*कावड़ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा:भदोही में कमिश्नर-डीआईजी ने किया हाइवे निरीक्षण, उत्तरी लेन केवल कावड़ियों के लिए*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। भदोही में सावन माह की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा का आगाज हो गया है। प्रयागराज के संगम से जल लेकर कांवड़िए भदोही होते हुए नेशनल हाईवे -19 से वाराणसी की ओर जा रहे हैं। मंडलायुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी और डीआईजी मिर्जापुर आरपी सिंह ने भदोही के डीएम - एसपी के साथ वाराणसी - भदोही सीमा औराई बाबूसराय का दौर किया। इसके कलेक्ट्रेट सभागार में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की गई।

कमिश्नर ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग की उत्तरी लेन शाम को वाहनों के लिए बंद कर दी जाएगी। यह लेन सिर्फ कांवड़ियों के लिए अंतरिक्ष रहेगी। कांवड़ यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालु की सुविधा के लिए शौचालय, पानी और शिविर की व्यवस्था की जा रही है। सोमवार को जलाभिषेक के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।

भदोही में 42 किलोमीटर लंबे हाइवे पर स्वास्थ्य विभाग और एन‌एच‌आई समेत अन्य विभागों के साथ समन्वय किया गया है। पुलिस ने हाईवे से गांव की ओर जाने वाले मार्गों पर बैरियर लगा दिए हैं। सभी कट पाॅइंट्स को बंद कर दिया गया है। जनपद सीमा ऊंज से बाबूसराय तक पुलिस टीमें गश्त कर रही है। हर कट पाॅइंट और बैरिकेडिंग स्थल पर पुलिस तैनात की गई है।

*गणित और विज्ञान किट से बढ़ेगा विद्यार्थियों का ज्ञान*


राजकीय इंटर कॉलेज को 5 और हाईस्कूल को 33 टिक दी जाएगी

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले के 38 राजकीय इंटर कॉलेज और माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों का गणित और विज्ञान किट से ज्ञान बढ़ेगा। शिक्षा विभाग ने विद्यालयों को गणित व विज्ञान किट उपलब्ध करा दिया है। इनके प्रयोग के लिए विशेष पुस्तिका भी दी गई है। शिक्षक इस किट के जरिए विद्यार्थियों को प्रयोग करने के तौर तरीके सिखाकर उन्हें निपुण करेंगे।

जिले में कुल 33 राजकीय हाईस्कूल और छह इंटर कॉलेज हैं। जिसमें तीन हजार से अधिक विद्यार्थी अध्यनरत हैं। विभूति नारायण राजकीय इंटर कॉलेज पीएम श्री में शामिल हो गया। इसलिए इसको छोड़कर शेष अन्य 38 स्कूलों में विज्ञान और गणित की किट उपलब्ध कराई गई है। गणित व विज्ञान विषय से शिक्षण प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को माइक्रोस्केल किट की मदद से शिक्षित करते हुए निपुण बनाया जाएगा। इसकी सहायता से संबंधित विषय के शिक्षक-शिक्षिकाएं किट में रखे उपकरणों का प्रयोग करने के विषय में जान सकेंगे।

इससे छात्र को पाठ्यक्रम समझने में आसानी होगी। वहीं, छात्र किट से पढ़कर शिक्षा में नवाचार भी कर पाएंगे। विज्ञान-गणित किट जहां एक ओर छात्र/छात्राओं को आसानी से प्रायोगिक कार्य करने की सुविधा देगी। वहीं पोर्टेबल विज्ञान किट द्वारा हाईटेक प्रयोगशालाओं में कम सामग्री खर्च करके पाठ्यक्रम के सभी चैप्टर्स को समझने की राह भी आसान करेगा। एक विज्ञान किट में (भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व जीव विज्ञान) शामिल है।

गणित व विज्ञान किट से विद्यार्थियों की अपने विषय पर पकड़ मजबूत होगी। वह गहराई से विषय को समझकर ज्ञान अर्जित कर सकेंगे। - अंशुमान, डीआईओएस।

-------

किट की ये हैं विशेषताएं

-विज्ञान व गणित किट पोर्टेबल होती है।

-किट का प्रयोग करने में प्रयोगशाला सामग्री बहुत ही कम खर्च होगी।

-शिक्षक पढ़ाते वक्त इसका प्रयोग आसानी से कर सकते हैं।

-छात्र-छात्राओं में नवाचार की जिज्ञासा का विकास होगा।

*आज रात 12 बजे से बंद हो जाएगा हाईवे का उत्तरी लेन*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। श्रावण मास में कांवड़ियों के लिए आरक्षित होने वाला वाराणसी-प्रयागराज हाईवे का उत्तरी लेन बृहस्पतिवार को रात 12 बजे से बंद हो जाएगा। कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए 950 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। वहीं, पूरे जिले को दो जोन और आठ सेक्टर में बांटा गया है। कांवड़ यात्रा की निगरानी के लिए लालानगर टोल प्लाजा और औराई कोतवाली में कंट्रोम रूम बनाया जाएगा। वहीं, कांवड़िया लेन पर चार जगहों पर एबुलेंस लगाए गए हैं। पुलिस ने कांवड़ यात्रा के दो मार्गों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ रूट डायवर्जन चार्ट भी तैयार किया है। श्रावण मास की शुरूआत शुक्रवार से हो रही है। हर साल सावन के महीने में वाराणसी-प्रयागराज हाईवे का उत्तरी लेन कांवड़ियों के लिए आरक्षित कर दिया जाता है। जगह-जगह कांवड़ियों के शिविर लगाए जाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया जाता है। हाईवे पर कोई वाहन प्रवेश न कर पाए। इसके लिए वाराणसी-प्रयागराज हाईवे जिले की 42 किमी सीमा में 67 कट व संपर्क मार्गों के निकास पर बैरिकेडिंग लगा दिया गया है। जिला प्रशासन की ओर से इसकी व्यापक तैयारियां की गई हैं। इससे दक्षिणी लेन पर वाहनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। रूट डायवर्जन चार्ट भी तैयार हो चुका है। कांवड़ मार्ग को तीन जोन और आठ सेक्टर में बांटा गया है। हर प्रमख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे के साथ-साथ कांवड़ मार्गों का ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जाएगी

अस्पतालों को किया गया सक्रिय, होंगे समुचित इंतजाम

कांवड़ियों की सुविधा के लिए चार स्थानों पर एबुलेंस रखा गया है। इसमें जंगीगंज, गोपीगंज, लालानगर टोल प्लाजा और औराई शामिल है। उत्तरी लेन पर भीटी बार्डर से बाबू सराय तक चार अस्पताल थाना गोपीगंज, सीएचसी गोपीगंज, टोल प्लाजा लालानगर, थाना औराई पर स्थापित किया गया है। वहीं, दक्षिणी लेन पर थाना ऊंज, जंगीगंज लिंक रोड, सीएचसी औराई और मटकीपुर पर स्थापित है। यहां कांवड़ियों के मरहम के अलावा प्राथमिक उपचार की सारी सुविधाएं होंगी।

पांच चेक पोस्टों से रखेंगे निगरानी, पीआरवी करेगी पेट्रोलिंग

वाराणसी-प्रयागराज हाईवे कांवड़ मार्ग एक पर ऊंज बार्डर प्रयागराज सीमा, ज्ञानपुर तिराहा और बाबूसराय वाराणसी सीमा पर इन्टीग्रेटेड चेक पोस्ट स्थापित किया गया है। कांवड़ मार्ग में थाना ऊंज, गोपीगंज और औराई में फायर सर्विस तैनात रहेगी। वहीं, 42 किमी के दायरे में पीआरवी के अलावा बाइक लगातार पेट्रोलिंग करेंगी। इसी तरह कांवड़ मार्ग दो मीरजापुर से जौनपुर स्टेट हाईवे पर सहसेपुर, मिर्जापुर सीमा और घौरहरा जौनपुर सीमा इंट्रीगेटेड चेकपोस्ट बनाया गया है।

कांवड़ यात्रा के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रमुख जगहों पर एबुलेंसों की तैनाती के साथ-साथ यातायात व्यवस्था का भी ध्यान रखा गया है। वहीं, कांवड़ियों के विश्राम के लिए शिविर इत्यादि भी खुले रहेंगे। कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। - शैलेश कुमार, जिलाधिकारी।

कांवड़ यात्रा को देखते हुए बृहस्पवितार की रात 12 बजे से हाईवे का उत्तरी लेन बंद हो जाएगा। कांवड़ यात्रा की निगरानी के लिए टोल प्लाजा और औराई थाने पर दो कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। वहीं पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई है। - अभिमन्यु मांगलिक, पुलिस अधीक्षक

कांवड़ यात्रा के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रमुख जगहों पर एबुलेंसों की तैनाती के साथ-साथ यातायात व्यवस्था का भी ध्यान रखा गया है। वहीं, कांवड़ियों के विश्राम के लिए शिविर इत्यादि भी खुले रहेंगे। कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। - शैलेश कुमार, जिलाधिकारी।

कांवड़ यात्रा को देखते हुए बृहस्पवितार की रात 12 बजे से हाईवे का उत्तरी लेन बंद हो जाएगा। कांवड़ यात्रा की निगरानी के लिए टोल प्लाजा और औराई थाने पर दो कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। वहीं पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई है। - अभिमन्यु मांगलिक, पुलिस अधीक्षक

*बिना पंजीयन के कोचिंग चलाने पर होगी कार्रवाई*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। फर्जी कोचिंग संचालकों की अब खैर नहीं होगी। विभागीय स्तर से शीघ्र ही सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। बिना पंजीयन कराए कोचिंग संचालन करने वालों के खिलाफ माध्यमिक शिक्षा परिषद की सख्ती बढ़ना शुरू हो गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक अंशुमान के नेतृत्व में अवैध ढंग से चल रहे पांच कोचिंग सेंटर को पूर्व बंद करा दिया गया था। बिना पंजीयन के संचालित हो रहे कोचिंग सेंटर की जांच को विभागीय स्तर से टीम बना दी गई है। शिकायत मिलने पर स्थलीय जांच कर उचित कार्रवाई की जा रही है। जिला विद्यालय निरीक्षक अंशुमान ने बताया कि पूर्व में कोचिंग सेंटर संचालकों को पंजीयन के लिए नोटिस जारी हुआ था। लेकिन इन संचालकों द्वारा पंजीयन को आवेदन नहीं किया गया था। ऐसे में मामले को गंभीरता से लेते हुए पांचों कोचिंग को बंद करा दिया गया था। बताए कि जिले में 16 कोचिंग सेंटर पंजीकृत हैं। जहां भी बिन पंजीयन के कोचिंग चल रहे हैं, वहां जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बिना पंजीयन कराए कोचिंग का संचालन कदापि नहीं होने दिया जाएगा। बिन पंजीयन कोचिंग की शिकायत मिलने पर स्थलीय जांच कर कार्रवाई की जा रही है। दो पालिका परिषद, पांच नगर पंचायत एवं छह ब्लॉक क्षेत्रों में संचालित होने वाले कोचिंग सेंटरों पर निगरानी को टीम का गठन हुआ है। बिना पंजीयन कराए कोचिंग संचालन की शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी।

*70 करोड़ से बनेगा ऑडिटोरियम आधुनिक सुविधाओं से होगा लैस*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। सरपतहां में 70 करोड़ की लागत से आधुनिक ऑडिटोरियम बनाया जाएगा। ऑडिटोरियम में मीटिंग हॉल के अलावा केबिन और कार्यक्रम के लिए एक मल्टीपर्पज हॉल बनाया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया है। उम्मीद है जल्द ही प्रशासन की स्वीकृति मिलेगी। जिले में मुख्यमंत्री के दौरे के बाद से ही कार्यों में तेजी आई है। जिलाधिकारी शैलेश कुमार खुद विकास परियोजनाओं की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले में आधुनिक ऑडिटोरियम की स्वीकृति प्रदान की थी। सीएम की घोषणा के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से ऑडिटोरियम का सर्वे किया गया। जिसके बाद जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने इसे शासन को भेज दिया है। करीब 70 करोड़ की लागत से बनने वाले इस आधुनिक ऑडिटोरियम में मीटिंग हॉल, कार्यक्रम या संगोष्ठी इत्यादि के लिए मल्टीपर्पज हॉल और बनाया जाना है। सर्वे रिपोर्ट पीडब्ल्यूडी प्रमुख सचिव की ओर से मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपलोड किया गया है। जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने बताया कि ऑडिटोरियम के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर काम किया जाएगा।

*माता पार्वती के साथ विराजमान हैं महादेव*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। वाराणसी, प्रयागराज और विंध्यक्षेत्र के मध्य विराजमान बाबा सेमराध नाथ धाम में महादेव मां पार्वती के साथ विराजमान हैं। जिला मुख्यालय से 25 किमी दक्षिण जंगीगंज सेमराध गंगातट पर स्वयंभू बाबा सेमराध नाथ जमीन से 15 फीट नीचे कुएं में विराजमान हैं।

सेमराधनाथ धाम में हर महीने हजारों श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं, लेकिन सावन में यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। मान्यता है कि इस समय भगवान विष्णु सयन में रहते हैं। इसलिए सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान शिव के हाथ में होता है। श्रावण मास में जलाभिषेक पूजन दर्शन रुद्राभिषेक आदि का विशेष महत्व है। बाबा सेमराध नाथ अनादीकाल से विराजमान हैं। सेमराध नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी सचिन गोस्वामी ने बताया कि एक बार नाव से व्यापार होने के कारण किसी व्यापारी की नाव यहां आकर रात्रि विश्राम के लिए रुक गई। महादेव ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर अपने उपस्थिति का आभास दिया। व्यापारी ने स्वप्न में दिखी इस जगह पर जब खुदाई करवाई तो भगवान शिव की मूर्ति दिखाई पड़ी। मान्यता है कि व्यापारी महादेव के शिवलिंग को अपने साथ ले जाना चाहता था, इसलिए खुदाई शुरू कराई। जैसे-जैसे खुदाई होती, वैसे-वैसे महादेव का शिवलिंग अंदर समाता जाता। जिसके बाद उसने वहीं महादेव की स्थापना की। यहीं कारण है महादेव का यह शिवलिंग जमीन से 15 फीट नीचे कुएं में विराजमान हैं।

भदोही में एक ऐसा मंदिर का शिवलिंग है अद्भुत, साल में तीन बार बदलता है रंग

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। पूर्वांचल में ऐसे कई धार्मिक मंदिर व धरोहर हैं जिनका इतिहास पौराणिक तो है ही लोगों के आस्था का केंद्र भी है। इन्हीं प्राचीन व पौराणिक मंदिर व तीर्थ स्थलों में शुमार है जिले के गोपीगंज क्षेत्र के तिलंगा में स्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर। दरअसल इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग साल में तीन बार अपने स्वरूप बदलने के कारण प्राचीन काल से ही लोगों की आस्था का प्रतीक है।

सावन में इस मंदिर का माहात्म्य काफी बढ़ जाता है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त सैकड़ों किलोमीटर की पैदल कांवर यात्रा कर उनका जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।गौरतलब हो कि देश में अनेक ऐसे शिवलिंग है जो अपने अदभुत व अलौकिक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। भगवान शिव के कुछ शिवलिंगों में अपने आप जल की धारा बरसती है तो कुछ शिवलिंग का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी क्रम में जिले में स्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग जहां सावन में भक्तों का रेला उमड़ता है।

गंगा के तट पर स्थित मंदिर का यह शिवलिंग अपने रहस्यमयी स्वरूप के लिए जाना जाता है।पांडवकालीन शिवलिंग वर्ष की तीन ऋतुओं में तीन बार अपना स्वरूप बदलने के लिए प्रसिद्ध है। इस पर भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास है। मान्यता है कि पांडवों ने इसे अपने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था। महाभारत के वन पर्व में इसका उल्लेख भी मिलता है। इस मूर्ति का हर चार महीने में स्वत: रंग बदल जाता है। सावन में काला स्वरूप, गर्मी में गेहुंआ और ग्रीष्म ऋतु में यह शिवलिंग भूरे स्वरूप में हो जाता है। मंदिर केप्रधान पुजारी मल्लू बाबा बताते हैं कि 1997 श्री तिलेश्वरनाथ शृंगार समिति के नेतृत्व में मंदिर सुंदरीकरण के लिए खुदाई की गई थी। 20 फीट खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिल पाया था।

मंदिर के पुजारी महादेव गोसाई ने शिवलिंग के रहस्य के बारे में बताया कि यह शिवलिंग सावन के महीने में चप्पड़ (ऊपरी परत) छोड़ता है, लेकिन वह आज तक किसी के हाथ नहीं लग सका है। उन्होंने बताया कि सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है।

भदोही में 13.41 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य:नोडल अधिकारी और डीएम ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान में किया वृक्षारोपण

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। यूपी रोडवेज के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बतौर नोडल अधिकारी भदोही के औराई क्षेत्र के मल्लूपुर में वृक्षारोपण किया है। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने का संदेश दिया। कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए हर व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। इस दौरान जिलाधिकारी शैलेष कुमार, सीडीओ, डीएफओ, डीपीआरओ व पत्रकारों ने भी इस अवसर पर पौधे लगाए। 'वृक्षारोपण जन आंदोलन' प्रदेशव्यापी अभियान के तहत भदोही में कुल 13,41,700 पौधे लगाए जा रहे हैं।

प्रबंध निदेशक रोडवेज ने कहा कि "एक पेड़ मां के नाम" अभियान से आमजनमानस भावनात्मक रूप से जुड़े, और हर व्यक्ति अपने घर - संस्थान एवं खाली जगह पर पौधे अवश्य लगाए। उन्होंने महाकुंभ 2025 में ड्यूटी करने वाले रोडवेज कर्मियों को मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए 10-10 हजार रुपये बोनस के लिए आभार भी जताया गया।

यूपीएसआरटीसी ने 11,786 चालकों और 12,285 परिचालकों के खातों में कुल 24 करोड़ 71 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर की गई है। जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने पौधरोपण कर कहा कि, बढ़ती आबादी के बीच शुद्ध एवं स्वच्छ हवा की निरंतरता हेतु पेड़ लगाना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही उसकी सुरक्षा एवं संरक्षा उससे भी अधिक जरूरी है। जिले में लगाए जा रहे पौधों की देखभाल के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

भदोही में 556 करोड़ में बनेगा धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। जिले के सीतामढ़ी कोनिया क्षेत्र में धनतुलसी गंगा घाट पर 556 करोड़ की लागत से पक्का पुल का निर्माण होगा। सीएम योगी की घोषणा के बाद डीएम शैलेश कुमार के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने सर्वे किया। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी ने शासन को पक्का पुल निर्माण का प्रस्ताव भेजा है। मुख्यमंत्री घोषणा प्रकोष्ठ की ओर से पीडब्ल्यूडी प्रमुख सचिव को पत्र जारी कर प्रस्ताव को मुख्यमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर फीड करने का निर्देश दिया गया है।

जिले में तीन ओर से गंगा से घिरे कोनिया इलाके में दो दशक से पक्का पुल बनाने की मांग उठ रही थी। भौगोलिक रूप से यह परिक्षेत्र भले ही प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है, लेकिन गंगा का तटवर्ती इलाका होने के कारण यहां परिवहन की चुनौतियां लंबे समय से बरकरार रही हैं। यहां लोगों की सहूलियत के लिए हर साल पीपा पुल का निर्माण कराया जाता था, लेकिन मानसून सीजन आते ही पुल को खोल दिया जाता है। गंगा में नावों का संचालन किया जाता था।

गंगा जब पूरे उफान पर होती तो नावों का संचालन ठप हो जाता है। ऐसे में यहां के लोगों को मिर्जापुर जाने के लिए करीब 150 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाना होता था। बीते दिनों जिले के दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल निर्माण की मंजूरी दी थी। सीएम की घोषणा के बाद जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने सक्रियता दिखाई और स्थानीय स्तर से सर्वे करवाकर प्रस्ताव भेजा गया। इसके बाद मुख्यमंत्री घोषणा प्रकोष्ठ की ओर से लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र जारी कर पक्का पुल के निर्माण लागत इत्यादि की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद पक्का पुल निर्माण के लिए 556 करोड़ रुपये की स्वीकृत मिलेंगी।

पर्यटन के खुलेंगे रास्ते, बढ़े शहरों से बढ़ेगी व्यवसायिक कनेक्टिविटी

धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल बनाए जाने से बाढ़ और गंगा कटान प्रभावित क्षेत्र कोनिया की पांच दशक से होती आ रही मांग पूरी होगी। प्रयागराज के मांडा क्षेत्र से भदोही, प्रयागराज, जौनपुर और भदोही से सटे अन्य जनपदों में आपस में व्यावसायिक कनेक्टिविटी बढ़ेगी। वहीं, पुल के निर्माण से मिर्जापुर, नैनी, मध्यप्रदेश, मिर्जापुर प्रयागराज हाइवे से जुड़ने का लाभ मिलेगा। वहीं मध्यप्रदेश की दूरी भी कम हो जाएगी। वहीं मेजा, लेडियारी, भारतगंज जैसी पुरानी गल्ला और कपड़ा मंडियों से जिले की कनेक्टिविटी हो जाएगी। इससे व्यवसायिक गतिविधियों में तेजी आएगी। वहीं सीतामढ़ी में सैलानियों और श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी। जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा। वहीं, बाढ़ के समय कोनिया के लोगों को आवागमन के लिए अतिरिक्त सड़क की सुविधा मुहैया होगी। मांडा व छिवकी रेलवे स्टेशनों तक जाने में सरलता होगी।

सीएम की घोषणा के बाद मिले निर्देश के अनुसार स्थानीय स्तर पर सर्वे करवाकर शासन को पक्का पुल निर्माण के लिए 556 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। शासन स्तर से ही प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इसके बाद उम्मीद है कि जल्द ही पक्का पुल के लिए धनराशि स्वीकृत की जाएगी। -

शैलेश कुमार, जिलाधिकारी, भदोही।

साधकों की साधनास्थली रही है बाबा बड़ेशिव धाम

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। जिले में शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र बाबा बड़े शिव मंदिर का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। मंदिर परिसर का सुरम्य वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है। शायद यहीं कारण है कि यह मंदिर परिसर निर्माण काल से ही साधकों की साधना स्थली रही है। यहां मोरंग के राजा के साथ ही मौनी स्वामी ने साधना की थी। वहीं आज भी जनवरी-फरवरी माह के दौरान नागा साधु एक महीने तक यहां रूक कर भोलेनाथ की साधना करते हैं।

मंदिर का सुरम्य वातावरण न सिर्फ आम लोगों को बल्कि साधु-संतों को भी आकर्षित करता है। इस मंदिर की एक और खासियत है। मंदिर के चारों तरफ हनुमान जी मूर्ति विराजमान है। मंदिर के ठीक सामने एक प्राचीन तालाब है। जिसमें कमल पुष्प सुशोभित होते हैं। इसके अलावा चारों तरफ घने पेड़ों का परिक्षेत्र है। यह साधकों को भी आकर्षित करती है। लगभग 60 वर्ष पूर्व मोरंग के राजा, जो राजा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए।

इस स्थान को अपनी तपस्थली बनाई। इसी तरह मौनी स्वामी ने भी यहीं पर पीपल के वृक्ष के नीचे साधना की। पीपल का वृक्ष आज भी है। जनवरी-फरवरी में महाकुंभ के समय नागा साधु एक महीने तक मंदिर पर प्रवास कर साधना करते हैं। मंदिर सचिव रामकृष्ण खटटू ने बताया कि सावन मास में यहां पर निरंतर भंडारा चलता है।