Mirzapur : विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज का हुआ जुटान, हक-हधिकार की भरी हुंकार
मिर्ज़ापुर। आदिवासी बाहुल्य मिर्ज़ापुर में 9 अगस्त 2025 दिन शनिवार को आदिवासी समाज के लोगों का बड़ा समागम (जुटान) हुआ। इस दौरान प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आदिवासियों के महापर्व मूल आदिवासी दिवस, विश्व आदिवासी दिवस अवसर पर सिटी क्लब के प्रांगण में इकट्ठा होकर अपने आराध्य देव, आदि देव की गोगो, पूजा कर प्रसाद वितरण उपरांत समस्त गोंड आदिवासी समाज के लोगों ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं जिला प्रशासन के दिशा निर्देश अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज का दिन हम आदिवासी समाज के लिए अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्वभर के आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिये 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कार्यदल (यूएनडब्लूजीईपी) के उप आयोग का गठन किया, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई। आदिवासी समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए विश्व के देशों का ध्यानाकषर्ण के लिये सबसे पहले यूएनओ विश्व पृथ्वी दिवस 3 जून 1992 में होने वाले सम्मेलन 300 पन्ने के एजेन्डे में 40 विषय जो चार भागों में बाटे गये, तीसरे भाग में रीओ-डी-जनेरो (बांजील) सम्मेलन में विश्व के आदिवासियों की स्थिति की समीक्षा और चर्चा पर प्रस्ताव पारित किया गया था। ऐसा विश्व में पहली बार हुआ।
कार्यक्रम संयोजक रामप्यारे गौड़ ने कहा यूएनओ अपने गठन के 50 साल बाद महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न के देशों में निवासरत आदिवासी समाज अपनी उपेक्षा, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव, बेरोजगारी एवं बंधुआ व बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है। अतः 1993 में यूएनडब्लूजीईपी कार्यदल के 11वें अधिवेंशन में आदिवासी अधिकार घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1993 को आदिवासी वर्ष व 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के रूप में घोषित किया गया। बताया कि आदिवासियों को अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 में जनेवा शहर में विश्व के आदिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का प्रथम अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, आदिवासियों के मूलभूत हक को सभी ने एकमत से स्वीकार किया और आदिवासियों के सभी हक अधिकार बरकरार रहे। इस बात की पुष्टि कर दी गयी और विश्व राष्ट्र समूह ने कहा हम आपके साथ है। यह वचन आदिवासियों को दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ में व्यापक चर्चा के बाद से दुनिया भर के देशों को आदिवासी दिवस मनाने का निर्देश दिया गया। जिसके कारण विश्व भर के आदिवासी लिए अपने हक, अधिकार भाषा, संस्कृति, सभ्यता सामाजिक एकता से लाभान्वित होने के लिए आज के दिन को इस दिवस के रुप में मनाते हुए आएं हैं।
कार्यक्रम में राजू गोंड, लवकुश गोंड, चमन गोंड, रामभजन गोंड, बृजेश, कमलेश, महेश गोंड, रामसागर धुर्वे, राम नगीना गोंड, जटाशंकर गोंड, हरी लाल गोंड, राम जी प्रसाद गॉड, पवन गॉड, विपुल गॉड, संदीप गोंड, शिवजी गोंड, जटाशंकर गोंड, रमेश गोंड, विजय लाल, भवानी, बुधराम गोंड, संतोष गोंड, शुभम गोंड, पवन गोंड, अशोक गॉड, दिलीप गोंड, चंद्रबालि गोंड, पारस गाँड, गणेश गोंड सोनू गोंड, अरविंद गोंड, धीरेंद्र गोंड, आशीष गोंड, रंजीत गोंड, योगेंद्र गोंड, राजेश गोंड, दिनेश गोंड, कमला गोंड सहित तमाम आदिवासियों ने अपने पारंपरिक पोशाक अस्त्र-शस्त्र के साथ भाग लिया।
Aug 12 2025, 18:45