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रूस में 8.8 तीव्रता वाले भूकंप से सुनामी, जापान और अमेरिका तक दहशत

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रूस में एक जोरदार भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। बुधवार को रूस के कमचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसे स्थानीय प्रशासन ने दशकों में सबसे शक्तिशाली बताया है। रूस के कामचटका प्रायद्वीप पर 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद समंदर में सुनामी की लहरें उठी हैं। रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय इलाकों में सुनामी आ गई। होनोलूलू में मंगलवार को सुनामी चेतावनी सायरन बजने लगे और लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा गया।

भूकंप के बाद सुनामी

समाचार एजेंसी एपी ने बताया है कि रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय क्षेत्रों में सुनामी आई है। यह घटना रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद हुई है। कुरिल आइसलैंड के कुछ हिस्सों में सुनामी की लहरें टकराई हैं। कई जगहों पर प्रशासन की तरफ से लोगों को आगाह करने के लिए सायरन भी बजाय जा रहे हैं। इसके साथ ही लोगों से अपील की गई है कि तटीय क्षेत्रों में न जाएं। भूकंप की वजह से समुद्र का स्तर काफी बढ़ गया।

जापान के तट पर 1.3 फीट ऊंची सुनामी

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने देश के सबसे उत्तरी मुख्य द्वीप होक्काइडों के दक्षिणी तट पर स्थित टोकाची में 1.3 फीट ऊंची सुनामी की जानकारी दी है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंची पहली सुनामी लहर होक्काइडो के पूर्वी तट पर नेमुरो पहुंची। भूकंप और सुनामी चेतावनी के बाद जापान के उत्तर-पूर्वी फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से सभी कर्मचारियों को एहतियातन सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

3 मीटर तक ऊंची लहरें उठने की आशंका

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने सुनामी की चेतावनी जारी की थी। एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि सुबह 10 बजे से 11.30 बजे के बीच जापान के प्रशांत तट पर 3 मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं। अमेरिका के हवाई राज्य में भी सुनामी चेतावनी जारी की गई है।

मेक्सिको में भी सुनामी को लेकर अलर्ट

रूस में भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी के बाद मेक्सिको ने लोगों को प्रशांत महासागर के तटों से दूर रहने की चेतावनी दी है। मेक्सिको के अधिकारियों ने प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रों में लोगों की पहुंच रोकने के लिए सभी सरकारी स्तरों पर व्यापक कार्रवाई शुरू कर दी है।

फिलीपींस और इंडोनेशिया में भी सुनामी चेतावनी

रूस भूकंप लाइव न्यूज: रूस के पूर्वी तट पर आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद फिलीपींस और इंडोनेशिया ने अपने तटीय इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी की है. फिलीपींस के ज्वालामुखी और भूकंपीय संस्थान के अनुसार, देश के प्रशांत महासागर से सटे तटवर्ती क्षेत्रों में 1 मीटर तक ऊंची लहरें दोपहर 1:20 बजे से 2:40 बजे के बीच पहुंच सकती हैं। वहीं, इंडोनेशिया की भू-भौतिकी एजेंसी ने भी चेताया है कि बुधवार दोपहर कुछ क्षेत्रों में 0.5 मीटर तक की लहरें आ सकती हैं।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

रूस नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान से तनाव के बीच रद्द किया दौरा, विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है कि भारत की तरफ से हमले किए जा सकते हैं। इधर, दिल्ली में पीएम मोदी लगातार बैठकें कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा रद्द हो गया है। पीएम मोदी को 9 मई को मॉस्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में शामिल होना था। लेकिन अब वे विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ये जानकारी दी है।

अब कौन करेगा भारत का प्रतिनिधित्व?

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने मॉस्को में आयोजित होने वाले विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भले ही उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन भारत का प्रतिनिधित्व एक अलग राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के जरिए किया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की जगह कौन इस समारोह में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 9 मई के कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ा फैसला

पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीएस की बैठक हुई। यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी। इससे पहले 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक हुई थी, जिसमें आतंकी हमले की निंदा की गई थी।

जर्मनी पर विजय का जश्न

बता दें कि रूस नौ मई को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय का जश्न मनाता है और इस वर्ष उसने 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए चुनिंदा मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पुतिन ने इस खास मौके के लिए अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को भी न्योता भेजा था। उस समय रूस के उपविदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने बताया था कि इस जश्न के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा जा चुका है। हालांकि, अब जानकारी मिल रही कि पीएम मोदी मॉस्को में होने वाले विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे।

यूक्रेन में भारतीय कंपनी पर हमला, कीव के अटैक के दावों से रूस का इनकार

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रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच कीव स्थित एक भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर मिसाइल अटैक हुआ है। यूक्रेन ने दावा किया कि यह हमला रूस की ओर से किया गया था। यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि 12 अप्रैल को रूस की सशस्त्र सेनाओं ने कीएव स्थित इस वेयरहाउस पर ड्रोन से हमला किया था। इस मामले में रूस की प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस ने यूक्रेन के कीव में भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है।

कीव के दावों पर रूस ने दी सफाई

भारत स्थित रूस के दूतावास ने इस संबंध में गुरुवार को एक बयान जारी कर यूक्रेन के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। रूस ने कहा कि उसकी सेना ने इस भारतीय स्वामित्व वाले सिविलियन ढांचे को न तो निशाना बनाया और न ही उसकी ऐसी कोई योजना थी।

रूसी दूतावास के अनुसार, उस दिन रूसी सैन्य कार्रवाई के कुछ टार्गेट थे। इनमें यूक्रेनी सैन्य उद्योग परिसर का विमान संयंत्र, सैन्य हवाई अड्डे का ढांचा और बख्तरबंद वाहन मरम्मत केंद्र और ड्रोन असेंबली वर्कशॉप शामिल थे।

दूतावास ने बयान में कहा कि संभावना है कि यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली की कोई मिसाइल लक्ष्य भेदने में विफल रही और आबादी वाले इलाके़ में जा गिरी। इससे कुसुम हेल्थकेयर के वेयरहाउस में आग लग गई। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।

रूस पर जानबूझकर भारतीय कारोबारियों को निशाना बनाने का आरोप

यूक्रेन ने राजधानी कीव में कुसुम ग्रुप की यूनिट ‘ग्लैडफार्म’ पर ड्रोन से हमले का दावा किया था। यूक्रेन में भारत के लिए राजदूत ओलेक्ज़ेंडर पोलिशचुक ने बुधवार को दावा किया कि यह हमला जानबूझकर किया गया था, क्योंकि कुसुम ग्रुप ने युद्ध के दौरान यूक्रेन को जरूरी मानवीय सहायता दी थी। इस हमले में कंपनी को लगभग 25 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

यूक्रेन का आरोप है कि रूस अब फार्मास्युटिकल यूनिट्स और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर रहा है। रात के वक्त ईरान निर्मित ‘शहीद’ ड्रोन से हमले इसलिए किए जा रहे हैं ताकि दिन में इंटरसेप्ट होने से बचा जा सके।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

रूस ने दो ब्रिटिश राजनयिकों को ‘जासूसी’ के लिए निष्कासित किया; ब्रिटेन ने आरोप को ‘निराधार’ बताया

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AP

रूस ने सोमवार को मास्को स्थित अपने दूतावास से दो ब्रिटिश राजनयिकों को जासूसी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा था। ब्रिटेन ने आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) के बयान का हवाला देते हुए दो ब्रिटिश राजनयिकों पर देश में प्रवेश की अनुमति मांगते समय गलत व्यक्तिगत डेटा प्रदान करने और “रूस की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली कथित खुफिया और विध्वंसक गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया।

रूस के विदेश मंत्रालय ने एक अलग बयान में कहा कि उसने ब्रिटिश दूतावास के एक अधिकारी को तलब किया है। उसने कहा, “मास्को रूसी क्षेत्र में अघोषित ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।” लंदन स्थित विदेश कार्यालय ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब रूस ने हमारे कर्मचारियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए हैं।” रूस ने दोनों राजनयिकों को दो सप्ताह के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा है, लेकिन ब्रिटेन ने यह नहीं बताया है कि क्या वह जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।

हाल ही में निष्कासन रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से राजनयिकों का आपसी निष्कासन आम बात हो गई है। रूसी समाचार आउटलेट, आरबीसी के अनुसार, 2022 की शुरुआत और अक्टूबर 2023 के बीच पश्चिमी देशों और जापान से 670 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया गया। मॉस्को ने 346 पश्चिमी राजनयिकों को निष्कासित करके जवाब दिया। ये संख्या पिछले 20 वर्षों की संयुक्त संख्या से भी अधिक है। 

पिछले साल रूस ने सात ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी करने का आरोप लगाया था, जिसे ब्रिटेन ने "निराधार" करार दिया था। सितंबर में छह निष्कासन की घोषणा की गई थी, और नवंबर में एक और निष्कासन की घोषणा की गई थी। यूक्रेन युद्ध पर ब्रिटेन के रुख और रूसी दूतावास में एक अटैची की साख को रद्द करने के उसके फैसले के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बढ़े। इसने ब्रिटेन में मास्को की राजनयिक गतिविधियों को भी सीमित कर दिया। नवंबर निष्कासन के प्रतिशोध के रूप में पिछले महीने एक रूसी राजनयिक को ब्रिटेन छोड़ने के लिए कहा गया था। मई 2024 में, ब्रिटिश सरकार ने एक रूसी राजनयिक को निष्कासित कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि वह एक अघोषित खुफिया अधिकारी था। रूसी दूतावास से जुड़ी कई संपत्तियों को भी जासूसी में उनके कथित उपयोग के लिए बंद कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद, रूस ने एक ब्रिटिश रक्षा अताशे को निष्कासित करके जवाबी कार्रवाई की।

ट्रंप-जेलेंस्की विवाद पर खुश हो गया रूस, बोला- जेलेंस्की को मारा नहीं...संयम दिखाना एक चमत्कार है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच बैठक में विवाद के बाद रूस गदगद है।यूक्रेन के प्रेसीडेंट वोलोडिमीर जेलेंस्की की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस पर रूस ने प्रतिक्रिया दी है। रूस का कहना है कि जेलेंस्की का बर्ताव बिल्कुल ठीक नहीं था और उनके खराब रवैये के बावजूद ट्रंप ने संयम दिखाया है वो चमत्कार से कम नहीं है।

रूस ने ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी यूक्रेनी नेता के साथ ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की साथ ही उन्होंने जेलेंस्की को “बदमाश” कहा। मारिया ज़खारोवा ने टेलीग्राम पर लिखा, 'मुझे लगता है कि जेलेंस्की का सबसे बड़ा झूठ यह था कि 2022 में यूक्रेन अकेला था, उसको किसी का समर्थन नहीं था। जेलेंस्की ने एक के बाद एक झूठ बोला और बदमाशी की। मुझे हैरत है कि ट्रंप और वेंस ने उनको मारा कैसे नहीं, इतना संयम दिखाना एक चमत्कार है।'

रूस ने कहा-“उचित तमाचा”

वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान शीर्ष अधिकारी दिमित्री मेदवेदेव ने ओवल ऑफिस में ट्रंप द्वारा ज़ेलेंस्की झाड़ लगाने को “उचित तमाचा” बताया। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर पोस्ट किया, "ओवल ऑफिस में क्रूर तरीके से पिटाई की गई।" मेदवेदेव ने कहा, "पहली बार, ट्रंप ने कोकिन जोकर को उसके मुंह पर सच बताया। कीव शासन तीसरे विश्व युद्ध के साथ खेल रहा है। एहसान फरामोश सुअर को सुअर पालने के मालिकों से जोरदार तमाचा मिला है। यह जरूरी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। हमें नाजी मशीन को सैन्य सहायता बंद करनी चाहिए।"

कैसे हुई शुरुआत?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में अहम बैठक हुई। ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच लगभग 45 मिनट बातचीत हुई, जिसमें अंतिम 10 मिनट तीनों के बीच काफी तीखी बहस हुई। जेलेंस्की ने अपना पक्ष रखते हुए कूटनीति के प्रति रूस की प्रतिबद्धता पर संदेह व्यक्त किया। तनातनी की शुरुआत वेंस की ओर से जेलेंस्की से यह कहे जाने के साथ हुई कि मुझे लगता है कि आपका ओवल ऑफिस में आकर अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा करने की कोशिश करना अपमानजनक है। राष्ट्रपति जी पूरे सम्मान के साथ मैं यह बात कर रहा हूं। जेलेंस्की ने आपत्ति जताने की कोशिश की, जिस पर ट्रंप ने तेज आवाज में कहा, 'आप लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।' ट्रंप ने कहा, 'आप तीसरे विश्वयुद्ध को न्योता दे रहे हैं और आप जो कर रहे हैं वह देश के प्रति बहुत अपमानजनक है, यह वह देश है जिसने आपका बहुत अधिक समर्थन किया है।'

ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकायाःUN में रूस का दिया साथ, यूक्रेन युद्ध के लिए दोषी मानने से इनकार

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद वैश्विक राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की बात कही जा रही थी। ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद इसकी झलकी देखी भी जा रही है। इस बार तो ट्रंप ने ऐसा कुछ किया है कि पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं। यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया। यानी, अब तक यूक्रेन का साथ निभा रहा अमेरिका अब रूस के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वहीं अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में तीन प्रस्ताव लाए गए थे। इन प्रस्तावों के खिलाफ में अमेरिका ने वोटिंग की है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर रूस के जैसे ही वोटिंग की है, जिसमें क्रेमलिन को आक्रामक नहीं बताया गया, और न ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकार किया। अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।

ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद की झलक

यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव किया पेश

इसके बाद, अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन जोड़कर रूस को आक्रमणकारी घोषित कर दिया, तो अमेरिका ने मतदान से बचने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। इससे यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरा मतभेद उभर रहा है। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

भारत का मतदान से परहेज

93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया। प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया।

इसकी “आंखों” से 8000 किमी दूर भी दुश्मन नहीं बच पाएगा, भारत अपने दोस्त से खरीद रहा ऐसी रडार

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भारत के लिए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। इसे देखते हुए एयर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसी क्रम में रूस से वोरोनिश रडार खरीदने जा रहा है। बहुत अधिक दूरी तक खतरों की पहचान करने की क्षमता के चलते यह समय रहते वायु सेना को हमले के बारे में सचेत कर देगा। इससे भारत की निगरानी क्षमता भी बढ़ेगी।

भारत ने वोरोनिश रडार सिस्टम को खरीदने के लिए रूस के साथ बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है। भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 4 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर रूस के साथ सहमति हो गई है।भारत कर्नाटक में चालकेरे के अंदर बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रडार लगाने जा रहा है।यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पूरे पाकिस्‍तान और चीन तक निगरानी करने में माहिर है। कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक सूंघने की ताकत की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार विभिन्‍न वेबबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस वजह से यह विभिन्‍न भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रूसी रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्‍यों को ट्रैक करने में सक्षम है।

कैसे काम करता है वोरोनिश रडार?

वोरोनिश रडार रूस की लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है। इसे अल्माज-एंटे कंपनी ने विकसित किया है, जो एस-400 मिसाइल प्रणाली के लिए भी जानी जाती है। वोरोनिश रडार की पहचान प्रणाली विशेष रूप से रडार तरंगों के माध्यम से काम करती है। इसकी तकनीक लंबी दूरी पर हवा और अंतरिक्ष में गतिविधियों का पता लगाती है। यह रडार अत्यधिक संवेदनशील है और 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है। इसकी मॉड्यूलर संरचना इसे किसी भी समय आंशिक रूप से चालू करने की अनुमति देती है, जिससे इसे जल्दी से कार्य में लाया जा सकता है

एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी

रूस के मुताबिक यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी कर सकता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट की वस्तुओं को भी ट्रैक कर सकता है। इस एडवांस रडार से चीन, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर सहित महत्वपूर्ण इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाकर भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

अमेरिका को बर्दाश्त नहीं भारत-रूस की दोस्ती, जाते-जाते बाइडेन ने चलाया ऐसा चाबुक, बढ़ेगी टेंशन

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अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध की वजह से नए प्रतिबंधों का ऐलान किया। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के मुताबिक अमेरिका ने रूस की 200 से ज्यादा कंपनियों और व्यक्तियों के साथ 180 से ज्यादा शिप्स पर बैन लगा दिया। इसके अलावा दो भारतीय कंपनी स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविजन मैनेजमेंट सर्विसेज भी बैन लगाया गया है।

रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। उनका उद्देश्य यह है कि रूस को मिल रहा राजस्व कम किया जाए, जिससे यूक्रेन से युद्ध में वह इसका इस्तेमाल न कर सके। इसीलिए उसने 200 से अधिक रूसी संस्थानों और लोगों पर बैन लगाए गए हैं। इनमें बीमा कंपनियां, व्यापारी और तेल टैंकर आदि शामिल हैं।

अमेरिकी ने रूस की तेल उत्पादक कंपनियों और तेल ले जाने वाले जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि रूस, भारत और चीन जैसे देशों को सस्ता क्रूड ऑयल बेचकर यूक्रेन के साथ युद्ध की फंडिंग कर रहा है। इसी खीज में अमेरिका ने रूसी तेल उत्पादकों के साथ-साथ रूसी तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बैन की वजह से क्रूड ऑयल की सप्लाई में परेशानी आने लगी है।

क्रूड ऑयल की कीमतों में आई तेजी

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आ गई है, क्रूड ऑयल की कीमतें 3% तक का बढ़ गई। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार हो गई। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत और चीन को रूस से ऑयल इंपोर्ट करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 1.83 प्रतिशत चढ़कर 81.22 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस तेजी के साथ की कच्चे तेल की कीमत चार महीने के हाई पर पहुंच गई है।

रूस ने की प्रतिबंधों की आलोचना

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इन प्रतिबंधों की आलोचना की है। रूस ने कहा कि यह अमेरिका की रूसी अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान पहुंचाने की चाल है। उसने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक बाजार में खतरा बढ़ेगा। रूस ने कहा कि वह बड़े तेल और गैस प्राजेक्‍ट पर काम करना जारी रखेगा। अमेरिका ने जो नए प्रतिबंध लगाए हैं, उससे 143 टैंकर प्रभावित होंगे जो 53 करोड़ बैरल रूसी तेल पिछले साल लेकर गए थे।

भारत पर भी होगा असर

रूसी तेल सप्लाई में आने वाली दिक्कतों के बीच आने वाले दिनों में भारत को ऊंचे दामों पर खाड़ी के देशों से कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है। अगर ऐसा ही रहा तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो आपको महंगाई का झटका झेलना पड़ सकता है। यानी आने वाले दिनों में आपको महंगे तेल की कीमतों से दो-चार होना पड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का सीधा असर सप्लाई चेन पर होगा। खाने-पीने से लेकर हर चीज महंगी होने लगेगी।

रूस में 8.8 तीव्रता वाले भूकंप से सुनामी, जापान और अमेरिका तक दहशत

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रूस में एक जोरदार भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। बुधवार को रूस के कमचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसे स्थानीय प्रशासन ने दशकों में सबसे शक्तिशाली बताया है। रूस के कामचटका प्रायद्वीप पर 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद समंदर में सुनामी की लहरें उठी हैं। रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय इलाकों में सुनामी आ गई। होनोलूलू में मंगलवार को सुनामी चेतावनी सायरन बजने लगे और लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा गया।

भूकंप के बाद सुनामी

समाचार एजेंसी एपी ने बताया है कि रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय क्षेत्रों में सुनामी आई है। यह घटना रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद हुई है। कुरिल आइसलैंड के कुछ हिस्सों में सुनामी की लहरें टकराई हैं। कई जगहों पर प्रशासन की तरफ से लोगों को आगाह करने के लिए सायरन भी बजाय जा रहे हैं। इसके साथ ही लोगों से अपील की गई है कि तटीय क्षेत्रों में न जाएं। भूकंप की वजह से समुद्र का स्तर काफी बढ़ गया।

जापान के तट पर 1.3 फीट ऊंची सुनामी

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने देश के सबसे उत्तरी मुख्य द्वीप होक्काइडों के दक्षिणी तट पर स्थित टोकाची में 1.3 फीट ऊंची सुनामी की जानकारी दी है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंची पहली सुनामी लहर होक्काइडो के पूर्वी तट पर नेमुरो पहुंची। भूकंप और सुनामी चेतावनी के बाद जापान के उत्तर-पूर्वी फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से सभी कर्मचारियों को एहतियातन सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

3 मीटर तक ऊंची लहरें उठने की आशंका

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने सुनामी की चेतावनी जारी की थी। एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि सुबह 10 बजे से 11.30 बजे के बीच जापान के प्रशांत तट पर 3 मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं। अमेरिका के हवाई राज्य में भी सुनामी चेतावनी जारी की गई है।

मेक्सिको में भी सुनामी को लेकर अलर्ट

रूस में भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी के बाद मेक्सिको ने लोगों को प्रशांत महासागर के तटों से दूर रहने की चेतावनी दी है। मेक्सिको के अधिकारियों ने प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रों में लोगों की पहुंच रोकने के लिए सभी सरकारी स्तरों पर व्यापक कार्रवाई शुरू कर दी है।

फिलीपींस और इंडोनेशिया में भी सुनामी चेतावनी

रूस भूकंप लाइव न्यूज: रूस के पूर्वी तट पर आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद फिलीपींस और इंडोनेशिया ने अपने तटीय इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी की है. फिलीपींस के ज्वालामुखी और भूकंपीय संस्थान के अनुसार, देश के प्रशांत महासागर से सटे तटवर्ती क्षेत्रों में 1 मीटर तक ऊंची लहरें दोपहर 1:20 बजे से 2:40 बजे के बीच पहुंच सकती हैं। वहीं, इंडोनेशिया की भू-भौतिकी एजेंसी ने भी चेताया है कि बुधवार दोपहर कुछ क्षेत्रों में 0.5 मीटर तक की लहरें आ सकती हैं।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

रूस नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान से तनाव के बीच रद्द किया दौरा, विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है कि भारत की तरफ से हमले किए जा सकते हैं। इधर, दिल्ली में पीएम मोदी लगातार बैठकें कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा रद्द हो गया है। पीएम मोदी को 9 मई को मॉस्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में शामिल होना था। लेकिन अब वे विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ये जानकारी दी है।

अब कौन करेगा भारत का प्रतिनिधित्व?

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने मॉस्को में आयोजित होने वाले विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भले ही उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन भारत का प्रतिनिधित्व एक अलग राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के जरिए किया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की जगह कौन इस समारोह में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 9 मई के कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ा फैसला

पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीएस की बैठक हुई। यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी। इससे पहले 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक हुई थी, जिसमें आतंकी हमले की निंदा की गई थी।

जर्मनी पर विजय का जश्न

बता दें कि रूस नौ मई को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय का जश्न मनाता है और इस वर्ष उसने 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए चुनिंदा मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पुतिन ने इस खास मौके के लिए अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को भी न्योता भेजा था। उस समय रूस के उपविदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने बताया था कि इस जश्न के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा जा चुका है। हालांकि, अब जानकारी मिल रही कि पीएम मोदी मॉस्को में होने वाले विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे।

यूक्रेन में भारतीय कंपनी पर हमला, कीव के अटैक के दावों से रूस का इनकार

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रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच कीव स्थित एक भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर मिसाइल अटैक हुआ है। यूक्रेन ने दावा किया कि यह हमला रूस की ओर से किया गया था। यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि 12 अप्रैल को रूस की सशस्त्र सेनाओं ने कीएव स्थित इस वेयरहाउस पर ड्रोन से हमला किया था। इस मामले में रूस की प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस ने यूक्रेन के कीव में भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है।

कीव के दावों पर रूस ने दी सफाई

भारत स्थित रूस के दूतावास ने इस संबंध में गुरुवार को एक बयान जारी कर यूक्रेन के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। रूस ने कहा कि उसकी सेना ने इस भारतीय स्वामित्व वाले सिविलियन ढांचे को न तो निशाना बनाया और न ही उसकी ऐसी कोई योजना थी।

रूसी दूतावास के अनुसार, उस दिन रूसी सैन्य कार्रवाई के कुछ टार्गेट थे। इनमें यूक्रेनी सैन्य उद्योग परिसर का विमान संयंत्र, सैन्य हवाई अड्डे का ढांचा और बख्तरबंद वाहन मरम्मत केंद्र और ड्रोन असेंबली वर्कशॉप शामिल थे।

दूतावास ने बयान में कहा कि संभावना है कि यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली की कोई मिसाइल लक्ष्य भेदने में विफल रही और आबादी वाले इलाके़ में जा गिरी। इससे कुसुम हेल्थकेयर के वेयरहाउस में आग लग गई। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।

रूस पर जानबूझकर भारतीय कारोबारियों को निशाना बनाने का आरोप

यूक्रेन ने राजधानी कीव में कुसुम ग्रुप की यूनिट ‘ग्लैडफार्म’ पर ड्रोन से हमले का दावा किया था। यूक्रेन में भारत के लिए राजदूत ओलेक्ज़ेंडर पोलिशचुक ने बुधवार को दावा किया कि यह हमला जानबूझकर किया गया था, क्योंकि कुसुम ग्रुप ने युद्ध के दौरान यूक्रेन को जरूरी मानवीय सहायता दी थी। इस हमले में कंपनी को लगभग 25 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

यूक्रेन का आरोप है कि रूस अब फार्मास्युटिकल यूनिट्स और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर रहा है। रात के वक्त ईरान निर्मित ‘शहीद’ ड्रोन से हमले इसलिए किए जा रहे हैं ताकि दिन में इंटरसेप्ट होने से बचा जा सके।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

रूस ने दो ब्रिटिश राजनयिकों को ‘जासूसी’ के लिए निष्कासित किया; ब्रिटेन ने आरोप को ‘निराधार’ बताया

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AP

रूस ने सोमवार को मास्को स्थित अपने दूतावास से दो ब्रिटिश राजनयिकों को जासूसी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा था। ब्रिटेन ने आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) के बयान का हवाला देते हुए दो ब्रिटिश राजनयिकों पर देश में प्रवेश की अनुमति मांगते समय गलत व्यक्तिगत डेटा प्रदान करने और “रूस की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली कथित खुफिया और विध्वंसक गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया।

रूस के विदेश मंत्रालय ने एक अलग बयान में कहा कि उसने ब्रिटिश दूतावास के एक अधिकारी को तलब किया है। उसने कहा, “मास्को रूसी क्षेत्र में अघोषित ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।” लंदन स्थित विदेश कार्यालय ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब रूस ने हमारे कर्मचारियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए हैं।” रूस ने दोनों राजनयिकों को दो सप्ताह के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा है, लेकिन ब्रिटेन ने यह नहीं बताया है कि क्या वह जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।

हाल ही में निष्कासन रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से राजनयिकों का आपसी निष्कासन आम बात हो गई है। रूसी समाचार आउटलेट, आरबीसी के अनुसार, 2022 की शुरुआत और अक्टूबर 2023 के बीच पश्चिमी देशों और जापान से 670 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया गया। मॉस्को ने 346 पश्चिमी राजनयिकों को निष्कासित करके जवाब दिया। ये संख्या पिछले 20 वर्षों की संयुक्त संख्या से भी अधिक है। 

पिछले साल रूस ने सात ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी करने का आरोप लगाया था, जिसे ब्रिटेन ने "निराधार" करार दिया था। सितंबर में छह निष्कासन की घोषणा की गई थी, और नवंबर में एक और निष्कासन की घोषणा की गई थी। यूक्रेन युद्ध पर ब्रिटेन के रुख और रूसी दूतावास में एक अटैची की साख को रद्द करने के उसके फैसले के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बढ़े। इसने ब्रिटेन में मास्को की राजनयिक गतिविधियों को भी सीमित कर दिया। नवंबर निष्कासन के प्रतिशोध के रूप में पिछले महीने एक रूसी राजनयिक को ब्रिटेन छोड़ने के लिए कहा गया था। मई 2024 में, ब्रिटिश सरकार ने एक रूसी राजनयिक को निष्कासित कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि वह एक अघोषित खुफिया अधिकारी था। रूसी दूतावास से जुड़ी कई संपत्तियों को भी जासूसी में उनके कथित उपयोग के लिए बंद कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद, रूस ने एक ब्रिटिश रक्षा अताशे को निष्कासित करके जवाबी कार्रवाई की।

ट्रंप-जेलेंस्की विवाद पर खुश हो गया रूस, बोला- जेलेंस्की को मारा नहीं...संयम दिखाना एक चमत्कार है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच बैठक में विवाद के बाद रूस गदगद है।यूक्रेन के प्रेसीडेंट वोलोडिमीर जेलेंस्की की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस पर रूस ने प्रतिक्रिया दी है। रूस का कहना है कि जेलेंस्की का बर्ताव बिल्कुल ठीक नहीं था और उनके खराब रवैये के बावजूद ट्रंप ने संयम दिखाया है वो चमत्कार से कम नहीं है।

रूस ने ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी यूक्रेनी नेता के साथ ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की साथ ही उन्होंने जेलेंस्की को “बदमाश” कहा। मारिया ज़खारोवा ने टेलीग्राम पर लिखा, 'मुझे लगता है कि जेलेंस्की का सबसे बड़ा झूठ यह था कि 2022 में यूक्रेन अकेला था, उसको किसी का समर्थन नहीं था। जेलेंस्की ने एक के बाद एक झूठ बोला और बदमाशी की। मुझे हैरत है कि ट्रंप और वेंस ने उनको मारा कैसे नहीं, इतना संयम दिखाना एक चमत्कार है।'

रूस ने कहा-“उचित तमाचा”

वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान शीर्ष अधिकारी दिमित्री मेदवेदेव ने ओवल ऑफिस में ट्रंप द्वारा ज़ेलेंस्की झाड़ लगाने को “उचित तमाचा” बताया। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर पोस्ट किया, "ओवल ऑफिस में क्रूर तरीके से पिटाई की गई।" मेदवेदेव ने कहा, "पहली बार, ट्रंप ने कोकिन जोकर को उसके मुंह पर सच बताया। कीव शासन तीसरे विश्व युद्ध के साथ खेल रहा है। एहसान फरामोश सुअर को सुअर पालने के मालिकों से जोरदार तमाचा मिला है। यह जरूरी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। हमें नाजी मशीन को सैन्य सहायता बंद करनी चाहिए।"

कैसे हुई शुरुआत?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में अहम बैठक हुई। ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच लगभग 45 मिनट बातचीत हुई, जिसमें अंतिम 10 मिनट तीनों के बीच काफी तीखी बहस हुई। जेलेंस्की ने अपना पक्ष रखते हुए कूटनीति के प्रति रूस की प्रतिबद्धता पर संदेह व्यक्त किया। तनातनी की शुरुआत वेंस की ओर से जेलेंस्की से यह कहे जाने के साथ हुई कि मुझे लगता है कि आपका ओवल ऑफिस में आकर अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा करने की कोशिश करना अपमानजनक है। राष्ट्रपति जी पूरे सम्मान के साथ मैं यह बात कर रहा हूं। जेलेंस्की ने आपत्ति जताने की कोशिश की, जिस पर ट्रंप ने तेज आवाज में कहा, 'आप लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।' ट्रंप ने कहा, 'आप तीसरे विश्वयुद्ध को न्योता दे रहे हैं और आप जो कर रहे हैं वह देश के प्रति बहुत अपमानजनक है, यह वह देश है जिसने आपका बहुत अधिक समर्थन किया है।'

ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकायाःUN में रूस का दिया साथ, यूक्रेन युद्ध के लिए दोषी मानने से इनकार

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद वैश्विक राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की बात कही जा रही थी। ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद इसकी झलकी देखी भी जा रही है। इस बार तो ट्रंप ने ऐसा कुछ किया है कि पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं। यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया। यानी, अब तक यूक्रेन का साथ निभा रहा अमेरिका अब रूस के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वहीं अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में तीन प्रस्ताव लाए गए थे। इन प्रस्तावों के खिलाफ में अमेरिका ने वोटिंग की है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर रूस के जैसे ही वोटिंग की है, जिसमें क्रेमलिन को आक्रामक नहीं बताया गया, और न ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकार किया। अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।

ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद की झलक

यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव किया पेश

इसके बाद, अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन जोड़कर रूस को आक्रमणकारी घोषित कर दिया, तो अमेरिका ने मतदान से बचने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। इससे यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरा मतभेद उभर रहा है। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

भारत का मतदान से परहेज

93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया। प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया।

इसकी “आंखों” से 8000 किमी दूर भी दुश्मन नहीं बच पाएगा, भारत अपने दोस्त से खरीद रहा ऐसी रडार

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भारत के लिए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। इसे देखते हुए एयर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसी क्रम में रूस से वोरोनिश रडार खरीदने जा रहा है। बहुत अधिक दूरी तक खतरों की पहचान करने की क्षमता के चलते यह समय रहते वायु सेना को हमले के बारे में सचेत कर देगा। इससे भारत की निगरानी क्षमता भी बढ़ेगी।

भारत ने वोरोनिश रडार सिस्टम को खरीदने के लिए रूस के साथ बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है। भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 4 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर रूस के साथ सहमति हो गई है।भारत कर्नाटक में चालकेरे के अंदर बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रडार लगाने जा रहा है।यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पूरे पाकिस्‍तान और चीन तक निगरानी करने में माहिर है। कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक सूंघने की ताकत की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार विभिन्‍न वेबबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस वजह से यह विभिन्‍न भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रूसी रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्‍यों को ट्रैक करने में सक्षम है।

कैसे काम करता है वोरोनिश रडार?

वोरोनिश रडार रूस की लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है। इसे अल्माज-एंटे कंपनी ने विकसित किया है, जो एस-400 मिसाइल प्रणाली के लिए भी जानी जाती है। वोरोनिश रडार की पहचान प्रणाली विशेष रूप से रडार तरंगों के माध्यम से काम करती है। इसकी तकनीक लंबी दूरी पर हवा और अंतरिक्ष में गतिविधियों का पता लगाती है। यह रडार अत्यधिक संवेदनशील है और 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है। इसकी मॉड्यूलर संरचना इसे किसी भी समय आंशिक रूप से चालू करने की अनुमति देती है, जिससे इसे जल्दी से कार्य में लाया जा सकता है

एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी

रूस के मुताबिक यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी कर सकता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट की वस्तुओं को भी ट्रैक कर सकता है। इस एडवांस रडार से चीन, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर सहित महत्वपूर्ण इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाकर भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

अमेरिका को बर्दाश्त नहीं भारत-रूस की दोस्ती, जाते-जाते बाइडेन ने चलाया ऐसा चाबुक, बढ़ेगी टेंशन

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अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध की वजह से नए प्रतिबंधों का ऐलान किया। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के मुताबिक अमेरिका ने रूस की 200 से ज्यादा कंपनियों और व्यक्तियों के साथ 180 से ज्यादा शिप्स पर बैन लगा दिया। इसके अलावा दो भारतीय कंपनी स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविजन मैनेजमेंट सर्विसेज भी बैन लगाया गया है।

रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। उनका उद्देश्य यह है कि रूस को मिल रहा राजस्व कम किया जाए, जिससे यूक्रेन से युद्ध में वह इसका इस्तेमाल न कर सके। इसीलिए उसने 200 से अधिक रूसी संस्थानों और लोगों पर बैन लगाए गए हैं। इनमें बीमा कंपनियां, व्यापारी और तेल टैंकर आदि शामिल हैं।

अमेरिकी ने रूस की तेल उत्पादक कंपनियों और तेल ले जाने वाले जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि रूस, भारत और चीन जैसे देशों को सस्ता क्रूड ऑयल बेचकर यूक्रेन के साथ युद्ध की फंडिंग कर रहा है। इसी खीज में अमेरिका ने रूसी तेल उत्पादकों के साथ-साथ रूसी तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बैन की वजह से क्रूड ऑयल की सप्लाई में परेशानी आने लगी है।

क्रूड ऑयल की कीमतों में आई तेजी

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आ गई है, क्रूड ऑयल की कीमतें 3% तक का बढ़ गई। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार हो गई। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत और चीन को रूस से ऑयल इंपोर्ट करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 1.83 प्रतिशत चढ़कर 81.22 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस तेजी के साथ की कच्चे तेल की कीमत चार महीने के हाई पर पहुंच गई है।

रूस ने की प्रतिबंधों की आलोचना

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इन प्रतिबंधों की आलोचना की है। रूस ने कहा कि यह अमेरिका की रूसी अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान पहुंचाने की चाल है। उसने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक बाजार में खतरा बढ़ेगा। रूस ने कहा कि वह बड़े तेल और गैस प्राजेक्‍ट पर काम करना जारी रखेगा। अमेरिका ने जो नए प्रतिबंध लगाए हैं, उससे 143 टैंकर प्रभावित होंगे जो 53 करोड़ बैरल रूसी तेल पिछले साल लेकर गए थे।

भारत पर भी होगा असर

रूसी तेल सप्लाई में आने वाली दिक्कतों के बीच आने वाले दिनों में भारत को ऊंचे दामों पर खाड़ी के देशों से कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है। अगर ऐसा ही रहा तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो आपको महंगाई का झटका झेलना पड़ सकता है। यानी आने वाले दिनों में आपको महंगे तेल की कीमतों से दो-चार होना पड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का सीधा असर सप्लाई चेन पर होगा। खाने-पीने से लेकर हर चीज महंगी होने लगेगी।