शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को राहत, प्रदर्शन की वजह से बाधित राजमार्ग खोलने की मांग वाली याचिका खारिज
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सुप्रीम कोर्ट से शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पंजाब में उन राजमार्गों से अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इन राजमार्गों पर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? इस सिलसिल में पहले ही से मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दाखिल हो रही है?
जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि मामला पहले ही अदालत में विचाराधीन है। वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। पीठ ने पंजाब में याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा कि हम पहले ही व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की फिक्र नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं। अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे से हटाने के निर्देश दे। साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों को भी निर्देश दिया जाए कि वो कानून- व्यवस्था बनाए रखें। ये याचिका वकील अमित कुमार चावला के माध्यम से गौरव लूथरा ने दाखिल की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां पहले से याचिका लंबित है तो ऐसे में नई याचिका क्यों दाखिल की गई है?
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम हालात से वाकिफ हैं। ये याचिका गलत संदेश देती है। उन्होंने कहा, आप चाहें तो लंबित मामले में मदद कर सकते हैं लेकिन हम नई याचिका नहीं लेंगे। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह पब्लिसिटी के लिए किया गया है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नई याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं।
बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।
Dec 14 2024, 13:18