पशुधन मंत्री ने 18 नवनिर्मित वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों
का किया लोकार्पण
* प्रत्येक केन्द्र में 400 गोवंश को संरक्षित करने की क्षमता
* गौसंरक्षण केंद्रों के निर्माण कार्य में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाए
* गो आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाने हेतु बहुआयामी प्रयोग किये जा रहे : धर्मपाल सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज पशुपालन निदेशालय में आयोजित एक कार्यक्रम में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु प्रदेश के 13 जनपदों के 18 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों का वर्चुवल लोकार्पण किया। इसके तहत आजमगढ़ एवं उन्नाव में 03-03, मिर्जापुर में 02, महराजगंज, ललितपुर, अमेठी, बहराइच, देवरिया, पीलीभीत, अयोध्या, कौशाम्बी, चित्रकूट एवं सीतापुर में 01-01 वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों का शत-प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इन 18 गो संरक्षण केन्द्रों की कुल निर्माण लागत रुपए 28 करोड़ 82 लाख है। प्रत्येक केंद्र में लगभग 400 गोवंश को संरक्षित किया जा सकता है। श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देशन में गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गोआश्रय स्थलों के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है और गोवंश के भरण-पोषण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है।
इस अवसर पर धर्मपाल सिंह ने सम्बंधित जनपदों के क्षेत्रीय विधायकों, ग्रामप्रधानों, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी तथा केयरटेकरों से भी गोवंश के रखरखाव और सहयोग पर बात की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि गो संरक्षण कार्यों में स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए और गौसंरक्षण केंद्रों के निर्माण कार्य में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाए। निराश्रित गोवंश हेतु सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। गोशालाओं में गाय भूखी न रहे, चारा, भूसा, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था हो।
श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश के समस्त मण्डलीय जनपदों में 18 मॉडल गौशालाएं बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। पशुपालन विभाग द्वारा गो आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाने हेतु बहुआयामी प्रयोग किये जा रहे हैं। गाय के गोबर से गो दीप, धूपबत्ती, गोलॉग, गोबर के गमले, वर्मी कम्पोस्ट तथा सी0बी0जी0 उत्पादन इकाईयोें की स्थापना की जा रही है। इन इकाईयों के संचालन में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा महत्वपूर्ण योगदान किया जा रहा है। गोवंश संरक्षण कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं आर्थिक उन्नति के अनेक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अब तक 576 वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्वीकृति प्रदान की गई है जिसके सापेक्ष 421 केंद्रों का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा 403 केन्द्र क्रियाशील किए जा चुके है। प्रत्येक वृहद गोसंरक्षण केन्द्र की गोवंश धारण क्षमता 400 गोवंश तथा इकाई निर्माण लागत 160.12 लाख है। निराश्रित गोवंश संरक्षण के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा अभूतपूर्व तथा उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। संरक्षित गोवंशो के भरण-पोषण हेतु शत-प्रतिशत अनुदान राशि का भुगतान डीबीटी द्वारा सितम्बर, 2025 तक किया जा चुका है। गो-संरक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं आर्थिक उन्नति के अनेक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
वर्तमान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 6554 अस्थायी गो आश्रय स्थल, 403 वृहद गो संरक्षण केन्द्र, 284 कांजी हाऊस एवं शहरी क्षेत्र में 307 कान्हा गो आश्रय स्थल सहित कुल 7548 गो आश्रय स्थलों में 1235782 निराश्रित गोवंश संरक्षित है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 114865 इच्छुक लाभार्थियों को 180925 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किये गये हैं।
कार्यक्रम में पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने अधिकारियों से कहा कि गोसंरक्षण केन्द्रों में सभी आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाए और अधिकारी नियमित रूप से गौशालाओं का निरीक्षण करें। गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाए और गोवंश संरक्षण कार्यों में किसी प्रकार की लापरवाही न होने पाए।
कार्यक्रम में विशेष सचिव पशुधन देवेन्द्र कुमार पाण्डेय, निदेशक प्रशासन एवं विकास डा. योगेन्द्र सिंह पंवार, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डा. मेमपाल सिंह, अपर निदेशक डा. संगीता तिवारी, योजनाधिकारी डा. पीके सिंह, संयुक्त निदेशक मुख्यालय सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
Nov 12 2025, 15:47
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