संताल हूल का पैगाम: अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और हिंदुत्व-कार्पोरेट गठजोड़ की सांप्रदायिक, विभाजनकारी राजनीति को परास्त करने के लिए आगे

संताल हूल का पैगाम – अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और हिंदुत्व-कार्पोरेट गठजोड़ की सांप्रदायिक, विभाजनकारी राजनीति को परास्त करने के लिए आगे बढ़ो

30 जून को हूल दिवस के कार्यक्रम में शामिल हों

सीपीआई (एम) की अपील

बहनों और भाइयों,

आज से 170 साल पहले, 1855–56 में दामिन-ए-कोह (जिसे अब संताल परगना कहा जाता है) में संताल हूल की ऐतिहासिक घटना हुई थी। इस हूल के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्यवाद के साथ-साथ इस इलाके के जमींदारों और महाजनों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया था। इसका नेतृत्व सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो ने किया था। यह यहां के किसानों का विद्रोह था, जिसने 1857 में शुरू हुई आज़ादी की लड़ाई की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी।

यह हूल संताल आदिवासियों और अन्य गरीबों की सामुदायिक और सामूहिक स्वामित्व वाली जमीन को जमींदारों और महाजनों द्वारा जबरन कब्ज़ा किए जाने के खिलाफ शुरू हुआ था। इस क्षेत्र के तमाम गरीब लोग भी इस विद्रोह में शामिल हो गए। इस विद्रोह को दबाने और शोषकों की मदद के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी फौज भेजी, जिसका जबर्दस्त प्रतिरोध हुआ। लगभग 60 हजार संताल विद्रोहियों ने अपने पारंपरिक हथियारों से इस बंदूकधारी फौज का बहादुरी से मुकाबला करते हुए उन्हें खदेड़ दिया।

जमींदारों और महाजनों के ज़ुल्म के खिलाफ आम जनता के इस प्रतिरोध ने सात समंदर पार बैठे ब्रिटिश शासकों को भी हिला दिया। महान चिंतक और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता कार्ल मार्क्स ने संताल हूल को भारत का पहला जन विद्रोह बताया था। इस लड़ाई में सिदो-कान्हू समेत 10 हजार से अधिक लोग शहीद हुए, लेकिन इस विद्रोह (हूल) ने स्वतंत्रता संग्राम की भूमिका लिख दी। यह हूल, जिसका नेतृत्व सिदो-कान्हू जैसे वीर योद्धा कर रहे थे, ने इस इलाके के सभी गरीबों को एकजुट करने का कार्य किया।

आज जब हम संताल हूल की गौरवपूर्ण विरासत को याद करते हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संताल हूल और बिरसा मुंडा के उलगुलान जैसे शानदार संघर्षों के चलते ही छोटानागपुर काश्तकारी कानून और संताल परगना काश्तकारी कानून बने, जिन्हें यहां के आदिवासियों व अन्य गरीबों की जमीन का “रक्षा कवच” कहा जाता है।

आज देश के शासक वर्ग की मदद से बड़े पूंजीपतियों द्वारा झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संपदा की लूट के लिए इन कानूनों को कमजोर किया जा रहा है। साथ ही, संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आदिवासियों को मिले संवैधानिक प्रावधानों और ग्रामसभाओं के अधिकारों को भी कमजोर किया जा रहा है।

इसलिए, झारखंड के मेहनतकशों को संताल हूल की गौरवपूर्ण विरासत को याद करते हुए जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए चल रहे संघर्षों को और तेज करना होगा। साथ ही, हिंदुत्व-कार्पोरेट गठजोड़ की विभाजनकारी साजिश को भी परास्त करना होगा, ताकि हमारे पूर्वजों द्वारा शोषण के खिलाफ छेड़े गए संघर्ष की शानदार विरासत को आगे बढ़ाया जा सके।

JMM कार्यकर्ताओं ने शिबू सोरेन के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बंशीधर मंदिर में की वैदिक पूजा-अर्चना

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा), गौरव पांडेय-झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक, राज्यसभा सांसद और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना को लेकर विश्व प्रसिद्ध बंशीधर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गयी. वैदिक विधि-विधान से पूजा संपन्न करायी गयी. प्रख्यात विद्वान पंडित श्रीकांत मिश्रा एवं आचार्य सत्यनारायण मिश्रा ने पूजा करायी. इस दौरान झामुमो विधायक अनंत प्रताप देव विशेष रूप से उपस्थित थे. उन्होंने बताया कि दिशोम गुरु (शिबू सोरेन) की तबीयत ठीक नहीं है और वे वर्तमान में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत हैं. उनकी स्थिति में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. इससे उनके समर्थक और शुभचिंतक चिंतित हैं. उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं.

विधायक अनंत प्रताप देव ने कहा कि सभी ने बंशीधर मंदिर में विशेष पूजा कर भगवान से उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना की है. शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य बनाने के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और आदिवासियों के उत्थान के लिए 19 सूत्री कार्यक्रम सहित अनेक योजनाएं चलायीं. उनका जीवन आमजन के लिए समर्पित रहा है.

पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव, वरिष्ठ झामुमो नेता मुक्तेश्वर पांडेय, प्रखंड अध्यक्ष अमरनाथ पांडेय, कामता प्रसाद, प्रदीप सिंह, कामेश्वर प्रसाद, किरण देवी, उषा देवी, कमलेश मेहता, निर्मल पासवान, मनोज डॉन, बसंत प्रसाद, श्याम सुंदर राम, गोपाल चंद्रवंशी, विमलेश पांडेय, संतोष पांडेय, अनिल कुमार गुप्ता समेत सैकड़ों झामुमो कार्यकर्ता और श्रद्धालु उपस्थित थे.

रांची में बारिश का अलर्ट: 13 जिलों में येलो अलर्ट जारी

रांची में अगले एक से तीन घंटे में बारिश की संभावना है, साथ ही हल्के दर्जे की मेघ गर्जन और वज्रपात की भी आशंका है। शहर में सुबह से ही आसमान में काले बादल छाए हुए हैं और कई जगहों पर छिटपुट बारिश भी हो रही है।

येलो अलर्ट वाले जिले

- रांची

- लातेहार

- लोहरदगा

- गुमला

- खूंटी

- सिमडेगा

- पश्चिमी सिंहभूम

- पूर्वी सिंहभूम

- कोडरमा

- चतरा

- बोकारो

- सरायकेला-खरसांवा

सावधानी के उपाय

- सुरक्षित स्थान में शरण लें

- पेड़ के नीचे न रहें

- बिजली के खंभों से दूर रहें

- किसान अपने खेतों में न जाएं और मौसम सामान्य होने का इंतजार करें

मौसम विभाग की अपील

मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क और सावधान रहें और मौसम की जानकारी के लिए नियमित अपडेट्स का पालन करें।

बोकारो के बेरमो में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा: परंपरा, तैयारी और उत्साह

बोकारो के बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है। यह रथयात्रा अपनी कुछ अनूठी परंपराओं और भव्य आयोजन के लिए जानी जाती है, जिसमें स्थानीय उत्कल समाज की विशेष भागीदारी रहती है।

रथयात्रा का विस्तृत कार्यक्रम और अनोखी परंपराएँ

नेत्र उत्सव: रथयात्रा से ठीक एक दिन पहले, 26 जून को, भगवान जगन्नाथ महाप्रभु के नेत्र उत्सव का आयोजन किया गया था।

रथयात्रा का पहला चरण (27 जून): आज, 27 जून को, भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होंगे। इस दिन एक खास परंपरा निभाई जाएगी, जहाँ रथ को केवल चार कदम खींचकर मंदिर परिसर में ही खड़ा कर दिया जाएगा। इसी परिसर में एक भव्य मेला भी आयोजित किया जाएगा, जहाँ श्रद्धालु जुटेंगे।

मुख्य रथयात्रा (28 जून): रथयात्रा का मुख्य आयोजन 28 जून को होगा। इस दिन भगवान की रथयात्रा जरीडीह बाजार के गायत्री ज्ञान मंदिर स्थित मौसीबाड़ी तक जाएगी। भगवान यहाँ आठ दिनों तक विश्राम करेंगे, जिसके बाद उनकी वापसी यात्रा होगी।

दस दिनों तक सात्विक भोजन और उत्कल समाज की आस्था

रथ पूजा के दौरान, बेरमो के चार नंबर इलाके में एक विशेष परंपरा का पालन किया जाता है: सभी लोग दस दिनों तक मांस, मछली और शराब का सेवन नहीं करते हैं। उत्कल समाज के लोग इस दौरान पूरी तरह से सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें मुख्य रूप से मूंग की दाल और अरवा चावल शामिल होते हैं। रथ पूजा के दिन, उत्कल समाज के लगभग हर घर में अडसन पीठा (एक प्रकार का पारंपरिक पकवान) और चावल व गुड़ का खीर जरूर बनती है। रथ द्वितीया के दिन पूजा के बाद, जब तक भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ मंदिर में भोग नहीं लग जाता, तब तक भक्त उपवास रखते हैं। यह उनकी गहरी आस्था और भक्ति का प्रतीक है।

सीसीएल के सहयोग से निर्मित नया रथ और रथयात्रा का इतिहास

रथ मंदिर कमेटी लंबे समय से एक नए रथ की आवश्यकता महसूस कर रही थी। तीन साल पहले, सीसीएल बीएंडके एरिया के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक एम. कोटेश्वर राव की पहल पर, सीसीएल के वेलफेयर मद से दो लाख रुपये की लागत से एक नया रथ बनाया गया था। यह नया रथ पिछले साल कमेटी को सौंपा गया, जिससे इस वर्ष की रथयात्रा और भी भव्य रूप लेगी।

बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में रथयात्रा की शुरुआत वर्ष 1954 में हुई थी। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी थी। कोरोना समाप्त होने के बाद भी, मंदिर कमेटी ने संडे बाजार मौसीबाड़ी तक पारंपरिक रथयात्रा न निकालने का निर्णय लिया। इसके बाद, चार नंबर के ही लाल मैदान से सटे उत्कल समाज के लोगों ने अलग से बैठक कर तीन साल पहले इसी स्थान से रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया। इस बार, यह तीसरी बार होगा जब रथयात्रा इस नए स्थान से निकलेगी, जो सामुदायिक एकजुटता और अटूट आस्था का प्रमाण है।

झारखंड में नशा मुक्ति के लिए मैराथन दौड़ का आयोजन, युवाओं ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा

पर्यटन मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का सपना है कि हमारा झारखंड नशा मुक्त हो । उन्होंने संकल्प लिया है झारखंड को नशा मुक्त करने का । उनके इस संकल्प को पूरा करने के लिए ,नशा मुक्त झारखंड के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं । पिछले 14 दिनों से मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरुद्ध जागरूकता हेतु अभियान चलाया जा रहा है । इसी सिलसिले को जारी रखते हुए गुरुवार को नशा मुक्त झारखंड के लिए युवाओं में जागरूकता लाने के उद्देश्य से मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया है| स्वस्थ झारखंड ,नशामुक्त झारखंड की परिकल्पना को लेकर हमलोग आज मैराथन दौड़ के लिए जमा हुए हैं। श्री सुदिव्य कुमार गुरुवार को मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरुद्ध जागरूकता हेतु आयोजित मैराथन दौड़ के अवसर पर मोरहाबादी मैदान में एकत्र हुए युवाओं की भीड़ को संबोधित कर रहे थे ।

हर कदम पर ले शपथ नशा से दूर रहने और नशा मुक्त झारखंड बनाने का

पर्यटन मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि मैराथन दौड़ में मोरहाबादी से अल्बर्ट एक्का चौक की तरफ़ बढ़ते कदम के साथ हमलोगो ये हर कदम पर नशा से दूर रहने और नशा मुक्त झारखंड के लिए प्रतिज्ञा लेंगे । झारखंड ,नशा मुक्ति के अंतरराष्ट्रीय मानक के हर पहलुओं का शत- प्रतिशत पालन सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के निदेश झारखंड को नशामुक्त बनाने का अक्षरशः पालन किया जा रहा है ।

युवाओं की ऊर्जा के सकारात्मक उपयोग से मिलते है अविश्वसनीय परिणाम

मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा की शक्ति का सकारात्मक उपयोग समाज,जिला,राज्य, देश और विश्व को एक बेहतर दिशा दे सकते है और यदि युवाओं की ऊर्जा ग़लत दिशा में चली जाय तो पूरा समाज , राज्य , देश प्रभावित होता है और बड़ा नुक़सान होता है । इसलिए युवा आज इस मैराथन दौड़ के माध्यम से प्राण ले कि नशा से दूर रहेंगे । आपको नशा नहीं खेल को महत्व देना है। झारखंड में युवा प्रतिभा की कमी नहीं है ,हमे इन्हें बस सही दिशा के देने की जरूरत है और नशा के शिकार युवाओं का नशा छुड़ा कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है साथ ही उनके अंदर छुपी प्रतिभा को विश्व पटल पर लाना है ।यही हमारा मकसद है , हमारी सरकार का उद्देश्य है ।

नशा से दूर रहने के लिए लिया शपथ

मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने इस अवसर पर युवाओं को नशा से दूर रहने , नशा मुक्त झारखंड बनाने हेतु शपथ दिलायी ।

पर्यटन सह खेलकूद सचिव श्री मनोज कुमार में कहा कि नशा मुक्त अभियान झारखंड में लिए बहुत जरूरी है । संकल्प ले जो कदम मैराथन दौड़ में अल्बर्ट एक्का चौक की तरफ़ जाएगा वो हर कदम नशा मुक्त झारखंड के लिए होगा । उन्होंने कहा कि झारखंड में पिछले 14 दिनों से झारखंड के प्रत्येक जिले ,प्रखंड, पंचायतों , स्कूलों ,कॉलेजों में मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरुद्ध जागरूकता हेतु कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। आज मैराथन दौड़ के माध्यम से युवाओं को जागरूक किया रहा है और आज ही इस अभियान का समापन भी है ।

मैराथन दौड़ में विजयी प्रतिभागियों को मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने पुरस्कृत भी किया।जिसमे अनूप उरांव,श्रीजीत सरकार,कुंदन महतो, निर्मल, रंजीत कुमार महतो

ममता कुमारी,रीता कुमारी,सुमन कुमारी,संध्या कुमारी, सोनी कुमारी शामिल हैं ।

इस अवसर गृह विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, उपायुक्त रांची श्री मंजूनाथ भजंत्री , निदेशक खेल-ख़ुद श्री शेखर जमुवार सहित जिला प्रशासन के कई पदाधिकारी उपस्थित थे ।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सर गंगा राम अस्पताल में शिबू सोरेन का हाल-चाल जानकर उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का हाल-चाल जानने के लिए उनसे मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने शिबू सोरेन के स्वास्थ्य और चल रहे इलाज की पूरी जानकारी ली और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

राष्ट्रपति की मुलाकात और चिंता

- स्वास्थ्य की जानकारी: राष्ट्रपति ने शिबू सोरेन के स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत जानकारी ली और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

- परिवार के साथ मुलाकात: इस दौरान उनके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पुत्रवधू कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं।

शिबू सोरेन का राजनीतिक योगदान

- झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका: शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और उनके नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

- राज्यसभा सांसद: वर्तमान में शिबू सोरेन राज्यसभा सांसद हैं और झारखंड के विकास के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की स्थिति

- अस्पताल में भर्ती: शिबू सोरेन सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है।

- स्वास्थ्य लाभ की कामना: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सहित उनके परिवार और समर्थकों ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

सरायकेला में भव्य जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर: पहली बार महिलाएं खींचेंगी रथ, ओडिसी नृत्य से सजेगा माहौल

झारखंड के कई शहरों में 27 जून को प्रभु जगन्नाथ की दैवीय रथयात्रा निकलेगी. सरायकेला में भी ऐतिहासिक रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. इस साल जगन्नाथ सेवा समिति रथयात्रा को अधिक भव्य बनाने में लगी है. इस साल महिलाओं को भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य मिलेगा. साथ ही ओडिशा से आये ओडिशी कलाकारों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा. इस साल नये रथ का निर्माण भी पूरा हो चुका है. फिलहाल, उसकी सजावट का काम चल रहा है.

जानकारी के अनुसार, नील चक्र व बजरंग बली को रथ के ऊपर विराजमान कराया गया है. समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव ने बताया कि 26 जून को नेत्रोत्सव होगा और 27 जून से प्रभु जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे. पहले दिन बड़ दांड में विश्राम करने के बाद 28 जून को मौसीबाड़ी पहुंचेंगे.

इधर, समिति अध्यक्ष राजा सिंहदेव ने बताया कि इस साल रथयात्रा के दौरान ओडिशा से 10 कलाकारों को आमंत्रित किया गया है. इनमें आठ महिलायें और दो पुरुष कलाकार शामिल हैं. ये कलाकार रथ के आगे-आगे ओडिशी नृत्य प्रस्तुत करेंगे. इसके साथ ही सरायकेला की स्थानीय कीर्तन मंडलियां भी रथ के आगे-आगे कीर्तन करती चलेंगी. उन्होंने बताया कि रथयात्रा में प्रभु को मौसीबाड़ी पहुंचने में दो दिन लगते हैं. इस दौरान दोनों दिनों में ओडिशी नृत्य व कीर्तन किया जायेगा.

भुवनेश्वर से मंगायी गयी रस्सी

राजा सिंहदेव ने बताया कि रथयात्रा में रथ को खींचने की परंपरा है. इस बार नये रथ को श्रद्धालु खींचकर मौसीबाड़ी तक ले जायेंगे. इसके लिए ओडिशा के भुवनेश्वर से रस्सी मंगवायी गयी है, जिसके सहारे आठ पहियों वाले इस भव्य रथ को खींचा जायेगा. जगन्नाथ स्वामी का रथ खींचने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी.

उन्होंने बताया कि रथयात्रा के पहले दिन केवल महिलाएं भगवान का रथ खींचेंगी. महिलाएं बड़दांड चौक से रथ को खींचकर गोपबंधु चौक तक लेकर जायेंगी, जहां भगवान का रात्रि विश्राम होगा. दूसरे दिन मौसीबाड़ी के लिए भगवान रथ पर सवार होकर प्रस्थान करेंगे. दूसरे दिन सभी श्रद्धालुओं को रथ खींचने का अवसर मिलेगा.

राजा सिंहदेव ने बताया कि रथ का निर्माण ओडिशा के कारीगरों द्वारा किया गया है और अब सजावट का कार्य चल रहा है. सजावट के लिए ओडिशा के पीपली से वस्त्र और छतरियां मंगायी गयी हैं, जिन्हें कारीगर लगा रहे हैं. मालूम हो कि सरायकेला में रथयात्रा की परंपरा 350 वर्ष से भी अधिक पुरानी है. सरायकेला के प्रतिष्ठित महापात्र परिवार ने ढेंकानाल से भगवान के विग्रह को सरायकेला लाकर रथयात्रा की शुरुआत की थी. तब से लेकर आज तक हर साल यह रथयात्रा आयोजित होती आ रही है.

धनबाद में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल: एक बड़ी सौगात जो शहर के विकास को देगी नई दिशा

धनबाद वासियों के लिए एक बड़ी सौगात की घोषणा की गई है। जिले के कतरास के बाघमारा अंचल के लिलोरी मंदिर के पास एनएच 32 से सटे जमीन पर अंतरराज्यीय बस टर्मिनल का निर्माण होगा। यह टर्मिनल न केवल शहर के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा।

बस टर्मिनल की विशेषताएं और इसके फायदे

- 12 एकड़ जमीन पर निर्माण: बस टर्मिनल का निर्माण 12 एकड़ जमीन पर किया जाएगा, जो निशुल्क उपलब्ध कराई गई है। यह टर्मिनल शहर के लोगों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा।

- कनेक्टिविटी: बस टर्मिनल का निर्माण ऐसे स्थान पर कराया जा रहा है, जहां से हर जगह की कनेक्टिविटी मिलेगी। यहां से मात्र 4 किलोमीटर में राजगंज एनएच-2 है, जहां से एक तरफ कोलकाता तो वहीं दूसरी तरफ नई दिल्ली का सीधा मार्ग है। इससे यात्रियों को बड़ी सुविधा होगी।

- रोजगार के अवसर: इस बस टर्मिनल के निर्माण से हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, और प्रशासनिक व्यवस्था भी बढ़ने की उम्मीद है। इससे शहर के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

बस टर्मिनल के विकास में योगदान

- आसानी से मिलेगी हर जगह की कनेक्टिविटी: बस टर्मिनल से बोकारो, पुरुलिया का सीधा संपर्क होगा। इससे यात्रियों को बड़ी सुविधा होगी और शहर के विकास में भी योगदान होगा।

- विकास: इस बस टर्मिनल के निर्माण से कतरास से लेकर श्यामडीह, काको और राजगंज का इलाका पूरी तरह से गुलजार हो जाएगा। इससे शहर के विकास में नई गति आएगी।

- आधुनिक सुविधाएं: इस टर्मिनल में यात्रियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जैसे कि प्रतीक्षालय, शौचालय, और फूड कोर्ट। इससे यात्रियों को बड़ी सुविधा होगी और शहर के विकास में भी योगदान होगा।

निष्कर्ष

धनबाद में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल के निर्माण से शहर के लोगों को कई फायदे होंगे। यह टर्मिनल न केवल कनेक्टिविटी में सुधार करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। इससे शहर के विकास में नई गति आएगी और लोगों को बड़ी सुविधा होगी।

कोलकाता-कानपुर सेंट्रल स्पेशल ट्रेन की अवधि बढ़ी, अब अगस्त तक चलेगी

कोलकाता-कानपुर सेंट्रल स्पेशल ट्रेन की अवधि बढ़ा दी गई है, जो अब अगस्त के पहले पखवाड़े तक चलेगी। यह ट्रेन धनबाद होकर सप्ताह में दो दिन चलती है, और यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसके फेरे बढ़ा दिए गए हैं।

ट्रेन का शेड्यूल और रूट

- कानपुर सेंट्रल से कोलकाता: ट्रेन नंबर 04153 प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को चलेगी। कानपुर सेंट्रल से दोपहर 1 बजे रवाना होगी और रात 12:45 बजे गोमो, 1:40 बजे धनबाद तथा सुबह 7:50 बजे कोलकाता पहुंचेगी।

- कोलकाता से कानपुर सेंट्रल: ट्रेन नंबर 04154 प्रत्येक मंगलवार और गुरुवार को चलेगी। कोलकाता से सुबह 10:45 बजे रवाना होगी और दोपहर 3:30 बजे धनबाद, 3:58 बजे गोमो तथा अलसुबह 4:30 बजे कानपुर सेंट्रल पहुंचेगी।

ठहराव और सुविधाएं

- कोलकाता से चलने वाली ट्रेन का ठहराव बर्द्धमान, दुर्गाप

देवघर में श्रावणी मेला की तैयारियां जोरों पर

देवघर में 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावणी मेले को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं। प्रशासन ने मेले के लिए कमर कस ली है और 5 जुलाई तक सभी तैयारियों को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

तैयारियों की समीक्षा और निर्देश

डीसी की समीक्षा: देवघर डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने श्रावणी मेला को लेकर विभागीय कार्यों की समीक्षा की और सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ समय पर काम पूरा करने का निर्देश दिया

गुणवत्ता का ध्यान: डीसी ने कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखने की अपील की और कहा कि मेले की सारी तैयारी 5 जुलाई तक हर हाल में पूरा कर लें।

मेले के लिए की जा रही तैयारियां

- कांवरिया पथ पर गंगा का बालू बिछाना: 5 जुलाई के बाद कांवरिया पथ पर गंगा का बालू बिछाया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को चलने में आसानी हो। 70 फीसदी गंगा का बालू स्टॉक कर लिया गया है

पंडाल बनाना: कांवरिया रूट लाइन और मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पंडाल बनाने का काम तेजी से चल रहा है.

सड़क का कालीकरण: बीएन झा रोड से मानसरोवर व शिवगंगा चौक तक सड़क का कालीकरण किया जा रहा है.

नाला निर्माण: नंदन पहाड़, सिंघवा आदि इलाके में नाला निर्माण का कार्य चल रहा है.

मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं

सुरक्षा: सभी रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है.

साफ-सफाई: मेले के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

होल्डिंग प्वाइंट: श्रद्धालुओं के लिए होल्डिंग प्वाइंट की व्यवस्था की जा रही है.