Mirzapur: पिछड़ी जाति की महिला ग्राम प्रधान के छीन लिए अधिकार, चुप क्यों हैं सरकार?
मुखौटा बनी मनिगढ़ा की ग्राम प्रधान, मौज कांट रहे कोई और सरकार
जांच और कार्रवाई की जद से बचने के लिए कराते आएं हैं हिंदु-मुस्लिम में तकरार
*यूपी के बहुचर्चित मनरेगा घोटाले में फंसे हलिया विकास खंड क्षेत्र की दास्तां
मीरजापुर। एक तरफ सरकार ग्राम पंचायतों को जहां सुदृढ़ और समृद्धशाली बनाए जाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है और ग्राम पंचायतों के विकास का लंबा चौड़ा खाका खींचते हुए विकासपरक विभिन्न योजनाओं पर लाखों-करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के चलते यह विकास योजनाएं धरातल पर दिखाई न देकर फाइलों में अंकित होकर रह गई हैं, जिसकी गहराई से जांच हो तो न केवल भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने होगा, बल्कि कइयों की गर्दन भी फंसी हुई नजर आएगी। ऐसा ही एक मामला जनपद के हलिया विकासखंड अंतर्गत मनिगढ़ा गांव का सामने आया है, जहां कहने को तो पिछड़ी जाति की महिला ग्राम प्रधान हैं, लेकिन 'प्रधानी' का सुख कोई और उठाता हुआ आया है। आश्चर्यजनक बात है कि ग्राम पंचायत का कार्यकाल धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है। मनिगढ़ा गांव में भ्रष्टाचार के एक नहीं बल्कि अनगिनत मामले खुली आंखों से देखे जा सकते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि आज तक किसी भी अधिकारी ने इस गांव की ओर झांकने की जहमत नहीं उठाई है। कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे इस गांव के कई मजरे बस्ती के लोगों को आज भी बदहाल और समस्याओं से जूझते हुए देखा जा सकता है। खुद ग्रामीणों द्वारा निवार्चित महिला ग्राम प्रधान की बदहाली भरी जिंदगी को देखा जा सकता है जिनके घर तक जाने के लिए एक अदद पक्के मार्ग का अभाव बना हुआ है। इससे भी घोर आश्चर्य की बात तो यह है कि गांव में महिला ग्राम प्रधान को कोई जानने वाला नहीं है, ग्रामीणों की जुबां पर किसी गैर का नाम आता है। हलिया ब्लाक मुख्यालय से महज़ 22 किमी दूरी पर स्थित मनिगढ़ा गांव जंगल-पहाड़ से लगा हुआ मध्यप्रदेश राज्य का सरहदी गांव है। पिछले महिनों से सुर्खियों में यह गांव विभिन्न बुनियादों सुविधाओं से महरुम होने के साथ ही भ्रष्टाचार, वित्तिय गड़बड़ियों, विकास के नाम पर लूट-खसोट इत्यादि को भी लेकर चर्चा में बना हुआ है।
बताते चलें कि ग्राम पंचायत मनिगढ़ा में वित्तिय वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक हुए सरकारी योजनाओं एवं विकास कार्यों से संबंधित मांगी गई जानकारी में भी इस बात का खुलासा होने के बाद जहां निरंतर शिकायतों को दबाने और ग्रामीणों का ध्यान भटकाने के लिए साजिशें रची जाती गई वहीं शिकायतकर्ताओं को फर्जी तरीके से फंसाने की भी साजिश रची जाती रहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि मनिगढ़ा गांव में कई योजनाएं केवल कागजों पर दिखाई गई हैं धरातल पर कार्य हुआ ही नहीं, अलबत्ता उसके नाम पर एक मोटी रकम की जरुर बंदरबांट कर ली गई है। इनमें फर्जी लाभार्थियों को भी भुगतना दिखाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है।
गांव निवासी बबलू कोल कहते हैं कि एक वर्ष पहले पाइप लाइन बिछाई गई थी, जिसमें से कुछ दिनों तक पानी आने के बाद अभी तक पानी नहीं आया है। अवध पांडे बुझे मन से कहते हैं, यह गांव गुलाम बना हुआ है विकास कार्य के नाम पर लूट मची हुई है। ग्राम प्रधान तो कांठ की उल्लू बनी हुई हैं। गांव निवासी अब्दुल समद कहते हैं सरकार गांवों के विकास के नाम पर विभिन्न योजनाओं का संचालन कर जाति-धर्म से उपर उठकर धन खर्च कर रही है जबकि मनिगढ़ा गांव में विकास कार्य के नाम पर लूट मची हुई है। वह आश्चर्य जताते हुए कहते हैं कि गांव में मंदिर-मस्जिद और कुआं-तालाब तक को नहीं छोड़ा गया है। इनके नाम पर भी लाखों की रकम डकार ली गई है, जिसे खुली आंखों से गांव में देखा जा सकता है जहां काम हुआ नहीं है और धन का बंदरबांट हो गया है। दूसरी ओर हलिया विकास खंड क्षेत्र के मनिगढ़ा गांव में विकास के नाम पर हुए व्यापक भ्रष्टाचार और महिला ग्राम प्रधान के 'कांठ का उल्लू बनें' होने के मुद्दे पर जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार कहते हैं, विकास योजनाओं के नाम सरकारी धन की बंदरबांट की जांच कराई जाएगी और कार्रवाई भी होगी। शासन की मंशा के विपरीत गांवों के विकास में कोताही कदापी क्षम्य नहीं होगी। इसमें जो भी दोषी पाएं जाएंगे कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
Sep 07 2025, 19:54