उत्तराखंड : बद्रीनाथ हाईवे पर मिनी बस अलकनंदा में गिरी, 2 की मौत, 10 लापता

उत्तराखंड। उत्तराखंड में एक बार फिर प्रकृति की कठिन राहों पर श्रद्धालुओं की बेबसी उजागर हुई है। बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घोलतीर के पास एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जहां श्रद्धालुओं से भरी एक मिनी बस अनियंत्रित होकर अलकनंदा नदी में जा गिरी।

बस में कुल 19 यात्री सवार थे। अब तक मिली जानकारी के अनुसार 2 लोगों की मौत हो चुकी है, 7 लोग घायल हुए हैं और 10 लोग अब भी लापता हैं। घायलों को जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में भर्ती कराया गया है।

हादसे के बाद चीख-पुकार मच गई। इसी दौरान एक मासूम बच्चे की पुकार-‘बद्री विशाल… ये क्या करा?’ ने सभी की आंखें नम कर दीं। यह भावुक क्षण अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोगों का कहना है, “जब श्रद्धा के रास्ते भी हादसों से भरे हों, तो दुआओं का ही सहारा बचता है।” घटना की सूचना मिलते ही पुलिस व एसडीआरएफ की टीमों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। नदी का तेज बहाव और दुर्गम स्थल बचाव में बड़ी चुनौती बना हुआ है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी हादसे की जानकारी दे दी गई है। सरकार की ओर से लगातार राहत व बचाव कार्यों की निगरानी की जा रही है। ईश्वर से प्रार्थना है कि लापता लोग सुरक्षित मिलें और इस हादसे में घायल सभी लोग जल्द स्वस्थ हों। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर अब सवाल फिर से उठने लगे हैं।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, आरक्षण नीति पर उठे सवाल

नैनीताल। उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। यह फैसला राज्य सरकार की आरक्षण नीति को लेकर दायर याचिकाओं के आधार पर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 25 जून से नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा के साथ ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी और आचार संहिता भी लागू कर दी गई थी।

हाईकोर्ट ने यह रोक आरक्षण रोटेशन में पारदर्शिता की कमी और अस्पष्टता को आधार बनाते हुए लगाई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक चुनाव प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जा सकती। यह याचिकाएं बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य द्वारा दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने 9 जून को नई पंचायत चुनाव नियमावली लागू की और 11 जून को आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू करने का आदेश जारी किया। इसके चलते कई सीटें लगातार चौथी बार भी आरक्षित वर्ग के लिए रखी गई हैं, जिससे सामान्य वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस विषय में कुछ याचिकाएं हाईकोर्ट की एकलपीठ में भी लंबित हैं। सरकार ने यह भी कहा कि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जबकि याचिकाकर्ताओं ने 9 जून की नियमावली को भी चुनौती दी है। कोर्ट के इस आदेश से पंचायत चुनाव की समय-सीमा और प्रक्रिया पर अनिश्चितता छा गई है। अब अगली सुनवाई के बाद ही यह तय हो सकेगा कि चुनाव कब और किन नियमों के तहत होंगे।