हाईकोर्ट ने आजम खान की याचिका को सह-आरोपियों से जोड़ा, 3 जुलाई को निर्णायक सुनवाई
* वीडियो साक्ष्य और गवाहों की पुनः गवाही पर जोर, निष्पक्षता पर उठे सवाल
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान को 2016 के चर्चित बलपूर्वक बेदखली प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट से अहम राहत मिली है। न्यायालय ने उनकी याचिका को सह-आरोपियों की पहले से लंबित याचिका से टैग करते हुए 3 जुलाई 2025 को निर्णायक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
आजम खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद और शशांक तिवारी ने याचिका में पूरे मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि मुख्य अभियोजन गवाहों की दोबारा गवाही और घटनास्थल से जुड़ी महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज रिकॉर्ड पर लाए बिना निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
हालांकि, न्यायमूर्ति समीत गोपाल की एकल पीठ ने यह कहते हुए अलग से कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया कि सह-आरोपियों की याचिका पर पहले ही ट्रायल पर रोक लगाई जा चुकी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आजम खान व सह-आरोपी वीरेंद्र गोयल की याचिका को उन्हीं लंबित मामलों से जोड़ा जाए, जिससे समग्र रूप से सुनवाई संभव हो सके।
आजम खान की याचिका, ट्रायल कोर्ट द्वारा 30 मई को पारित उस आदेश को चुनौती देती है जिसमें 12 एफआईआर से जुड़े मुख्य गवाहों— विशेषकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी— को पुनः बुलाने की मांग खारिज की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फारूकी द्वारा उल्लेखित वीडियोग्राफी से यह सिद्ध हो सकता है कि याचिकाकर्ता घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, जिससे अभियोजन की पूरी नींव ही कमजोर हो जाती है।
यह मामला रामपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में 2019-20 में दर्ज एफआईआर संख्या 528/2019 से 539/2019 और 556/2019 पर आधारित है, जिन्हें बाद में विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) द्वारा एकल वाद में समाहित कर 8 अगस्त 2024 को चलाया गया।
याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का उल्लंघन बताते हुए मुकदमा रद्द करने की भी मांग की है। इससे पहले, 11 जून को सह-आरोपी इस्लाम ठेकेदार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को 3 जुलाई तक कोई अंतिम फैसला सुनाने से रोक दिया था।
Jun 25 2025, 17:29