चुनाव से पूर्व बीएसपी प्रमुख को करनी होगी मण्डल स्तर पर मण्डलीय समीक्ष
विश्वनाथ प्रताप सिंह, प्रयागराज। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) किसी गमले का पौधा नहीं कि गमले में पानी देना बन्द कर देने से पौधा सूख जायेगा बल्कि बसपा वह वट वृक्ष है जिसकी किसी भी शाखा को काटने से उसमें से सैकड़ों नयी व और मजबूत शाखाएं निकलेगी उक्त बात "बहनजी को जगाओ और 85 % को लेकर बसपा की सरकार बनाओ" अभियान के संयोजक डा. अम्बेडकर वेलफेयर नेटवर्क (डान) के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुये कही। रामबृज ने आगे बताया कि ऐसी बात बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब ने उस समय कही थी जब ओबीसी समाज के शसक्त नेता बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जंगबहादुर सिंह पटेल, बसपा के पूर्व महासचिव सोनेलाल पटेल के साथ नन्द लाल सिंह पटेल, हीरामणि सिंह पटेल, हरिश्चंद्र सिंह पटेल, बरखूराम वर्मा आदि एक-एक करके तत्कालीन सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बहकावे में आकर बसपा छोड़ी थी।
आईपी रामबृज ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश स्थित बसपा से नाराज पुराने बहुजन समाज के त्यागी समर्पित मिशनरी कैडर के बुद्धिजीवी साथियों को लेकर एक अभियान के तहत बसपा के समर्थन में मण्डल स्तर पर मण्डलीय सम्मेलन कर "बहनजी को जगाओ और 85% बहुजन समाज को जोड़कर पुनः विधानसभा चुनाव-2027 फतह कर बसपा की सरकार बनाओ" को लेकर एक ओर जहां बहनजी की कार्यशैली में परिवर्तन लाने हेतु आलोचनात्मक टिप्पणी करेगा तो वही दूसरी ओर बसपा के समर्थन में युवाओं को जोड़कर बहनजी को बहुत सारे सुझाव भी देगा। बहनजी अपनी सोसल इंजीनियरिंग और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की रणनीति पर 2007 से 2012 के मध्य अपने बलबूते बसपा की सरकार बनाकर असंख्य कार्य करके विश्वस्तर पर अपनी पहचान बनायी। उनके द्वारा किये गये ऐतिहासिक कार्य से एक ओर जहां कांग्रेस, भाजपा हाथ धोकर पूरी तरह से पीछे लग गयी थी तो वहीं समाजवादी पार्टी की सरकार भी पीछे पड़ने से नहीं चूकी थी।
सन 1990 से आज तक यानी 35 वर्षो के मध्य बहुजन समाज से करोड़ो की संख्या में जो मतदाता पैदा हुये उनमे कैडर और मिशन का अभाव है। बहनजी यदि विधानसभा चुनाव-2027 से पूर्व अपनी कार्यशैली में परिवर्तन लाते हुये मात्र 75 जिलों का दौड़ा कर दे तो कैडर के अभाव में इधर-उधर भटक रहे बहुजन समाज के करोड़ो मतदाताओं में एक प्रकार की नई ऊर्जा, नई ताकत एक नई क्रान्ति के लिये आ जायेगी। इसके लिये आज के राजनैतिक परिदृश्य को दृष्टिगत रखते हुये बहनजी को अपनी कार्यशैली में परिवर्तन लाना होगा क्योंकि बहुजन समाज आज भी सम्मान का भूखा है न कि पैसे का भूखा है।
दिल्ली से डा. अजय कुमार ने बताया कि बहनजी नई रणनीति के तहत मण्डल स्तर पर जिन मुख्य मण्डल प्रभारियों की तैनाती की है वे सभी मण्डल प्रभारी इस बार बसपारूपी नाव को विधानसभा चुनाव- 2027 रूपी नदी में डुबो कर ही दम लेंगे। क्योंकि बहनजी ने दिल्ली स्थित बसपा कार्यालय में यूपी के सभी मंडलों के जिन चुनिंदा नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर संगठन के बारे में फीडबैक लिया है वो सभी नेता बसपा प्रमुख के साथ-साथ बहुजन समाज के आंख में धूल झोंकने का काम करते रहे चले आये है। बहनजी विश्वास करते हुए जिन दो दो मुख्य मण्डल प्रभारियों की तैनाती की है तथा जिला स्तर पर जिन मण्डल प्रभारियों को तैनात करके अपने राजनैतिक जीवन का अन्तिम प्रयोग करके जो नया दांव चलने का प्रयास की है क्या वे सभी पदाधिकारी बसपा के सोसल इंजीनियरिंग के तहत लड़े गये विधानसभा चुनाव 2007, 2012, 2017 और 2022 तथा लोकसभा चुनाव- 2014, 2019 और 2024 में मुख्य जोनल कोआर्डिनेटर, मण्डल कोआर्डिनेटर व सेक्टर प्रभारी रहते हुये विधानसभा चुनाव-2022 और लोकसभा चुनाव- 2024 मे बसपा का क्या हश्र किया था क्या बहनजी को नहीं मालूम ? ये सभी मण्डल स्तर पर नियुक्त सभी मुख्य सेक्टर प्रभारी बसपा को वहीं पर ला दिये है जहां से बसपा की शुरुआत हुयी थी।
रामबृज ने आगे बताया कि बहनजी मण्डल स्तर पर जिन मुख्य मण्डल प्रभारियों को बूथ स्तर पर बसपा के संगठन को मजबूत करना है, गाँव मे रात गुजारकर दलितों-पिछड़ो के साथ संवाद बनाकर उन्हें भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है वह सूरज के सामने दिया दिखाने के बराबर है क्योंकि बनाये गये मण्डल स्तर के सभी मुख्य मण्डल प्रभारी सुविधाभोगी हो चुके है। सेक्टर प्रभारी गावों की दलित बाहुल्य और मलिन बस्तियों में जाने से कतरायेगा। अस्सी का दशक गया जब बसपा के लिये समर्पित बुद्धिजीवी रात-रात लालटेन, दिया जला- जलाकर कैडर देते थे आज ऐसे बुद्धिजीवी मिशनरी हाशिये पर है, जिनकी सुध-बुध लेने वाला कोई नही है। 1990 से बसपा का कैडर बन्द पड़ा है। तब से लेकर आजतक यानी 35 साल के मध्य बसपा के युवा मतदाताओं में कोई कैडर न होने से उन्हें बसपा की ओर मोटीवेट करना लोहे के चने चबाने के बराबर है।
रामब्रज ने आगे बताया कि बहनजी को बसपा में ओबीसी जातियों को बड़े पैमाने पर जोड़ना होगा और विधानसभा चुनाव- 2027 मे कम से कम 200 सीट पर ओबीसी, 100 सीट पर दलित आदिवासी, 50 सीट पर मुश्लिम और 50 सीट पर सवर्ण प्रत्याशी उतारना होगा। 403 विधानसभा सीटों में 50% न सही कम से कम 30% महिलाओं को प्रत्याशी बनाना होगा। डा. अम्बेडकर द्वारा लिखित जिस संविधान में बहुजन समाज विश्वास करता है उसी संविधान में निहित सामाजिक न्याय पर बहनजी को चलकर सामाजिक न्याय का पालन करना होगा। बसपा से मोहभंग हो चुके बहुजन समाज को बसपा से जोड़ने के लिये बहनजी को चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश के 75 जिलो का दौड़ा करना होगा। जिससे नई पीढ़ी के करोड़ो मतदाता खुद ब खुद बसपा से जुड़ जायेगा।
विधानसभा चुनाव-2027 के लिये उतारे गये उम्मीदवारों से पार्टी फण्ड के लिये कम से कम आर्थिक सहयोग लिया जाय और चुनाव से पूर्व किसी उम्मीदवार का टिकट न काटा जाय। चुनाव में जनसंख्या के आधार पर सभी जातियों से प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे जाय। टिकट संविधान में विश्वास करने वाले जनवादी वैज्ञानिक सोच रखने वाले बहुजन समाजहित से जुड़े बुद्धिजीवियों को दिया जाय और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोगों से जितनी दूरी हो सके उतनी दूरी बनाये रखे।
Jul 18 2025, 19:59