बोकारो के बेरमो में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा: परंपरा, तैयारी और उत्साह
बोकारो के बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है। यह रथयात्रा अपनी कुछ अनूठी परंपराओं और भव्य आयोजन के लिए जानी जाती है, जिसमें स्थानीय उत्कल समाज की विशेष भागीदारी रहती है।
रथयात्रा का विस्तृत कार्यक्रम और अनोखी परंपराएँ
नेत्र उत्सव: रथयात्रा से ठीक एक दिन पहले, 26 जून को, भगवान जगन्नाथ महाप्रभु के नेत्र उत्सव का आयोजन किया गया था।
रथयात्रा का पहला चरण (27 जून): आज, 27 जून को, भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होंगे। इस दिन एक खास परंपरा निभाई जाएगी, जहाँ रथ को केवल चार कदम खींचकर मंदिर परिसर में ही खड़ा कर दिया जाएगा। इसी परिसर में एक भव्य मेला भी आयोजित किया जाएगा, जहाँ श्रद्धालु जुटेंगे।
मुख्य रथयात्रा (28 जून): रथयात्रा का मुख्य आयोजन 28 जून को होगा। इस दिन भगवान की रथयात्रा जरीडीह बाजार के गायत्री ज्ञान मंदिर स्थित मौसीबाड़ी तक जाएगी। भगवान यहाँ आठ दिनों तक विश्राम करेंगे, जिसके बाद उनकी वापसी यात्रा होगी।
दस दिनों तक सात्विक भोजन और उत्कल समाज की आस्था
रथ पूजा के दौरान, बेरमो के चार नंबर इलाके में एक विशेष परंपरा का पालन किया जाता है: सभी लोग दस दिनों तक मांस, मछली और शराब का सेवन नहीं करते हैं। उत्कल समाज के लोग इस दौरान पूरी तरह से सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें मुख्य रूप से मूंग की दाल और अरवा चावल शामिल होते हैं। रथ पूजा के दिन, उत्कल समाज के लगभग हर घर में अडसन पीठा (एक प्रकार का पारंपरिक पकवान) और चावल व गुड़ का खीर जरूर बनती है। रथ द्वितीया के दिन पूजा के बाद, जब तक भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ मंदिर में भोग नहीं लग जाता, तब तक भक्त उपवास रखते हैं। यह उनकी गहरी आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
सीसीएल के सहयोग से निर्मित नया रथ और रथयात्रा का इतिहास
रथ मंदिर कमेटी लंबे समय से एक नए रथ की आवश्यकता महसूस कर रही थी। तीन साल पहले, सीसीएल बीएंडके एरिया के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक एम. कोटेश्वर राव की पहल पर, सीसीएल के वेलफेयर मद से दो लाख रुपये की लागत से एक नया रथ बनाया गया था। यह नया रथ पिछले साल कमेटी को सौंपा गया, जिससे इस वर्ष की रथयात्रा और भी भव्य रूप लेगी।
बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में रथयात्रा की शुरुआत वर्ष 1954 में हुई थी। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी थी। कोरोना समाप्त होने के बाद भी, मंदिर कमेटी ने संडे बाजार मौसीबाड़ी तक पारंपरिक रथयात्रा न निकालने का निर्णय लिया। इसके बाद, चार नंबर के ही लाल मैदान से सटे उत्कल समाज के लोगों ने अलग से बैठक कर तीन साल पहले इसी स्थान से रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया। इस बार, यह तीसरी बार होगा जब रथयात्रा इस नए स्थान से निकलेगी, जो सामुदायिक एकजुटता और अटूट आस्था का प्रमाण है।
Jun 28 2025, 11:55