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पाकिस्तान ट्रेन हाईजैकःसेना ने 100 से ज्यादा बंधकों को छुड़ाया, अब भी कैद में कई जिंदगियां

#pakistan_train_hijack

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया है। यह हाईजैक बलूच विद्रोहियों ने की है। पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक हुए 20 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पाकिस्तानी सेना अब तक बलूच विद्रोहियों के कब्जे से इस जफर एक्सप्रेस ट्रेन को छुड़ा नहीं पाई है। इस ट्रेन में सवार लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूरा जोर लगा दिया है। बलोच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान के 30 सैनिकों को मारा गया है। इस बीच पाकिस्तान सेना ने बड़ा एक्शन लिया है और 104 बंधकों को छुड़ा लिया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अभी भी 100 लोग हाईजैकर्स की कैद में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने बीएलए की ओर से बंधक बनाए गए 104 लोगों को बचा लिया है। बचाए गए लोगों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। साथ ही सुरक्षाकर्मी शेष यात्रियों को सुरक्षित बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। सेना की अब तक की कार्रवाई में बीएलए के 23 लड़ाकों को मार गिराया गया, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं।

मालूम हो कि मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी ने हाईजैक कर लिया था। नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। जाफर एक्सप्रेस क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी मंगलवार सुबह गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच उस पर गोलीबारी की गई। बलोच विद्रोहियों ने गुडालार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाके में एक सुरंग के अंदर रोक लिया। आतंकियों के कब्जे के बाद इलाके में भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें गूंज उठीं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

बता दें कि डेढ़ महीने बंद रहने के बाद बीते अक्तूबर में ही क्वेटा-पेशावर मार्ग पर रेल यातायात बहाल हुआ था। इस मार्ग पर ट्रेनों को रॉकेटों, रिमोट कंट्रोल वाले बमों से निशाना बनाया जाता रहा है और हर बार बीएलए ने ही हमलों की जिम्मेदारी ली है। बलूचिस्तान की आजादी को लेकर लड़ रहे बीएलए को पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में डाल रखा है। अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान, पाकिस्तान की सरकार के लिए लगातार सिरदर्द बना हुआ है। नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर धमाके में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 62 घायल हुए थे।

भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

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भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

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अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उगला जहर! जानिए कश्मीर एकजुटता दिवस पर क्या कहा

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत से दूरी खलने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से सार्थक और निर्णायक बातचीत का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनका देश कश्मीरी लोगों को अपना 'अटूट' समर्थन देता रहेगा।

शरीफ ने 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के मौके पर मुजफ्फराबाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा में एक सत्र को संबोधित यह टिप्पणी की। शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत को पांच अगस्त 2019 की मानसिकता से बाहर आना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और संवाद शुरू करना चाहिए।' उनका इशारा जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की ओर था।

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों की ओर से कश्मीरियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों और अलगाववादियों को श्रद्धांजलि दी और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटने वाला है। इतना ही नहीं, शहबाज ने कश्मीर में भारतीय सेना की मौजूदगी की निंदा की और कश्मीरियों के कथित उत्पीड़न का पुराना राग अलापा।

कश्मीर को लेकर उगला जहर

शहबाज ने कहा, "हम इस संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को सुरक्षित नहीं कर लेते।" उन्होंने यहां तक कह दिया कि "5 फरवरी भारत को याद दिलाता है कि कश्मीर कभी भी उसका हिस्सा नहीं हो सकता।"

भारत पर लगाया हथियार जमा करने का आरोप

शरीफ ने भारत पर हथियार जमा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने से शांति नहीं आएगी या इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रगति का रास्ता शांति है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्मणय के फैसले तक कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा, यह (कश्मीर मुद्दा) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के तहत कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से संभव हो सकता है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का महत्व: भारत-पाकिस्तान आतंकवाद संबंध और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

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(बाएं से दाएं): डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी, हाफिज सईद और तहव्वुर राणा

26/11 के मुंबई हमले के बाद से आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा को लेकर एक नई दृष्टिकोण सामने आई है। यह हमला न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी थी कि आतंकवाद के जड़ें केवल एक क्षेत्र में नहीं बल्कि कई देशों में फैली हुई हैं। 25 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने के बाद, यह मामला एक बार फिर से वैश्विक सुरक्षा और पाकिस्तान की भूमिका को प्रमुख रूप से उजागर करता है। राणा, जो 26/11 हमले में शामिल था, उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के परिणामस्वरूप नई जानकारी और प्रमाण मिल सकते हैं, जो आतंकवाद की जड़ों को और गहरे तक समझने में मदद करेगा। 

1. 26/11 की जांच और तहव्वुर राणा का कनेक्शन

तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, 26/11 के मुंबई हमले में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में से एक था। वह डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी के रूप में काम कर रहा था, जिसने भारत में आतंकवादी ठिकानों का सर्वेक्षण किया था। राणा ने इस हमले के लिए जरूरी रसद, योजना और मार्गदर्शन प्रदान किया था। 25 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जिससे अब उसे भारत लाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए है क्योंकि राणा से प्राप्त जानकारी से 26/11 के हमले के पीछे की साजिश और पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी नेटवर्क के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं।

2. पाकिस्तान का आतंकवाद के केंद्र के रूप में उभरना

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में फिर से उजागर कर सकता है। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM), अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी अभियानों में सक्रिय हैं। ये समूह न केवल भारत बल्कि अफगानिस्तान और अन्य देशों में भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। राणा का भारत प्रत्यर्पण पाकिस्तान के आतंकवाद में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है और यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक राज्य नीति के रूप में अपनाया है।

3. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई संभावना

राणा का प्रत्यर्पण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नई दिशा में जांच करने का अवसर प्रदान करेगा। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, पाकिस्तानी आईएसआई और अन्य आतंकवादी समूहों के रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके अलावा, राणा भारतीय इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

4. पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी राणा का प्रत्यर्पण प्रकाश डाल सकता है। तालिबान का पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध है, खासकर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई आतंकवादी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों को तालिबान का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा, तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय सहायता को बाधित करने की कोशिश करता है, जबकि पाकिस्तान भी अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में शामिल है।

5. 26/11 के आतंकवादी हमले का वैश्विक संदर्भ

26/11 का हमला केवल भारत के लिए एक आघात नहीं था, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के खतरों को भी उजागर करता है। इस हमले में शामिल आतंकवादी समूहों ने न केवल भारतीय नागरिकों का नरसंहार किया बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न किया। राणा का प्रत्यर्पण आतंकवादियों के वैश्विक नेटवर्क को तोड़ने और उनकी साजिशों को उजागर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह संकेत करता है कि आतंकवाद का वित्तपोषण और उसकी योजना केवल एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैली हुई है।

6. पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ना

राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का एक और अवसर हो सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती है, क्योंकि उसे आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान ने कई बार इस आरोप से इनकार किया है कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है, लेकिन राणा के प्रत्यर्पण और उससे प्राप्त जानकारी के बाद पाकिस्तान पर नए सिरे से दबाव डाला जा सकता है।

7. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय भूमिका

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, यह स्थिति और जटिल हो गई है। तालिबान का पाकिस्तान से करीबी संबंध है, और पाकिस्तान की आईएसआई अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों का समर्थन करती है। तालिबान द्वारा पाकिस्तान से आतंकवादियों की सहायता प्राप्त करना भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

8. भारत का सुरक्षा रणनीति में परिवर्तन

राणा के प्रत्यर्पण से भारतीय सुरक्षा रणनीति में कुछ बदलाव हो सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब नए सबूतों और जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए और सख्त कदम उठा सकती हैं। भारत का यह निर्णय कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं है, यह दिखाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को और मजबूत करेगा।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद भारत को न केवल 26/11 के हमले के संदर्भ में नई जानकारी प्राप्त हो सकती है, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दबाव को भी बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर एक नया मोड़ ला सकता है, और इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और उसके द्वारा दी गई जानकारी से यह उम्मीद की जा सकती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे और पाकिस्तान की आतंकवाद की नीति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में और अधिक जागरूकता पैदा होगी।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की सेना में साझेदारी! भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बेदखल होने के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती ही जा रही है। भारत से दूर होने की पूरी कोशिश में लगे बांग्लादेश के अधिकारी चीन और पाकिस्तान के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं और यात्राओं का दौर जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों के बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की यह दशकों पर पहली ढाका यात्रा थी, जिसने भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बीते करीब एक साल से संबंध पहले की तरह नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच के संबंध अभी भी हर बीतते दिन के साथ तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं। वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद आ मोहम्मद युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध गहरा कर रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बात हो रही है बल्कि दोनों देश सैन्य सहयोग बढ़ाने में भी लगे हैं।

बुधवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ जनरल आसिफ मलिक ढाका पहुंचे हैं। दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे मलिक का स्वागत बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान ने किया, जिनके लिए माना जाते है कि उनके इस्लामवादियों और पाकिस्तान से कथित संबंध हैं।आईएसआई चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब बीते सप्ताह ही बांग्लादेश का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा करके लौटा है।

आईएसआई के इस दौरे से भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारी साझा करना है। जानकार इस यात्रा को भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं।

बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने भी किया था पाकिस्तान का दौरा

इसके पहले बांग्लादेश के एक टॉप जनरल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात की थी। बांग्लादेश के सशस्त्र बल के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन कई वर्षों इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले शीर्ष बांग्लादेशी जनरल थे। हसन बांग्लादेश की सेना में दूसरे नंबर के अधिकारी भी हैं। उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आगे बढ़ने का साफ संकेत देती है।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियों का असर भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध पर भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि 1971 के बाद ये पहली बार हो रहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान इतने करीब आ रहे हैं। ऐसे में ये भारत के साथ बांग्लादेश के पुराने संबंध को नुकसान जरूर पहुंचाएगा। पाकिस्तान अपनी सीमा पर आए दिन आतंकवादियों को बढ़ावा देकर भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है। बांग्लादेश के साथ सैन्य करीबी के बाद भारत को बांग्लादेश बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों का सामना करना पड़ सकता है।

“केरल मिनी पाकिस्तान, इसलिए राहुल और प्रियंका...”, नितेश राणे के बयान पर बवाल

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अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने बीजेपी नेता और फडणवीस सरकार में मंत्री बने नितेश राणे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने केरल की तुलना पाकिस्तान से की है। उन्होंने कहा कि यह राज्य मिनी पाकिस्तान की तरह है, तभी राहुल गांधी और उनकी बहन वहां से सांसद चुने जाते हैं। राणे के इस बयान के बाद सियासी बवाल मच गया। हालांकि, बढ़ते मामले को देखते हुए सोमवार को भाजपा नेता ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि केरल भारत का हिस्सा है। उन्होंने पाकिस्तान से केवल केरल में हो रहे घटनाक्रमों के संदर्भ में तुलना की थी।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो मुस्लिमों की वजह से वयनाड से चुनाव जीत पाते हैं। उन्होंने कहा है कि केरल मिनी पाकिस्तान है, इसलिए राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी जीतकर आते हैं, सांसद बनने के लिए ऐसे ही लोग उनको वोट देते हैं। नितेश राणे ने यह टिप्पणी पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को की।

विवाद बढ़ने के बाद दी सफाई

विवाद बढ़ता देख राणे ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि हमारा देश एक हिंदू राष्ट्र बने, यही हमारी इच्छा है। हिंदुओं को हर संभव तरीके से सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'केरल भारत का हिस्सा है, लेकिन वहां हिंदू आबादी का घटना एक चिंता का विषय है। हिंदुओं का इस्लाम और ईसाई धर्म में धर्मांतरण एक आम बात हो गई है। वहीं, 'लव जिहाद' के मामले भी बढ़ रहे हैं। मैं केरल और पाकिस्तान की स्थिति की तुलना कर रहा था। अगर हमारे देश में भी पाकिस्तान जैसी स्थिति पैदा होती है, तो हमें इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यही मैंने अपने भाषण में कहा था।'

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

यह पहला मौका नहीं है जब पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने विवादित बयान दिया है। इससे पहले वह 2 नवंबर 2024 जब राणे से पूछा गया था कि आपको मुस्लिमों से क्या दिक्कत है? तो उन्होंने कहा था कि देश में 90 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। हिंदुओं के हितों की चिंता करना कोई अपराध नहीं हो सकता। इसके आगे उन्होंने ये भी कहा था कि देश में बांग्लादेशी हिंदुओं के त्योहारों पर पत्थरबाजी करते हैं। यदि इसके खिलाफ आवाज उठाने पर मुकदमा दर्ज होता है तो, मैं उसका सामना करने के लिए तैयार हूं।

राणे के खिलाफ 38 मामले दर्ज

नितेश राणे कोंकण इलाके की कंकावली विधानसभा सीट से विधायक हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार उनके खिलाफ 38 मामले दर्ज हैं। इनमें 66 गंभीर धाराएं शामिल हैं। अधिकतर मामले पिछले एक से डेढ़ साल में दर्ज हुए हैं और भड़काऊ भाषण से जुड़े हैं। हालांकि, इन 38 में से सिर्फ 10 मामलों में ही चार्जशीट दाखिल की गई है। भड़काऊ भाषणों से जुड़े किसी भी मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है, क्योंकि सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है। अब तक 10 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है और इनमें से चार मामलों में अदालतों ने आरोप तय किए हैं।

अफगानिस्तान में पाक की एयर स्ट्राइक, अब तक 15 की मौत, क्या उठ रहे सवाल?

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पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये एयर स्ट्राइक पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में कई गई है। इस एयरस्ट्राइक में महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों के मारे जाने की खबर है। तालिबान ने पाकिस्तान के हमले की कड़ी निंदा की है और उसने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि बमबारी में ‘वजीरिस्तानी शरणार्थियों’ को निशाना बनाया गया। ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के इलाकों में बमबारी की है। इन हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर तबाही मची है। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की इस एयर स्ट्राइक में अभी तक 15 लोगों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। मरने वालों में खास तौर पर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। भी भी कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है। जबकि कई घायलों की हालत बेहद गंभीर है, जिनका फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस एयर स्ट्राइक की वजह से कई लोगों की इलाज के दौरान भी मौत हो सकती है।

हमले का करारा जवाब देने की चेतावनी

तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमल, पक्तिका पर रात में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। अफगानिस्तानी मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। हालांकि मंत्रालय ने अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा के अधिकार पर जोर दिया है। मंत्रालय की कहा, ‘पाकिस्तान की एय़र स्ट्राइक में वजीरिस्तानी शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है। ये वो लोग हैं जो पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान पहुंचे थे। इस हमले में मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला कर अपने ही लोगों क मार दिया है।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच क्यों तनाव?

तालिबान वजीरिस्तानी शरणार्थियों को आदिवासी क्षेत्रों से आए आम नागरिक मानता है, जो पाकिस्तानी सेना की ओर से सैन्य अभियानों के कारण विस्थापित हुए हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि दर्जनों टीटीपी कमांडर और लड़ाके अफगानिस्तान भाग गए हैं और सीमावर्ती प्रांतों में अफगान तालिबान उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मौजूदगी को लेकर, जबकि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। तालिबान इन दावों को खारिज करता आया है और जोर देकर कहता रहा है कि वे समूह के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।

पाकिस्तान ट्रेन हाईजैकःसेना ने 100 से ज्यादा बंधकों को छुड़ाया, अब भी कैद में कई जिंदगियां

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पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया है। यह हाईजैक बलूच विद्रोहियों ने की है। पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक हुए 20 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पाकिस्तानी सेना अब तक बलूच विद्रोहियों के कब्जे से इस जफर एक्सप्रेस ट्रेन को छुड़ा नहीं पाई है। इस ट्रेन में सवार लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूरा जोर लगा दिया है। बलोच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान के 30 सैनिकों को मारा गया है। इस बीच पाकिस्तान सेना ने बड़ा एक्शन लिया है और 104 बंधकों को छुड़ा लिया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अभी भी 100 लोग हाईजैकर्स की कैद में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने बीएलए की ओर से बंधक बनाए गए 104 लोगों को बचा लिया है। बचाए गए लोगों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। साथ ही सुरक्षाकर्मी शेष यात्रियों को सुरक्षित बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। सेना की अब तक की कार्रवाई में बीएलए के 23 लड़ाकों को मार गिराया गया, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं।

मालूम हो कि मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी ने हाईजैक कर लिया था। नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। जाफर एक्सप्रेस क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी मंगलवार सुबह गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच उस पर गोलीबारी की गई। बलोच विद्रोहियों ने गुडालार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाके में एक सुरंग के अंदर रोक लिया। आतंकियों के कब्जे के बाद इलाके में भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें गूंज उठीं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

बता दें कि डेढ़ महीने बंद रहने के बाद बीते अक्तूबर में ही क्वेटा-पेशावर मार्ग पर रेल यातायात बहाल हुआ था। इस मार्ग पर ट्रेनों को रॉकेटों, रिमोट कंट्रोल वाले बमों से निशाना बनाया जाता रहा है और हर बार बीएलए ने ही हमलों की जिम्मेदारी ली है। बलूचिस्तान की आजादी को लेकर लड़ रहे बीएलए को पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में डाल रखा है। अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान, पाकिस्तान की सरकार के लिए लगातार सिरदर्द बना हुआ है। नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर धमाके में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 62 घायल हुए थे।

भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

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भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

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अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उगला जहर! जानिए कश्मीर एकजुटता दिवस पर क्या कहा

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत से दूरी खलने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से सार्थक और निर्णायक बातचीत का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनका देश कश्मीरी लोगों को अपना 'अटूट' समर्थन देता रहेगा।

शरीफ ने 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के मौके पर मुजफ्फराबाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा में एक सत्र को संबोधित यह टिप्पणी की। शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत को पांच अगस्त 2019 की मानसिकता से बाहर आना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और संवाद शुरू करना चाहिए।' उनका इशारा जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की ओर था।

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों की ओर से कश्मीरियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों और अलगाववादियों को श्रद्धांजलि दी और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटने वाला है। इतना ही नहीं, शहबाज ने कश्मीर में भारतीय सेना की मौजूदगी की निंदा की और कश्मीरियों के कथित उत्पीड़न का पुराना राग अलापा।

कश्मीर को लेकर उगला जहर

शहबाज ने कहा, "हम इस संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को सुरक्षित नहीं कर लेते।" उन्होंने यहां तक कह दिया कि "5 फरवरी भारत को याद दिलाता है कि कश्मीर कभी भी उसका हिस्सा नहीं हो सकता।"

भारत पर लगाया हथियार जमा करने का आरोप

शरीफ ने भारत पर हथियार जमा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने से शांति नहीं आएगी या इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रगति का रास्ता शांति है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्मणय के फैसले तक कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा, यह (कश्मीर मुद्दा) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के तहत कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से संभव हो सकता है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का महत्व: भारत-पाकिस्तान आतंकवाद संबंध और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

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(बाएं से दाएं): डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी, हाफिज सईद और तहव्वुर राणा

26/11 के मुंबई हमले के बाद से आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा को लेकर एक नई दृष्टिकोण सामने आई है। यह हमला न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी थी कि आतंकवाद के जड़ें केवल एक क्षेत्र में नहीं बल्कि कई देशों में फैली हुई हैं। 25 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने के बाद, यह मामला एक बार फिर से वैश्विक सुरक्षा और पाकिस्तान की भूमिका को प्रमुख रूप से उजागर करता है। राणा, जो 26/11 हमले में शामिल था, उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के परिणामस्वरूप नई जानकारी और प्रमाण मिल सकते हैं, जो आतंकवाद की जड़ों को और गहरे तक समझने में मदद करेगा। 

1. 26/11 की जांच और तहव्वुर राणा का कनेक्शन

तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, 26/11 के मुंबई हमले में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में से एक था। वह डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी के रूप में काम कर रहा था, जिसने भारत में आतंकवादी ठिकानों का सर्वेक्षण किया था। राणा ने इस हमले के लिए जरूरी रसद, योजना और मार्गदर्शन प्रदान किया था। 25 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जिससे अब उसे भारत लाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए है क्योंकि राणा से प्राप्त जानकारी से 26/11 के हमले के पीछे की साजिश और पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी नेटवर्क के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं।

2. पाकिस्तान का आतंकवाद के केंद्र के रूप में उभरना

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में फिर से उजागर कर सकता है। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM), अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी अभियानों में सक्रिय हैं। ये समूह न केवल भारत बल्कि अफगानिस्तान और अन्य देशों में भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। राणा का भारत प्रत्यर्पण पाकिस्तान के आतंकवाद में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है और यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक राज्य नीति के रूप में अपनाया है।

3. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई संभावना

राणा का प्रत्यर्पण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नई दिशा में जांच करने का अवसर प्रदान करेगा। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, पाकिस्तानी आईएसआई और अन्य आतंकवादी समूहों के रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके अलावा, राणा भारतीय इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

4. पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी राणा का प्रत्यर्पण प्रकाश डाल सकता है। तालिबान का पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध है, खासकर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई आतंकवादी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों को तालिबान का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा, तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय सहायता को बाधित करने की कोशिश करता है, जबकि पाकिस्तान भी अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में शामिल है।

5. 26/11 के आतंकवादी हमले का वैश्विक संदर्भ

26/11 का हमला केवल भारत के लिए एक आघात नहीं था, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के खतरों को भी उजागर करता है। इस हमले में शामिल आतंकवादी समूहों ने न केवल भारतीय नागरिकों का नरसंहार किया बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न किया। राणा का प्रत्यर्पण आतंकवादियों के वैश्विक नेटवर्क को तोड़ने और उनकी साजिशों को उजागर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह संकेत करता है कि आतंकवाद का वित्तपोषण और उसकी योजना केवल एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैली हुई है।

6. पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ना

राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का एक और अवसर हो सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती है, क्योंकि उसे आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान ने कई बार इस आरोप से इनकार किया है कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है, लेकिन राणा के प्रत्यर्पण और उससे प्राप्त जानकारी के बाद पाकिस्तान पर नए सिरे से दबाव डाला जा सकता है।

7. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय भूमिका

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, यह स्थिति और जटिल हो गई है। तालिबान का पाकिस्तान से करीबी संबंध है, और पाकिस्तान की आईएसआई अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों का समर्थन करती है। तालिबान द्वारा पाकिस्तान से आतंकवादियों की सहायता प्राप्त करना भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

8. भारत का सुरक्षा रणनीति में परिवर्तन

राणा के प्रत्यर्पण से भारतीय सुरक्षा रणनीति में कुछ बदलाव हो सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब नए सबूतों और जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए और सख्त कदम उठा सकती हैं। भारत का यह निर्णय कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं है, यह दिखाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को और मजबूत करेगा।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद भारत को न केवल 26/11 के हमले के संदर्भ में नई जानकारी प्राप्त हो सकती है, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दबाव को भी बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर एक नया मोड़ ला सकता है, और इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और उसके द्वारा दी गई जानकारी से यह उम्मीद की जा सकती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे और पाकिस्तान की आतंकवाद की नीति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में और अधिक जागरूकता पैदा होगी।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की सेना में साझेदारी! भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बेदखल होने के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती ही जा रही है। भारत से दूर होने की पूरी कोशिश में लगे बांग्लादेश के अधिकारी चीन और पाकिस्तान के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं और यात्राओं का दौर जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों के बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की यह दशकों पर पहली ढाका यात्रा थी, जिसने भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बीते करीब एक साल से संबंध पहले की तरह नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच के संबंध अभी भी हर बीतते दिन के साथ तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं। वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद आ मोहम्मद युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध गहरा कर रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बात हो रही है बल्कि दोनों देश सैन्य सहयोग बढ़ाने में भी लगे हैं।

बुधवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ जनरल आसिफ मलिक ढाका पहुंचे हैं। दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे मलिक का स्वागत बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान ने किया, जिनके लिए माना जाते है कि उनके इस्लामवादियों और पाकिस्तान से कथित संबंध हैं।आईएसआई चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब बीते सप्ताह ही बांग्लादेश का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा करके लौटा है।

आईएसआई के इस दौरे से भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारी साझा करना है। जानकार इस यात्रा को भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं।

बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने भी किया था पाकिस्तान का दौरा

इसके पहले बांग्लादेश के एक टॉप जनरल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात की थी। बांग्लादेश के सशस्त्र बल के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन कई वर्षों इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले शीर्ष बांग्लादेशी जनरल थे। हसन बांग्लादेश की सेना में दूसरे नंबर के अधिकारी भी हैं। उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आगे बढ़ने का साफ संकेत देती है।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियों का असर भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध पर भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि 1971 के बाद ये पहली बार हो रहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान इतने करीब आ रहे हैं। ऐसे में ये भारत के साथ बांग्लादेश के पुराने संबंध को नुकसान जरूर पहुंचाएगा। पाकिस्तान अपनी सीमा पर आए दिन आतंकवादियों को बढ़ावा देकर भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है। बांग्लादेश के साथ सैन्य करीबी के बाद भारत को बांग्लादेश बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों का सामना करना पड़ सकता है।

“केरल मिनी पाकिस्तान, इसलिए राहुल और प्रियंका...”, नितेश राणे के बयान पर बवाल

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अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने बीजेपी नेता और फडणवीस सरकार में मंत्री बने नितेश राणे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने केरल की तुलना पाकिस्तान से की है। उन्होंने कहा कि यह राज्य मिनी पाकिस्तान की तरह है, तभी राहुल गांधी और उनकी बहन वहां से सांसद चुने जाते हैं। राणे के इस बयान के बाद सियासी बवाल मच गया। हालांकि, बढ़ते मामले को देखते हुए सोमवार को भाजपा नेता ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि केरल भारत का हिस्सा है। उन्होंने पाकिस्तान से केवल केरल में हो रहे घटनाक्रमों के संदर्भ में तुलना की थी।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो मुस्लिमों की वजह से वयनाड से चुनाव जीत पाते हैं। उन्होंने कहा है कि केरल मिनी पाकिस्तान है, इसलिए राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी जीतकर आते हैं, सांसद बनने के लिए ऐसे ही लोग उनको वोट देते हैं। नितेश राणे ने यह टिप्पणी पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को की।

विवाद बढ़ने के बाद दी सफाई

विवाद बढ़ता देख राणे ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि हमारा देश एक हिंदू राष्ट्र बने, यही हमारी इच्छा है। हिंदुओं को हर संभव तरीके से सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'केरल भारत का हिस्सा है, लेकिन वहां हिंदू आबादी का घटना एक चिंता का विषय है। हिंदुओं का इस्लाम और ईसाई धर्म में धर्मांतरण एक आम बात हो गई है। वहीं, 'लव जिहाद' के मामले भी बढ़ रहे हैं। मैं केरल और पाकिस्तान की स्थिति की तुलना कर रहा था। अगर हमारे देश में भी पाकिस्तान जैसी स्थिति पैदा होती है, तो हमें इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यही मैंने अपने भाषण में कहा था।'

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

यह पहला मौका नहीं है जब पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने विवादित बयान दिया है। इससे पहले वह 2 नवंबर 2024 जब राणे से पूछा गया था कि आपको मुस्लिमों से क्या दिक्कत है? तो उन्होंने कहा था कि देश में 90 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। हिंदुओं के हितों की चिंता करना कोई अपराध नहीं हो सकता। इसके आगे उन्होंने ये भी कहा था कि देश में बांग्लादेशी हिंदुओं के त्योहारों पर पत्थरबाजी करते हैं। यदि इसके खिलाफ आवाज उठाने पर मुकदमा दर्ज होता है तो, मैं उसका सामना करने के लिए तैयार हूं।

राणे के खिलाफ 38 मामले दर्ज

नितेश राणे कोंकण इलाके की कंकावली विधानसभा सीट से विधायक हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार उनके खिलाफ 38 मामले दर्ज हैं। इनमें 66 गंभीर धाराएं शामिल हैं। अधिकतर मामले पिछले एक से डेढ़ साल में दर्ज हुए हैं और भड़काऊ भाषण से जुड़े हैं। हालांकि, इन 38 में से सिर्फ 10 मामलों में ही चार्जशीट दाखिल की गई है। भड़काऊ भाषणों से जुड़े किसी भी मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है, क्योंकि सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है। अब तक 10 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है और इनमें से चार मामलों में अदालतों ने आरोप तय किए हैं।

अफगानिस्तान में पाक की एयर स्ट्राइक, अब तक 15 की मौत, क्या उठ रहे सवाल?

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पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये एयर स्ट्राइक पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में कई गई है। इस एयरस्ट्राइक में महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों के मारे जाने की खबर है। तालिबान ने पाकिस्तान के हमले की कड़ी निंदा की है और उसने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि बमबारी में ‘वजीरिस्तानी शरणार्थियों’ को निशाना बनाया गया। ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के इलाकों में बमबारी की है। इन हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर तबाही मची है। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की इस एयर स्ट्राइक में अभी तक 15 लोगों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। मरने वालों में खास तौर पर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। भी भी कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है। जबकि कई घायलों की हालत बेहद गंभीर है, जिनका फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस एयर स्ट्राइक की वजह से कई लोगों की इलाज के दौरान भी मौत हो सकती है।

हमले का करारा जवाब देने की चेतावनी

तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमल, पक्तिका पर रात में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। अफगानिस्तानी मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। हालांकि मंत्रालय ने अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा के अधिकार पर जोर दिया है। मंत्रालय की कहा, ‘पाकिस्तान की एय़र स्ट्राइक में वजीरिस्तानी शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है। ये वो लोग हैं जो पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान पहुंचे थे। इस हमले में मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला कर अपने ही लोगों क मार दिया है।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच क्यों तनाव?

तालिबान वजीरिस्तानी शरणार्थियों को आदिवासी क्षेत्रों से आए आम नागरिक मानता है, जो पाकिस्तानी सेना की ओर से सैन्य अभियानों के कारण विस्थापित हुए हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि दर्जनों टीटीपी कमांडर और लड़ाके अफगानिस्तान भाग गए हैं और सीमावर्ती प्रांतों में अफगान तालिबान उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मौजूदगी को लेकर, जबकि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। तालिबान इन दावों को खारिज करता आया है और जोर देकर कहता रहा है कि वे समूह के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।