हस्तिनापुर में नियमों को ताक पर रखकर खड़ी हो रहीं स्कूलों की अवैध इमारतें, बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
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हस्तिनापुर,गोंडा। हस्तिनापुर क्षेत्र में शिक्षा के नाम पर लापरवाही और नियमों की खुली धज्जियाँ उड़ाने का सिलसिला लगातार जारी है। सूत्रों के अनुसार हस्तिनापुर क्षेत्र में दर्जनों निजी स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने बिना मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की आवश्यक परमिशन के बहुमंज़िला इमारतें खड़ी कर दी हैं। हालात यह हैं कि कई स्कूलों में भवन निर्माण मानकों का जरा भी पालन नहीं किया गया है।
सबसे गंभीर बात यह सामने आई है कि इन इमारतों में आग से सुरक्षा को लेकर जरूरी अग्निशमन इंतज़ाम मौजूद नहीं हैं। न ही ऊँची इमारतों में लिफ्ट की व्यवस्था की गई है, जिससे बच्चों और स्टाफ की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। कुछ स्कूलों में तो केवल टीन शेड डालकर कक्षाएँ संचालित की जा रही हैं, जो तेज हवा, बारिश या आग जैसी स्थिति में बड़े हादसे को आमंत्रित कर सकती हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद गैर–जिम्मेदार रवैया अपना रहे हैं। लेट फीस पर पेनल्टी लेने वाले ये स्कूल खुद अपनी बिल्डिंग को नियमों के अनुसार सुरक्षित बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। इससे अभिभावकों में भी भारी आक्रोश है, क्योंकि बच्चे रोज़ाना ऐसे जोखिमपूर्ण माहौल में पढ़ाई करने मजबूर हैं।
सबसे बड़ा सवाल एमडीए की भूमिका पर खड़ा हो रहा है। शिकायतों के बावजूद प्राधिकरण द्वारा न तो इन विशाल अवैध निर्माणों की जांच की गई और न ही किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्यवाही। इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि क्या बिना अधिकारियों की अनदेखी के इतने बड़े निर्माण संभव हैं? क्या नियमों का खुला उल्लंघन होने के बावजूद संबंधित विभाग वाकई अनजान हैं?
समाजसेवी संगठनों और क्षेत्रवासियों ने इन अवैध निर्माणों को बच्चों की सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ बताते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन नहीं जागा, तो किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसके लिए जिम्मेदार लोगों को बच पाना मुश्किल होगा।
कुल मिलाकर, हस्तिनापुर में शिक्षा के नाम पर हो रहा यह लापरवाही भरा खेल जनसुरक्षा से खिलवाड़ है, जिस पर तत्काल रोक लगाना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।








1 hour and 40 min ago
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