शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को लेकर आतिशी को लिखा पत्र, दिल्ली की सीएम बोलीं- ये वैसे ही जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे

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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को किसानों के हितों को लेकर एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं उन्हें दिल्ली में अभी तक लागू नहीं किया गया है और इस वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का भी जवाब आ गया है। आतिशी ने पलटवार करते हुए तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो।

शिवराज सिंह के आरोपों पर आतिशी का पलटवार

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिट्ठी पर जवाब दिया है। आतिशी ने गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जितना बुरा हाल किसानों का बीजेपी के समय हुआ, उतना कभी नहीं हुआ। बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'पंजाब में किसान आमरण अनशन पर बैठे हैं, मोदी जी से कहिए उनसे बात करें। किसानों से राजनीति करना बंद करो। बीजेपी राज में ही किसानों पर गोलियां और लाठियां चलाई गईं।'

शिवराज ने क्या कहा था?

इससे पहले अतिशी को लिखे चिट्ठी में शिवराज ने लिखा, दिल्ली में केजरीवाल और आतिशी ने कभी किसानों के हित में उचित निर्णय नहीं लिए। केजरीवाल ने हमेशा चुनावों से पहले बड़ी बड़ी घोषणाएं कर राजनैतिक लाभ लिया है। केजरीवाल ने सरकार में आते ही जनहितैषी निर्णयों को लेने के स्थान पर अपना रोना रोया है। उन्होंने आगे लिखा, 10 वर्षो से दिल्ली में आप की सरकार है, लेकिन पूर्व सीएम केजरीवाल ने हमेशा किसानों के साथ केवल धोखा किया है। केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं को आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लागू नहीं किया। दिल्ली के किसान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिट्ठी में आगे लिखते हैं, दिल्ली में आप सरकार का किसानों के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया है।

किसानों का आज पंजाब बंद, 150 से ज्‍यादा ट्रेनें प्रभावित, बस सेवा पर भी असर

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पंजाब के किसानों ने आज 'पंजाब बंद' बुलाया है। सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक सड़क और रेलों का आवागमन ठप रहेंगे। इस दौरान रेल, बसें, सवारी गाडि़यां और सड़कें बंद रहेंगी। किसानों ने आज पंजाब में यातायात समेत रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है। इसकी वजह से अंबाला-दिल्ली रेलमार्ग पर चलने वाली करीब 18 एक्सप्रेस ट्रेनों सहित उत्तर प्रदेश के रास्ते पंजाब जाने वाली 150 से ज्‍यादा ट्रेनों को रद्द करने की खबर आ रही है। किसानों के बंद के ऐलान की वजह से उत्तर रेलवे की करीब 200 से अधिक ट्रेनों पर असर पड़ेगा।

किसान नेता सरवन सिंह पंढ़ेर ने पंजाब बंद को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई उत्तर अभी तक नहीं मिला है। इसलिए पंजाब बंद रखने का फैसला लिया गया है। सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं है। इसलिए बंद के सिवा अब कोई उपाय नहीं है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों से की अपील

दूसरी ओर, पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को केंद्र के साथ-साथ पंजाब सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार भी अब केंद्र के नक्शेकदम पर चलकर हमारे आंदोलन को कुचलने की तैयारी में है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को खनौरी पहुंचने की अपील की। डल्लेवाल ने कहा कि जब हमने अनशन शुरू किया तो हमारा मानना था कि गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी, लेकिन यह सरकार हमारी बात सुनने के बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। मेरा लोगों से निवेदन है कि मोर्चे पर पहुंचें, ताकि इसे बचाया जा सके।

क्‍या है किसानों की मांग?

फसलों के एमएसपी से लेकर कुल 13 मांगों को लेकर किसान नेता प्रदर्शन पर रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने यह बंद बुलाया है। उनका कहना है कि सरकार जिद्द पर अड़ी हुई है और किसानों की जायज मांगों को भी नहीं मान रही है। पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय टीम ने रविवार को खनौरी सीमा स्थल पर डल्लेवाल से मुलाकात की थी। इस टीम में पुलिस के डिप्‍टी इंस्‍पेक्‍टर जनरल मंदीप सिंह सिद्धू और रिटायर्ड एडिशनल डीजीपी जसकरण सिंह भी शामिल थे। बाद में किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल ने कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है।

दिल्ली आने पर अड़े किसान, रोकने के लिए पुलिस ने छोड़ा वाटर कैनन

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पंजाब के किसान फरवरी से अपनी मांगों को लेकर शंभू बाॅर्डर पर बैठे हैं। किसान दो बार दिल्ली कूच का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। आज फिर किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। किसानों के आगे बढ़ते ही पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस की कार्रवाई से किसानों में भगदड़ मच गई है। कई किसानों के घायल होने की सूचना है।

शंभू बॉर्डर से आज 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर दोपहर 12 बजे रवाना हुआ था। किसान इसके पहले भी दो बार दिल्ली कूच की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों से कहा-जब तक आप शांतिपूर्वक हो, हम आपसे दोगुना शांतिपूर्वक हैं। अगर आपको दिल्ली जाकर धरना देना है तो आप परमिशन के लिए अप्लाई कर दें और अगर परमिशन मिलती है तो हम आपको खुद वहाँ पर छोड़कर आएंगे।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने किसानों के दिल्ली कूच करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसानों की चर्चा सुप्रीम कोर्ट से चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों के साथ जो चर्चा चल रही है वह ठीक ट्रैक पर है। उसके लिए हमें थोड़ा समय चाहिए और किसानों को थोड़े समय के लिए अपना आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए। विज ने कहा कि मुझे भी लगता है कि किसानों को सुप्रीम कोर्ट की राय मान लेनी चाहिए।

शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पूनिया सुबह 10 बजे करनाल पहुंचे। उन्होंने किसान को समर्थन देने का एक दिन पहले ही ऐलान कर दिया था। करनाल पहुंचे बजरंग पूनिया ने कहा कि हमें जात-पात से ऊपर उठ कर किसानों का साथ देना चाहिए। क्योंकि किसान देश का अन्नदाता है और हम लोग जो अनाज खाते है। उस अनाज को किसान खेतों में कड़ी मेहनत कर के उगाता है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों का न्यूनतम दाम मांग रहे है। हरियाणा के किसानों को लेकर उन्होंने कहा कि नोएडा व गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर बैठे है। हरियाणा सरकार को लेकर कहा कि हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते है । क्योंकि कि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा। जितनी उनकी लागत होती है वो भी उनको नहीं मिल रहा है। सरकार को यह आंकड़े देख कर किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि किसान आज के समय में आत्महत्या करने पर मजबूर न हो।

शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को राहत, प्रदर्शन की वजह से बाधित राजमार्ग खोलने की मांग वाली याचिका खारिज

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सुप्रीम कोर्ट से शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पंजाब में उन राजमार्गों से अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इन राजमार्गों पर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? इस सिलसिल में पहले ही से मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दाखिल हो रही है?

जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि मामला पहले ही अदालत में विचाराधीन है। वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। पीठ ने पंजाब में याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा कि हम पहले ही व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की फिक्र नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं। अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे से हटाने के निर्देश दे। साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों को भी निर्देश दिया जाए कि वो कानून- व्यवस्था बनाए रखें। ये याचिका वकील अमित कुमार चावला के माध्यम से गौरव लूथरा ने दाखिल की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां पहले से याचिका लंबित है तो ऐसे में नई याचिका क्यों दाखिल की गई है?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम हालात से वाकिफ हैं। ये याचिका गलत संदेश देती है। उन्होंने कहा, आप चाहें तो लंबित मामले में मदद कर सकते हैं लेकिन हम नई याचिका नहीं लेंगे। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह पब्लिसिटी के लिए किया गया है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नई याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं।

बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।

दिल्ली जाने पर अड़े किसान, एंट्री की जिद पर आंसू गैस के गोले दागे गए

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किसान आंदोलन के चलते 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाना चाहता था। हालांकि किसानों के पास इसकी परमीशन नहीं है। इसको देखते हुए पुलिस ने भी पुख्ता इंतजाम किया है। पुलिस ने सुरक्षा को देखते हुए बॉर्डर के आसपास बैरिकैडिंग कर दी है। हालांकि, किसान अपनी जिद्द पर अड़े हैं। जिसके बाद हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया है।

रास्तों पर लगे लोहे की कीलों को किसान ने हटाया

किसानों को हरियाणा की तरफ से वापस जाने की अपील की जा रही है। वहीं किसानों का कहना है कि हमें अपनी राजधानी में जाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। हरियाणा पुलिस की तरफ से किसानों को रोकने के लिए लोहे की कीलें लगाई गई हैं। यह कीलें सीमेंट में गाड़ रखी हैं ताकि गाड़ियां आगे ना जा सकें। किसान कंटीले तारों को रास्ते से हटा रहे हैं ताकि वे अपनी गाड़ियों को वहां ला सकें। किसानों को कहना है कि हरियाणा सरकार हमें न रोके, हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से हैं।

किसानों की वीडियोग्राफी

हरियाणा की और से लगातार किसानों की वीडियोग्राफी की जा रही है। मौके पर घोषणा भी की गई कि सरकारी संपत्ति का नुक्सान न करो, पुलिस कार्रवाई की जाएगी। किसान आगे बढ़ने को अडिग हैं।

या तो सरकार दिल्ली आने दे या फिर बात करे, बोले किसान नेता सरवन सिंह

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "हमें शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर जाने दिया जाए या फिर हमारी मांगों पर हमसे बात की जाए। किसानों की तरफ से बातचीत के दरवाजे खुले हैं। हम कहते रहे हैं कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो हमें केंद्र सरकार या हरियाणा या पंजाब के सीएम ऑफिस का पत्र दिखाए। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारी मांगें मान ले। उन्हें हमें दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए जगह देनी चाहिए। अंबाला में इंटरनेट सेवाएं बहाल करनी चाहिए। या तो हमें दिल्ली जाने दिया जाए या फिर हमसे बात की जाए।"

आज किसानों का दिल्ली कूच, बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा

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पिछले 8 महीने से शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। एमएसपी लागू करने व अन्य मांगों को लेकर 297 दिन से बॉर्डर पर डटे किसान शुक्रवार दोपहर एक बजे शंभू बॉर्डरों से पैदल दिल्ली कूच करेंगे। किसानों ने इसे 'दिल्ली चलो' आंदोलन नाम दिया है। शंभू-खनौरी बॉर्डरों पर करीब 10 हजार किसान जमा हो गए हैं। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा ने दोनों बॉर्डरों पर अर्द्धसैनिक बलों की 29 कंपनियां तैनात की गई हैं। किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर पुलिस ने अंबाला-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा कड़ी करते हुए बैरिकेडिंग कर दी है।

ये दिल्ली चलो आंदोलन किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में हो रहा है। अपने फैसले के बारे में बात करते हुए पंधेर ने कहा,'हम यहां पिछले 8 महीनों से बैठे हैं। हमारे ट्रैक्टरों को मॉडिफाइड कहकर हम पर आरोप लगाया गया, इसलिए हमने अब पैदल दिल्ली जाने का फैसला किया है। किसानों के आंदोलन को हरियाणा के खाप पंचायतों और व्यापारिक समुदाय सहित व्यापक समर्थन मिल रहा है।'

101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा

किसान आंदोलन में शुक्रवार को दिल्ली कूच से पहले अंबाला के शंभू बाॅर्डर पर सुबह दस बजे किसानों ने अरदास की है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर स्टेज की तरफ गए हैं। यहां पर पुलिस बल की तैनाती भी की गई है। किसान दोपहर बाद दिल्ली जाएंगे। 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा। इसमें बुजुर्ग किसानों को शामिल किया गया है।

मार्च में शामिल होंगे ये किसान नेता

आज शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसानों का पहला जत्था रवाना होगा। इस जत्थे में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह शामिल होंगे। ये जत्था जरूरी सामान लेकर दिल्ली रवाना होगा और शांतिपूर्ण मार्च करेगा। पहला जत्था अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टन और हरियाणा के पिपली में रुकने के बाद दिल्ली की ओर बढ़ेगा। आज जत्था 1 बजे रवाना होगा, लेकिन रोजाना किसान 9 बजे सुबह से शाम 5 बजे तक चलेंगे और रात सड़क पर बिताएंगे।

कई किसान नेताओं ने दिल्ली मार्च से बनाई दूरी

किसानों के दिल्ली मार्च से संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने खुद को अलग कर लिया है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के चीफ गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा,'हमसे संपर्क नहीं किया गया और न ही हमसे सलाह ली गई, इसलिए अब तक हमने किसी भी मार्च में भाग लेने की कोई योजना नहीं बनाई है. हमने पहले भी समर्थन देने की कोशिश की थी, लेकिन चीजें ठीक नहीं रहीं. वे अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं और हमारी तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.' ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के नेता हन्नान मोल्लाह का कहना है कि SKM इस विरोध मार्च में शामिल नहीं है.

किसानों के दिल्ली कूच को लेकर सतर्क हुई दिल्ली और हरियाणा पुलिस

किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने एहतियातन शंभू बॉर्डर पर सात स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी है। सीमेंट की दीवारों के साथ लोहे की कीलें व कंटीली तार लगाई गई है। इनके अलावा वाटर कैनन वैन व आंसू गैस के गोले फेंकने वाले ड्रोन से सुरक्षा चक्रव्यूह और मजबूत किया गया है। हरियाणा पुलिस ने आगामी आदेश तक पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। दातासिंहवाला बॉर्डर पर पुलिस ने नाकाबंदी की है। इन दोनों सीमाओं से आम लोग आवागमन नहीं कर पाएंगे। सिर्फ ट्रेन के जरिये ही लोग पंजाब जा सकते हैं। इसके अलावा पंजाब से सटे कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और फतेहाबाद की सीमाओं पर पुलिस ने चाैकसी बढ़ा दी है। हालांकि अभी यहां से लोगों का आवागमन जारी है। सिरसा के मलोट, बठिंडा और मुसाहिबवाला बाॅर्डर पर एसपी विक्रांत भूषण ने सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। पुलिस जवानों की मॉक ड्रिल भी करवाई गई। सिरसा व जींद में भी धारा 163 लागू कर दी गई है। अंबाला में एक दिन पहले ही धारा 163 लगाई जा चुकी है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vicepresidentjagdeepdhankharangryontheissueof_farmers

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

#karnataka_hindu_saints_farmers_started_protest

कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।

పంట వ్యర్థాలు తగలబెట్టే రైతులకు రెట్టింపు జరిమానా

 దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో వాయు కాలుష్యం (Air Pollution) రోజురోజుకూ తీవ్రమవుతోంది. పొరుగు రాష్ట్రాలైన పంజాబ్‌, హర్యానాల్లో రైతులు తమ పంట వ్యర్థాలను తగలబెడుతుండటంతో రాజధాని ప్రాంతంలో ఈ పరిస్థితి తలెత్తుతోంది. ఈ నేపథ్యంలో కేంద్రం కీలక నిర్ణయం తీసుకుంది.

దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో వాయు కాలుష్యం (Air Pollution) రోజురోజుకూ తీవ్రమవుతోంది. గత కొన్ని రోజులుగా ఢిల్లీ – ఎన్సీఆర్‌ ప్రాంతంలో గాలి నాణ్యత చాలా పేలవమైన స్థాయిలో నమోదవుతోంది. ఏక్యూఐ లెవల్స్‌ రాజధాని ప్రాంతంలో 400కుపైనే నమోదవుతోంది. పొరుగు రాష్ట్రాలైన పంజాబ్‌, హర్యానాల్లో రైతులు తమ పంట వ్యర్థాలను తగలబెడుతుండటంతో రాజధాని ప్రాంతంలో ఈ పరిస్థితి తలెత్తుతోంది.

కాలుష్య నియంత్రణకు పాలకులు ఎన్ని చర్యలు చేపట్టినా ఫలితం ఉండటం లేదు. రోజురోజుకూ గాలి నాణ్యత క్షీణిస్తోంది. ఈ నేపథ్యంలో కేంద్రం కీలక నిర్ణయం తీసుకుంది. పంట వ్యర్థాలను దహనం చేసే రైతులకు రెట్టింపు జరిమానా విధించేలా నిబంధనలను (Farmers to face fines) సవరించింది. రూ.30 వేల వరకూ జరిమానాను పెంచింది. ఈ నిబంధనలు తక్షణమే అమల్లోకి వస్తాయని తెలిపింది. కేంద్ర నిబంధనల ప్రకారం.. రెండు ఎకరాల్లోపు భూమి ఉన్న రైతులకు రూ.5 వేల జరిమానా విధించనున్నారు. రెండు నుంచి ఐదు ఎకరాల మధ్య ఉన్న వారికి రూ.10 వేలు, ఐదెకరాల కంటే ఎక్కువ భూమి ఉన్న రైతులకు రూ.30 వేలు జరిమానా విధించనున్నారు.

కాగా, కేంద్ర కాలుష్య నియంత్రణ మండలి ప్రకారం.. ఉదయం 9 గంటలకు ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత 367గా నమోదైంది. ఆనంద్‌ విహార్‌, జహంగీర్‌పురి, అశోక్‌ విహార్‌, బావన, ముంద్కల్‌, రోహిని, సోనియా విహార్‌, వివేక్‌ విహార్‌, వాజీపూర్‌.. ఈ తొమ్మిది ప్రాంతాల్లో గాలి నాణ్యత తీవ్రమైన కేటగిరీలో ఉందని కాలుష్య నియంత్రణ మండలి తెలిపింది. మరోవైపు కాలుష్యం కారణంగా ఢిల్లీ వాసులు తీవ్ర ఇబ్బందులుపడుతున్నారు. ఓ వైపు వాయు కాలుష్యంతో ఊపిరితీసుకోవడం ఇబ్బందికరంగా మారగా.. మరో వైపు నీటి కాలుష్యంతోనూ సతమతమవుతున్నారు. యయునా నదిలో కాలుష్య స్థాయి విపరీతంగా ఉన్నది.

शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को लेकर आतिशी को लिखा पत्र, दिल्ली की सीएम बोलीं- ये वैसे ही जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे

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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को किसानों के हितों को लेकर एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं उन्हें दिल्ली में अभी तक लागू नहीं किया गया है और इस वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का भी जवाब आ गया है। आतिशी ने पलटवार करते हुए तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो।

शिवराज सिंह के आरोपों पर आतिशी का पलटवार

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिट्ठी पर जवाब दिया है। आतिशी ने गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जितना बुरा हाल किसानों का बीजेपी के समय हुआ, उतना कभी नहीं हुआ। बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'पंजाब में किसान आमरण अनशन पर बैठे हैं, मोदी जी से कहिए उनसे बात करें। किसानों से राजनीति करना बंद करो। बीजेपी राज में ही किसानों पर गोलियां और लाठियां चलाई गईं।'

शिवराज ने क्या कहा था?

इससे पहले अतिशी को लिखे चिट्ठी में शिवराज ने लिखा, दिल्ली में केजरीवाल और आतिशी ने कभी किसानों के हित में उचित निर्णय नहीं लिए। केजरीवाल ने हमेशा चुनावों से पहले बड़ी बड़ी घोषणाएं कर राजनैतिक लाभ लिया है। केजरीवाल ने सरकार में आते ही जनहितैषी निर्णयों को लेने के स्थान पर अपना रोना रोया है। उन्होंने आगे लिखा, 10 वर्षो से दिल्ली में आप की सरकार है, लेकिन पूर्व सीएम केजरीवाल ने हमेशा किसानों के साथ केवल धोखा किया है। केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं को आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लागू नहीं किया। दिल्ली के किसान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिट्ठी में आगे लिखते हैं, दिल्ली में आप सरकार का किसानों के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया है।

किसानों का आज पंजाब बंद, 150 से ज्‍यादा ट्रेनें प्रभावित, बस सेवा पर भी असर

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पंजाब के किसानों ने आज 'पंजाब बंद' बुलाया है। सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक सड़क और रेलों का आवागमन ठप रहेंगे। इस दौरान रेल, बसें, सवारी गाडि़यां और सड़कें बंद रहेंगी। किसानों ने आज पंजाब में यातायात समेत रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है। इसकी वजह से अंबाला-दिल्ली रेलमार्ग पर चलने वाली करीब 18 एक्सप्रेस ट्रेनों सहित उत्तर प्रदेश के रास्ते पंजाब जाने वाली 150 से ज्‍यादा ट्रेनों को रद्द करने की खबर आ रही है। किसानों के बंद के ऐलान की वजह से उत्तर रेलवे की करीब 200 से अधिक ट्रेनों पर असर पड़ेगा।

किसान नेता सरवन सिंह पंढ़ेर ने पंजाब बंद को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई उत्तर अभी तक नहीं मिला है। इसलिए पंजाब बंद रखने का फैसला लिया गया है। सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं है। इसलिए बंद के सिवा अब कोई उपाय नहीं है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों से की अपील

दूसरी ओर, पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को केंद्र के साथ-साथ पंजाब सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार भी अब केंद्र के नक्शेकदम पर चलकर हमारे आंदोलन को कुचलने की तैयारी में है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को खनौरी पहुंचने की अपील की। डल्लेवाल ने कहा कि जब हमने अनशन शुरू किया तो हमारा मानना था कि गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी, लेकिन यह सरकार हमारी बात सुनने के बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। मेरा लोगों से निवेदन है कि मोर्चे पर पहुंचें, ताकि इसे बचाया जा सके।

क्‍या है किसानों की मांग?

फसलों के एमएसपी से लेकर कुल 13 मांगों को लेकर किसान नेता प्रदर्शन पर रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने यह बंद बुलाया है। उनका कहना है कि सरकार जिद्द पर अड़ी हुई है और किसानों की जायज मांगों को भी नहीं मान रही है। पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय टीम ने रविवार को खनौरी सीमा स्थल पर डल्लेवाल से मुलाकात की थी। इस टीम में पुलिस के डिप्‍टी इंस्‍पेक्‍टर जनरल मंदीप सिंह सिद्धू और रिटायर्ड एडिशनल डीजीपी जसकरण सिंह भी शामिल थे। बाद में किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल ने कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है।