धूप में झुलसते ‘ड्यूटी के योद्धा’, जब सिस्टम ने किया नजरअंदाज़

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी में पारा 43 डिग्री के पार पहुंच चुका है। दोपहर का सूरज आग उगल रहा है, सड़कों पर धूल और गर्म हवाओं की मार है, लेकिन इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी चौराहों पर मोर्चा संभाले खड़े हैं। आम लोगों के लिए महज़ ट्रैफिक पुलिसकर्मी, लेकिन असल में ये 'तपते चौराहों के सिपाही' हैं, जिनकी ड्यूटी शरीर ही नहीं, मानसिक संतुलन की भी परीक्षा लेती है।

धूप से झुलसते शरीर पर भी ड्यूटी पहले

जानकारी के लिए बता दें कि गर्मियों में सबसे कठिन ड्यूटी अगर किसी की मानी जाती है, तो वह ट्रैफिक पुलिसकर्मी की है। इन दिनों लखनऊ के हजरतगंज, भूतनाथ, चारबाग, पालीटेक्निक, चिनहट, हजरतगंज और कपूरथला जैसे प्रमुख चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी दिन के 6-8 घंटे सड़कों पर खड़े रहकर यातायात व्यवस्था को संभालते हैं। गर्मी इतनी भीषण है कि एक जगह खड़े रहना भी मुश्किल हो जाए, लेकिन ट्रैफिक पुलिसकर्मी बार-बार पानी पीने, छांव में खड़े होने या आराम करने के बजाय, लोगों को सुरक्षित रास्ता देने में जुटे रहते हैं।

विभाग ने क्या की है गर्मी से सुरक्षा की क्या व्यवस्था, हकीकत में क्या

विभागीय अधिकारी का दावा है कि गर्मी को देखते हुए पुलिसकर्मियों को छाते, कैप, गमछा और ORS घोल जरूर दिए गए हैं। कुछ स्थानों पर ट्रैफिक बूथ या टीन शेड भी हैं, लेकिन अधिकतर चौराहों पर ये सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। कई जवान अपने स्तर पर पानी की बोतल, गीले कपड़े और पाउडर लेकर आते हैं ताकि लू से बचाव हो सके। जबकि इस मामले में जब ट्रैफिक सिपाहियों से बात की गई तो बताया कि यह दावा केवल हवा हवाई है। पीने के लिए ठंडा पानी तो मिलता नहीं है। कहीं कहीं कहने के लिए एकाध छाते मुहैया करा दिये गये है। बूथों पर ट्रफिक सिपाहियों के आराम करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

छुट्टी की योजना ज़मीन पर नहीं आई

योगी सरकार ने गर्मियों में पुलिसकर्मियों को छुट्टी देने की बात कही थी, लेकिन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के अनुसार अभी तक इसका कोई सीधा लाभ नहीं मिला है। स्टाफ की भारी कमी और चौकियों की जरूरत के चलते अवकाश मिलना लगभग असंभव होता है। कई कर्मियों ने बताया कि "हमें तो महीने में एक या दो छुट्टियाँ भी मुश्किल से मिलती हैं।"ट्रैफिक सिपाही का कहना है कि यह रूल पुलिसकर्मियों पर लागू होता होगा, यातायात विभाग में ऐसा कुछ नहीं है।

ट्रैफिक सिपाहियों के आराम की व्यवस्था बूथों पर उपलब्ध नहीं

एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी औसतन 8 की ड्यूटी करता है, जिसमें दोपहर की सबसे भीषण गर्मी वाले घंटे भी शामिल रहते हैं। ट्रैफिक का सबसे अधिक दबाव सुबह 9 से 11 और शाम 5 से 8 बजे के बीच होता है। इन घंटों में बिना रुके, बिना बैठे काम करना पड़ता है। ऐसे में कड़ी धूप में खड़ा होने के बाद जब उन्हें कुछ देर आराम करने का मौका मिले तो बूथ के अंदर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जो कि राजधानी के अस्सी प्रतिशत ट्रैफिक बूथों पर अाराम करने के लिए सुविधा जनक कोई इंतजाम नहीं है। जबकि इस भीषण गर्मी में उनके लिए यह आराम करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस पर कई ट्रैफिक सिपाहियों से बात की गई तो उनका यही कहना है कि बूथों पर सुविधा का इंतजाम राम भरोसे चल रही है।

लोगों की नोंकझोंक और एंगर मैनेजमेंट

बता दें कि चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मी न केवल मौसम से जूझते हैं, बल्कि लोगों की बदतमीज़ी और झुंझलाहट से भी। चालान कटने पर कई बार बहसबाजी होती है। प्रशासन की ओर से इस तनाव को कम करने के लिए कोई विशेष काउंसलिंग या एंगर मैनेजमेंट ट्रेनिंग नहीं दी जाती। हालांकि, कुछ सीनियर अधिकारी व्यक्तिगत रूप से सहयोग करते हैं, पर वह काफी नहीं है। क्योंकि इन सारी समस्याओं से अकेले ट्रैफिक का जिम्मा संभालने वालों को ही भुगतना पड़ता है।

कैसी होती है एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी की दिनचर्या?

सुबह 7-8 बजे रिपोर्टिंग होती है। इसके बाद ड्यूटी स्थल पर तैनाती। लंच ब्रेक अक्सर नहीं मिल पाता या बेहद सीमित होता है। कई बार एक जगह से दूसरी जगह ड्यूटी बदलती है। गर्मियों में सबसे बड़ी चुनौती पानी पीने, टॉयलेट जाने और बैठने की होती है। "कई बार लगता है कि बस अब चक्कर आ जाएगा, लेकिन मजबूरी है, खड़ा रहना पड़ता है," एक सिपाही ने बताया कि बूथों पर पीने के लिए ठंडा पानी तो सही से मिल नहीं पाता है, ऐसे में अन्य व्यवस्था की बात करना तो दूर है। एक ट्रैफिक सिपाही ने कहना रहा कि दिन में धूप और जब थोड़ा बहुत फुर्सत मिलती है तो आराम के लिए उन्हें टीन से बना बूथ मिलता है, उसमें भी उन्हें तपना पड़ता है। आराम करने के लिए ज्यादातर बूथों पर कोई इंतजाम नहीं है। जबकि बूथों पर इसकी सुविधा होनी चाहिए।

पुलिसवालों को लेकर आम सोच पर क्या कहते हैं पुलिसकर्मी?

बहुत से लोग ट्रैफिक पुलिस को केवल चालान काटने वाला मानते हैं। इस पर खुद पुलिसकर्मी कहते हैं —"हमें चालान काटना पसंद नहीं, लेकिन नियम तोड़ने वालों को सबक सिखाना ज़रूरी है। लोग हमें दोष देते हैं, लेकिन कोई यह नहीं देखता कि हम किस हालात में काम कर रहे हैं। डीसीपी अपराध एवं मीडिया सेल प्रभारी कमलेश दीक्षित ने बताया कि -"हमारा मुख्य काम ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाना है, लेकिन जब लोग हेलमेट, सीट बेल्ट जैसे नियम नहीं मानते, तो कार्रवाई करनी ही पड़ती है।"

ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को लेकर आम लोगों की राय

इंदिरा नगर निवासी अजय तिवारी व चिनहट निवासी वीजेंद्र वर्मा का कहना है कि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सिर्फ नियम लागू करना नहीं है, यह धैर्य, मानसिक दृढ़ता और त्याग की परीक्षा है। ऐसे में न केवल सरकार को बल्कि समाज को भी इन कर्मियों के प्रति सोच बदलनी होगी। अगर वे ठान लें कि उन्हें नियमों का पालन करना है, तो शायद एक दिन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को सिर्फ चालान काटने वाला नहीं, बल्कि ‘सड़क सुरक्षा का प्रहरी’ माना जाएगा। उन्होंने कहा कि आज सड़क हादसे बढ़ते जा रहे है। जबकि यातायात नियम का पालन करने से हादसों को कम किया जा सकता है।

यूपी रेरा की स्टाफ बैठक संपन्न, अध्यक्ष ने दिये आवश्यक दिशा निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की समीक्षा बैठक लखनऊ स्थित रेरा मुख्यालय के सभागर में अध्यक्ष यूपी रेरा की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

बैठक में अध्यक्ष यूपी रेरा संजय आर. भूसरेडडी ने कहा कि सभी अधिकारी/कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन समर्पणभाव से करते हुए निर्धारित लक्ष्यों का क्रियान्वयन समयानुसार करना सुनिश्चित करें। अध्यक्ष यूपी रेरा भूसरेडडी ने विन्दुवार गहन समीक्षा की। धारा-31 के अन्तर्गत दायर की जाने वाली शिकायतों का अनुश्रवण करते हुए प्राथमिकता से प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश संबन्धित अधिकारियों को दिये। इसी प्रकार सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं ट्रिब्युनल रेरा में दायर वादों की समीक्षा की तथा प्रभावी पैरवी के निर्देश दिये।

इसके अतिरिक्त अध्यक्ष यू.पी.रेरा ने रेरा एजेन्टस एवं मूल्यांकन, प्रमोटर्स एवं शिकायतकर्ता के मध्य रेरा आदेशों के सन्दर्भ में किये गये समझौते, प्रमोटर्स द्वारा पंजीकृत परियोजनाओं में रेरा अधिनियम, नियमावली एवं रेग्युलेशन के प्राविधानों के अनुपालन, उच्च न्यायालय में रिट याचिकाओं की स्थिति, अपील की स्थिति, अवमानना की स्थिति, रेरा पोर्टल से संबंधित तकनीकी बिन्दु, रेरा में पंजीकृत समस्त परियोजनाओं के आ.सो./सी.सी. अपलोड किये जाने की स्थिति, मानव सम्पदा प्रबन्धन आदि की गहन समीक्षा की तथा संबंधितों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किये।

बैठक में सचिव उप्र रेरा, महेन्द्र वर्मा, प्रमुख सलाहकार अबरार अहमद, वित्त परामर्शदाता सुधांशु त्रिपाठी, सयुक्त सचिव उमाशंकर सिंह, सहायक निदेशक सिस्टम अम्बरीस सहित रेरा के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने किया लखनऊ विश्वविद्यालय का निरीक्षण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षाओं का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने परीक्षा केंद्रों पर की जा रही व्यवस्थाओं का अवलोकन किया तथा परीक्षार्थियों को पारदर्शी वातावरण में परीक्षा दिलवाने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय में स्थापित राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम में भी उन्होंने पहुंचकर विभिन्न जिलों में संचालित परीक्षाओं की लाइव निगरानी की तथा तकनीकी माध्यमों से प्राप्त आंकड़ों और कैमरा फीड के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी, निगरानी दल एवं अन्य सुरक्षा व्यवस्था सक्रिय रूप से कार्य कर रही हो।

इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ टैगोर लाइब्रेरी का भ्रमण किया। वहां पर उन्होंने भारत के मूल संविधान के प्रति देखी और रेयर कलेक्शन को भी देखा। इसके पश्चात सभी लोग अध्ययन कक्ष में और साइबर लाइब्रेरी में भी गए। वहां पर भी उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने छात्र-छात्राओं से वार्ता की और अपने संतुष्टि व्यक्त की। निरीक्षण के दौरान परीक्षा नियंत्रक विद्यानन्द त्रिपाठी और अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे।

दिव्यांग छात्रों को मिला आईपीएल मैच देखने का सुनहरा अवसर

* राज्य आयुक्त दिव्यांगजन ने 25 विद्यार्थियों को एकाना स्टेडियम के लिए रवाना किया

लखनऊ। दिव्यांगजनों को खेलों से जोड़ने और उन्हें मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक नई पहल करते हुए राज्य आयुक्त दिव्यांगजन प्रो. हिमांशु शेखर झा के नेतृत्व में सोमवार को 25 विद्यार्थियों को एकाना स्टेडियम में आईपीएल क्रिकेट मैच देखा। उन्होंने इस संबंध में निशातगंज, लखनऊ स्थित कार्यालय राज्य आयुक्त दिव्यांगजन में आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीन प्लाई इंडिया द्वारा सी.एस.आर के अंतर्गत चलन क्रिया से ग्रसित दिव्यांग छात्रों को लखनऊ स्थित इकाना स्टेडियम में आयोजित लखनऊ बनाम हैदराबाद आईपीएल क्रिकेट मैच दिखाने की विशेष व्यवस्था की गई है। जिसमें ग्रीन प्लाई इंडिया द्वारा स्टेडियम परिसर में दिव्यांगजनों की सुगमता हेतु विशेष रैम्प का निर्माण कराया गया है।

उन्होंने बताया कि कुल 25 दिव्यांग छात्र में निशातगंज लखनऊ स्थित दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के छात्रावास के 14 विद्यार्थी, प्रयास विद्यालय बाराबंकी के 5 विद्यार्थी तथा शूटिंग एसोसिएशन के 6 खिलाड़ी शामिल रहे। इन बच्चों की प्रेरणास्पद कहानियों को दस्तावेजित कर फिल्माया भी गया है, जिसे शीघ्र ही सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किया जाएगा।

प्रो. झा ने कहा कि दिव्यांगजनों को प्रेरणा देने के लिए ऐसे आयोजनों का विशेष महत्व है। ये बच्चे जब देश-विदेश के नामी खिलाड़ियों को खेलते देखेंगे, तो वे भी खेल की बारीकियों को आत्मसात करेंगे और अपने आत्मबल को मजबूत बनाएंगे। हमारा प्रयास है कि दिव्यांगजन खुद को किसी से कम न समझें और आत्मविश्वास के साथ समाज की मुख्यधारा में आगे बढ़ें। उन्होंने यह भी अपील की कि ग्रीन प्लाई की भांति अन्य निजी संस्थाएं भी आगे आकर दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में सक्रिय योगदान दें।

दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए ग्रीन प्लाई संस्था द्वारा टी-शर्ट, शूक्ष्म जलपान, लंच, डिनर एवं स्टेडियम तक एसी बस द्वारा आवागमन की व्यवस्था की गई। बस को राज्य आयुक्त दिव्यांगजन प्रो. हिमांशु शेखर झा ने झंडी दिखाकर एकाना स्टेडियम के लिए रवाना किया।

मुख्यमंत्री योगी का बड़ा ऐलान: किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरू होगी 'मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना'

सस्ती दर पर ऋण, आधुनिक गोदाम, और तकनीकी सशक्तिकरण से किसानों को मिलेगा लाभ; सहकारी संस्थाओं की भूमिका होगी केंद्रीय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों की आय में वृद्धि और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से 'मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना' शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सस्ती दर पर सरल ऋण, आधुनिक भंडारण सुविधाएं, और तकनीकी सशक्तिकरण का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने सोमवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इस महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा को मंजूरी दी। उन्होंने इसे एक दूरदर्शी और किसान-हितैषी पहल करार देते हुए कहा कि यह योजना किसानों को कर्ज़ के बोझ से मुक्ति दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नाबार्ड और सहकारी बैंकों की योजना में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी। ऋण वितरण क्षमता बढ़ाने और शाखाओं के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। किसानों तक ऋण की आसान पहुँच को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि योजना का क्रियान्वयन प्रभावी और समयबद्ध हो और विस्तृत परियोजना प्रस्ताव शीघ्र तैयार कर प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

सहकारी क्षेत्र में सुधार की दिशा में कदम:

मुख्यमंत्री ने सहकारी संस्थाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों की आय, पारदर्शिता, और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में सम्मिलित किया जाए। साथ ही, सहकारी बैंकों में रिक्त बैंकिंग और गैर-बैंकिंग पदों की भर्ती प्रक्रिया को तेज करने के लिए आईबीपीएस के माध्यम से चयन की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए। इससे सहकारी संस्थाओं की कार्यकुशलता और सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

एम-पैक्स समितियों और तकनीकी सशक्तिकरण पर फोकस:

बैठक में यह भी बताया गया कि एम-पैक्स समितियों को पीडीएस, जन औषधि, सीएससी, पीएम किसान सम्मान केंद्र, एमएसपी जैसी योजनाओं से जोड़ा गया है।

कंप्यूटरीकरण के अंतर्गत अब तक 1,539 (प्रथम चरण), 1,523 (द्वितीय चरण) और 2,624 (तृतीय चरण) समितियाँ डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ चुकी हैं। साइबर सुरक्षा के लिए यूपी कोऑपरेटिव बैंक और 50 जिला सहकारी बैंकों को नाबार्ड के सीबीएस क्लाउड मंच से जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री का विज़न: तकनीक, ऋण और बाज़ार तक पहुँच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि सहकारी संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाकर, तकनीक, ऋण, और विपणन तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के किसानों को समृद्ध और सशक्त बनाना ही लक्ष्य है और इसके लिए नीतिगत सुधार सतत रूप से जारी रहेंगे।

उत्तर प्रदेश के 35 सीमावर्ती गांव बनेंगे 'टूरिस्ट विलेज': जयवीर सिंह

स्थानीय संस्कृति, भोजन, लोककथाएं और हस्तशिल्प बनेंगे ग्रामीण पर्यटन की पहचान: रोजगार, आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ावा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल की है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने घोषणा की है कि प्रदेश के सात सीमावर्ती जिलों के 35 गांवों को ‘टूरिस्ट विलेज’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत स्थानीय संस्कृति, जीवनशैली, खानपान, परंपराएं और जैव विविधता को पर्यटन का हिस्सा बनाया जाएगा। हर गांव में 10-10 होमस्टे यूनिट तैयार किए जाएंगे, जहां पर्यटक ग्रामीण परिवेश में रहकर स्थानीय संस्कृति को जी सकेंगे।

संस्कृति और आत्मनिर्भरता का समावेश:

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत: स्थानीय युवाओं को स्टोरी टेलिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे गांव की लोककथाओं, किवदंतियों और ऐतिहासिक महत्व को पर्यटकों के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकें। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पारंपरिक व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे पर्यटक गांव के खानपान का प्रामाणिक स्वाद ले सकें। थारू जनजाति के हस्तशिल्प उत्पादों को स्थानीय बाज़ारों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों से जोड़ा जाएगा, जिससे पारंपरिक कारीगरी को नया बाज़ार मिलेगा और कारीगरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

‘टूरिस्ट विलेज’ योजना का उद्देश्य:

पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह योजना सिर्फ पर्यटन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त पहल है, महिला सशक्तिकरण को गति देती है, स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में सहायक है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस योजना से सीमावर्ती गांवों में विकास की रोशनी पहुंचेगी, और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच मिलेगा।

चयनित प्रमुख गांवों की सूची :

सिद्धार्थनगर: दुल्हासुमाली, बजहा, खुनुवां, कोटिया, घरुआर

बलरामपुर: इमलिया कोडर, चंदनपुर, नरिहवा, पहाड़ापुर, बेलभरिया

लखीमपुर खीरी: बनकटी, छिदिया पूरब मजरा, हिम्मतनगर, पिपरौला, पुरैना, सिगंहिया

बहराइच: बद्रिया, आंम्बा, कारीकोट, फकीरपुरी, विशुनापुर

श्रावस्ती: लालपुर, कुसमहवां, मोतीपुर कला, कटकुईयां, मेढकिया, बेलहरी

पीलीभीत: नौजल्हा, नकटहा, गभिया, सहराई, ढ़किया ता. महाराजपुर, मटैइया

महराजगंज: भेड़िहारी, इटहिया, गिरहिया, तरैनी, चण्डीथान आदि गांवों का चयन किया गया।

लखनऊ में सफाई व्यवस्था पर सख्त हुए प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना

* गंदगी और चोक नालियों पर जताई नाराजगी, अधिकारियों के वेतन कटौती के निर्देश; एक महीने में समस्याओं के समाधान का अल्टीमेटम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री तथा लखनऊ जनपद के प्रभारी मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सोमवार सुबह राजधानी में सफाई व्यवस्था का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें कई स्थानों पर गंदगी, चोक नालियाँ, अवैध कब्जे और अव्यवस्थित निर्माण सामग्री पड़ी मिली, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई और कई के वेतन काटने के निर्देश भी दिए।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज सफाई व्यवस्था को लेकर प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री और लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने नगर निगम के चार वार्डों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें कई मोहल्लों में गंदगी, चोक नालियाँ, और खुले प्लॉटों पर कूड़े के ढेर दिखाई दिए, जिस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई और अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने जोन एक के जोनल अधिकारी और जोन पांच के सफाई निरीक्षक का दो-दो दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए।

प्रभारी मंत्री ने नरही, सरोजिनी नगर, नटखेड़ा और सरस्वतीपुरम कॉलोनी का निरीक्षण करते हुए नगर निगम को निर्देश दिया कि नालियों को अतिक्रमण मुक्त कराए जाएं और जहां भी ड्रेनेज बाधित है, उसे तत्काल सुधारा जाए। इसके साथ ही खुले प्लॉटों के मालिकों को नोटिस जारी कर बाउंड्री वॉल बनवाने का आदेश भी दिया गया। निरीक्षण के दौरान लोगों ने दूषित पेयजल और सीवर कनेक्शन की कमी की शिकायतें कीं, जिस पर मंत्री ने जलकल विभाग को नई पाइपलाइन बिछाने और समस्याओं के तत्काल समाधान के निर्देश दिए।

श्री खन्ना ने साफ कहा कि सफाई व्यवस्था में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सभी संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों का नियमित निरीक्षण करें। निरीक्षण के समय नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद राव, और स्वच्छता प्रोत्साहन समिति के अध्यक्ष सुनील मिश्र समेत नगर निगम के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रदेशवासियों की सुरक्षा और सम्मान ही सरकार का ध्येय : योगी

मुख्यमंत्री ने सोमवार को किया 'जनता दर्शन', प्रदेश भर से आये लोगों की सुनीं समस्याएं

हर पीड़ित के पास पहुंचे मुख्यमंत्री, बोले- जरूरतमन्दों की हर जरूरत पर खड़ी है सरकार

प्रयागराज से आए सर्वाधिक फरियादी, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिया कार्रवाई का निर्देश

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को 'जनता दर्शन' किया। इस दौरान 60 से अधिक फरियादी आए। मुख्यमंत्री ने एक-एक करके सभी से मुलाकात की, फिर कुशलक्षेम पूछा। हर पीड़ित की शिकायत सुनी और अधिकारियों को निस्तारण के निर्देश दिए। सोमवार को सर्वाधिक शिकायतें प्रयागराज से आईं।

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेशवासियों की सुरक्षा और सम्मान ही सरकार का ध्येय है। सरकार हर जरूरतमंदों की जरूरत पर खड़ी है। जनता दरबार में पुलिस, राजस्व, चिकित्सा सहायता, वृद्धावस्था पेंशन, सड़क निर्माण समेत अनेक मामले आए।

मुख्यमंत्री ने जनता दर्शन में मौजूद अधिकारियों को शिकायतों का प्रार्थना पत्र सौंपते हुए समय से निस्तारण के निर्देश दिए। प्रयागराज से कई शिकायतें आईं, जिसे मुख्यमंत्री ने गंभीरता से सुना और कार्रवाई के लिए अफसरों को निर्देशित किया। पुलिस, खेत की पैमाइश, आवास, चकरोड, खेतों में कब्जा, बिजली कनेक्शन समेत अन्य फरियाद लेकर पीड़ित पहुंचे, जिसके समाधान का मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया।

प्रयागराज से 8, देवरिया से 4, सहारनपुर व बस्ती-फतेहपुर से 3-3 फरियादी आए

सोमवार को 'जनता दर्शन' में 8 फरियादी प्रयागराज से आए। देवरिया जनपद से 4, सहारनपुर, बस्ती-फतेहपुर से 3-3 फरियादी जनता दर्शन में आये। मुरादाबाद, पीलीभीत, अमरोहा, गाजीपुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी व भदोही से दो-दो फरियादी शिकायत लेकर मुख्यमंत्री से मिले।

बच्चों को दुलारा और दी चॉकलेट

जनता दर्शन में कई पीड़ित परिवार के साथ आए थे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बच्चों को दुलारा, उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी ली और चॉकलेट भी दी। सीएम योगी ने बच्चों को खूब पढ़ने और उज्ज्वल भविष्य का भी आशीर्वाद दिया।

मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़ा: बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड विजेंद्र सिंह हुड्डा एसटीएफ की गिरफ्त में

* एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई, भारी मात्रा में फर्जी डिग्रियां और दस्तावेज़ बरामद, एक दर्जन से अधिक हिरासत में

लखनऊ/हापुड़ । उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मोनाड विश्वविद्यालय, हापुड़ के चेयरपर्सन और कुख्यात बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड विजेंद्र सिंह हुड्डा को गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ लखनऊ की टीम ने शनिवार को मोनाड विश्वविद्यालय परिसर में छापा मारकर यह कार्रवाई की।

एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश ने जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्रवाई एक शिकायत (प्रार्थना पत्र) के आधार पर की गई, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षिक फर्जीवाड़े की शिकायत की गई थी। छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी अंकपत्र, डिग्रियां, प्रमाण पत्र और अन्य शैक्षिक दस्तावेज़ बरामद किए गए हैं।

कार्रवाई के दौरान एसटीएफ ने एक दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनसे पूछताछ की जा रही है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि विश्वविद्यालय लंबे समय से फर्जी डिग्री और अंकपत्र जारी करने के रैकेट में शामिल था, जिसमें देशभर के छात्रों को ठगा गया है।

गिरफ्तार मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व में चर्चित बाइक बोट घोटाले का भी प्रमुख अभियुक्त रहा है, जिसमें लाखों निवेशकों को धोखाधड़ी कर चूना लगाया गया था।

मामले की विस्तृत जांच एसटीएफ द्वारा जारी है, और संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी नाम इस फर्जीवाड़े में सामने आ सकते हैं।

बहराइच के छात्रों ने विस्टाडोम ट्रेन से किया दुधवा और कतर्नियाघाट का रोमांचक भ्रमण

* ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की पहल, विद्यार्थियों को मिला प्रकृति संरक्षण का संदेश

लखनऊ । उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने और युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से शनिवार को एक महत्वपूर्ण पहल की गई। इसके तहत बहराइच के तीन विद्यालयों—महाराज सिंह इंटर कॉलेज, राजकीय इंटर कॉलेज और आज़ाद इंटर कॉलेज—के 30 विद्यार्थियों को विस्टाडोम ट्रेन के जरिए दुधवा नेशनल पार्क और कतर्नियाघाट का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।

यह भ्रमण युवा टूरिज्म क्लब के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका नेतृत्व पर्यटन सूचना अधिकारी श्री मनीष श्रीवास्तव ने किया। सुबह 10 बजे छात्र-छात्राएं कतर्नियाघाट पहुंचे, जहां उन्हें वन विभाग द्वारा संचालित इंटरप्रिटेशन सेंटर और घड़ियाल सेंटर का अवलोकन कराया गया। इंटरप्रिटेशन सेंटर में आयोजित 30 मिनट की प्रस्तुति के दौरान इको टूरिज्म, जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण से संबंधित जानकारी साझा की गई।

इसके बाद विद्यार्थियों ने बिछिया रेलवे स्टेशन से पलिया कला रेलवे स्टेशन तक विस्टाडोम कोच में रोमांचक यात्रा की। इस दौरान छात्रों ने जंगलों की जैव विविधता, हरियाली और वन्यजीवों की झलकियों का आनंद लिया। उन्हें दुधवा और कतर्नियाघाट के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र, बाघ, गैंडा, दलदली बारहसिंगा और दुर्लभ पक्षियों की उपस्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीवन से जुड़कर छात्राएं काफी उत्साहित दिखीं। उन्होंने न केवल प्रकृति के संरक्षण का संदेश ग्रहण किया, बल्कि इस अनुभव को जीवन का एक प्रेरक पल भी बताया।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “युवा टूरिज्म क्लब के माध्यम से हम नई पीढ़ी को न केवल राज्य के पर्यटन स्थलों से जोड़ रहे हैं, बल्कि उनमें प्रकृति और सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति संवेदनशीलता भी विकसित कर रहे हैं। यह अभियान उत्तर प्रदेश को इको टूरिज्म के राष्ट्रीय मानचित्र पर एक नई पहचान देगा।”