हालांकि सच को कब तक छुपाया जाता। भारत ने बारा-बार इस पर कड़ा ऐतराज जताया। जिसके बाद बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।

हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश ने अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार अपने एक्शन की वाहवाही कर रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों। सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया। आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी के दौरे का असर?

यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

200 से अधिक हमले का आरोप

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले भी हुए हैं। विशेष रूप से हाल ही में एक हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई है। भारत सहित कई देशों ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं।

मोहम्मद यूनुस का एक और भारत विरोधी कदम, अब यूरोपीय देशों से बांग्लादेशी वीजा सेंटर दिल्ली से हटाने की मांग
#bangladesh_muhammad_yunus_european_union_ambassadors_visa_centers_shifted_from_delhi
* बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों के बीच वहां की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। ताजा घटनाक्रम में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्रों को दिल्ली से हटाकर ढाका या किसी अन्य पड़ोसी देश में स्थापित करें। सोमवार को ढाका में यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक में यह आह्वान किया.। बांग्लादेश में नियुक्त यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मिलर ने दोपहर 12 बजे राजधानी के तेजगांव स्थित मुख्य सलाहकार के कार्यालय में मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक की। इस बैठक में 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इस दौरान यूनुस ने भारत के "वीजा प्रतिबंधों" को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर भारत के प्रतिबंधों ने कई छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो यूरोपीय वीजा के लिए दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकते हैं।" मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया कि इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली बांग्लादेशी छात्रों से वंचित रह रहे हैं। यूनुस ने कहा कि कई छात्र दिल्ली जाकर यूरोपीय वीजा पाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि भारत ने बांग्लादेशियों के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिया है। परिणामस्वरूप, उनके शैक्षिक करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। उन्होंने राजनयिकों से कहा, "वीजा कार्यालयों को ढाका या किसी नजदीकी देश में स्थानांतरित करने से बांग्लादेश और यूरोपीय संघ दोनों को लाभ होगा।" ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका के अधिकारियों ने बुल्गारिया का उदाहरण भी दिया, जिसने बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्र को पहले ही इंडोनेशिया और वियतनाम में ट्रांसफर कर दिया है। राजनयिकों ने कहा कि वे ढाका की सुधार पहल का समर्थन करते हैं और नये बांग्लादेश के निर्माण में सलाह और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का वादा करते हैं। इस बीच, बांग्लादेश ने सोमवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। यह बयान मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस की भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के ठीक बाद आया है। पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्री ने बांग्लादेशी पक्ष से वादा किया है कि वह कदम उठाएंगे। मौजूदा समय में भारत बांग्लादेशियों को सीमित वीजा दे रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे चिकित्सा और अन्य जरूरी कारणों से सीमित वीजा दे रहे हैं।
बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स

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बांग्लादेश और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद से लगातार बांग्लादेशी की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। अपने यहां भड़की हिंसा की आग को बुझाने के बजाय अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध की झलकी पेश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है।

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर हमले और कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के बाद इन दोनों डिप्लोमेट्स को तत्काल ढाका वापस बुला लिया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बंगाल से राजनयिक वापस बांग्लादेश लौट आए हैं, जबकि त्रिपुरा के सहायक उच्चायुक्त के भी आज ढाका लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कोलकाता में बांग्लादेश के कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदार मोहम्मद अशरफुर रहमान और त्रिपुरा में सहायक उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को पिछले मंगलवार को तत्काल आधार पर ढाका लौटने का निर्देश दिया गया था।

क्यों भारत से बुलाए डिप्लोमेट्स?

बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ हुई थी। बाद में इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कैम्पस में घुसपैठ के मामले में 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर घटना का विरोध जताया गया था। साथ ही बांग्लादेश ने अगरतला में अपनी काउंसलर सर्विस भी बंद करने का ऐलान किया था। अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा से अपने डिप्लोमेट को वापस बुला लिया है।

हिंदुओं पर अत्याचार, विरोध में भारत

भारत सरकार लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर बयान जारी कर रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही घर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ भी सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध जताया था। बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बड़े धार्मिक चेहरे चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह का केस लगाया है।

अब बांग्लादेश में 'बॉयकॉट इंडिया'

उधर, अगरतला-कोलकाता की घटना के जवाब में बांग्लादेश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की अपील की।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में भारत विरोधी प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय साड़ी जलाते हुए लोगों से भारतीय सामान न खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, हम उनका सामान खरीदकर उनका समर्थन नहीं करेंगे। हमारी माताएं-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी।"

शांति का नोबेल...फिर अशांत बांग्लादेश को क्यों नहीं संभाल पा रहे मोहम्मद यूनुस?

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बांग्लादेश में अगस्त में तख्तापलट हुआ था। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार को लेकर जून से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। अगस्त में प्रदर्शन इतना भयावह हो गया कि शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार के तौर पर चुना गया। नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस के साथ ही उम्मीद थी कि बांग्लादेश के हालात बेहतर होंगे। अगस्त के बाद यानी शेख हसीना के जाने के बाद चार महीने बीत चुके हैं। हालांकि, देश में लॉ एंड ऑर्डर के हाल बद से बद्दतर होते जा रहे हैं। यूनुस सरकार से बांग्लादेश नहीं संभल रहा। बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। न केवल हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा, बल्कि हिंदुओं पर अत्याचार भी हो रहे हैं। इस हालात में मोहम्मदपर ये कहावत बड़ी सटीक बैठती है कि “जब रोम जल रहा था तो नीरो बाँसुरी बजा रहा था।”

बांग्लादेश के हालात पर पूरी दुनिया में सवेल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर मोहम्मद यूनुस सरकार क्या कर रही है? किसके इशारे पर यूनुस हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले करवा रहे हैं? क्यों वह इसे रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है? कुछ तो यूनुस के शांति के नोबेल पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

कट्टरपथियों को बढ़ावा दे रही

बांग्लादेश में 4 अगस्त के बाद से कट्टरपंथियों का राज कायम हो गया है। मोहम्मद यूनुस इन इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। हिंदुओं पर हमले के 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन मोहम्मद यूनुस की सरकार इन हमलों को रोक पाने में नाकाम रही है। कट्टरपथियों को बढ़ावा देने और उनके सामने घुटने टेकने के लिए बांग्लादेश की मौजूदा सरकार की इस वक्त पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

हमलों के पीछे किनका हाथ?

अमेरिकन एनजीओ, फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के मुताबिक, 5 अगस्त के बाद से हिंदू समुदाय पर हिंसा के दो सौ से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि ज्यादातर मामले सामने ही नहीं आए। चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने अशांति को और भड़का दिया है। इसके बाद से ढाका समेत कई बड़े शहरों में प्रोटेस्ट हो रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हमलों के पीछे कथित तौर पर जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के लोग हैं।

अगस्त में तख्तापलट के बाद से दो घटनाओं में जेल से लगभग सात सौ कैदी फरार हो गए, इनमें से काफी सारे कैदी जमात-उल-मुजाहिदीन के सपोर्टर थे। इस दौरान ही हिंदुओं पर हमले बढ़ते चले गए।

यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से रिश्तों के मायने

एक बड़ी चिंता ये है कि यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से अच्छे रिश्ते बने हुए हैं। कम से कम उनके हालिया राजनैतिक फैसलों से यही झलकता है। अंतरिम सरकार के लीडर बतौर उन्होंने इस गुट पर लगी पाबंदियां हटा दीं। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी पर कट्टरपंथी राजनैतिक गुट है, जिसके खिलाफ खुद वहां की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए उसके चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी। पॉलिटिकल गतिविधियों के अलावा वो कोई सभा भी नहीं कर सकती थी। लेकिन अंतरिम सरकार के आते ही उसपर से सारी रोकटोक खत्म हो गई।

हेफाजत-ए-इस्लाम से भी मेल-मिलाप

हेफाजत-ए-इस्लाम भी एक कट्टरपंथी संगठन है, जिससे यूनुस से रिश्ते सामने आ रहे हैं। इस गुट की विचारधारा महिलाओं के बिल्कुल खिलाफ है, यहां तक कि इसके नेता भी अपनी भारत-विरोधी सोच के लिए जाने जाते हैं। यूनुस का हाल में इन नेताओं से संपर्क बढ़ा है। अगस्त 2024 में, उन्होंने इसके नेता ममनुल हक से मुलाकात की थी।

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

#khaleda_zia_meets_muhammad_yunus_in_dhaka

शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

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शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

फिर सुलगने लगा बांग्लादेश, अब शेख हसीना के समर्थक सड़कों पर, ट्रंप के जीतते ही आवामी लीग में उत्साह!

#sheikhhasinaawamileagueprotestmuhammadyunus

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और देश की सबसे बड़ी पार्टी अवामी लीग की नेता शेख हसीना एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। दरअसल, बांग्लादेश में एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस बार शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए हैं।शेख हसीना की पार्टी के समर्थकों और भूमिगत हुए नेता रविवार को ढाका के गुलिस्तान, जीरो पॉइंट, नूर हुसैन स्क्वायर इलाकों में सड़कों पर उतरे।अपने नेताओं को गलत तरीके से फंसाने, छात्र विंग पर प्रतिबंध लगाने और एएल कार्यकर्ताओं को सताने के लिए अवामी लीग द्वारा यह विरोध प्रदर्शन किया गया।

5 अगस्त को शेख हसीना के तख्तापलट के बाद तीन महीनों में जो नहीं हुआ ढाका में वो देखना को मिला। तख्तापलट के बाद शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता हमलों का शिकार हुए। वो अब अचानक खुलकर यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। हालांकि अंतरिम सरकार ने उन्हें चेतावनी दी लेकिन वो नहीं माने। कुछ समय पहले अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के स्टूडेंट विंग ‘स्टूडेंट लीग’ को बैन कर दिया था। संगठन के खिलाफ 2009 के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की गई। स्टूडेंट लीग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया। इसी के खिलाफ अवामी लीग ने मोर्चा खोल दिया। वो नेता भी बाहर आ गए जो कल तक अंडरग्राउंड थे।

हसीना की पार्टी अवामी लीग के फेसबुक पेज पर सफल विरोध मार्च के लिए आह्वान करते हुए पोस्ट जारी हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। इस पोस्ट में, पार्टी ने 10 नवंबर को शहीद नूर हुसैन दिवस के उपलक्ष्य में ढाका के जीरो प्वाइंट शहीद नूर हुसैन स्क्वायर पर विरोध मार्च की घोषणा की। उन्होंने तीन बजे भी मार्च निकालने की घोषणा की।पोस्ट के जरिए कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है जो मुक्ति संग्राम के मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।

इधर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बांग्लादेश की सेना-पुलिस तैनात कर दी गई। ढाका पुलिस ने उन्हें विरोध रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दी है। देशभर में सेना की 191 टुकड़ियां तैनात की गई है। वहीं इस बीच सरकार के विभिन्न हलकों ने चेतावनी भी दी है कि आवामी लीग को विरोध मार्च आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अवामी लीग को फासीवादी करार देते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी को नियोजित रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं देगी।

अब सवाल है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि अवामी लीग इतनी आक्रामक हो गई? इसे अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप की वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, शेख हसीना ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई संदेश दिया है। इसमें शेख हसीना ने खुद को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाता।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना ने ट्रंप को बधाई संदेश अपनी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के लेटर हेड पर लिखा। लेटर हेड पर सामने ही मोटे अक्षरों में पार्टी का नाम है। इसके नीचे पता 23 बंगबंधु एवेन्यू, ढाका का पता लिखा था। आखिर में बांग्लादेश अवामी लीग के ऑफिस सेक्रेटरी बिप्लब बरुआ के हस्ताक्षर।

इसके अलावा शेख हसीना ने ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है। इसमें शेख हसीना के साथ उनकी बेटी साइमा वाजिद भी खड़ी हैं।

पार्टी के सुप्रीम नेता के एक्टिव मोड में आने से शायद बांग्लादेश में ठंडे पड़ चुके कार्यकर्ताओं को भी ग्रीन सिग्नल मिला। जिसके बाद बांग्लादेश में अवामी लीग माहौल बनाने में जुट गई है।

अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया

बता दें कि शेख हसीना ने कथित तौर पर खुद को बांग्लादेश से हटाए जाने के पीछे वर्तमान जो बाइडन प्रशासन के होने का आरोप लगाया था। शेख हसीना ने प्रधानमंत्री रहते हुए भी अमेरिका पर उनके खिलाफ तख्तापलट का आरोप लगाया था।

शेख हसीने के तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ होने का कोई ठोस सबूत भले ही ना हो, लेकिन अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, सवाल यह भी उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है।

यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी

वहीं, अगर मोहम्मद यूनुस की बात की जाए तो वे घोषित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। 2016 में, ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद, पेरिस में एक व्याख्यान देते हुए, यूनुस ने कहा था, "ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? बेशक, मुझे आना चाहिए, हमें इस गिरावट को अवसाद में नहीं जाने देना चाहिए, हम इन काले बादलों को दूर कर देंगे।" ट्रंप पर यूनुस के पिछले विचार और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से निंदा किए जाने के कारण इस नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए अमेरिका से निपटना मुश्किल हो सकता है।

बांग्लादेश में पूरी प्लानिंग से किया गया तख्तापलट, मोहम्मद यूनुस ने मास्टरमाइंड का नाम बताया

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5 अगस्त 2024... वो तारीख, जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। हालांकि, शेख हसीना का तख्तापलट अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकरे पीछे पूरी प्लानिंग के तरह काम किया गया। शेख हसीना ने भी देश छोड़ने बाद ये आरोप लगाया था। अब खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने ये बात स्वीकार की है। यही नहीं मोहम्मद यूनुस आंदोलन के पीछे के असली मास्टरमाइंड के बारे में बताया। इस शख्स को मोहम्मद यूनुस ने अपना विशेष सहायक बना रखा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश किया। मोहम्मद यूनुस ने 'क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव' कार्यक्रम में शिरकत की। यहां उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन सावधानीपूर्वक किए गए थे और ये संयोग नहीं था। उन्होंने छात्र नेता महफूज आलम का भी नाम लिया। स मौके पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे।

बिल क्लिंटन की मौजूदगी मास्टरमाइंड का खुलासा

बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यूनुस ने मंच पर महफूज आलम को बुलाकर कहा, 'पूरी क्रांति के पीछे यही (महफूज) थे।मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ये इससे इनकार करते हैं, लेकिन क्रांति के पीछे यही थे। ये अचानक हुई चीज नहीं थी। आंदोलन को बहुत अच्छे से डिजाइन किया गया था। लोगों को ये भी नहीं मालूम था कि नेता कौन हैं। ऐसे में आप किसी एक को पकड़कर ये नहीं कह सकते कि आंदोलन खत्म हो गया।'

मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम की जमकर की तारीफ

मोहम्मद यूनुस ने अपने विशेष सहायक महफूज आलम का परिचय कराते हुए कहा, 'वे भी किसी अन्य युवा की तरह ही दिखते हैं, जिन्हें आप पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन जब आप उन्हें काम करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे, तो आप हिल जाएंगे। उन्होंने अपने भाषणों, अपने समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता से पूरे देश को हिला दिया।'

हसीना ने अमेरिका पर लगाए थे तख्तापलट के आरोप

इससे पहले अगस्त में शेख हसीना ने अमेरिका पर तख्तापलट के आरोप लगाए थे।उन्होंने कहा था, वे छात्रों के शवों पर चढ़कर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने इसकी अनुमति नहीं दी। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती।

अवामी लीग के कुछ नेताओं ने भी सत्ता परिवर्तन के लिए मई में ढाका का दौरा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को जिम्मेदार ठहराया था।आरोप है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ कदम उठाने के लिए हसीना पर दबाव डाल रहे थे।

Humanitarian & Social Activist Kamal H. Muhamed adds one more medal to his credentials, wins the 3rd Award in month of September at Kathmandu


Human Rights Activist, Social Worker and Entrepreneur  Kamal H. Muhammad won the International Achievers Award Nepal for Best Social Activist  of the Year 2024.Award was presented by Chief Guest Dr Suhasini Sudan Madame Miss Universe for Humanity ,India in the presence of Shri.Santosh Subedi Chairman NCFC Shri.Amol Ji Bollywood Film Producer  and Shri.Dinesh Khadka Nepal movie actor, few others from film industry personalities and entrepreneurs here at British College Trade Hall  Kathmandu  on 15th September. Ceremonial kick started with Watering Plants initiated as a code of respect on environmental

Kamal H. Muhamed was the only important Awardee invited from India  in addition, the Award Certificates were signed by Honourable Shree Bimal ThakuriJi Minister of Culture Tourism and Finance, Government of Nepal.

On 28th August Kamal H. Muhamed  won Junior Chamber International (JCI) Award  for Humanitarian Puraskaram and the Dada Saheb Phalke International Motivational Award on 24th August for his active efforts in the field of Humanitarian & Social Services .

Shri. Hibi Eden Member of Parliament presented the JCI award was given on the occasion of JCI's 60th anniversary at a ceremony held in Kochi. JCI National President Dr. Rakesh Sharma, Cochin Chapter President Dr. Shabir Iqbal ,Dy Commissioner of Police Kochi Shri Sudarshan IPS and others participated .

Dada Saheb Phalke International Motivation award was given out by Punjabi & Hindi Singer Shri.Baljeet Singh Ji in the presence of Founder & Organiser Shri.A .Bhagat ji in presence of various dignitaries at Mumbai.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS ( Member  United Nations Global Compact) , Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital  Wellmed Trip Mauritius.& Well Wisher of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation)

Kamal H. Muhamed also had written his Autobiography "Daring Prince” ( Truth Revealed). Book was released by his Childhood Classmate Globally fame Spiritual Guide & Philanthropist Dr.Mohanji in the presence of various high profiled dignitaries  on March 23rd 2024 at Adlux Paragon Angamaly Kochi.Muhamed is survived with Wife & 3 Children.

YouTube: Instagram: https://www.instagram.com/kamalonlymerit?igsh=MW52NHI3bXFuZmwxcA==

जमात-ए-इस्लामी का उदय और बांग्लादेश की राजनीतिक पहेली, भारत पर क्या होगा इनका असर ?

#rise_of_jamaat-e-islami_and_bangladesh_political_conundrum

Nobel laureate Muhammad Yunus salutes to the attendees upon arrival at the Bangabhaban,Bangladesh (REUTERS)

शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के एक महीने बाद, पश्चिम समर्थक मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकर-उस-ज़मान की अगुआई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार देश में कानून और व्यवस्था बहाल करने में विफल रही है, जबकि खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की कीमत पर भी इस्लामी जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) का तेजी से उदय हो रहा है।

जेईआई का उदय, जिसका मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ गहरा वैचारिक संबंध है, और कट्टरपंथी हिफाजत-ए-इस्लाम और इस्लामी राज्य समर्थक अंसार-उल-बांग्ला टीम के साथ रणनीतिक रूप से हाथ मिलाना बांग्लादेश की लोकतांत्रिक साख के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि छात्र नेता भी इस्लामवादियों द्वारा नियंत्रित या शायद प्रभावित हैं।

रिपोर्ट्स से पता चलता है कि न तो बांग्लादेश की सेना और न ही यूनुस देश में अवामी लीग के कार्यकर्ता विरोधी और हिंदू विरोधी हिंसा को नियंत्रित करने में सक्षम रहे हैं, क्योंकि सेना अपराधियों से निपटने के लिए तैयार नहीं है और केवल मूकदर्शक बनकर रह गई है।

जम्मू-कश्मीर और भारत के अंदरूनी इलाकों में जमात का प्रभाव होने के कारण, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ने जेईआई के उदय को देखा है, क्योंकि इसका भारत के भीतर सुरक्षा पर असर पड़ता है। 1990 के दशक में, जमात पूरे भारत में विशेष रूप से यूपी, महाराष्ट्र, अविभाजित आंध्र प्रदेश में सिमी के उदय के पीछे थी और बाद में पाकिस्तान ने इस समूह को इंडियन मुजाहिदीन के रूप में हथियारबंद कर दिया। जमात ने घाटी में युवाओं को हथियार उठाने के लिए कट्टरपंथी बनाकर पाकिस्तान समर्थक भावना को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जबकि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार चुनावों की घोषणा करने की जल्दी में नहीं है, एक कमजोर सरकार, बढ़ती इस्लामी कट्टरता और अर्थव्यवस्था की गिरती स्थिति ढाका के लिए आपदा का कारण बन रही है। दूसरी ओर, वर्तमान में आवामी लीग के भयभीत कार्यकर्ता आने वाले महीनों में फिर से संगठित होकर हाथ मिला सकते हैं और बीएनपी तथा इसके अधिक मजबूत सहयोगी जेईआई को चुनौती दे सकते हैं। इनपुट संकेत देते हैं कि वास्तव में 5 अगस्त के बाद बांग्लादेश में जेईआई ने बीएनपी की कीमत पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

जबकि भारत हिंसा तथा हिंदुओं और आवामी लीग कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से निशाना बनाए जाने के बारे में चिंतित है, वह स्थिति पर नजर रख रहा है, क्योंकि एक अनिर्णायक अंतरिम सरकार उन युवाओं में असंतोष को जन्म देगी, जिन्होंने शेख हसीना को बाहर किया था। इसके साथ ही आर्थिक संकट, कपड़ा मिलों तथा परिधान विनिर्माण इकाइयों के बंद होने से बेरोजगारी तथा राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ेगी। पहले ही, बांग्लादेश का बाह्य तथा आंतरिक ऋण 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुका है। बांग्लादेश राजनीतिक रूप से बारूद के ढेर पर बैठा है और एक वर्ष के भीतर एक बार फिर विस्फोट हो सकता है।

बांग्लादेश स्तिथि का आंकलन करना भारत के लिए भी ज़रूरी है क्योकि इसका असर भारत को भी झेलना पड़ सकता है। बॉर्डर पर माइग्रेशन जैसी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है।

ज्यादा दिनों तक सच नहीं छुपा सका बांग्लादेश, यूनुस सरकार ने मानी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात

#muhammadyunusledbangladeshconfirms88incidentsofviolenceagainsthindu

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगे। हालांकि, हर बार वहां की अंतरिम सरकार ने

इन घटनाओं से इंकार किया और भारतीय मीडिया पर दुश्प्रचार का आरोप मढ़ा। हालांकि सच को कब तक छुपाया जाता। भारत ने बारा-बार इस पर कड़ा ऐतराज जताया। जिसके बाद बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।

हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश ने अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार अपने एक्शन की वाहवाही कर रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों। सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया। आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी के दौरे का असर?

यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

200 से अधिक हमले का आरोप

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले भी हुए हैं। विशेष रूप से हाल ही में एक हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई है। भारत सहित कई देशों ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं।

मोहम्मद यूनुस का एक और भारत विरोधी कदम, अब यूरोपीय देशों से बांग्लादेशी वीजा सेंटर दिल्ली से हटाने की मांग
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* बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों के बीच वहां की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। ताजा घटनाक्रम में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्रों को दिल्ली से हटाकर ढाका या किसी अन्य पड़ोसी देश में स्थापित करें। सोमवार को ढाका में यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक में यह आह्वान किया.। बांग्लादेश में नियुक्त यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मिलर ने दोपहर 12 बजे राजधानी के तेजगांव स्थित मुख्य सलाहकार के कार्यालय में मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक की। इस बैठक में 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इस दौरान यूनुस ने भारत के "वीजा प्रतिबंधों" को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर भारत के प्रतिबंधों ने कई छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो यूरोपीय वीजा के लिए दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकते हैं।" मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया कि इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली बांग्लादेशी छात्रों से वंचित रह रहे हैं। यूनुस ने कहा कि कई छात्र दिल्ली जाकर यूरोपीय वीजा पाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि भारत ने बांग्लादेशियों के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिया है। परिणामस्वरूप, उनके शैक्षिक करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। उन्होंने राजनयिकों से कहा, "वीजा कार्यालयों को ढाका या किसी नजदीकी देश में स्थानांतरित करने से बांग्लादेश और यूरोपीय संघ दोनों को लाभ होगा।" ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका के अधिकारियों ने बुल्गारिया का उदाहरण भी दिया, जिसने बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्र को पहले ही इंडोनेशिया और वियतनाम में ट्रांसफर कर दिया है। राजनयिकों ने कहा कि वे ढाका की सुधार पहल का समर्थन करते हैं और नये बांग्लादेश के निर्माण में सलाह और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का वादा करते हैं। इस बीच, बांग्लादेश ने सोमवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। यह बयान मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस की भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के ठीक बाद आया है। पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्री ने बांग्लादेशी पक्ष से वादा किया है कि वह कदम उठाएंगे। मौजूदा समय में भारत बांग्लादेशियों को सीमित वीजा दे रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे चिकित्सा और अन्य जरूरी कारणों से सीमित वीजा दे रहे हैं।
बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स

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बांग्लादेश और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद से लगातार बांग्लादेशी की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। अपने यहां भड़की हिंसा की आग को बुझाने के बजाय अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध की झलकी पेश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है।

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर हमले और कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के बाद इन दोनों डिप्लोमेट्स को तत्काल ढाका वापस बुला लिया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बंगाल से राजनयिक वापस बांग्लादेश लौट आए हैं, जबकि त्रिपुरा के सहायक उच्चायुक्त के भी आज ढाका लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कोलकाता में बांग्लादेश के कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदार मोहम्मद अशरफुर रहमान और त्रिपुरा में सहायक उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को पिछले मंगलवार को तत्काल आधार पर ढाका लौटने का निर्देश दिया गया था।

क्यों भारत से बुलाए डिप्लोमेट्स?

बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ हुई थी। बाद में इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कैम्पस में घुसपैठ के मामले में 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर घटना का विरोध जताया गया था। साथ ही बांग्लादेश ने अगरतला में अपनी काउंसलर सर्विस भी बंद करने का ऐलान किया था। अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा से अपने डिप्लोमेट को वापस बुला लिया है।

हिंदुओं पर अत्याचार, विरोध में भारत

भारत सरकार लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर बयान जारी कर रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही घर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ भी सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध जताया था। बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बड़े धार्मिक चेहरे चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह का केस लगाया है।

अब बांग्लादेश में 'बॉयकॉट इंडिया'

उधर, अगरतला-कोलकाता की घटना के जवाब में बांग्लादेश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की अपील की।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में भारत विरोधी प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय साड़ी जलाते हुए लोगों से भारतीय सामान न खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, हम उनका सामान खरीदकर उनका समर्थन नहीं करेंगे। हमारी माताएं-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी।"

शांति का नोबेल...फिर अशांत बांग्लादेश को क्यों नहीं संभाल पा रहे मोहम्मद यूनुस?

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बांग्लादेश में अगस्त में तख्तापलट हुआ था। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार को लेकर जून से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। अगस्त में प्रदर्शन इतना भयावह हो गया कि शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार के तौर पर चुना गया। नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस के साथ ही उम्मीद थी कि बांग्लादेश के हालात बेहतर होंगे। अगस्त के बाद यानी शेख हसीना के जाने के बाद चार महीने बीत चुके हैं। हालांकि, देश में लॉ एंड ऑर्डर के हाल बद से बद्दतर होते जा रहे हैं। यूनुस सरकार से बांग्लादेश नहीं संभल रहा। बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। न केवल हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा, बल्कि हिंदुओं पर अत्याचार भी हो रहे हैं। इस हालात में मोहम्मदपर ये कहावत बड़ी सटीक बैठती है कि “जब रोम जल रहा था तो नीरो बाँसुरी बजा रहा था।”

बांग्लादेश के हालात पर पूरी दुनिया में सवेल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर मोहम्मद यूनुस सरकार क्या कर रही है? किसके इशारे पर यूनुस हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले करवा रहे हैं? क्यों वह इसे रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है? कुछ तो यूनुस के शांति के नोबेल पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

कट्टरपथियों को बढ़ावा दे रही

बांग्लादेश में 4 अगस्त के बाद से कट्टरपंथियों का राज कायम हो गया है। मोहम्मद यूनुस इन इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। हिंदुओं पर हमले के 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन मोहम्मद यूनुस की सरकार इन हमलों को रोक पाने में नाकाम रही है। कट्टरपथियों को बढ़ावा देने और उनके सामने घुटने टेकने के लिए बांग्लादेश की मौजूदा सरकार की इस वक्त पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

हमलों के पीछे किनका हाथ?

अमेरिकन एनजीओ, फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के मुताबिक, 5 अगस्त के बाद से हिंदू समुदाय पर हिंसा के दो सौ से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि ज्यादातर मामले सामने ही नहीं आए। चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने अशांति को और भड़का दिया है। इसके बाद से ढाका समेत कई बड़े शहरों में प्रोटेस्ट हो रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हमलों के पीछे कथित तौर पर जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के लोग हैं।

अगस्त में तख्तापलट के बाद से दो घटनाओं में जेल से लगभग सात सौ कैदी फरार हो गए, इनमें से काफी सारे कैदी जमात-उल-मुजाहिदीन के सपोर्टर थे। इस दौरान ही हिंदुओं पर हमले बढ़ते चले गए।

यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से रिश्तों के मायने

एक बड़ी चिंता ये है कि यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से अच्छे रिश्ते बने हुए हैं। कम से कम उनके हालिया राजनैतिक फैसलों से यही झलकता है। अंतरिम सरकार के लीडर बतौर उन्होंने इस गुट पर लगी पाबंदियां हटा दीं। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी पर कट्टरपंथी राजनैतिक गुट है, जिसके खिलाफ खुद वहां की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए उसके चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी। पॉलिटिकल गतिविधियों के अलावा वो कोई सभा भी नहीं कर सकती थी। लेकिन अंतरिम सरकार के आते ही उसपर से सारी रोकटोक खत्म हो गई।

हेफाजत-ए-इस्लाम से भी मेल-मिलाप

हेफाजत-ए-इस्लाम भी एक कट्टरपंथी संगठन है, जिससे यूनुस से रिश्ते सामने आ रहे हैं। इस गुट की विचारधारा महिलाओं के बिल्कुल खिलाफ है, यहां तक कि इसके नेता भी अपनी भारत-विरोधी सोच के लिए जाने जाते हैं। यूनुस का हाल में इन नेताओं से संपर्क बढ़ा है। अगस्त 2024 में, उन्होंने इसके नेता ममनुल हक से मुलाकात की थी।

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

#khaleda_zia_meets_muhammad_yunus_in_dhaka

शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

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शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

फिर सुलगने लगा बांग्लादेश, अब शेख हसीना के समर्थक सड़कों पर, ट्रंप के जीतते ही आवामी लीग में उत्साह!

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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और देश की सबसे बड़ी पार्टी अवामी लीग की नेता शेख हसीना एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। दरअसल, बांग्लादेश में एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस बार शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए हैं।शेख हसीना की पार्टी के समर्थकों और भूमिगत हुए नेता रविवार को ढाका के गुलिस्तान, जीरो पॉइंट, नूर हुसैन स्क्वायर इलाकों में सड़कों पर उतरे।अपने नेताओं को गलत तरीके से फंसाने, छात्र विंग पर प्रतिबंध लगाने और एएल कार्यकर्ताओं को सताने के लिए अवामी लीग द्वारा यह विरोध प्रदर्शन किया गया।

5 अगस्त को शेख हसीना के तख्तापलट के बाद तीन महीनों में जो नहीं हुआ ढाका में वो देखना को मिला। तख्तापलट के बाद शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता हमलों का शिकार हुए। वो अब अचानक खुलकर यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। हालांकि अंतरिम सरकार ने उन्हें चेतावनी दी लेकिन वो नहीं माने। कुछ समय पहले अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के स्टूडेंट विंग ‘स्टूडेंट लीग’ को बैन कर दिया था। संगठन के खिलाफ 2009 के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की गई। स्टूडेंट लीग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया। इसी के खिलाफ अवामी लीग ने मोर्चा खोल दिया। वो नेता भी बाहर आ गए जो कल तक अंडरग्राउंड थे।

हसीना की पार्टी अवामी लीग के फेसबुक पेज पर सफल विरोध मार्च के लिए आह्वान करते हुए पोस्ट जारी हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। इस पोस्ट में, पार्टी ने 10 नवंबर को शहीद नूर हुसैन दिवस के उपलक्ष्य में ढाका के जीरो प्वाइंट शहीद नूर हुसैन स्क्वायर पर विरोध मार्च की घोषणा की। उन्होंने तीन बजे भी मार्च निकालने की घोषणा की।पोस्ट के जरिए कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है जो मुक्ति संग्राम के मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।

इधर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बांग्लादेश की सेना-पुलिस तैनात कर दी गई। ढाका पुलिस ने उन्हें विरोध रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दी है। देशभर में सेना की 191 टुकड़ियां तैनात की गई है। वहीं इस बीच सरकार के विभिन्न हलकों ने चेतावनी भी दी है कि आवामी लीग को विरोध मार्च आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अवामी लीग को फासीवादी करार देते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी को नियोजित रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं देगी।

अब सवाल है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि अवामी लीग इतनी आक्रामक हो गई? इसे अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप की वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, शेख हसीना ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई संदेश दिया है। इसमें शेख हसीना ने खुद को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाता।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना ने ट्रंप को बधाई संदेश अपनी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के लेटर हेड पर लिखा। लेटर हेड पर सामने ही मोटे अक्षरों में पार्टी का नाम है। इसके नीचे पता 23 बंगबंधु एवेन्यू, ढाका का पता लिखा था। आखिर में बांग्लादेश अवामी लीग के ऑफिस सेक्रेटरी बिप्लब बरुआ के हस्ताक्षर।

इसके अलावा शेख हसीना ने ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है। इसमें शेख हसीना के साथ उनकी बेटी साइमा वाजिद भी खड़ी हैं।

पार्टी के सुप्रीम नेता के एक्टिव मोड में आने से शायद बांग्लादेश में ठंडे पड़ चुके कार्यकर्ताओं को भी ग्रीन सिग्नल मिला। जिसके बाद बांग्लादेश में अवामी लीग माहौल बनाने में जुट गई है।

अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया

बता दें कि शेख हसीना ने कथित तौर पर खुद को बांग्लादेश से हटाए जाने के पीछे वर्तमान जो बाइडन प्रशासन के होने का आरोप लगाया था। शेख हसीना ने प्रधानमंत्री रहते हुए भी अमेरिका पर उनके खिलाफ तख्तापलट का आरोप लगाया था।

शेख हसीने के तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ होने का कोई ठोस सबूत भले ही ना हो, लेकिन अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, सवाल यह भी उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है।

यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी

वहीं, अगर मोहम्मद यूनुस की बात की जाए तो वे घोषित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। 2016 में, ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद, पेरिस में एक व्याख्यान देते हुए, यूनुस ने कहा था, "ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? बेशक, मुझे आना चाहिए, हमें इस गिरावट को अवसाद में नहीं जाने देना चाहिए, हम इन काले बादलों को दूर कर देंगे।" ट्रंप पर यूनुस के पिछले विचार और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से निंदा किए जाने के कारण इस नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए अमेरिका से निपटना मुश्किल हो सकता है।

बांग्लादेश में पूरी प्लानिंग से किया गया तख्तापलट, मोहम्मद यूनुस ने मास्टरमाइंड का नाम बताया

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5 अगस्त 2024... वो तारीख, जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। हालांकि, शेख हसीना का तख्तापलट अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकरे पीछे पूरी प्लानिंग के तरह काम किया गया। शेख हसीना ने भी देश छोड़ने बाद ये आरोप लगाया था। अब खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने ये बात स्वीकार की है। यही नहीं मोहम्मद यूनुस आंदोलन के पीछे के असली मास्टरमाइंड के बारे में बताया। इस शख्स को मोहम्मद यूनुस ने अपना विशेष सहायक बना रखा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश किया। मोहम्मद यूनुस ने 'क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव' कार्यक्रम में शिरकत की। यहां उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन सावधानीपूर्वक किए गए थे और ये संयोग नहीं था। उन्होंने छात्र नेता महफूज आलम का भी नाम लिया। स मौके पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे।

बिल क्लिंटन की मौजूदगी मास्टरमाइंड का खुलासा

बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यूनुस ने मंच पर महफूज आलम को बुलाकर कहा, 'पूरी क्रांति के पीछे यही (महफूज) थे।मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ये इससे इनकार करते हैं, लेकिन क्रांति के पीछे यही थे। ये अचानक हुई चीज नहीं थी। आंदोलन को बहुत अच्छे से डिजाइन किया गया था। लोगों को ये भी नहीं मालूम था कि नेता कौन हैं। ऐसे में आप किसी एक को पकड़कर ये नहीं कह सकते कि आंदोलन खत्म हो गया।'

मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम की जमकर की तारीफ

मोहम्मद यूनुस ने अपने विशेष सहायक महफूज आलम का परिचय कराते हुए कहा, 'वे भी किसी अन्य युवा की तरह ही दिखते हैं, जिन्हें आप पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन जब आप उन्हें काम करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे, तो आप हिल जाएंगे। उन्होंने अपने भाषणों, अपने समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता से पूरे देश को हिला दिया।'

हसीना ने अमेरिका पर लगाए थे तख्तापलट के आरोप

इससे पहले अगस्त में शेख हसीना ने अमेरिका पर तख्तापलट के आरोप लगाए थे।उन्होंने कहा था, वे छात्रों के शवों पर चढ़कर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने इसकी अनुमति नहीं दी। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती।

अवामी लीग के कुछ नेताओं ने भी सत्ता परिवर्तन के लिए मई में ढाका का दौरा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को जिम्मेदार ठहराया था।आरोप है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ कदम उठाने के लिए हसीना पर दबाव डाल रहे थे।

Humanitarian & Social Activist Kamal H. Muhamed adds one more medal to his credentials, wins the 3rd Award in month of September at Kathmandu


Human Rights Activist, Social Worker and Entrepreneur  Kamal H. Muhammad won the International Achievers Award Nepal for Best Social Activist  of the Year 2024.Award was presented by Chief Guest Dr Suhasini Sudan Madame Miss Universe for Humanity ,India in the presence of Shri.Santosh Subedi Chairman NCFC Shri.Amol Ji Bollywood Film Producer  and Shri.Dinesh Khadka Nepal movie actor, few others from film industry personalities and entrepreneurs here at British College Trade Hall  Kathmandu  on 15th September. Ceremonial kick started with Watering Plants initiated as a code of respect on environmental

Kamal H. Muhamed was the only important Awardee invited from India  in addition, the Award Certificates were signed by Honourable Shree Bimal ThakuriJi Minister of Culture Tourism and Finance, Government of Nepal.

On 28th August Kamal H. Muhamed  won Junior Chamber International (JCI) Award  for Humanitarian Puraskaram and the Dada Saheb Phalke International Motivational Award on 24th August for his active efforts in the field of Humanitarian & Social Services .

Shri. Hibi Eden Member of Parliament presented the JCI award was given on the occasion of JCI's 60th anniversary at a ceremony held in Kochi. JCI National President Dr. Rakesh Sharma, Cochin Chapter President Dr. Shabir Iqbal ,Dy Commissioner of Police Kochi Shri Sudarshan IPS and others participated .

Dada Saheb Phalke International Motivation award was given out by Punjabi & Hindi Singer Shri.Baljeet Singh Ji in the presence of Founder & Organiser Shri.A .Bhagat ji in presence of various dignitaries at Mumbai.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS ( Member  United Nations Global Compact) , Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital  Wellmed Trip Mauritius.& Well Wisher of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation)

Kamal H. Muhamed also had written his Autobiography "Daring Prince” ( Truth Revealed). Book was released by his Childhood Classmate Globally fame Spiritual Guide & Philanthropist Dr.Mohanji in the presence of various high profiled dignitaries  on March 23rd 2024 at Adlux Paragon Angamaly Kochi.Muhamed is survived with Wife & 3 Children.

YouTube: Instagram: https://www.instagram.com/kamalonlymerit?igsh=MW52NHI3bXFuZmwxcA==

जमात-ए-इस्लामी का उदय और बांग्लादेश की राजनीतिक पहेली, भारत पर क्या होगा इनका असर ?

#rise_of_jamaat-e-islami_and_bangladesh_political_conundrum

Nobel laureate Muhammad Yunus salutes to the attendees upon arrival at the Bangabhaban,Bangladesh (REUTERS)

शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के एक महीने बाद, पश्चिम समर्थक मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकर-उस-ज़मान की अगुआई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार देश में कानून और व्यवस्था बहाल करने में विफल रही है, जबकि खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की कीमत पर भी इस्लामी जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) का तेजी से उदय हो रहा है।

जेईआई का उदय, जिसका मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ गहरा वैचारिक संबंध है, और कट्टरपंथी हिफाजत-ए-इस्लाम और इस्लामी राज्य समर्थक अंसार-उल-बांग्ला टीम के साथ रणनीतिक रूप से हाथ मिलाना बांग्लादेश की लोकतांत्रिक साख के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि छात्र नेता भी इस्लामवादियों द्वारा नियंत्रित या शायद प्रभावित हैं।

रिपोर्ट्स से पता चलता है कि न तो बांग्लादेश की सेना और न ही यूनुस देश में अवामी लीग के कार्यकर्ता विरोधी और हिंदू विरोधी हिंसा को नियंत्रित करने में सक्षम रहे हैं, क्योंकि सेना अपराधियों से निपटने के लिए तैयार नहीं है और केवल मूकदर्शक बनकर रह गई है।

जम्मू-कश्मीर और भारत के अंदरूनी इलाकों में जमात का प्रभाव होने के कारण, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ने जेईआई के उदय को देखा है, क्योंकि इसका भारत के भीतर सुरक्षा पर असर पड़ता है। 1990 के दशक में, जमात पूरे भारत में विशेष रूप से यूपी, महाराष्ट्र, अविभाजित आंध्र प्रदेश में सिमी के उदय के पीछे थी और बाद में पाकिस्तान ने इस समूह को इंडियन मुजाहिदीन के रूप में हथियारबंद कर दिया। जमात ने घाटी में युवाओं को हथियार उठाने के लिए कट्टरपंथी बनाकर पाकिस्तान समर्थक भावना को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जबकि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार चुनावों की घोषणा करने की जल्दी में नहीं है, एक कमजोर सरकार, बढ़ती इस्लामी कट्टरता और अर्थव्यवस्था की गिरती स्थिति ढाका के लिए आपदा का कारण बन रही है। दूसरी ओर, वर्तमान में आवामी लीग के भयभीत कार्यकर्ता आने वाले महीनों में फिर से संगठित होकर हाथ मिला सकते हैं और बीएनपी तथा इसके अधिक मजबूत सहयोगी जेईआई को चुनौती दे सकते हैं। इनपुट संकेत देते हैं कि वास्तव में 5 अगस्त के बाद बांग्लादेश में जेईआई ने बीएनपी की कीमत पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

जबकि भारत हिंसा तथा हिंदुओं और आवामी लीग कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से निशाना बनाए जाने के बारे में चिंतित है, वह स्थिति पर नजर रख रहा है, क्योंकि एक अनिर्णायक अंतरिम सरकार उन युवाओं में असंतोष को जन्म देगी, जिन्होंने शेख हसीना को बाहर किया था। इसके साथ ही आर्थिक संकट, कपड़ा मिलों तथा परिधान विनिर्माण इकाइयों के बंद होने से बेरोजगारी तथा राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ेगी। पहले ही, बांग्लादेश का बाह्य तथा आंतरिक ऋण 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुका है। बांग्लादेश राजनीतिक रूप से बारूद के ढेर पर बैठा है और एक वर्ष के भीतर एक बार फिर विस्फोट हो सकता है।

बांग्लादेश स्तिथि का आंकलन करना भारत के लिए भी ज़रूरी है क्योकि इसका असर भारत को भी झेलना पड़ सकता है। बॉर्डर पर माइग्रेशन जैसी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है।