झारखंड में ईडी की बड़ी कार्रवाई, पूर्व विधायक अंबा प्रसाद के करीबियों के ठिकानों पर रेड

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प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को ईडी ने रांची और हजारीबाग सहित कुल 8 ठिकानों पर छापामारी की। यह छापेमारी अंबा प्रसाद के रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर की गई है। ईडी की एक टीम रांची के हरमू रोड स्थित किशोरगंज में और दूसरी टीम हजारीबाग के बड़कागांव में छापेमारी कर रही है।

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी आरकेटीसी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत हो रही है। ईडी की टीमों ने रांची, हजारीबाग और बड़कागांव समेत कुल आठ लोकेशनों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। विशेष रूप से यह कार्रवाई अंबा प्रसाद के करीबी संजीत के रांची के किशनगंज इलाके में स्थित आवास, उनके निजी सहायक संजीव साव, मनोज दांगी और पंचम कुमार के बड़कागांव स्थित ठिकानों पर चल रही है।

ईडी की टीम ने इससे पहले 18 मार्च 2024 को भी अंबा प्रसाद के हजारीबाग स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने उनके पिता योगेंद्र साव और उनके सगे संबंधियों के कुल 17 ठिकानों पर छापा मारा था। अवैध खनन, लेवी वसूली समेत कई मामलों को लेकर ईडी ने दबिश दी थी। उस कार्रवाई में भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त किए गए थे, जिनके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया था।

पूर्व मंत्री योगेंद्र प्रसाद और अंबा प्रसाद को प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन से जुड़े मामलों में समन भी भेजा था। फिलहाल सभी जगहों पर जांच और दस्तावेजों की जब्ती की कार्रवाई जारी है।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

ट्रंप की बड़ी राजनीतिक जीत, जानें क्या है 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' जो भारी विरोध के बाद हुआ पास?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत हुई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चर्चित 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' गुरुवार देर रात पास हो गया। इस बिल को पास कराने में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अहम कड़ी साबित हुए। ट्रंप के महत्वाकांक्षी कर छूट और खर्च कटौती वाले इस विधेयक के पक्ष और विपक्ष में 50-50 वोट पड़े, जिसके बाद वेंस ने अपना वोट डालकर इसे मंजूरी दिलाई। बता दें कि इसी बिल के कारण डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच तनातनी हुई।

वन बिग ब्यूटिफुल बिल को टैक्स छूट और व्यय कटौती विधेयक के नाम से जाना जाता है। रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के समर्थन से अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 4,500 अरब डॉलर के कर छूट और व्यय कटौती विधेयक को गुरुवार को पारित कर दिया। प्रतिनिधि सभा से पहले इस बिल को सीनेट से मंजूरी मिल चुकी है।

हस्ताक्षर समारोह का होगा आयोजन

ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन ने अभी-अभी वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट पारित किया है। हमारी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा एकजुट है। अब ट्रंप ने 4 जुलाई को अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिल पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'हम कल वॉइट हाउस में शाम 4 बजे (अमेरिकी समयानुसार) हस्ताक्षर समारोह का आयोजन करने जा रहे हैं। कांग्रेस के सभी सदस्य और सीनेटर आमंत्रित हैं। हम सब मिलकर अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता और हमारे नए स्वर्ण युग की शुरुआत का जश्न मनाएंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग पहले से कहीं अधिक समृद्ध, सुरक्षित और गौरवान्वित होंगे।

विधेयक 214 के मुकाबले 218 मतों से पारित

निचले सदन प्रतिनिधि सभा में यह विधेयक 214 के मुकाबले 218 मतों से पारित किया गया। इस विधेयक का विरोध करने के लिए रिपब्लिकन के दो सदस्य डेमोक्रेट पार्टी के साथ हो गए जो इसका पहले से विरोध कर रह थे। डेमोक्रेटिक पार्टी नेता और न्यूयॉर्क से सदस्य हकीम जेफ्रीस ने विधेयक के खिलाफ रिकॉर्ड तोड़ भाषण देकर आठ घंटे से अधिक समय तक सदन में मतदान में देरी कराई। सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने कहा, हमें एक बड़ा काम पूरा करना है। एक बड़े खूबसूरत विधेयक के साथ हम इस देश को पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध बनाने जा रहे हैं।

विधेयक में क्या है खास

इस विधेयक में टैक्स कटौती, सेना का बजट, रक्षा और ऊर्जा उत्पादन के लिए बढ़े हुए खर्च, साथ ही स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में कटौती जैसे प्रमुख प्रावधान शामिल हैं। ये बिल अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन के लिए खर्च बढ़ाने से भी जुड़ा है। जबकि अन्य विपक्षी का मानना है कि इस खर्च का असर देश के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर पड़ने की संभावनाएं हैं। इसी वजह से उद्योगपति एलन मस्क समेत एक बड़ा वर्ग इस बिल के खिलाफ है और और आलोचना कर रहा है।

इस पैकेज की प्राथमिकता ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लागू 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के टैक्स छूट को लागू करना है। कर्मचारियों को टिप और ओवरटाइम वेतन में कटौती की अनुमति मिलेगी। प्रति वर्ष 75,000 अमेरिकी डॉलर से कम कमाने वाले अधिकांश वृद्धों के लिए 6,000 अमेरिकी डॉलर की कटौती।

भारत में लोकतंत्र सिस्टम नहीं, संस्कार है' घाना की संसद में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी घाना गणराज्य के दौरे पर हैं। अपने दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है। हमारे लिए लोकतंत्र एक व्यवस्था नहीं है, बल्कि संस्कार है।

प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर घाना पहुंचे हैं। गुरुवार को घाना ने पीएम मोदी को घाना के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया। इसके बाद पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करते हुए मुझे अत्यंत गौरव का अनुभव हो रहा है। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना से ओतप्रोत है। पीएम मोदी ने आगे कहा, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोस्तों कल शाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना हुई थी। भारत को अक्सर लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. हमारे लिए लोकतंत्र केवल शासन की एक प्रणाली नहीं है। यह जीवन जीने का एक तरीका है, जो हमारे मौलिक मूल्यों में गहराई से निहित है। हजारों वर्षों से हमने लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखा है। वैशाली के प्राचीन गणराज्य से लेकर ज्ञान तक आपकी अनुमति से मैं कह सकता हूं कि हमारी दोस्ती घाना के प्रसिद्ध शुगरलोफ अनानास से भी अधिक मीठी है। राष्ट्रपति महामा के साथ हम अपने संबंधों को एक व्यापक साझेदारी तक बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं।

घाना की संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत के विशाल लोकतंत्र से संबंधित इतना बड़ा आंकड़ा पेश किया कि संसद में मौजूद घाना गणराज्य के सभी सांसद आश्चर्यचकित रह गए। भारत में 2,500 से ज़्यादा राजनीतिक दल हैं, 20 अलग-अलग पार्टियां अलग-अलग राज्यों पर शासन करती हैं, 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, हजारों बोलियाँ हैं। यही वजह है कि भारत आने वाले लोगों का हमेशा खुले दिल से स्वागत किया जाता है। पीएम मोदी की ये बात सुनकर सदन में हंसी ठहाके की आवाजें सुनाई दीं, पीएम मोदी के चेहरे पर भी मुस्कान थी।

जब वो वक्त आएगा, तब देखा जाएगा', रूस प्रतिबंध विधेयक को लेकर बोले एस जयशंकर

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रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद से अमेरिका की कोशिश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रही है। अमेरिका ने लगातार ऐसे देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। हालांकि चीन, भारत, ईरान जैसे देशों ने अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज किया है। ऐसे में बीच-बीच में अमेरिकी नेता इन देशों पर खीज निकालते रहते हैं। अब अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक बार फिर भारत को नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इसी बीच अमेरिका के दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्रा ने अमेरिका सीनेटर की धमकी का जवाब दिया है। 

अमेरिका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बुधवार को अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए विधेयक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और हमारे राजदूत लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, बाकी जब विधेयक पारित होगा तो उस वक्त देखा जाएगा कि क्या करना है।

बढ़ सकती हैं भारत की मुश्किलें

अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम रूस प्रतिबंध विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर ऐसा होता है तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जब से रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। 

निशाने पर भारत और चीन

डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ग्राहम का कहना है कि भारत और चीन ऐसे देश हैं, जो लगातार रूस की मदद कर रहे हैं। अगर ये देश ऐसा करने से नहीं रुकते हैं तो फिर इन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा। ग्राहम ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनको चीन और भारत पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक (सैंक्शन बिल) तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। इस विधेयक के निशाने पर खासतौर से भारत और चीन हैं।

आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगी कड़ी कार्रवाई” एस जयशंकर ने पाक को अमेरिकी धरती से लताड़ा

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान जयशंकर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की वाशिंगटन डीसी में हुई बैठक में शामिल हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में क्वाड सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर खरी-खरी सुनाई। इस सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में आतंकी हमलों का करारा जवाब देगा।

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जयशंकर ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य

जयशंकर ने क्वाड देशों के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने साफ कहा कि अगर आगे ऐसे हमले हुए तो भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह बयान हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें दुनिया को बताना होगा कि हमने क्या किया? सात मई को हुए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य यह है कि अगर आतंकवादी हमले होते हैं, तो हम अपराधियों, समर्थकों, वित्तपोषकों और समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। यह संदेश बहुत स्पष्टता के साथ दिया गया था।

आतंकवाद पर चुप्पी साधने वालों को सुनाया

जयशंकर ने कहा कि हमने क्वाड के साथ-साथ विश्व स्तर पर अपने समकक्षों के साथ आतंकवाद की प्रकृति को साझा किया। साथ ही उन्होंने इस दौरान उन देशों को भी सुनाया जो दूसरे देशों के आतंक का शिकार होने पर चुप्पी साधे रहते हैं।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की तारीफ

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए भारत ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के कई देशों में भेजा था। इसी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भी जयशंकर ने जिक्र किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में अलग-अलग विचारधाराओं के नेताओं का एक साथ आना हमारे देश की एकता को दिखाता है। उन्होंने शशि थरूर, सुप्रिया सुले और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का नाम लिया।

पीएम मोदी को मिला घाना का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रपति ने खुद किया सम्मानित

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अफ्रीकी देशों के दौरे पर गए पीएम मोदी को घाना में 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया। राजधानी अक्करा में एक कार्यक्रम के दौरान देश के राष्ट्रपति महामा ने पीएम मोदी को सम्मानित किया।पीएम मोदी ने इस सम्मान के लिए घाना के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और इसे 'अत्यंत गर्व का विषय' बताया।

30 सालों में किसी भारतीय पीएम की पहली घाना यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को घाना पहुंचे। राजधानी अक्करा में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति महामा ने प्रधानमंत्री मोदी को घाना के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया। बता दें कि पीएम मोदी की यह यात्रा 30 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली घाना यात्रा थी। दोनों नेताओं ने रक्षा और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत, घाना में व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक कौशल विकास केंद्र स्थापित करेगा और घाना के 'फीड घाना' कार्यक्रम का समर्थन करेगा।

यह सम्मान भारत और घाना की दोस्ती का प्रतीक-पीएम मोदी

पीएम ने इस सम्मान के लिए सभी का आभार जताया। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए घाना के जनता और सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कहा कि मुझे ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से सम्मानित करना मेरे लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान हमारे युवाओं के उज्ज्वल भविष्य, उनकी आकांक्षाओं और भारत और घाना के बीच ऐतिहासिक संबंधों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भारत और घाना की दोस्ती का भी एक प्रतीक है। भारत हमेशा घाना के लोगों का साथ देगा।

मोदी को 24 वैश्विक पुरस्कारों से किया जा चुका सम्मानित

घाना का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त होने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी को अब तक उनके कार्यकाल के दौरान 24 वैश्विक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस वर्ष घाना के अलावा साइप्रस, श्रीलंका और मॉरीशन के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पीएम मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III से सम्मानित किया। वहीं श्रीलंका ने पीएम मोदी को मित्र विभूषण मेडल से सम्मानित किया था। इसके अलावा इसी वर्ष प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में गए थे, जहां उन्हें मॉरीशस के सर्वोच्च पुरस्कार ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन’ से नवाजा गया।

कौन होगा उत्तराधिकारी? दलाई लामा ने कर दिया खुलासा, चिढ़ जाएगा चीन

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तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा जल्द ही 90 वर्ष के होने जा रहे हैं। दलाई लामा की बढ़ती उम्र के कारण अक्सर उनके उत्तराधिकारी और उसके चुनाव को लेकर चर्चा होती रहती है। इस बीच बुधवार को तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने बड़ा संदेश दिया। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि उनकी मृत्यु के बाद भी धर्मगुरु चुनने की परंपरा जारी रहेगी।

उत्तराधिकारी के चयन पर दलाई लामा का निर्णायक बयान

दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर निर्णायक बयान देते हुए कहा कि उनके भविष्य के पुनर्जन्म (रिकार्नेशन) को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गदेन फोडरंग ट्रस्ट, यानी उनके आधिकारिक कार्यालय को ही है। यह घोषणा सीधे तौर पर चीन के उस प्रयास को चुनौती देती है, जिसमें वह दलाई लामा की विरासत और तिब्बती बौद्ध धर्म पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है।

दलाई लामा ने क्या कहा?

दलाई लामा ने अपनी ही बात को याद दिलाते हुए कहा, जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊंगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य चिंतित लोगों से परामर्श लूंगा, ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं।

तिब्बत की जनता की अपील के बाद ऐलान

दलाई लामा ने अपने बयान में कहा, 'मुझे तिब्बत के लोगों ने पत्र लिखकर यह अपील की है कि दलाई लामा संस्था जारी रहे। आध्यात्मिक परंपराओं के नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आम सभा की बैठक में भाग लेने वालों और गैर सरकारी संगठनों ने लेटर में संस्था को जारी रखने का कारण भी बताया है।

चीन की टेंशन बढ़ी

दलाई लामा ने उत्तराधिकारी को लेकर दिए बयान के बाद चीन की टेंशन बढ़ा दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की पहचान लॉट सिस्टम यानी पर्ची निकालने की प्रक्रिया के माध्यम से ही की जा सकती है। इस प्रक्रिया के तहत कुछ नामों की पर्चियां सोने के कलश में डाली जाती हैं और फिर इनमें से एक को चुना जाता है। यह परंपरा 1792 में शुरू की गई थी और पूर्व में तीन दलाई लामा का चयन इसी प्रणाली से किया गया था। हालांकि, मौजूदा दलाई लामा का चुनाव इस प्रक्रिया के तहत नहीं हुआ था।

क्या कोविड वैक्सीन बन रही अचानक मौतों की वजह? ICMR और AIIMS ने दिया जवाब

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पिछले कुछ महीनों में अचानक मौतों की खबरों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। इन मौतों का कनेक्शन कोविड-19 की वैक्सीन से जोड़ा जा रहा है। कई लोगों ने कोविड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम बयान जारी कर लोगों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है। मंत्रालय ने साफ किया है कि कोविड वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो बड़ी वैज्ञानिक स्टडीज का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है।देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने बड़ी और गहरी जांच की है, जिसमें साफ कहा गया है कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों का कोई सीधा संबंध नहीं है।

ICMR और AIIMS की स्टडी में क्या?

-इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 साल के युवाओं की अचानक हुई मौतों का विश्लेषण किया। इसमें साफ था कि कोविड वैक्सीन से इन मौतों का कोई संबंध नहीं है।

-दूसरी स्टडी AIIMS और ICMR द्वारा मिलकर की जा रही है, जो अभी चल रही है। शुरुआती तौर पर इसके रिजल्ट बताते हैं कि इन मौतों के पीछे प्रमुख कारण हार्ट अटैक ही है, और यह वैक्सीन से नहीं जुड़ा है. इसके अलावा, अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन या पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई गईं.

सरकार ने अपील क्या की?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन भारत में पूरी तरह सुरक्षित है और करोड़ों लोगों की जान बचाने में इसकी भूमिका रही है। गंभीर रिएक्शन के मामले बेहद ही कम हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इस तरह के अटकलें बिना वैज्ञानिक आधार के होती हैं और ये जनता के मन में वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करती हैं। हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, न कि अफवाहों पर।

कर्नाटक के हासन में 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत

AIIMS और ICMR की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब कर्नाटक के हासन जिले में हो रही मौतों ने लोगों डरा दिया है। दरअसल, कर्नाटक के हासन जिले में मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के आखिरी हफ्ते तक 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इनमें से 9 लोग 30 साल से भी कम उम्र के थे। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर को कोई पुरानी बीमारी नहीं थी और उन्हें कोई लक्षण भी नहीं दिखे थे।

सिद्दारमैया का चौंकाने वाला बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक विशेषज्ञ समिति को 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिद्दारमैया ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए एक चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा है कि हो सकता है कि कोविड-19 वैक्सीन का भी इन मौतों में कोई कनेक्शन हो। उन्होंने कहा, हम यह नजरअंदाज नहीं कर सकते कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और इसे बिना टेस्टिंग के लोगों को लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी वैक्सीन और हार्ट संबंधी समस्याओं के कुछ लिंक सामने आए हैं।

अमरनाथ यात्रा के लिए निकला पहला जत्था, एलजी मनोज सिन्हा ने दिखाई हरी झंडी

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बाबा बर्फानी के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे लाखों श्रद्धालुओं के लिए आज का दिन बेहद खास है। अमरनाथ यात्रा की शुरूआत हो चुकी है। यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था आज बुधवार को जम्मू से रवाना हो गया। बाबा बर्फानी का पहला दर्शन 3 जुलाई को होगा। इसके लिए आज यानी 2 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था रवाना हो गया है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई।

पवित्र अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ आज जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर किया गया। भगवती नगर आधार शिविर से पहला जत्था रवाना हुआ। इस दौरान भक्त हर-हर महादेव का उद्घोष कर रहे थे।

इस दौरान जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए हुए हैं। लोगों में खासा उत्साह है। भोलेनाथ के भक्त सभी आतंकी हमलों को दरकिनार कर भारी संख्या में यहां पहुंचे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस साल की यात्रा पिछली यात्राओं से भी बेहतर होगी।

नौ अगस्त को होगा यात्रा का समापन

कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 38 दिवसीय तीर्थयात्रा तीन जुलाई को घाटी से दो रास्तों से शुरू होगी - अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में छोटा (14 किलोमीटर) लेकिन अधिक खड़ी चढ़ाई वाला बालटाल मार्ग। यात्रा का समापन नौ अगस्त को होगा।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी

अमरनाथ यात्रा के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी है। खासकर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 180 कंपनियों के साथ बहुस्तरीय सुरक्षा और निगरानी के लिए जैमर और प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। लखनपुर से बनिहाल तक 50,000 से अधिक तीर्थयात्रियों के लिए 106 आवास केंद्रों में भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई है।